इमामे अली(अ)
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-30
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जो व्यक्ति सही ज्ञान और सोच विचार के बिना उपासना करता है उसका मूल्य बयान करते हुए हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं” पूर्ण विश्वास के साथ सोना संदेह की स्थिति में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है”
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-29
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मौत की विशेषता यह है कि सामान्यतः अचानक आती है। कोई नहीं जानता कि किस दिन
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-27
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नमाज़, रोज़ा, हज, और जेहाद की भांति अम्र बिलमारूफ को भी धार्मिक आदेशों में समझा जाता है और उनके मध्य इसे विशेष स्थान प्राप्त है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम के अनुसार अम्र बिलमारूफ और नही अनिलमुन्कर का दायेरा विस्तृत है और इसमें सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र सभी शामिल हैं।
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार 26
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हज़रत अली अलैहिस्सलाम के बयान का स्रोत पवित्र कुरआन ............
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-25
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तक़वे की शर्तें में से एक, कम बोलना और सही व चयनित बात करना है। उनका चुप रहना और कम बोलना, कमज़ोरी और अक्षमता का चिन्ह नहीं है.........
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-24
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हज़रत अली (अ) समस्त गुणों एवं विशेषताओं के स्वामी हैं। उनके व्यक्तित्व के असीम सागर में समस्त मानवीय सदगुण पाए जाते हैं। उनकी इबादत और बंदगी उनके सबसे विशिष्ट गुणों में से हैं। हज़रत अली (अ) इबादत की उस शिखर चोटी पर आसीन थे कि कई महान ईश्वरीय दूत भी वहां तक नहीं पहुच सके। इमाम ज़ैनुल आबेदीन कि जो अपने समय के सबसे महान उपासक थे
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-23
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हज़रत अली अलैहिस्सलाम, मानवीय गुणों व विशेषताओं का स्रोत थे। उनका प्रशिक्षण पैग़म़्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने किया था और उन्होंने उनसे मूल्यवान पाठ सीखे थे। ईश्वर पर ईमान और ईश्वरीय शिक्षाएं इस प्रकार हज़रत अली के अस्तित्व में पैठ कर गई थीं कि पैग़म्बर की पत्नी हज़रत आएशा, उनके बारे में कहती हैं कि ईश्वर ने हज़रत अली से अधिक किसी को भी
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-22
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मुक्तिदाता इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की विश्व व्यापी सरकार के काल में नेअमतों क अधिक हो................
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-21
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मानव जाति का सत्य की ओर मार्गदर्शन, अति अनिवार्य विषय है। इस बारे में पवित्र क़ुरआन के सूरए ताहा की आयत संख्या 50 में कहा गया है कि हमारा पालनहार वह है जिसने हर वस्तु की रचना की फिर उसका मार्गदर्शन किया।
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-20
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ईमान का शाब्दिक अर्थ होता है अपनाना। ईमान शब्द की व्याख्या करते हुए हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि इसका अर्थ है किसी को हृद्य की गहराई से पहचानना, मौखिक रूप से उसे स्वीकार करना और फिर उसे व्यवहारिक बनाना है।
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-19
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मानव के मन में जो प्रश्न उठते हैं उनमें से एक सृष्टि से संबन्धित है...............
नहजुल बलाग़ा में इमाम अली के विचार-18
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इस्लामी दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो संसार का सीधा संबन्ध परलोक से है और यह उससे बिल्कुल अलग नहीं है। इसका कारण यह है कि मनुष्य अपने जीवन में जो कुछ करता है उसका भुगतान उसे परलोक में करना होगा।
अमीरुल मोमिनीन अली अलैहिस्सलाम का जीवन परिचय
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आप का जन्म रजब मास की 13वी तारीख को हिजरत से 23वर्ष पूर्व मक्का शहर के विश्व विख्यात व अतिपवित्र स्थान काबे मे हुआ था। आप अपने माता पिता के चौथे पुत्र थे।
इमाम अली (अ) और रोज़गार सृजन
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हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने निर्धनता के उन्मूलन के लिए बहुत कोशिश की ताकि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच खायी कम हो जाए। निर्धनता उन्मूलन का एक उपाया सार्थक रोज़गार का सृजन है।