अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

मफ़ाहीमे क़ुरआन

तफ़सीर का इल्म और मुफ़स्सेरीन के तबक़ात

तफ़सीर का इल्म और मुफ़स्सेरीन के तबक़ात

क़ुरआन की आयतों के मआनी से मुतअल्लिक़ जो कुछ जो कुछ उन्होने पैग़म्बरे इस्लाम (स) से सुना था कि उस को रिवायत और हदीस के पैराए में नक़्ल किया करते थे।

अधिक पढ़ें

क़ुरआने मजीद में जर्य और इंतेबाक़

क़ुरआने मजीद में जर्य और इंतेबाक़ अगर ऐसा हो कि एक आयत जब एक क़ौम के बारे में नाज़िल हुई है और क़ौम मर गई है तो उस आयत का मफ़हूम भी ख़त्म हो जायेगा तो क़ुरआन में कोई चीज़ बाक़ी नही रहेगी

अधिक पढ़ें

क़ुरआने मजीद नासिख़ व मंसूख़ का इल्म रखता है

क़ुरआने मजीद नासिख़ व मंसूख़ का इल्म रखता है क़ुरआने मजीद में अहकाम की आयतों के बीच कुछ ऐसी आयतें भी पाई जाती हैं जो नाज़िल होने के बाद पहले नाज़िल होने वाली अहकाम की आयतों की जगह ले लेती हैं जिन पर उस से पहले अमल होता था लिहाज़ा बाद वाली आयतों के नाज़िल होने के साथ ही पहले से मौजूद अहकाम ख़त्म हो जाते हैं।

अधिक पढ़ें

क़ुरआन ख़ैरख्वाह और नसीहत करने वाला है

क़ुरआन ख़ैरख्वाह और नसीहत करने वाला है अल्लाह को उस के कलाम के पहचानों। परवरदिगार के औसाफ़ को क़ुरआन के ज़रिए पहचानों क़ुरआन ऐसा राहनुमा है जो तुम्हें अल्लाह की तरफ़ राहनुमाई करता है। उस राहनुमाई के ज़रिए उस के भेजे हुए रसूल की मअरिफ़त हासिल करो और उस अल्लाह पर ईमान ले आओ जिस का तआरुफ़ क़ुरआन करता है। “वस्तन्साहू अला अन्फ़ोसेकुम”

अधिक पढ़ें

क़ुरआने करीम के पैरोकार के लिये इस्लाह व सआदत

क़ुरआने करीम के पैरोकार के लिये इस्लाह व सआदत अल्लाह तअला से क़ुरआन के ज़रिए सवाल करो और परवरदिगार की तरफ़ उस की मुहब्बत के ज़रिए से मुतवज्जेह हो जाओ

अधिक पढ़ें

क़ुरआने करीम हर दर्द की दवा है

क़ुरआने करीम हर दर्द की दवा है क़ुरआने मजीद ऐसी दवा है कि जिस के बाद कोई दर्द रह नहीं जाता

अधिक पढ़ें

क़ुरआन नातिक़ भी है और सामित भी

क़ुरआन नातिक़ भी है और सामित भी क़ुरआन साकित व ख़ामोश है इस हाल मे कि नातिक़ व गुफ़्तगू करने वाला है पस इस का क्या मअना हुआ ?

अधिक पढ़ें

क़ुरआने करीम की अहमियत व मौक़ेईयत

क़ुरआने करीम की अहमियत व मौक़ेईयत इस वक्त क़ुरआन करीम ही एक आसमानी किताब है जो इन्सान की दस्तरस में है।

अधिक पढ़ें

तावील पर तफ़सीरे अल मीज़ान का दृष्टिकोण

तावील पर तफ़सीरे अल मीज़ान का दृष्टिकोण मैं अनक़रीब तुम्हे उन तमाम कामों की तावील बता दूँगा जिन पर तुम सब्र नही कर सके।

अधिक पढ़ें

तिलावत,तदब्बुर ,अमल

तिलावत,तदब्बुर ,अमल जिस क़द्र मुमकिन हो क़ुरआन पढ़ा करो।

अधिक पढ़ें

क़ुरआन सब से बड़ा मोजज़ा है।

क़ुरआन सब से बड़ा मोजज़ा है। हमारा अक़ीदह है कि क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम (स.)का सब से बड़ा मोजज़ा है और यह फ़क़त फ़साहत व बलाग़त, शीरीन बयान और मअनी के रसा होने के एतबार से ही नही बल्कि और मुख़्तलिफ़ जहतों से भी मोजज़ा है। और इन तमाम जिहात की शरह अक़ाइद व कलाम की किताबों में बयान कर दी गई है।

अधिक पढ़ें

कुरआन मे परिवर्तन नहीं हुआ

कुरआन मे परिवर्तन नहीं हुआ पैग़म्बरे अकरम (स0) के घर के चारों तरफ़ छिप छिप कर पवित्र कुरआने पाक की ध्वनी को सुना करते थे।

अधिक पढ़ें

कुरआन की फ़साहत व बलाग़त

कुरआन की फ़साहत व बलाग़त अल्लाह के पवित्र कुरआन मजीद, और प्रसिद्ध ग्रंथ एक ज्ञान व हुनर, फ़िक्री व अक़ली, मददी व मानबी के व्यतीत एक आसमानी मोज़ेज़ा भी है, क्योंकी कुरआन मजीद बूलन्द ध्वनी के साथ जनसाधारण को अमंत्रन किया है. कि हमारे उदाहरण एक पवित्र कुरआन को ले आएं,

अधिक पढ़ें

क़ुरआन नहजुल बलाग़ा के आइने में

क़ुरआन नहजुल बलाग़ा के आइने में यानी यह कि तुम क़ुरआन के हक़ीक़ी पैरोकार उस वक़्त तक नहीं बन सकते जब तक तुम क़ुरआन की तरफ़ पुश्त करने वालों की मअरिफ़त हासिल ना कर लो

अधिक पढ़ें

क्या क़ुरआन दस्तूर है?

क्या क़ुरआन दस्तूर है? वाज़ेह रहना चाहिये के जिस तरह क़ुरआन आम किताबों की तरह की किताब नही है। इसी तरह आम दसातीर की तरह का दस्तूर भी नही है। दस्तूर का मौजूदा तसव्वुर क़ुरआन मजीद पर किसी तरह सादिक़ नही आता और ना उसे इन्सानी इसलाह के ऐतेबार से दस्तूर कह सकते हैं।

अधिक पढ़ें

आपका कमेंन्टस

यूज़र कमेंन्टस

कमेन्ट्स नही है
*
*

अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क