इमामे हुसैन(अ)
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मोहर्रम
लेख: 76 -
शौहदाऐ करबला
लेख: 7
इमाम हुसैन के बा वफ़ा असहाब
- में प्रकाशित
मैंने अपने असहाब से आलम और बेहतर किसी के असहाब को नही पाया।
हज़रत इमाम ह़ुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत का सवाब
- में प्रकाशित
इमाम की ज़ियारत हर उस मोमिन पर वाजिब है जिसने अल्लाह की तरफ़ से इमामत को स्वीकार किया है।
इमाम हुसैन बुद्धीजीवीयो के मत से
- में प्रकाशित
मैंने हुसैन से सीखा की मज़लूमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है! इस्लाम की बढ़ोतरी तलवार पर निर्भर नहीं करती बल्कि हुसैन के बलिदान का एक नतीजा है जो एक महान संत थे!
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की जनाबे मोहम्मद हनफ़िया को वसीयत
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
- स्रोत:
- tvshia.com
निःसंदेह हुसैन बिन अली गवादी देता है कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई और ख़ुदा नहीं है वह अकेला है जिसका कोई शरीक नहीं है, और निःसंदेह मोहम्मद (स) उसके बंदे और रसूल हैं, जो सच के साथ सच (ख़ुदा) की तरफ़ से आए हैं। और निःसंदेह स्वर्ग और नर्क हक़ है, और क़यामत आने वाली है और उसमें कोई संदेह नहीं है, और यह कि ख़ुदा उन सभी को जो क़ब्रों में हैं दोबारा उठाएंगा।
इमाम हुसैन(अ)का अंतिम निर्णय
- में प्रकाशित
मैंने लोगों को भलाई की ओर बुलाने व बुराई से रोकने तथा अपने नाना व पिता अली की शैली अपनाने का संकल्प लिया है।
इमाम हुसैन नें बैअत क्यों नहीं की
- में प्रकाशित
इस में कुछ शक नही कि इमाम हुसैन (अ) ने बैअते यज़ीद के साथ निहायत सख़्ती से इंकार किया क्यो कि इमाम (अ) जानते थे
आशूरा के बरकात व समरात
- में प्रकाशित
पैग़म्बरे अकरम (स) के हक़ीक़ी जानशीन ने मैदाने करबला में तीरों तलवारों और नैज़ों की बारिश में
इमाम हुसैन की याद दिलाती है करबला
- में प्रकाशित
कत्ले हुसैन असल में मर्गे यज़ीद है, इस्लाम ज़िन्दा होता है हर कर्बला के बाद…
इमाम हुसैन (अस) : संक्षिप्त परिचय
- में प्रकाशित
मै अपने व्यक्तित्व को चमकाने या सुखमय जीवन यापन करने या उपद्रव फैलाने के लिए क़ियाम नहीं कर रहा हूँ। बल्कि मैं केवल अपने नाना (पैगम्बरे इस्लाम) की उम्मत (इस्लामी समाज) में सुधार हेतु जारहा हूँ। तथा मेरा निश्चय मनुष्यों को अच्छाई की ओर बुलाना व बुराई से रोकना है।