अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

आमाल

बक़रीद के महीने के मुख्तसर आमाल

बक़रीद के महीने के मुख्तसर आमाल

पहले नौ दिन रोज़े रखे तो ऐसा है कि जैसे पूरी जिन्दगी रोज़े रखे।

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ज़ीक़ाद महीने के आमाल

ज़ीक़ाद महीने के आमाल  कुरान में जिन महीनो को हुरमत वाले महीने करार दिया गया है, यह इनमें से पहला महीना है।

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माहे ज़ीक़ाद के इतवार के दिन की नमाज़

माहे ज़ीक़ाद के इतवार के दिन की नमाज़ जो शख्स भी इस नमाज़ को बज़ा लाऐगा उसकी तौबा कुबुल और गुनाह बख्शे जाऐंगे और क़यामत के दिन उसके लेनदार उस से राज़ी होंगे.......................

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शबे कद़र के मुखतसर आमाल

शबे कद़र के मुखतसर आमाल इन रातो मे गुस्ल करना सुन्नते मुअक्केदा है। दो रकत नमाज़ सुबह की तरह पढ़ी जाऐ और हर रकत मे सात मरतबा क़ुलहो वल्लाहो अहद पढ़ी जाऐ और.....

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तीन शाबान के आमाल

तीन शाबान के आमाल

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शबे आशूर के आमाल

शबे आशूर के आमाल अल्लाह पाक व पाकीज़ा है सारी तारीफ़ उसी अल्लाह के लिए है अल्लाह के अतिरिक्त कोई माबूद (जिसकी इबादत की जाए) नहीं है अल्लाह सबसे बड़ा है और उसके अतिरिक्त किसी के पास कोई ताक़त और शक्ति नहीं है वह महान और सर्वश्रेष्ठ है।

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रोज़े आशूरा के आमाल

रोज़े आशूरा के आमाल रोज़े आशूरा मुहम्मद और आले मुहम्मद (स.अ.) पर मुसीबत का दिन है। आशूर के दिन इमाम हुसैन अ. ने इस्लाम को बचाने के लिए अपना भरा घर और अपने साथियों को ख़ुदा की राह में क़ुर्बान कर दिया है, हमारे आइम्मा-ए-मासूमीन अ. ने इस दिन को रोने और शोक मनाने से विशेष कर दिया है अत: आशूरा के दिन रोने, मजलिस व मातम करने और अज़ादारी की बहुत ताकीद की गई है।

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आमाले लैलतुल रग़ा'ऐब

आमाले लैलतुल रग़ा'ऐब

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