विभिन्न
इल्में ग़ैब का ज्ञान, क़ुरआन की रौशनी में
- में प्रकाशित
उसके पास गै़ब के ख़ज़ाने हैं जिन्हे उसके अतिरिक्त कोई नहीं जानता।
इन्सानी जीवन में धर्म की वास्तविक्ता
- में प्रकाशित
उन सही अक़ीदों का सम्मान करो जिस को तुम ने अपनी अक़्ल और फ़ितरत के ज़रिये स्वीकार किया है।
फरिश्तो की क़िस्में
- में प्रकाशित
-
- स्रोत:
- सहीफाऐ सज्जादीया
उन फ़रिश्तों की क़सम जो ढूब कर इन्तेहाई शिद्दत से काफ़िरों की की रूह खींच लेते हैं, और उनकी क़सम जो बड़ी आसानी से मोमिनों की रूह क़ब्ज़ करते हैं
शब्दकोष में शिया के अर्थः
- में प्रकाशित
किसी व्यक्ति के शिया अर्थात उसके अनुगामी और सहायक, शिया की बहुवचन शियअ और अशयाअ है।
बहाइयत और अशलीलता
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
अब्दुल बहा ने शादी के मसले में केवल अपने पिता की बीवी (यानी मां) से शादी करना हराम जाना है,
उसूले दीन में तक़लीद करना सही नही है
- में प्रकाशित
क़ाबिले ऐतेमाद आलिमें दीन की बताई हुई दलील की बुनियाद पर यक़ीन हासिल हो जाये तो उसे उस यक़ीन की बुनियाद पर उसूले दीन को क़बूल कर सकता है
शिया ही वास्तविक मुसलमान
- में प्रकाशित
यह धर्म की आधारिक शिक्षा है यह अल्लाह के एक होने पर ईमान के बाद अल्लाह की पूर्ण रूप से इबादत के साथ पूरी होती है। इस्लाम ने मानव की उतपत्ति का मुख्य उद्देश केवल इबादत को ही माना है।
मुसलमानो के बीच इख़्तिलाफ़
- में प्रकाशित
“यहूद ने कहा ‘नसारा किसी बुनियाद पर नहीं’ और नसारा ने कहा ‘यहूद किसी बुनियाद पर नहीं’ हालाकि वे दोनों अल्लाहताला कि किताब पढते है”
जहन्नम
- में प्रकाशित
जब भी जहन्नम वाले प्यास की शिद्दत की वजह से पानी माँगेंगें तो उन्हे गर्म, गंदा और सड़ी हुआ पानी दिया जायेगा और वह उसे पी लेगें।
काबे का तवाफ करना बहुत बड़ी इबादत है।
- में प्रकाशित
यकीनन काबे ने ज़मीन की खिलकत के सिलसिले में इतना अहम किरदार निभाया है कि उसका तवाफ करना बहुत बड़ी इबादत है।
ईश्वर का इरादा
- में प्रकाशित
ईश्वर में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को कम से कम यह विश्वास होना चाहिए कि एक ऐसा अस्तित्व है जिसे अपने अस्तित्व के लिए किसी अन्य की कोई आवश्यकता नहीं है।
इस्लाम और सेक्योलरिज़्म
- में प्रकाशित
आज का मार्डन ज़माना इस्लाम और सिक्योलरिज़्म को एक बताने पर तुला हुआ है।
क़यामत पर आस्था का महत्व
- में प्रकाशित
कार्यक्रम सृष्टि ईश्वर और धर्म को हमने सृष्टि पर चर्चा से आरंभ किया था जिसके दौरान हमने विभिन्न ईश्वरीय गुणों तथा उसके दूतों और उनके लाए हुए धर्म पर
संभव वस्तु और कारक
- में प्रकाशित
हर निर्भर अस्तित्व या संभव अस्तित्व को कारक की आवश्यकता होती है और इस इस सिद्धान्त से कोई भी अस्तित्व बाहर नहीं है किंतु चूंकि ईश्वर का अस्तित्व इस प्रकार का अर्थात संभव व निर्भर नहीं होता इस लिए उस पर यह नियम लागू नहीं होता।
नास्तिकता और भौतिकता
- में प्रकाशित
नास्तिकता और भौतिकता का इतिहास बहुत प्राचीन है और ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध होता है कि जिस प्रकार प्राचीन काल से ही ईश्वर पर विश्वाश रखने वाले लोग थे उसी प्रकार उसका इन्कार करने वाले भी लोग मौजूद थे
स्वयं को पहचानें किंतु क्यों?
- में प्रकाशित
पिछली चर्चा में हमने जाना कि प्रत्येक मनुष्य में प्रगति की चाहत होती है और वह स्वाभाविक रुप से अपनी कमियों को छिपाने का प्रयास करता है प्रगति की स्वाहाविक चाहत को यदि सही दिशा मिल जाए तो वह मनुष्य की परिपूर्णता का कारण बनती है अन्यथा विभिन्न प्रकार के अवगुणों को जन्म देती है।
स्वाभाविक भावना
- में प्रकाशित
इस बात को जान लेने क बाद कोई भी जानकार और समझदार व्यक्ति अपने आपको इन ईश्वरीय दूतों और उनके लाए हुए संदेशों के बारे में अध्ययन व जानकारी इकट्ठा करने से कैसे रोक सकता है?