अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

तफ़सीरे क़ुरआन

सूरा निसा की तफसीर

सूरा निसा की तफसीर

उनके बीच अलगाव का डर हो तो जज के रूप में एक व्यक्ति को पति के घर से और एक व्यक्ति पत्नी के घर से नियुक्त करो यदि वे मेल-जोल का इरादा रखते हों। ईश्वर दोनों के बीच सहमति पैदा कर देगा क्योंकि ईश्वर सर्वज्ञानी व जानकार है।

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सूराऐ इब्राहीम की तफसीर

सूराऐ इब्राहीम की तफसीर महान ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरे इब्राहीम की ४२वीं आयत में कहता है”। ये अत्याचारी जो कुछ कर रहे हैं उससे ईश्वर को बेखबर मत समझो वह उनके दंड को उस दिन के लिए टाल रहा है जिस दिन आंखें की फटी रह जायेंगी”  

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सूराऐ युनुस की तफसीर

सूराऐ युनुस की तफसीर यूनुस एक ईश्वरीय दूत का नाम है। क़ुरान में यह नाम चार बार आया है। इस सूरे की 98वीं आयत में यूनुस नाम का उल्लेख है। इसी नाम पर इस सूरे का नाम भी पड़ा।

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सूरे रूम की तफसीर

सूरे रूम की तफसीर जिस वक़्त पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम मक्के में थे और वहां पर ईश्वर पर आस्था रखने वाले मोमिन बंदे अल्पसंख्या में थे, उस वक़्त ईरानियों और रोमियों के बीच जंग हुयी जिसमें ईरानी विजयी हुए।

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सूरे अहज़ाब की तफसीर

सूरे अहज़ाब की तफसीर सूरे अहज़ाब मदीने में उतरा और इसमें 73 आयतें हैं। इस सूरे की कुछ आयतें अहज़ाब नामक जंग के बारे में हैं जिसमें मुसलमानों को नास्तिकों पर चमत्कारिक जीत और पाखंडियों की ओर से रुकावटें खड़ी किए जाने का उल्लेख है।

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सूरए नूर की तफसीर

सूरए नूर की तफसीर नूर पवित्र क़ुरआन का चौबीसवां सूरा है जो पैग़म्बरे इस्लाम के पलायन के बाद मदीने में पैग़म्बरे इस्लाम पर उतरा। इसमें 64 आयतें हैं.....

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सूरे लुक़मान की तफसीर

सूरे लुक़मान की तफसीर सूरे लुक़मान पवित्र क़ुरआन का इकतीसवां सूरा है। इसमें 34 आयतें हैं और यह मक्के में उतरा है। इस सूरे का नाम लुक़मान इसलिए पड़ा है कि इसमें तत्वदर्शी हज़रत लुक़मान की नसीहतों का उल्लेख है। इस सूरे के शुरु में ईश्वर ने क़ुरआन को तत्वदर्शिता का मार्ग दिखाने वाला कहा है।

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सूरए नह्ल की तफसीर

सूरए नह्ल की तफसीर पवित्र क़ुरआन ईश्वर की अमानत और महान ईश्वरीय दूत हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सलल्ललाहो अलैह व आलेही व सल्लम का अमर चमत्कार है जिसके बारे में उनका कथन है कि इसके साथ रहने से तुम पथभ्रष्टता से मुक्ति पा जाओगे।

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सूरे सजदा की तफसीर

सूरे सजदा की तफसीर सूरे सजदा पवित्र क़ुरआन के उन चार सूरों में है जिनकी विशेष आयत पढ़ते ही तुरंत सजदा करना अनिवार्य है। वह चार सूरे जिनकी विशेष आयत पढ़ने से सजदा अनिवार्य हो जाता है,

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सूरए असरा की तफसीर

सूरए असरा की तफसीर सूरए असरा, पवित्र कुरआन का 17वां सूरा है और यह सूरा मक्के में उतरा। चूंकि इस सूरेए में पैग़म्बरे इस्लाम के मेराज अर्थात आसमान पर जाने की ओर संकेत किया गया है

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तफसीरे सूरऐ कहफ

तफसीरे सूरऐ कहफ कहफ़ सूरे में कुल 110 आयतें हैं। पवित्र क़ुरआन के आकर्षक सूरों में से एक कहफ़ सूरा भी है। इस सूरे में ईश्वर की स्तुति, सांसारिक जीवन का चित्रण और इस जीवन में मनुष्य का इम्तेहान, और रोचक कहानियों का उल्लेख है जो सुनने वाले

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तफसीरे सूराऐ फत्ह

तफसीरे सूराऐ फत्ह सूरए फ़त्ह पवित्र क़ुरआन का 48वां सूरा है। यह सूरा मदीने में उतरा।  इसमें 29 आयतें है। इस सूरे के नाम से ही स्पष्ट है कि यह विजय और सफलता का संदेश दे रहा है। अरबी भाषा में फ़त्ह, सफलता या विजय को कहते हैं। शत्रुओं पर विजय, स्पष्ट व उल्लेखनीय सफलता।

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अबुस सना आलूसी

अबुस सना आलूसी पैग़म्बरे अकरम (स) के ख़्वाब के बारे में रिवायत करते हैं कि रसूले अकरम (स) ने ख़्वाब देखा कि बनी उमय्या मेरे मिम्बर पर बंदर की तरह चढ़ रहे हैं। आपको यह ख़्वाब ना गवार लगा और उसी मौक़े पर ख़ुदा वंदे आलम ने मज़कूरा आयत नाज़िल फ़रमाई..।

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क़ुरआन

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