महदी होने का दावा करने वाले

जिस तरह से तारीख़ में बहुत से लोगों ने पैग़म्बर होने का दावा किया है, इसी तरहकुछ लोगों इमाम महदी होने का दावा भी किया है।

महदी होने का दावा करने वाले कुछ लोगों के नाम इस तरह हैं।

1. शरीई : इस इंसान का नाम हसन और कुन्नियत अबु मुहम्मद थी। यह हज़रत इमाम अली नक़ी व हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिमस्सलाम के असहाब में से था। वह पहला इंसान था जिसने इमाम महदी होने का दावा किया।

2. मुन्जी ख़ारजी मिस्री : यह इंसान इल्मे नजूम (नक्षत्र ज्ञान) जानता था और उसके आधार पर भविषय में घटित होने वाली चीज़ों के बारे में बताता था। जिस साल उसने ख़ुरूज किया कहा कि मैं महदी मौऊद हूँ और मैं जल्दी ही मिस्र का बादशाह बनने वाला हूँ। उसके मानने वालों की संख्या 133 थी।

3. मुहम्द बिन तौमरत इस इंसान ने पश्चिमी भू भाग पर महदी होने का दावा किया और ख़ुरूज किया। कुछ इतिहासकारो ने लिखा है कि यह मुहम्द पुत्र अब्दुल्लाह पुत्र रहमान पुत्र हूद पुत्र ख़ालिद पुत्र तमाम पुत्र अदनान पुत्र सफ़वान पुत्र जाबिर पुत्र अता पुत्र रियाह पुत्र यसार पुत्र अब्बास पुत्र मुहम्मद पुत्र हसन पुत्र अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम था।

4. मोलदश सूस यह पश्चिम का रहने वाला था और इसने जवानी की आयु में ईराक़ में इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली और अबुल हसन तिबरानी से इल्म हासिल किया और उसूल, फ़िक्ह व कलाम में महारत हासिल की और ज़ोहद व तक़वे में मशहूर हो गया।

इब्ने बतूता ने लिखा है कि उसने शाम में महदी होने का दावा किया और अपने मानने वालों को शहरों का मालिक बनाने का वादा किया और शाम के शहरों को उनके दरमियान बाँट दिया। उसने अपने चाहने वालों को ज़तून के दरख़्त का पत्ता दे कर विभिन्न शहरों को जीतने के लिए भेजा परन्तु वह सभी क़त्ल हो गये।

1. महमूद यह इंसान नक़तवी क़बीले का आलिम था। छटी शताब्दी में पसखान से हिजरत के बाद गीलान के आस पास प्रकट हुआ। वह समस्त नबियों की शरियतों व किताबों की अपने अक़ीदे के अनुसार तावील करता था और ख़ुद को महदी मौऊद कहता था। वह कहता था मैं वही हूँ जिसके ज़हूर की पैग़म्बर (स.) ने ख़बर दी है। अब मुहम्द के दीन के मंसूख़ (निरस्त) होने और महमूद के दीन के फ़ैलने की बारी है। कुछ लोगों का कहना है कि बाद में महमूद ने तेज़ाब में डूब कर आत्म हत्या करली थी।

2. सैयद अशरफ़ुद्दीन इबराहीम यह इंसान सादात से था और बहुत बड़ा आबिद भी था। वह अपनी उम्र के दरमियानी हिस्से में ख़ुरासान गया और वहीं रहने लगा। चूँकि उसके अन्दर करामत पाई जाती थी लिहाज़ उसकी वजह लोग उसको मानने लगे और कहते थे कि यह इमाम महदी के अलावा और कोई नही है।

3. अमीर तैमूर ताश बिन अबी चौपान यह इंसान सुलतान अबू सईद बहादुर ख़ान के समय में प्रकट हुआ। चूँकि उसने अपने कुछ दुशमनों को पराजित कर दिया था इस वजह से उसके अन्दर घमंड पैदा हुआ और उसने सिक्कों पर अपना नाम ख़ुदवाया और इमाम महदी होने का दावा किया।

4. अब्बास इस इंसान ने नज्द में महदी मौऊद होने का दावा किया। कुछ लोग उसको मानने लगे और उसके हुक्म से फ़ारस के बहुत से बाज़ार जला दिये गये। बाद में वह अपने ही मानने वालों के हाथो मारा गया।

5. सैयद फ़लाह यह इंसान शेख़ अहमद बिन फ़हद का शागिर्द था और शिया इसना अशरी सूफ़ियों में से था। उसने ख़ूज़िस्तान के तमाम अरबों को अपने क़ब्ज़े में कर लिया था। उसने अपने चाहने वालों के मना करने पर भी इमाम महदी होने का दावा किया । जब उसके उस्ताद अहमद बिन फ़हद को यह ख़बर मिली तो उन्होंने उसके क़त्ल का फ़त्वा दे दिया । जब उसे क़त्ल करना चाहा तो वह क़ुरान ले कर बाहर निकला और उसकी क़सम खाई और अपने शर्मिंदा होने का इज़हार किया।

6. तवेज़ी इस इंसान ने सुलतान यूसुफ़ बिन याक़ूब के समय में इमाम महदी होने का दावा किया। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद बनी सकसाल के इंसान ने उसे क़त्ल कर दिया।

7. महदी मिस्री सन् 1798 ई. में जब नेपोलियन ने मिस्र पर क़ब्ज़ा किया तो उसे ख़बर मिली कि महदी नामक एर इंसान ने ख़ुरूज किया है उसने अपने साथ बहुत से लोगों को मिला लिया है और कहता है कि अल्लाह ने मुझे काफ़िरों को मिस्र से बाहर निकाल ने की ज़िम्मेदारी सौंपी है।

यह ख़बर सुन कर नेपोलियन ने उसके मुकाबेले के लिए एक फ़ौज भेजी। महदी के चाहने वाले नेपोलियन की फौज का मुक़ाबेला नही कर सके और हार गये और महदी मिस्री का भी वही पर ख़ातमा हो गया।