इमाम ज़माना (अ) के प्रतिष्ठित सहाबी

इन्तेज़ार के रास्ते की तरफ़ लोगों के अकर्शित होने के बहुत से कारणों में से एक कारण वास्तविक इन्तेज़ार करने वालों यानी इमाम ज़माना (अ) के सहाबियों के मरतबे की पहचान है।

वास्तविक इन्तेज़ार करने वालों पर इन्तेज़ार के आश्चर्य जनक प्रभावों में से एक यह है कि वह ना केवल अक़ीदे और एतेक़ाद के लेहाज़ से विलायत के महान मरतबे की पहचान रखते हैं बल्कि वह स्वंय विलायत के चमकते हुए सूरज की किरणों में से एक किरण हैं। यानि अपनी योग्यता भर इन्तेज़ार के रास्ते पर चल करके उन्होने ख़ानदाने वही से रूही और मानवी शक्तियां प्राप्त की हैं, और इन शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपने दायित्वो को पूरा करते हैं।

इस तरह के लोग इमाम ज़माना (अ) के साथियों के सरदार हैं, और इमाम ज़माना (अ) की विलायत पर विश्वास रखने वालों में सब से आगे हैं।

रहीम परवरदिगार क़ुरआने मजीद में इरशाद फ़रमाता हैः


فَاسْتَبِقُواْ الْخَيْرَاتِ أَيْنَ مَا تَكُونُواْ يَأْتِ بِكُمُ اللّهُ جَمِيعًا




नेक कामों में एक दूसरे से आगे बढ़ों, तुम जहां भी रहोगे ख़ुदा एक दिन तुम सबको जमा कर देगा।

यह आयत इमाम जमाना (अ) के उन तीन सौ तेरह सहाबियों के बारे में कि है जिनको ज़ोहूर के दिन ख़ुदा अपने घर (काबे) के पास इमाम के गिर्द जमा करेगा, ताकि यह आप की सहायता करें और अत्याचारियों का सर्वनाश करें।

कभी कभी एक बहुत महत्व पूर्ण सवाल कुछ लोगों के दिमाग़ में आता है, कि नेकियों पर एक दूसरे से आगे बढ़ने का अर्थ क्या है? और इमाम के तीन सौ तेरह साथी आख़िर किस गुण या सिफ़त में दूसरों से आगे हैं और किस प्रकरा वह इस मरतबे तक पहुंच गए?

इस सवाल के जवाब के लिए हम ख़ानदाने वही यानी अहले बैत (अ) के दरवाज़े पर जाएंगेः

हज़रत इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) इस आयत की तफ़सीर में फ़रमाते हैः


أَلْخَیْرٰاتُ:أَلْوِلاٰیَةُ لَنٰا أَھْلَ الْبَیْتِ

नेकियों का अर्थ (जो कि आयत में बयान किया गया है) हम अहले बैत (अ) की विलायत है।

सच्चे सहाबियों की शक्ति का संक्षिप्त विवरण

इन्सान विलायत को स्वीकार करने में जितनी भी कोशिश करेगा उतनी ही उसकी आत्मा शक्तिशाली होती जाएगी, और वह इतना शक्तिशाली हो जाएगा कि, अपनी आत्मा की शक्ति से माद्दी और ग़ैर माद्दी चीज़ों पर कंट्रोल कर लेगा, इस संदर्भ में हम आपके सामने अल्लामा बहरुल उलूम की कहानी पेश करते हैः

मरहूम अल्लामा बहरुल उलूम दिल के मरीज़ थे, और इसी मर्ज़ की हालत में गर्मी के मौसम के एक बहुत गर्म दिन में इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत करने के लिए नजफ़ अशरफ़ से चल पड़े, लोग अश्चर्य में पड़ गए कि इस गर्मी के मौसम में इस बीमारी में किस तरह यात्रा पर जा रहे हैं?!

