अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

15 शाबान

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एक बार फिर १५ शाबान की शुभ बेला आ पहुंची है और मुक्ति दाता की प्रतीक्षा ने दिलों को व्याकुल कर दिया है।

 

आज के दिन उस महान व्यक्ति का जन्म हुआ है जो ईश्वरीय दूतों के पावन लक्ष्यों, उनकी आकांक्षाओं तथा ईश्वरीय धर्मों के उद्देश्यों को व्यवहारिक बनायेगा और मानव जीवन में

 

वास्तविक अर्थों में बंधुत्व एवं मित्रता को लागू करेगा।

 

उस महान व्यक्ति को समय की वसंत कहते हैं। ईश्वरीय दूत उसकी सेवा में इस प्रकार सलाम करते हैं

 

अस्सलामो अला रबीईल अनाम व नज़रतिल अय्याम अर्थात समाम हो मानवता की वसंत पर, सलाम हो इतिहास की बसंत एवं समय की तरूणायी पर।

 

१५ शाबान की तिथि एक बहुत बड़ी ईद एवं पावन दिन है। जो लोग मानव इतिहास में महत्वपूर्ण परिवर्तन की प्रतीक्षा में हैं उन्हें आज के दिन इस बात की शुभसूचना मिलती है कि

 

विश्व का अंत असफलता एवं कड़ुवाहट के साथ नहीं होगा।

 

जो लोगों को स्वतंत्रता दिलाने एवं उन्हें जागरुक बनाने की दिशा में संघर्ष कर रहे हैं और न्याय की स्थापना में सफल नहीं हो रहे हैं उन्हें निराश नहीं होना चाहिये।

 

विश्व में ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाली शक्तियों के वर्चस्व से न डरें आज की अंधेरी रात बीत जाने के बाद आशा का सूरज उदय होने के प्रति आशावान रहें।

 

ईश्वरीय दूतों के हाथों भौतिक संसार की ओर जो खिड़की खोली गयी है उसने जीवन का वास्तविक अर्थ मनुष्य को दिखा दिया है

 

परंतु कुछ लोग संसार को इस दृष्टि से देखने के लिए तैयार नहीं हैं। संभव है कि ये लोग विश्व के मुक्तिदाता का भी इंकार कर दें परंतु इतिहास जीवित है और वह सदैव आगे बढ़ता रहेगा तथा

 

सर्वज्ञानी,तत्वदर्शी एवं महादयालु ईश्वर उसका मार्गदर्शन करता रहेगा और सर्वसमर्थ ईश्वर कभी भी इस बात की अनुमति नहीं देगा कि इतिहास का अंत बुराई व बर्बादी पर हो।

 

दृढ़ व अटल विश्वास है कि महान ईश्वर न्याय का समर्थक एवं उसका पृष्ठपोषक है और मनुष्यों को इतिहास के अत्याचारियों के हवाले नहीं करेगा।

 

स्वयं उसने पवित्र क़ुरआन में फरमाया है" सत्य की विजय होगी और उसके अच्छे बंदे ज़मीन के उत्तराधिकारी बनेंगे"

 

पापर और फोकोयामा जैसे कुछ पश्चिमी सिद्धांतवादियों ने अपने दृष्टिकोणों के अनुसार अमेरिका को विश्व का मुक्तिदाता तथा वर्तमान काल को इतिहास का अंत बताने का प्रयास किया है

 

परंतु वर्तमान शक्तियों के पास, जो वर्तमान समय में विश्व के मार्गदर्शन का दावा करती है, सिद्धांतिक रूप से इस कार्य के लिए आवश्यक क्षमता ही नहीं है।

 

जिस देश में प्रति आठ सेकेंड में एक हत्या होती हो और हर ९ सेकेंड में एक बलात्कार होता हो क्या वह उदाहरणीय नगर बन सकता है?

 

जिस शक्ति की सबसे बड़ी आकांक्षा मानव समाज पर वर्चस्व जमाना, युद्ध करवाना, विश्व में बुराई और सामूहिक विनाश के हथियारों को फैलाना है

 

वह किस प्रकार मानवजाति को शांति व सुरक्षा का उपहार दे सकती है?

