अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

शौहदाऐ करबला

इमाम हुसैन का छः महीने का सिपाही "अली असग़र"

इमाम हुसैन का छः महीने का सिपाही

 दूध पीता बच्चा अब्दुल्लाह बिन हुसैन जो कि अली असग़र के नाम से प्रसिद्ध है उनकी माँ का नाम रबाब था जो कि इमरउल क़ैस बिन अदी बिन औस बिन जाबिर बिन कअब बिन अलीम बिन जनाब बिन कल्ब की बेटी थी। (1)  

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हज़रत अब्बास (अ.)

हज़रत अब्बास (अ.) हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के भीतर पाई जाने वाली विशेषताओं में स्पष्टतम विशेषता, त्याग या बलिदान की भावना थी। 

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बनी हाशिम के पहले शहीद “हज़रत अली अकबर”

बनी हाशिम के पहले शहीद “हज़रत अली अकबर” वह समझे कि स्वंय पैग़म्बर (स) आ गये हैं

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प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी”

प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी” कैसा देखते हैं पापी हिन्दुस्तानी तलवार की मार को एक काले ग़ुलाम के हाथों में अपने हाथ और ज़बान से पैग़म्बर (स) के बेटों की सुरक्षा करूँगा ईश्वर के नज़दीक एकमात्र शिफ़ाअत करने वाले से शिफ़ाअत की आशा लगाये हूँ।

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हज़रते क़ासिम बिन इमाम हसन अ स

हज़रते क़ासिम बिन इमाम हसन अ स मक़तले अबी मख़नफ़ में आया हैः क़ासिम कर्बला में 14 साल के थे,

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आज़ाद तीनत सिपाही जनाबे हुर्र बिन यज़ीदे रियाही

आज़ाद तीनत सिपाही जनाबे हुर्र बिन यज़ीदे रियाही वह इब्ने ज़ियाद की सेना के एक विश्वस्त कमांडर और एक हज़ार सिपाहियों से सेनापति थे और आप सैन्य अनुशासन और आदेशों का पूर्णरूप से पालन करने वालों में से थे (5) हुर्र को सियासत से कोई दिलचस्पी नहीं थी इसीलिये किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेज़ में 60 हिजरी के तनावपूर्ण माहौल में भी हुर्र के किसी भी राजनीतिक क़दम उठाए जाने के बारे में

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हबीब इबने मज़ाहिर एक बूढ़ा आशिक

हबीब इबने मज़ाहिर एक बूढ़ा आशिक हबीब ने अपने जीवन में पाँच मासूमों को देखा था जिनमें पैग़म्बर इस्लाम (स) इमाम अली (अ) हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) और इमाम हसन (अ) व इमाम हुसैन (अ) हैं

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