अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

महदी(अ.ज) से हर चीज़ ख़ुश होगी

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आँ हज़रत(स) से महदी(अ.ज) के रुक्न और मक़ाम के दरमियान बैअत और आपके शाम की जानिब से ज़हूर फ़रमाने की रिवायत की गयी हज़रत ने फ़रमाया जिबरईल महदी के आगे और मीकाईल पीछे होगें। महदी से अहले आसमान व ज़मीन, परिंदे, दरिंदे और समंदर की मछलीयाँ ख़ुश होगीं।



(अलबुरहान फ़ी अलामात महदी आख़िरुज़्ज़मान)



अलामते ज़हूर



शबलंजी का नूरूल अबसार में अबू जाफ़र(अ) से इमाम महदी के ज़हूर की अलामात से रिवायत की गयी है हज़रत ने फ़रमाया:



1-मर्द औरतों से मुशाबेहत इख़्तियार करेंगें और औरतें मर्दों से।



2-औरतें जानवरों पर सवार होगीं।



3-लोग नमाज़ पढ़ना छोड़ देगें।



4-ख़्वाहिशे नफ़्स की पैरवी करेंगें।



5- खून बहाना मामूली बात समझी जायेगी।



6-सूदख़ोरी आम होगी और उसके ज़रीये कारोबार होगा।



7- ज़ेना खुल्लमखुल्ला किया जायेगा।



8-मकानों को मज़बूत बनाया जायेगा।



9-रिश्वत का बाज़ार गर्म होगा।



10-लोग झूट को हलाल क़रार देंगें।



11-ख़्वाहिशाते नफ़्सानी की पैरवी करेंगें।



12-दीन को दुनिया के बदले फ़रोख़्त कर देंगें।



13-क़त ए रहम करेगें।



14-हिल्म व बुर्दबारी को कमज़ोर समझा जायेगा।



15-ज़ुल्म पर फ़ख्र किया जायेगा।



16-उमारा फ़ासिक़ होगें।



17-वोज़ारा झुटे होगें और अमीन ख़्यानतकार।



18-मददगार ज़ालिम होगें और क़ारी फ़ासिक़।



19-ज़ुल्म ज़्यादा होगा।



20-तलाक़ें ज़्यादा होगीं।



21-ज़ालिम की शहादत (गवाही) को क़बूल किया जायेगा।



22-शराब आम होगी।



23-मुज़क्कर मुज़क्कर पर सवार होगा।



24-औरतें औरतों को काफ़ी समझेगीं।



25-फ़ोक़ारा के माल को दूसरे लोग ख़ायेगें।



26-सदक़ा देने को नुक़सान ख़्याल किया जायेगा।



27-शरीर लोगों की ज़बानों से लोग डरेगें।



28-सुफ़यानी शाम से ख़ुरूज़ करेगा।



29-मक्के व मदीने के दरमियान मक़ामे बैदा में तबाही वाक़े होगी।



रुक्न व मक़ाम के दरमियान आले मुहम्मद(अ) का एक जवान क़त्ल किया जायेगा। और आसमान से निदा देने वाला निदा देगा कि हक़(महदी) और उनके चाहने वालो के साथ है और जब महदी ज़हूर करेगें तो अपनी पुश्त को काबा से टेक लगाये हुए होगें। और आप के चाहने वालो में से 313 अफ़राद आपके गिर्द जमा हो जायेगें। सबसे पहले आप इस आयत की तिलावत फ़रमायेगें:



بَقِيَّةُ اللّهِ خَيْرٌ لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ



फिर आप फ़रमायेगें मैं بَقِيَّةُ اللّهِ और उसका ख़लीफ़ा और तुम लोगों पर ख़ुदा की हुज्जत हूँ। जो शख़्स भी आप पर सलाम करेगा इस तरह कहेगा।



السلام عليك يا بقية الله في الأرض



और जब आपके पास दस हज़ार अफ़राद जमा हो जायेगें तो कोई यहूदी और नसरानी बाक़ी न रहेगा। और न कोई काफ़िर ही बचेगा। और सबके सब आप पर ईमान लायेगें और तसदीक़ करेगें और सिर्फ़ मिल्लते इस्लाम होगी और जो शख़्स भी रूए ज़मीन पर ख़ुदा वंदे आलम के सिवा मअबूद होगा उस पर आसमान से आग नाज़िल होगी और जलायेगी।



मुत्तक़ी हिन्दी ने अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत की है वह बयान करते हैं आपने फ़रमाया: महदी उस वक़्त ज़हूर फ़रमायेंगें जब आफ़ताब से निशानी ज़ाहिर होगी।



मुहम्मद इब्ने अली ने फ़रमाया: हमारे महदी के लिये दो ऐसी निशानीयों का ज़हूर होगा। जिसका ज़मीन व आसमान की ख़िलक़त से पहले कभी ज़हूर न हुआ होगा।