 

जिस मुक्तिदाता के आने की शुभ सूचना ईश्वरीय दूत दे चुके हैं वह पवित्र और अद्वितीय है जो केवल महान ईश्वर की प्रसन्नता तथा लोगों के मार्गदर्शन के बारे में सोचता है।

 

जब सदगुणों की प्रतिमूर्ति अद्वितीय महान मोक्षदाता आयेगा तो वह समाज से हर प्रकार के भेदभाव का अंत कर देगा और न्याय व समानता को सर्वोत्तम रूप में स्थापित करेगा।

 

सुरक्षा का उपहार केवल पश्चिम के पूंजीपतियों को नहीं बल्कि समस्त मानवता को देगा और विश्व की आधारशिला शांति व मित्रता पर रखेगा

 

जिसमें प्रसन्नता एवं समानता का बटवारा समस्त मनुष्यों के बीच न्यायपूर्ण ढंग से होगा। अत: विश्व के मुक्तिदाता के जन्म का दिन खुशी, उत्साह और आशा का दिन है।

 

हम अपने सभी न्यायप्रेमी श्रोताओ की सेवा में एक बार फिर हार्दिक बधाई पेश करते हैं।

 

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का आंदोलन किसी क्षेत्र या जाति से विशेष नहीं है बल्कि वह विश्व स्तरीय महाआंदोलन है

 

जिसमें सत्य, असत्य पर विजय प्राप्त करेगा और वह मानवता की हर समस्या के समाधान के साथ होगा।

 

उस समय ज़मीन में निहित हर विभूति स्पष्ट व प्रकट हो जायेगी और मानव समाज के परिवारों की वास्तविक सफलता एवं कल्याण के काल का आरंभ हो जायेगा।


मनुष्य ने इतिहास के विभिन्न कालखंडों में प्रकृति पर नियंत्रण किया है और अपने लिए उसका प्रयोग किया है।

 

शक्ति एवं संभावनाओं में वृद्धि के साथ मनुष्य ने दूसरे मनुष्यों पर भी अपना आधिपत्य जमाया है

 

यहां तक कि मानव सभ्यता के बहुत से कालों में अधिकांश लोग साम्राज्यवादी व्यक्तियों अथवा कुछ गुटों के वर्चस्व में रहे हैं।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि मनुष्य की परिपूर्णता की प्रक्रिया में दूसरा समय भी है जिसमें मनुष्य अपने आप पर नियंत्रण करेगा।

 

अब विश्व उस समय के आने की प्रतीक्षा में है। उस काल में मनुष्य की बुद्धि का विकास होगा और ईश्वरीय धर्म एवं जीवन को सफल बनाने के क़ानूनों को स्वीकार करने की भूमि समतल हो जायेगी।

 

स्पष्ट है कि मनुष्य ज्ञान व बुद्धि की दृष्टि से जितना ऊंचा व अधिक होगा परिपूर्ण व उच्च क़ानूनों को उतना ही खुले मन से स्वीकार करने के लिए तैयार होगा।

 

विश्व के मुक्तिदाता की आस्था के बारे में इस्लाम धर्म की विशेषता उसके नाम और उसकी विशेषताओं का स्पष्ट होना है।

 

वह पैग़म्बरे इस्लाम की संतान में से चुना हुआ है और उसका नाम पैग़म्बरे इस्लाम का नाम है।

 

हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने पैग़म्बरे इस्लाम से पूछा" हे ईश्वरीय दूत क्या अंतिम समय में प्रकट होने वाला महदी हम आले मोहम्मद की संतान में से होगा या किसी और से?

 

पैग़म्बरे इस्लाम ने उत्तर दिया" वह हमसे होगा, ईश्वर उस पर अपने धर्म को समाप्त करेगा जिस तरह उसने अपने धर्म का आरंभ मुझसे किया है और ईश्वर हमारे माध्यम से लोगों को अनेक ईश्वरवाद से मुक्ति देगा"।

 

महदी उसकी सबसे प्रसिद्ध उपाधि है। अब्बासी शासकों ने अपनी सरकार के भविष्य के प्रति चिंता के कारण उसके जम्म को ही रोकने की बहुत चेष्टा की।

 

क्योंकि उन्होंने सुन रखा था कि पैग़म्बरे इस्लाम का एक पौत्र विश्व से अत्याचारी सरकार का अंत कर देगा।

 

इसी कारण इमाम महदी के पिता हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम पर सरकार के कारिन्दे कड़ी दृष्टि व निगरानी रखते थे परंतु ईश्वरीय इच्छा व्यहारिक हो गयी

 

