अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

मोहर्रम

शहीदो के सरदार इमाम हुसैन की अज़ादारी 2

शहीदो के सरदार इमाम हुसैन की अज़ादारी 2

आशूरा की घटना के बाक़ी रहने का एक कारण इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और आशूरा के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है

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इमाम ख़ुमैनी की निगाह में इमाम हुसैन (अ) की जंग

इमाम ख़ुमैनी की निगाह में इमाम हुसैन (अ) की जंग सय्यदुश्शोहदा हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने कुछ साथियों, क़रीबी रिश्तेदारों औऱ घर की औरतों के साथ यज़ीद के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाया। चूँकि आपका आंदोलन अल्लाह के लिये था इस लिये उस दुष्ट की हुकूमत की बुनियादें (नींव) भी हिल गईं।

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अज़ादारी की आवश्यकता क़ुरआन की दृष्टि में

अज़ादारी की आवश्यकता क़ुरआन की दृष्टि में आज के इस युग में हम कभी कभी किसी भी ऐसे गैरे के मुंह से इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी और उन पर रोने के बारे में किए गए इश्कालों और आपत्तियों को सुनते रहते हैं

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तलवार पर ख़ून की विजय

तलवार पर ख़ून की विजय रात के समय जब कारवां तैयार हो गया तो इमाम हुसैन पैग़म्बरे इस्लाम के मज़ार पर गये और मज़ार से लिपट कर रोने लगें।

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तव्वाबीन 2

तव्वाबीन 2 कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद कई आंदोलन हुए जिनमें से एक का नाम क़यामे तव्वाबीन था। यह आंदोलन अचेतना की नींद सोये समाज के जागरुक हो जाने के बाद हुआ। क़यामे तव्वाबीन वह पहला आंदोलन था जो इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद अस्तित्व में आया।

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तव्वाबीन

तव्वाबीन “क़यामे तव्वाबीन” अर्थात प्रायश्चित करने वालों के आन्दोलन ने इमाम हुसैन की शहादत के बाद सन 61 हिजरी क़मरी से 64 हिजरी क़मरी के बीच सदस्य और शस्त्र एकत्रित करने का कार्य किया।

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आशूरा और आर्किटेक्चर

आशूरा और आर्किटेक्चर इस लेख में हम कर्बला, इमाम हुसैन (अ) और उनके साथियों की शहादत की याद में निर्माण किए जाने वाले पवित्र स्थलों जैसे कि इमाम बाड़ा और सक्क़ा ख़ाने अर्थात प्याऊ का विवरण पेश करेंगे।

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इस्लाम मक्के से कर्बला तक किस्त 5

इस्लाम मक्के से कर्बला तक किस्त 5 हज़रत उस्मान की हत्या के बाद तीन दिन तक स्थिति बहुत ही ख़राब रही। मदीने में अफरातफरी का माहोल था, ऐसे में जनता की उम्मीद का केंद्र एक बार फिर पैग़म्बरे इस्लाम (स) का घर हो गया. हजारों नर-नारी बनीहाशिम के मोहल्ले में उस पवित्र घर पर आशा की नज़रें टिकाये थे,

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इस्लाम मक्के से कर्बला तक किस्त 4

इस्लाम मक्के से कर्बला तक किस्त  4 मक्का की विजय के लगभग एक साल बाद नज़रान नामक जगह के ईसाई मोहम्मद साहब से वाद विवाद के लिए आये और हज़रत ईसा मसीह को खुदा का बेटा साबित करने की कोशिश करने लगे तो पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने उनको बताया की इस्लाम धर्म, ईसा मसीह को अल्लाह का पवित्र पैग़म्बर मानता है, ईश्वर का बेटा नहीं. क्योंकि अल्लाह हर तरह के रिश्ते से परे है.

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चेहुलम, इमाम हुसैन के श्रद्धालुओं के लिये इमाम सादिक़ की प्रार्थना

 चेहुलम, इमाम हुसैन के श्रद्धालुओं के लिये इमाम सादिक़ की प्रार्थना  मैंने उनको अपने मुसल्ले पर नमाज़ में मगन पाया, मैं रुका रहा ताकि आपकी नमाज़ समाप्त हो जाए,

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आशूरा के पैग़ाम को फैलाने में महिलाओं की भूमिका

आशूरा के पैग़ाम को फैलाने में महिलाओं की भूमिका जनाबे ज़ैनब ने ज़ालिम को मुंह छिपाने की मोहलत नहीं दी और यज़ीद का असली चेहरा बेनक़ाब कर दिया।

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ख़ून की विजय

ख़ून की विजय महिलाओं को मेहर देने का विषय उनके मूल अधिकार के रूप में वर्णित है

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इमाम ह़ुसैन (स अ) के भाई जो कर्बला में शहीद हुए

इमाम ह़ुसैन (स अ) के  भाई जो कर्बला में शहीद हुए  कुछ वीर ह़ज़रत अली (अ.स) के बेटे भी थे जो अमीरूल मोमिनीन अ. की तरफ़ से इमाम ह़ुसैन अलैहिस्सलाम के भाई थे, इतिहास की किताबों में उनकी संख्या 18 बताई गई है।

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शहीदो के सरदार इमाम हुसैन की अज़ादारी

शहीदो के सरदार इमाम हुसैन की अज़ादारी इतिहास अनगिनत सीखों से भरा पड़ा है और अगर इतिहास की सीखों पर ध्यान न दिया जाये तो कटु घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है

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कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का बलिदान। (3)

 कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का बलिदान। (3) इमाम अली अ० का खलीफा बनना कुछ विधर्मी लोगो को पसंद नहीं था तो कई लडा़ईयाँ हुईं

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