यानी रमज़ानुल मुबारक की पहली रात में माहताब को गहन लगे और आफ़ताब को दरमीयाने माह में गहन लगेगा यह दोनो अम्र ज़मीन व आसमान की ख़िलक़त के बाद से कभी पेश न आये होगें।



मुत्तक़ी हिन्दी हनफ़ी, हकम बिन अतबा से रिवायत करते हैं, मैने मुहम्मद बिन अली से कहा, सुना है कि अनक़रीब आपके दरमियान से एक शख़्स ज़ाहिर होगा जो इस उम्मत को अदल व इंसाफ़ से भर देगा। इमाम ने फ़रमाया: अगर दुनिया से सिर्फ़ एक रोज़ भी बाक़ी रह जायेगा ख़ुदा वंदे आलम उस रोज़ को इस क़दर तूलानी कर देगा यहाँ तक कि वही सब होगा जो इस उम्मत की ख़्वाहिश होगी लेकिन इससे क़ब्ल शदीदतरीन फ़ितने वुजूद में आयेंगें, लोग रात के वक़्त हालत इतमीनान में गुज़ारेगें, और सुबह हालते कुफ़्र में। पस तुम में से जिस को भी यह हालात पेश आये उसे अपने परवरदिगार से डरना चाहिये। और अपने अपने घरों में रहना चाहिये।



हाफ़िज़ क़ंदूज़ी की किताब यनाबीऊल मवद्दत में इस आयते करीमा وَاسْتَمِعْ يَوْمَ يُنَادِ الْمُنَادِ مِن مَّكَانٍ قَرِيبٍ ...... और कान लगाकर सुन रखो कि दिन पुकारने वाला नज़दीक ही की जगह से आवाज़ देगा जिस दिन लोग एक सख़्त चीज़ को बख़ूबी सुन लेगें वही ख़ुरूज का दिन होगा। आयते करीमा के बारे में इमाम सादिक़(अ) ने फ़रमाया मुनादिए क़ायम और उनके वालिद के नाम से निदा करेगा और आयते मज़कूरा में निदा से निदाए आसमानी मुराद है और उसी रोज़ इमाम महदी(अ) ज़हूर फ़रमायेगें।



रिवायत की गयी है कि जिस वक़्त इमाम महदी(अ) ज़हूर फ़रमायेगें, तो बुलंदी से एक मलक इस तरह आवाज़ देगा: यह ख़लीफ़ा ए ख़ुदा महदी(अ) है पस तुम लोग उसकी पैरवी करो।



अबी अब्दिल्लाहिल हुसैन इब्ने अली(अ) से रिवायत की गयी है, आपने फ़रमाया कि जिस वक़्त तुम आसमान की निशानी देखो यानी मशरिक़ की जानिब से अज़ीम आग बुलंद होते हुए देखो जबकि चंद रातें बाक़ी रहेगीं वह वक़्त आले मुहम्मद(अ) और लोगों की आसानी का वक़्त होगा।



यनाबीऊल मवद्दत में अल्लाह के इस क़ौल: अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से आयत का नुज़ूल हो।



इस आयत के बारे में अबू बसीर और इब्ने जारूद के वास्ते से इमाम बाक़िर(अ) से रिवायत की गयी है इमाम ने फ़रमाया: यह आयत क़ायम के बारे में नाज़िल हुई है। एक मुनादी आसमान से क़ायम(अ) और आपके वालिद के नाम की निदा करेगा।



कंजी अलबयान में अब्दुल्लाह इब्ने उमर से रिवायत बयान की गयी है वह करता हैं आँ हज़रत(स) ने फ़रमाया: जिस वक़्त महदी ज़हूर करेगा उनके सर पर अब्र होगा जिससे निदा करने वाला निदा करेगा यह ख़ुदा का ख़लीफ़ा महदी(अ) है. पस तुम लोग उसका इत्तेबा करो।



बुरहान और अक़्दुद दोरर में बयान किया गया है कि यह निदा तमाम अहले ज़मीन के लिये आम होगी। जिसको हर शख़्स अपनी अपनी ज़बान और लुग़त में सुनेगा।



इमाम महदी की अलामते ज़हूर के बारे में अबू नईम ने हज़रत अली(अ) से रिवायत की है आपने फ़रमाया: महदी का ज़हूर उसी वक़्त होगा जबकि दुनिया का एक तिहाई हिस्सा क़त्ल हो जायेगा एक तिहाई दुनिया मर जाये और एक बाक़ी रहेगी।



सुफ़यानी यनाबीऊल मवद्दत में हुज्जत के वास्ते से अली से अल्लाह ताला के इस क़ौल



ولو تری اذ فزعوا فلا فوت.



