इमाम मेहदी के ज़माने मे शांती व सुरक्षा

हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत में जब ज़िन्दगी के हर पहलु में अच्छाइयाँ और नेकियां आम हो जायेंगी तो शांति व सुरक्षा प्राप्त होगी जो इलाही नेमतों में से एक बड़ी नेमत है और इंसान की सब से बड़ी तमन्ना है।

जिस वक़्त तमाम इंसान एक अकीदा होकर इस्लाम की पैरवी करेंगे और समाज के बीच उच्च अख़लाक़ी मर्यादाएं लागू होंगी और अदालत हर इंसान पर हाकिम होगी तो फिर ज़िन्दगी के किसी भी हिस्से में अशाँति और खौफ व दहशत के लिए कोई जगह बाक़ी नहीं रहेगी। जिस समाज में हर इंसान को उसका हक़ मिल रहा होगा तो फिर वह किसी दूसरे पर ज़ुल्म व सितम और इंसानी व इलाही अधिकारों को पामाल नहीं करेगा, और अगर कोई ऐसा करेगा तो उसके साथ सख्त कार्रवाई की जायेगी। इस लिए उस ज़माने में हर तरफ़ शाँति और सकून रहेगा।

हज़रत अली (अ. स.) ने फरमाया:

हमारे ज़रिये और हमारी हुकूमत के ज़रिये एक सख्त ज़माना गुज़रा है और जब हमारा क़ाइम क़ियामकरेगा तो दिलों से दुशमनी और ईर्ष्या निकल जायेगी। पशुओं में भी आपस में एकता होगी, उस ज़माने में ऐसा चैन सकून स्थापित होगा कि औरतें अपने ज़ेवर पहन कर इराक़ से शाम तक का सफर करेंगी....लेकिन उन के दिल में किसी तरह का कोई डर नहीं होगा.

प्रियः पाठकों!हम चूँकि अन्याय लालच और ईर्ष्या व दुश्मनी के ज़माने में ज़िन्दगी बसर कर रहे हैं इस लिए हमारे लिए उस हरी भरी व ख़ुशियों पर आधारित दुनिया का तसव्वुर बहुत मुशकिल है। लेकिन जैसे कि हमने उल्लेख किया अगर हम अपनी बुराइयों और गुनाहों के कारणों के बारे में गौर व फिक्र करें और यह तसव्वुर करें कि तमाम बुराइयां हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत में खत्म हो जायेंगी तो हमें मालूम हो जायेगा कि समाज में शाँति व सुरक्षा स्थापित होने का अल्लाह का वादा यक़ीनी है।

ख़ुदा वन्दे आलम कुरआने मजीद में फरमाता है कि

وَعَدَ اللهُ الَّذِینَ آمَنُوا مِنْکُمْ وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَیَسْتَخْلِفَنَّہُم فِی الْاٴَرْضِ کَمَا اسْتَخْلَفَ الَّذِینَ مِنْ قَبْلِہِمْ وَلَیُمَکِّنَنَّ لَہُمْ دِینَہُمْ الَّذِی ارْتَضَی لَہُمْ وَلَیُبَدِّلَنَّہُمْ مِنْ بَعْدِ خَوْفِہِمْ اٴَمْنًا


तुम में से जिन्होने ईमान लाने के बाद नेक काम किये अल्लाह ने उनसे वादा किया है कि उन्हें ज़मीन पर उसी तरह खलीफा बनाएगा जिस तरह पहले वालों को बनाया है और उनके लिए उस दीन को ग़ालिब बनायेगा जिसे उनके लिए पसन्द किया है और उनके खौफ़ को अमन से बदल देगा।

हज़रत इमाम सादिक़ (अ. स.) ने इसकी तफ़्सीर करते हुए फरमाया:

यह आयत हज़रत इमाम क़ाइम (अ. स.) और उनके असहाब के बारे में नाज़िल हुई है।