इमाम मेहदी के ज़माने मे इल्म की तरक्की


हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत के ज़माने में इस्लामी और इंसानी उलूम के बहुत से राज़ खुल जायेंगे और इंसान का इल्म बहुत तेज़ी से तरक़्क़ी करेगा।

हज़रत इमाम सादिक (अ. स.) ने फरमाया:

इल्म के 27 हर्फ हैं, और जो कुछ भी तमाम नबी (अ. स.) लेकर आये हैं वह सिर्फ तीन हर्फ़ हैं, जबकि जनता उनमें से दो हर्फो के भी नहीं जानती, जिस वक़्त हमारे क़ाइम का ज़हूर होगा तो वह उन बाक़ी 25 हरफ़ों के इल्म की भी लोगों को तालीम देंगे और उन दो हरफो को भी उनमें मिला देंगे जिसके बाद तमाम 27 हर्फ़ का इल्म नशर फरमायेंगे...

ज़ाहिर सी बात है कि इंसान इल्म के हर पहलु में तरक़्क़ी करेगा, अनेकों रिवायतों में होने वाले इशारों से मालूम होता है कि उस ज़माने औद्योगिक ज्ञान आज के ज़माने से कहीं ज़्यादा होगा।

जैसे कि इस वक़्त का उद्योग शताब्दियों पहले उद्योगों से बहुत ज़्यादा फर्क रखता है।

प्रियः पाठकों!हम यहाँ पर इस बारे में बयान होने वाली कुछ रिवायतों की तरफ़ इशारा करते हैं।

हज़रत इमाम सादिक (अ. स.) ने हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत की कैफियत के बारे में फरमाया:

क़ाइम आले मुहम्मद (स.) की हुकूमत के ज़माने में पूरब में रहने वाला मोमिन अपने पश्चिम में रहने वाले भाई को देखता होगा…

इसी तरह इमाम (अ. स.) ने फरमाया: जिस वक़्त हम अहलेबैत (अ. स.) का क़ाइम ज़हूर करेगा तो ख़ुदा वन्दे आलम हमारे शियों की आँखो और कानों की ताक़त बढ़ा देगा इस तरह से हज़रत इमाम महदी (अ. स.) चार फर्सख़ (22 किलो मीटर) के फासले से अपने शियों से बात चीत करेंगे और वह उनकी बातों को सुनेंगे और उनको देखते भी होंगे हाँलाकि वह अपनी जगह पर खड़े होंगे।

हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत में हुक्म सादिर करने वाले के रूप में इमाम के लोगों के हालात से बाखबर होने के बारे में रिवायतों कहती है कि

अगर कोई इंसान अपने घर में बात करेगा तो उसे इस चीज़ का खौफ़ होगा कि कहीं उसके घर की दिवारें उसकी बातों को (इमाम अ. स.) तक न पहुँचा दें।

आज कल की तकनीकी तरक़्क़ी के मद्दे नजर इन रिवायतों को समझना आसान है लेकिन यह बात स्पष्ट नहीं है कि क्या यही साधन और अधिक तरक़्क़ी के साथ इस्तेमाल किये जायेंगे या कोई इस से ज़्यादा अच्छी तकनीक इस्तेमाल की जायेगी।