के बारे में रिवायत की गयी हज़रत नें फ़रमाया: हमारे क़ायम का ज़हूर से क़ब्ल सुफ़यानी ख़ुरूज करेगा जो एक औरत के हम्ल के बराबर मुद्दत(9 माह) हुकुमत करेगा इसका लश्कर मदीने आयेगा और जैसे ही मक़ामे बैदा पहुचेगा ख़ुदा उसको बर्बाद कर देगा।



इमाम महदी(अ) के ज़हूर के अलामात से मुतअल्लिक़ अमीरूल मोमीनीन अली(अ) से रिवायत की गयी हज़रत ने फ़रमाया: सुफ़यानी ख़ालिद इब्ने यज़ीद इब्ने अबी सुफ़यान की औलाद से होगा जिसका पेट बड़ा और चेहरे पर चेचक के निशान और आँख में सफ़ेद दाग़ होगा। दमिश्क़ से ख़ुरूज करेगा औरतों के शिकमों को चाक कर के बच्चो को भी क़त्ल कर डालेगा और मेरे अहले बैत से एक शख़्स काबे में ज़हूर करेगा जिसके साथ ख़ुदाई लश्कर होगा जो सुफ़ायान के लश्कर को शिकस्त देगा। बस सुफ़यान अपने लश्कर के साथ वापस जायेगा जैसे ही उसका लश्कर मक़ामे बैदा में पहुचेगा तबाह हो जायेगा और कोई एक भी बाक़ी नही बच सकेगा।



पाँच अलामतें



महदी(अ.) के ज़हूर के बारे में अबू अब्दिल्लाह हुसैन इब्ने अली(अ.) से रिवायत की गयी, इमाम ने फ़रमाया: महदी के ज़हूर की पाँच अलामतें हैं:



1- सुफ़यानी का ख़ुरुज



2- यमानी



3- आसमान से आवाज़ आना।



4- मक़ामे बैदा में तबाही।



5- नफ़्से ज़किय्या का क़त्ल होना।



यनाबीउल मवद्दत में क़ंदूज़ी ने अबू अमामा से रिवायत की वह बयान करता है कि आँ हज़रत(स) ने हमसे ख़िताब करते हुए दज्जाल का तज़किरा किया और फ़रमाया: मदीने से गंदगी को इस तरह दूर करेगा जिस तरह माद्दा लोहे की खोट को दूर करता है। पस उम्मे शरीक ने रसूलल्लाह(स) से अर्ज़ की या रसूलल्लाह उस रोज अरब कहाँ होगें¿ आपने इरशाद फ़रमाया: उस रोज़ अरब बहुत कम होगें, और सबके सब बैतुल मुक़द्दस में होगें। और उनका इमाम महदी(अ) होगा।



आख़री ज़माने में इमाम महदी की अलामत के बारे में अबी जाफ़र से रिवायत की गयी इमाम ने फ़रमाया: इमाम महदी रोज़े आशूरा ज़हूर फरमायेगें और यह वहीरोज़ है जिस दिन इमाम हुसैन(अ) शहीद हुए, दसवीं मुहर्रम थी और हफ़्ते का दिन था,महदी रुक्न व मक़ाम के दरमियान खड़े होगें दाहिनी जानिब जिबरईल(अ) और बाँये जानिब मीकाईल होगें। ज़मीन के हर गोशे से आपके शिया बैअत के लिये जमा हो जायेगें। आपके शियों के लिये ज़मीन सिमट जायेगी। आप ज़मीन को अदल व इंसाफ़ से भर देगें जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भरी होगी।



महदी(अ)के शियों के लिये ज़मीन की तनाबें सिमट जायेंगी। क़ुदरते ख़ुदा से ज़मीन के गोशे गोशे से लोग चंद लम्हात के अंदर मक्के में जमा हो जायेगें।



हाकिम नेशापुरी की मुस्तदरक अलस सहीहैन में अबू सईद ख़िदरी बयान करते हैं रसूलल्लाह(स) ने इरशाद फऱमाया: मेरी उम्म्त के आख़री(ज़माने) में महदी ज़हूर करेगा। ख़ुदा वंदे आलम उसको बारिशों से सैराब फ़रमायेगा। और ज़मीन अपने नबातात को ज़ाहिर कर देगी, अमवाल की सहीह तक़सीम करेगा, जानवरों की कसरत होगी और उम्मते इस्लामिया साहिबे अज़मत होगी।



हाकिम नेशापुरी की मुस्तदरक अलस सहीहैन में पैग़म्बरे इस्लाम(स) से रिवायत की गयी है, हज़रत ने फ़रमाया: मेरी उम्मत से महदी होगा, (जिस की हुकुमत) कम अज़ सात(साल) वर्ना नौ(साल) होगी। उसके ज़माने में मेरी उम्मत पर इस क़दर नेमतें नाज़िल होगीं जिस से कब्ल इस तरह नेमतों का नुज़ूल न हुआ होगा। ज़मीन खाने की तमाम चीज़ें अता करेगी जिसकी लोगों से ज़ख़ीरा अंदोज़ी न की जायेगी। उस रोज़ माल जमा होगा एक शख़्स खड़ा होगा और कहेगा इस माल को ले लो।



