मुसलमानों को पहले से अधिक एकता की ज़रूरत है

अगर हम लोग एकता और इत्तिफाक़ के लिए कोशिश कर रहे हैं तो

ऐबगोई, चुग़लखोरी, तोहमत, बदगोई, इफरात और तफरीत जैसी चीज़ों से दूरी करनी होगी।

हज़रत आयतुल्ला मकारिम शीराज़ी ने अपने खारिज के दर्स में जो मस्जिदे आज़म क़ुम में बर्पा होता है और इस दर्स में सैकणों स्टूडेन्ट्स और स्कालर्स भाग लेते हैं, चुग़लखोरी की एक रिवायत की तरफ इशारा करते हुए फरमाया कि चुग़लखोरी का शुमार उन मसअलों में होता है जिनसे इस्लाम में दूरी करने की बहुत अधिक ताकीद की गई है।

आपने इस बात की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस्लाम में ऐबगोई और चुग़लखोरी की बहुत अधिक निन्दा की गई है। जिन चीज़ो से बदबीनी और इख्तिलाफ पैदा होता है उसमें इसकी बहुत निन्दा की गई है ऐबगोई और चुग़लखोरी का शुमार भी इख्तिलाफ पैदा करने वाली चीज़ों में होता है।

हज़रत आयतुल्ला मकारिम शीराज़ी ने स्पष्ट करते हुए फरमाया : इस्लाम उन चीज़ों को अच्छा और पसंद किया गया है जिनसे एकता और इत्तिफाक़ हासिल होता है। क्यों कि इससे विश्वास पैदा होता है और विश्वास की गिनती समाज की बड़ी सम्पत्ति में होता है। हमे अपने समाज में इस मसअले को पहले से अधिक मज़बूत बनाना चाहिए।

हज़रत आयतुल्ला मकारिम शीराज़ी ने अपनी बात को जारी रखते हुए फरमाया : अफसोस कि इस ज़माने में कुछ लोग ऐबगोई, चुग़लखोरी और ग़ीबत को बरमला और प्रत्यक्ष करने की फिक्र में रहते हैं इस्लाम ने इस अमल की ज़बर्दस्त निन्दा की है। इस लिए अहले सुखन और जिन लोगों की ज़बान में ताक़त है वह इन कार्यों की तरफ ध्यान दें। क्यों कि कहीं ऐसा न हो वह खुद इस अमल में मुब्तला हो जाएँ।

आपने आज के ज़माने में दुनिया के हालात को बहुत सेन्सीटिव बताते हुए कहा : आज दुनिया के हालात ऐसे मोड़ पर आ गए हैं जहाँ मुसलमानों को पहले से अधिक एकता की ज़रूरत है, इलाक़े में ऐसा बड़ा तूफान और सियासी ज़लज़ला पहले कभी नही आया।

आपने आगे फरमाया : इलाक़े के हालात की तरफ ग़ौरो फिक्र और दुनिया भर में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखते हुए देश के अंदर पहले से अधिक एकता की ज़रूरत है। क्यों कि इस समय दुनिया भर के मुसलमानों की निगाहें ईरान की तरफ हैं। हमारे दरमियान जिस क़द्र भी एकता अधिक होगी उसी क़द्र वह अपने इंक़िलाब और क़्याम को अधिक से अधिक बढ़ाएँगे।

हज़रत आयतुल्ला मकारिम शीराज़ी ने करते हुए फरमाया : अगर हम लोग एकता और इत्तिफाक़ के लिए कोशिश कर रहे हैं तो ऐबगोई, चुग़लखोरी, तोहमत, बदगोई, इफरात और तफरीत जैसी चीज़ों से दूरी करनी होगी। ताकि हक़ीक़ी और वास्तविक एकता हासिल हो पाए।

आपने इस बात पर ज़ोर देते हुए फरमाया : अगर हम उन अहकाम पर अमल करें जिन पर इस्लाम ने हुक्म दिया है तो यक़ीनन खुदा हमारी मदद करेगा और हम लोग अधिक से अधिक एकजुट और आपस में एक हो जाएँगे।

आपने फिर फरमाया : आज हम दुनिया भर के मुसलमानों के लिए अधिक फिक्रमंद हैं विशेषकर लीबिया के सिलसिले में जहाँ के हालात बहुत अधिक खराब हैं। जैसा के पहले कहा जाता था कि इस देश का शासक सनकी है। आज वह बात सिद्ध हो रही है।

हज़रत आयतुल्ला मकारिम शीराज़ी ने स्पष्ट करते हुए फरमाया : उम्मीद करता हुँ कि खुदा लीबिया की पब्लिक को इस ग़ैरे आक़िल के ज़ुल्म और शर से निजात दे और इस्लामी देशों की पब्लिक अपने लक्ष्य और हदफ को पा सके।