इतिहासिक कथाऐ
मुस्लिम कूफ़े में
- में प्रकाशित
पाँचवी शव्वाल को ब-रवायते तबरी व इब्ने असीर हज़रत मुस्लिम (अ.स) कूफ़े में दाख़िल हुए और अपने बचपन के दोस्त मुख़्तार के घर को जाए- अम्न क़रार दिया क्योंकि तमाम अहले कूफ़ा मुख़्तार की बे इन्तेहा इज़्ज़त करते थे मुख़्तार आपकी तशरीफ़ आवरी से बे इन्तेहां ख़ुश हुए और बड़ी इज़्ज़त व एहतेराम से पेश आये।
नजफे हिन्द जोगीपुरा
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1657 सितम्बर के महीने में मुग़ल बादशाह शाहजहाँ बीमार पड़ा तो ये मशहूर हो गया की शाहजहाँ का इन्तेकाल हो गया | बादशाहत इस से कमज़ोर होने लगी लेकिन उनका बेटा औरंगजेब तो सियासत में तेज़ था उसने अपने बड़े भाई जो शाहजहाँ का वारिस था उसे एक साल के अंदर ही इस दौड़ से अलग कर दिया और शाहजहाँ को किले में ही क़ैद कर लिया और बादशाह बन बैठा|
उमर ने वसीयत नामा लिखे जाने में रुकावट क्यों की
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क्या आँ हज़रत (स) ने रोज़े क़यामत तक उम्मत को गुमराह न होने की ज़मानत नही दी थी? इससे बढ़ कर और क्या बशारत हो सकती थी?