विभिन्न
इस्लामी भाईचारा
- में प्रकाशित
वह इंसान हरगिज़ सच्चा नहीं हो सकता है कि जो मुहब्बत का दम भरता हो मगर अपने चहेते का आज्ञापालन न करे।
वह इंसान हरगिज़ सच्चा नहीं हो सकता है कि जो मुहब्बत का दम भरता हो मगर अपने चहेते का आज्ञापालन न करे।
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