अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

विभिन्न

वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-6

वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-6

इब्ने तैमिया और उसका शिष्य इब्ने क़ैय्यिम जौज़ी इन सब बातों से भी आगे बढ़ गये और उन्होंने अपनी पुस्तकों में ईश्वर को एक नरेश की भांति बताया।

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वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-4

वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-4 ब्रह्मांड की समस्त वस्तुएं केवल ईश्वर की इच्छा और अनुमति से ही प्रभाव स्वीकार करती हैं। क़ुरआने मजीद ने अपनी रोचक शैली में बड़े ही सुंदर ढंग से इस बात को बयान किया है।

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वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-5

वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-5  इब्ने तैमिया का यह दृष्टिकोण क्या पवित्र क़ुरआन के सूरए बक़रा की आयत क्रमांक पंद्रह से स्पष्ट रूप से विरोध नहीं रखता कि जिसमें ईश्वर कह रहा हैः पूरब पश्चिम ईश्वर का है तो जिस ओर चेहरा घुमाओगे ईश्वर वहां है। ईश्वर हर चीज़ पर छाया हुया व सर्वज्ञ है।

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वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-3

वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-3 अब्दुल अज़ीज़ इब्ने सऊद ने वहाबी क़बीलों के सरदारों की उपस्थिति में अपने पहले भाषण में कहा कि हमें सभी नगरों और समस्त आबादियों पर क़ब्ज़ा करना चाहिए।

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वहाबियत, वास्तविकता व इतिहास-2

वहाबियत, वास्तविकता व इतिहास-2 इतिहास में ब्रिटिश जासूस मिस्टर HAMFAR और मोहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब के बीच संबंधों का उल्लेख किया गया है।

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वहाबियत, वास्तविकता व इतिहास 1

वहाबियत, वास्तविकता व इतिहास 1 और फिर उसका संचालन अपने हाथ में लिया और उससे हटकर न तो कोई तुम्हारा संरक्षक और न ही उसके मुक़ाबले में कोई सिफ़ारिश करने वाला है।

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जनाबे अब्दुल मुत्तलिब

 जनाबे अब्दुल मुत्तलिब आप हज़रत हाशिम के नेहायत जलीलउल क़द्र साहबज़ादे थे। 497 ई0 में पैदा हुए वालिद का इन्तेक़ाल बचपने में ही हो चुका था...

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क़ुसई बिन कलाब

 क़ुसई बिन कलाब पांचवीं सदी इसवी में एक बुज़ुर्ग फ़हर की नस्ल से गुज़रे हैं जिनका नाम क़ुसई था।

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अप्रैल फ़ूल की हकीक़त

अप्रैल फ़ूल की हकीक़त मुस्लिम कौम को बेवकूफ बनाने का दिन है अप्रैल फूल यानी १ अप्रैल । यही वो दिन है जब यहूदी साजिश पूरी तरह कामयाब हुयी और स्पेन की आखिरी सल्तनत और उसका किला (Grenada )गर्नातः फतह कर लिया गया। और इसी दिन को अप्रैल फूल के तौर पर मनाया जाता है। जानते हैं क्यों ? क्योंकी इसी दिन मुस्लिम फौज को बेवकूफ बना कर स्पेन की मुस्लिम हुकूमत को गुलाम बनाया गया।    

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वहाबियत और मक़बरों का निर्माण

वहाबियत और मक़बरों का निर्माण  पवित्र क़ुरआन में भी न केवल इन निशानियों की सुरक्षा की सिफारिश की गयी है बल्कि

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वहाबियत और उसकी असलियत

वहाबियत और उसकी असलियत एक मुसलमान अल्लाहो अकबर कह कर दूसरे मुसलमान का सिर काट रहा है, उसका सीना चाक करके उसका कलेजा चबा रहा है जैसे कि हुज़ूर (स) के चचा हज़रत हमज़ा का कलेजा चबाया गया था।

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दुश्मनाने दीन के बारे में अहलेबैत की सीरत

दुश्मनाने दीन के बारे में अहलेबैत की सीरत  "मैं बहिशत में दाख़िल हुआ तो उसके दरवाज़े पर लिखा हुआ था- "ला इलाहा इलल्ललाह ,मुहम्मदन हबीबल्लाह ,अली इब्ने अबी तालिब वलीउल्लाह ,फ़ातिमा अममतुल्लाह ,अल-हसनो वल हुसैन सिफ़वतुल्लाह ,अला मुबग़ज़ीहुम लानतुल्लाह "।

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अब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर

 अब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर जंगे जमल में जब मालिके अशतर ने इन्हें अधमुआ कर के डाल दिया और ये शदीद ज़ख़्मी हुए तो आयशा उस वक़्त तक के बेक़रारी के बिस्तर पर करवटें बदलती रहीं जब तक उन्हें अब्दुल्लाह के ज़िन्दा बच जाने की ख़बर नहीं मिल गयी। तारीख़ों से पता चलता है कि हज़रत आयशा ने उस शख़्स को दस हज़ार दिरहम दिये जिसने उनके बच जाने की ख़ुशख़बरी सुनाई थी।

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हज़रत आयशा का दूसरा निकाह

हज़रत आयशा का दूसरा निकाह रसूलल्लाह (स.अ.व.व) के अक़्द में आने से पहले आयशा ज़बीर इब्ने मुतअम से मनसूब हो चुकी थी।

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नमूना ए सब्र जनाबे ज़ैनब का महमिल से सर को टकराना

नमूना ए सब्र जनाबे ज़ैनब का महमिल से सर को टकराना इस दासतान को अनपढ़ ज़ाकिरों ने ख़ूब नमक मिर्च लगा कर ख़ूनी मातम को साबित करके जज़बाती नौजवानों से ख़ूब वाह वाह बटोरी, बेहतर तो ये था के लोग अपने अपने मरजा के फ़तवे के मुताबिक़ इस काम को करते लेकिन लोग बजाए इसके ख़ुद इजतहाद करने लगे जो ख़तरनाक सूरते हाल है।  

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ख़ुलासा ए ख़ुतबा ए ग़दीर

ख़ुलासा ए ख़ुतबा ए ग़दीर

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ग़दीर और इस्लामी उख़ुव्वत

ग़दीर और इस्लामी उख़ुव्वत

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करबला हिन्दु बुद्धीजीवीयो के माध्यम से

करबला हिन्दु बुद्धीजीवीयो के माध्यम से जिन हालात में तकालिफ़ की शिद्दत और तवालत में हुसैम इब्ने अली अ 0ने अपना इम्तेहान दिया और कामयाबी हासिल की ,ऐसा सनद याफ़ता कोई और है ?

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