ग़ैरे मासूमीन
हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम का जन्मदिवस
- में प्रकाशित
हज़रत अली अलैहिस्सलाम के वीर पुत्र हज़रत अब्बास के शुभ जन्मदिवस पर आप सबकी सेवा में बधाई प्रस्तुत करते हैं।
हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के जन्मदिवस के अवसर पर विशेष
- में प्रकाशित
-
- स्रोत:
- erfan.ir
हज़रत अब्बास की माता का नाम "फ़ातिमा बिन्ते हेज़ाम" था। बाद में उन्होंने "उम्मुल बनीन" के नाम से ख्याति पाई
जनाबे ज़ैनब (अ) का शहादत दिवस
- में प्रकाशित
हज़रत ज़ैनब में बचपन से ही ज्ञान की प्राप्ति की जिज्ञासा थी
हज़रत ज़ैनब अलैहस्सलाम
- में प्रकाशित
पांचवी हिजरी क़मरी में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और हज़रत अली अलैहिस्सलाम को ईश्वर ने एक सुपुत्री प्रदान की जिसका नाम उन्होंने ज़ैनब रखा।
हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा
- में प्रकाशित
हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा पैग़म्बरे इस्लाम पर ईमान लाईं उनकी बात की पुष्टि की और उनका समर्थन किया।
मुहाफ़िज़ इमामत हज़रत जै़नबे कुबरा सलामुल्लाह अलैहा
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सैयद हैदर अब्बास रिज़वी
हज़रत ज़ैनब इमाम की हिफ़ाज़त की भी ज़िम्मेदार हैं और इसी तरह इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) को मौत से निजात दिलाने में ज़ैनबे कुबरा (स) की जाफ़ेशानी मक़ातिल में मौजूद है।
अगर ज़ैनब न होतीं....?
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
“ज़ैनब (स) नाम की महिला जिसके दिल में अली का दिल धड़कता था और जिसकी आँखों में हुसैन (अ) का जलाल था,
हज़रत अब्बास इमाम सादिक़ (अ) और इमाम ज़माना (अ) की निगाह में
- में प्रकाशित
आपके मज़बूत ईमान की निशानियों में से एक अपने भाई इमाम हुसैन (अ) की तरफ़ से जिहाद करना था कि जिसका मक़सद ईश्वर की प्रसन्नता के प्राप्त करना था।
हज़रत ख़दीजा स.अ. पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की वफ़ादार बीवी।
- में प्रकाशित
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी के ऐलान के दस साल बाद पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की बीवी हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा ने देहांत किया।
वीरता और भाईचारे के प्रतीक हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम
- में प्रकाशित
वर्ष 26 हिजरी क़मरी में चार शाबान को मदीना नगर में एक ऐसे शिशु ने इस संसार में क़दम रखा जिसका भव्य जीवन व शहादत मानव इतिहास के महाकाव्य में अमर हो गया।
हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम
- में प्रकाशित
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपने पुत्र अब्बास को कृषि, शरीर एवं आत्मा को सुदृढ़ बनाने, तीर अंदाज़ी, और तलवार चलाने जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया था।
वीरता व भाईचारे के प्रतीक हज़रत अब्बास(अ)
- में प्रकाशित
वर्ष 26 हिजरी क़मरी में चार शाबान को मदीना नगर में एक ऐसे शिशु ने इस संसार में क़दम रखा जिसका भव्य जीवन व शहादत मानव इतिहास के महाकाव्य में अमर हो गया।
हज़रत फ़ातेमा मासूमा(अ)की शहादत
- में प्रकाशित
वर्ष 201 हिजरी क़मरी में ईरानी जनता को यह गौरव प्राप्त हुआ कि वह क़ुम नगर में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के परिवार की इस सम्मानीय महिला का स्वागत करे।
हज़रते ख़दीजा की शादी का मक़सद
- में प्रकाशित
ऐ मेरे चचा के बेटे मैं आपकी शैदाई हूँ इसकी कई वजहें हैं:
सबसे पहली नमाज़ गुज़ार ख़ातून
- में प्रकाशित
हज़रत ख़दीजा (स) इस्लाम की सबसे पहली नमाज़ गुज़ार ख़ातून हैं। कई सालों तक दीने इस्लाम की पाबंद सिर्फ़ दो शख़्सियते थीं एक हज़रत अली (अ) दूसरे हज़रत ख़दीजा (स)। पैग़म्बरे इस्लाम (स) हर रोज़ पाँच मरतबा मस्जिदुल हराम में शरफ़याब हो कर काबे की जानिब रुख़ करके खड़े होते थे हज़रत अली (अ) आपके दायें जानिब और हज़रत ख़दीजा आपके पीछे खड़ी होती थी।
हज़रत अबू तालिब (अ) व हज़रत ख़दीजा (स) की वफ़ात का फ़ासला
- में प्रकाशित
हज़रत अबू तालिब (अ) की वफ़ात के बारे में मशहूर क़ौल 26 रजब बेसत का दसवाँ साल बताया गया है।
हज़रत ख़दीजा (स) की सीरत पर एक नज़र
- में प्रकाशित
हज़रत खदीजा (स) ज़िन्दगी के तमाम तल्ख़ व शीरीं हवादिस में बेसत के बाद पैग़म्बरे इस्लाम (स) की शरीके ग़म रहीं, हमेशा आपकी सलामती की ख़्वाहाँ थी, अपने ग़ुलामों व ख़िदमतगारों को पैग़म्बरे इस्लाम (स) की तलाश में भेजा करती थीं