और १५ शाबान वर्ष २५५ हिजरी क़मरी अर्थात ८६८ ईसवी में इमाम महदी अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म हुआ और उसके

 

बाद से लोग पूरे हर्ष ,उल्लास, श्रृद्धा और अउल्लेखनीय ढंग से उस पावन दिन की याद मनाते हैं और इमाम महदी अलैहिस्सलाम से हार्दिक एवं आध्यात्मिक संबंध स्थापित करते हैं।

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामनई फरमाते है" इमाम महदी के जन्म के मामले में दो आयामों से बड़े चिन्हों को देखा जा सकता है।

 

पहला आयाम आध्यात्मिक व आत्मिक है। उस व्यक्ति के पास, जो इस बात का विश्वास रखता है कि

 

वह महादयालु ईश्वर की कृपा की प्रकाशमयी किरणों के मुख्य बिन्दु से आत्मिक संबंध स्थापित करता है, अधिक कृपा के लिए आध्यात्मिक एवं ईश्वर से सामिप्य प्राप्त करने का साधन मौजूद है।

 

ईश्वर की असीम कृपा व न्याय के प्रतीक से हार्दिक संबंध मनुष्य को परवान चढ़ाता है और उसकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।

 

दूसरा आयाम सामाजिक जीवन है। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने की आस्था मानवजाति के हृदय में वह आशा है कि मानवता का इतिहास सुधार की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

 

यह आशा दिलों को प्रकाश देती है और इस बात को स्पष्ट करती है कि हर न्यायप्रेमी आंदोलन क़ानून और प्राकृतिक चक्र के परिप्रेक्ष्य में है।"

 

परंतु जो वस्तु दिलों को प्रसन्न करती है और नेत्रों को प्रकाश देती है वह हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के बाद अस्तित्व में आने वाला अद्वितीय संसार है।

 

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार में हर स्थान पर एकईश्वरवाद का बोलबाला होगा और आध्यात्म तथा शिष्टाचार की सुगंध हर स्थान से आयेगी।

 

यह बात वर्तमान मनुष्य का मार्गदर्शन इस परिणाम की ओर करती है कि एकमात्र मार्ग, जो मानवसमाज को हर प्रकार की बुराई, भेदभाव, अत्याचार एवं अन्याय से मुक्ति दिलायेगा, एकईश्वरवाद की जीवनदायक पद्धति और पवित्र मूल्यों की ओर वापसी है।

 

यह वही रास्ता व शैली है जिसका मानवता के प्रशिक्षकों ने प्रचार - प्रसार किया है।

 

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के समय मानव समाज उनकी इमामत अर्थात ईश्वरीय पद को स्वीकार करेगा और उनके माध्यम से विश्व आबाद होगा जिसमें मौजूद

 

न्याय, सुरक्षा, सफलता व कल्याण की मिठास का स्वाद सब लोग चखेंगे।

 

इस बात को ध्यान में रखते हुए, कि मानव समाज में एक प्रकार का संतुलन स्थापित हो जायेगा, लोगों को भी मानसिक एवं शिष्चारिक संतुलन प्राप्त हो जायेगा।

 

इस्लाम के अनुसार यदि मनुष्य को शैक्षिक एवं आत्मिक पथभ्रष्ठता से मुक्ति मिल जाये तो वास्तव में उसने एक प्रकार का न्याय प्राप्त कर लिया है।

 

इस परिभाषा के साथ हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार में लोग क़ानून से भयभीत नहीं होंगे बल्कि पूरे हर्षोल्लास के साथ समानता व बराबरी स्वीकार करेंगे।

 

वास्तव में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने और उनके महाआंदोलन के साथ मनुष्य के जीवन के अंतिम चरण का आरंभ होगा। वे लोगों का मार्गदर्शन करेंगे।

 

ईसाईयों के लिए वास्तविक इंजील से और यहूदियों के लिए वास्तविक तौरात से प्रमाण पेश करेंगे और किसी के पास यह कहने का बहाना नहीं रहेगा कि हमें वास्तविकता का ज्ञान नहीं था।

 

अधिकांश लोग आपके प्रमाण एवं तर्क को स्वीकार कर लेंगे और सत्य के मार्ग को प्राप्त कर लेंगे परंतु जो लोग हठधर्मिता का मार्ग अपनायेंगे, वे उनके विरुद्ध धर्मयुद्ध करेंगे।

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