यनाबीउल मवद्दत में अबी ख़ालिद अलकाहिल ने इमाम जाफ़र सादिक़(अ)से अल्लाह तआला के इस क़ौल



فَاسْتَبِقُواْ الْخَيْرَاتِ أَيْنَ مَا تَكُونُواْ يَأْتِ بِكُمُ اللّهُ جَمِيعًا



(पस नेकीयों में जल्दी करो, तुम जहाँ भी होगे अल्लाह तुम सब को ले आयेगा।) की रिवायत की गयी है आपने फ़रमाया: आयत से क़ायम(अ) के असहाब मुराद हैं। जिनकी तादाद 313 होगी। ख़ुदा की क़सम उम्मते मअदूदह से यही लोग मुराद हैं यह सब लोग मौसमे ख़रीफ़ की तेज़ व तुन्द बारिश की तरह एक लम्हे में जमा हो जायेगें।



यनाबीउल मवद्दत में अल्लाह के इस क़ौल



ولئن اخرنا عنهم العزاب الی امة معدودة



के बारे में रिवायत बयान की गयी रावी बयान करता है उम्मते मअदूदह से महदी के असहाब मुराद हैं जो आख़री ज़माने में होगें जिनकी तादाद 313 होगी। जिस तरह बद्र में रसूलल्लाह (स) के असहाब की तादाद 313 थी। सबके सब एक लम्हे में ख़रीफ़ की तेज़ व तुन्द बारिश की तरह जमा हो जायेगें।



तारिख़े इब्ने असाकर (शाफ़ेई) मेंइस तरह रिवायत की गयी है जिस वक़्त क़ायमें आले मुहम्मद(अ) ज़हूर फ़रमायेगें पस ख़ुदा वंदे आलम मशरिक़ व मग़रिब वालों को इस तरह जमा फ़रमायेगा जिस तरह मौसमे ख़रीफ़ की तेज़ व तुन्द बारिश होती है। चुनाँचे महदी के रोफ़क़ा अहले कूफ़ा से और अबदाल अहले शाम से होगें।[25]



यनाबीऊल मवद्दत मेंअल्लाह तआला के इस क़ौल



اعلموا ان الله يحي الأرض بعد موتها



समझ लो कि ख़ुदा ज़मीन को ज़िन्दा करता है बाद इसके कि उसकी मौत वाक़े हो चुकी हो।, के बारे में सलाम बिन मुसतनीर के वास्ते से इमाम बाक़िर(अ) से रिवायत की गयी, इमाम ने फ़रमाया: (ख़ुदावंदे आलम) क़ायम के सबब ज़मीन को ज़िन्दा फ़रमायेगा जो कि ज़ुल्म के सबब से मुर्दा हो चुकी होगी और आप अपने अदल के ज़रीये उसको ज़िन्दा फ़रमायेगें।



यनाबीऊल मवद्दत में अल्लाह तआला के इस क़ौल



وَإِن مِّنْ أَهْلِ الْكِتَابِ إِلاَّ لَيُؤْمِنَنَّ بِهِ قَبْلَ مَوْتِهِ وَيَوْمَ الْقِيَامَةِ يَكُونُ عَلَيْهِمْ شَهِيدًا



और अहले किताब में यक़ीनन उस पर ईमान लायेगें अपनी मौत से क़ब्ल और क़ियामत के दिन उन पर गवाह होगा।



(सूरह निसा आयत 159)



रावी बयान करता है क़ियामत से क़ब्ल ईसा(अ) नाज़िल होगें, उस वक़्त यहूदी और ग़ैर यहूदी कोई बाक़ी न रहेगा मगर सबके सब अपने इन्तेक़ाल से क़ब्ल(महदी) पर ईमान ले आयेगें। और ईसा(अ) इमाम महदी(अ) की इमामत में नमाज़ अदा करेगें।



तज़किरातुल ख़वास में सिब्ते इब्ने जौज़ी(अलहनफ़ी) बयान करता है कि सदयी बयान करता है कि महदी(अ) और ईसा(अ)(एक मक़ाम पर) जमा होगें। पस जब नमाज़ का वक़्त होगा, इमाम ईसा से फ़रमायेगें आप नमाज़ पढ़ायें लेकिन ईसा फ़रमायेंगें आप नमाज़ के लिये ज़्यादा बेहतर हैं पस ईसा इमाम महदी के साथ मामूम की हैसियत से नमाज़ पढ़ेंगें।

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