उनके हम सफ़रों में मरहूम शेख़ हुसैन नजफ़ भी थे जो कि अपने समय के बहुत बड़े विद्रानों में से थे, वह लोग जब अपने घोड़ों पर सवार हुए और यात्रा आरम्भ की तो अचानक एक बादल आया और उसने इन दोनो पर साया कर लिया और ठंडी हवा चलने लगी।

बादल उन पर साया किए हुए था यहा तक कि वह “ख़ान शूर” के क़रीब पहुंच गए वहा पर महान विद्रान शेख़ हुसैन नजफ़ का एक परिचित मिला और वह सैय्यद बहरुल उलूम से अलग हो कर उसका हाल चाल पूछने लगे, वह बादल उसी प्रकार सैय्यद पर साया किए हुए था यहा तक कि आप धर्म शाला में प्रवेश कर गए, और अब जब शेख़ हुसैन पर धूप की गर्मी पड़ी तो वह ज़मीन पर गिर पड़े और बुढ़ापे और कमज़ोरी के कारण बेहोश हो गए।

फिर उनको उठाया गया और धर्म शाला में मरहूम सैय्यद बहरुल उलूम के पास पहुंचाया गया, जब वह होश में आए तो आप से कहने लगे لما لم تدرکنا الرحمۃ؟ क्यो हम पर रहमत के बादल ना छाए? सैय्यद ने जवाब दिया لما تخلفتم عنھا؟ क्यों रहमत से दूर हो गए, इस जवाब में एक वास्तविक्ता छिपी हुई है

इमाम ज़माना (अ) के विषेश साथियों की इस प्रकार की है। इमाम के तीन सौ तेरह साथियों में से कुछ रहस्यम बादलों को प्रयोग में लाएंगे, और आपकाज़ोहूर होते ही इन्ही बादलों के माध्यम में आप के पास पहुंचेगें।

मुफ़ज़्ज़ल कहते हैः




قال ابو عبد اللہ اِذٰا اُذِنَ الْاِمٰامُ دَعَا اللّٰہَ بِاسْمِہِ الْعِبْرٰانِیّ فَاُتیحَتْ لَہُ صَحٰابَتُہُ الثَّلاٰثَ مِأَةِ وَ ثَلاٰثَةَ عَشَرَ قَزَع کَقَزَعِ الْخَرِیْفِ وَ ھُمْ أَصْحٰابُ الْاَلْوِیَّةِ ، مِنْھُمْ مَنْ یُفْقَدُ عَنْ فِرٰاشِہِ لَیْلاً

فَیُصْبَحُ بِمَکَّةَ وَ مِنْھُمْ مَنْ یُرٰی یَسِیْرُ فِی السَّحٰابِ نَھٰارًا یُعْرَفُ بِاسْمِہِ وَ اسْمِ أَبِیْہِ وَ حِلْیَتِہِ وَ نَسَبِہِ قُلْتُ جُعِلْتُ فِدٰاکَ أَیُّھُمْ أَعْظَمُ اِیْمٰانًا ؟ قٰالَ : اَلَّذِی یُسِیْرُ فِی السِّحٰابِ نَھٰاراً وَ ھُمُ الْمَفْقُودُوْنَ وَ فِیْھِمْ نُزلَتْ ھٰذِہِ الْآیَةُ ( اَیْنَمٰا تَکُونُوا یَأْتِ بِکُمُ اللّٰہُ جَمِیْعًا )
इमाम सादिक़ (अ) फ़रमाते हैः जब इमाम को (ज़ोहूर की) आज्ञा दी जाएगी तो ख़ुदा उनको उनके इबरी नाम से पुकारेगा, उस समय उनके सहाबी जिन की संख्या तीन सौ तेरह होगी उनकी सहायता के लिए जमा हो जाएगें, वह हेमंत ऋतु (पत झड़) के बादलों की तरह हैं (जो आपस में मिल जाएंगे और एक साथ जमा हो जाएंगे) और वह (हज़रत मेहदी (अ)) के परचमदार हैं


उनमें से कुछ रात में अपने बिस्तरों से ग़ाएब हो जाएंगे और मक्के में आँख खोलेंगे, और कुछ दूसरे इस प्रकार देखे जाएंगे कि दिन की रौशनी में बादलों पर यात्रा कर रहे होंगे, और अपने नाम, अपने बाप के नाम और निस्बतों से पहचाने जाएंगे.

(रावी कहता है) मैं ने कहाः इन दोनों में से मरतबे और महानता में कौन बड़ा होगा? इमामे सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः वह जो दिन में बादलो की सवारी करेंगे और यह वह हैं जो अपने घरों से ग़ाएब हो जाएंगे और इन्ही के बारे में यह आयत नाजिल हुई “तुम जहां भी होगे ख़ुदा तुम को एक स्थान पर इकठ्ठा कर देगा”