अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इमामत

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी

यह एक ऐसा सवाल है जो न सिर्फ मुसलमानों बल्कि गैर मुस्लिमों के ज़हन में अक्सर उभरता रहता है। यह सवाल विवादित भी बहुत ज़्यादा है। क्योंकि इसी सवाल पर इस्लाम कई फिरकों में विभाजित हो चुका है। पैगम्बर मोहम्मद(स.) के वक्त में निर्विवाद रूप से वही सर्वोच्च थे और अक्सर लोग उन्हें इस्लाम धर्म का संस्थापक भी समझते हैं।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 11)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 11) इस्लाम के सच्चे धर्माधिकारी हर दौर और हर हालत में रहे हैं। कभी उन्हें मौका मिला और हालात अच्छे रहे तो पूरी दुनिया ने उनकी आब व ताब देखी और पूरी दुनिया को उन्होंने फायदा पहुँचाया। जबकि हालात खराब होने पर कभी कभी तो उन्हें पूरी जिंदगी जालिम बादशाहों की कैद में गुज़ार देनी पड़ी। लेकिन ऐसी हालत में भी जहाँ तक हो सका उन्होंने लोगों की भलाई के लिये ही काम किया

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 10)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 10) इस्लाम के सच्चे धर्माधिकारी को न तो गरीबी परेशान करती है और न ही हुकूमत, तख्त या दौलत उन्हें इंसानियत से गाफिल करती है। वह हर हाल में व हर मौके पर इंसानियत की भलाई के लिये ही काम करते हैं। कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की इमाम अली रज़ा(अ.) ने जो इमाम मूसा काज़िम(अ.) के बेटे थे और उनके बाद इस्लाम के सर्वोच्च धर्माधिकारी हुए।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 9)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 9) इस्लामी धर्माधिकारी का एक गुण ये होता है कि वो आने वाले वक्त की खबर रखता है और उसके मुताबिक मुनासिब कदम उठाता है।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 8)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 8) तुम्हारा शरीर बहुत छोटी छोटी रचनाओं से मिलकर बना है। ये संरचनाएं इतनी ज्यादा हैं जितना किसी रेगिस्तानमें रेत के कण होते है

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 7)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 7) क्योंकि इस्लामी मुल्क सिक्का चलाने के सिस्टम से नावाकिफ थे। ऐसी मुसीबत की घड़ी में बादशाह को एक वज़ीर ने इमाम मोहम्मद बाकिर (अ.) से मदद लेने की राय दी।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 6)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 6) तमाम इस्लामी धर्माधिकारियों की तरफ इमाम सज्जाद(अ.) के पास भी इल्म की बेशकीमती दौलत थी। उनकी दुआओं का एक बेशकीमती खज़ाना सहीफये कामिला के नाम से दस्तियाब है

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 5)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 5) आखिरकार शिम्र ने इमाम हुसैन (अ.) की गर्दन उस वक्त अलग कर दी जब वे अपने मालिक का सज्दा अदा कर रहे थे। इमाम हुसैन (अ.) का सर नैज़े पर बुलन्द हुआ और इसी के साथ डूबता हुआ इस्लाम का सितारा फिर से बुलन्द हो चुका था।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 4)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 4) इससे पहले भाग 2 में हमने बताया कि रसूल ने अपने बाद धर्म का सर्वोच्च अधिकारी अहलेबैत को बनाया था। इसमें पहले थे इमाम हज़रत अली (अ.)। फिर एक वक्त आया जब इब्ने मुल्जिम नामक बाग़ी ने उन्हें नमाज़ में सज्दे की हालत में शहीद कर दिया। उनकी शहादत के बाद धर्म के सर्वोच्च अधिकारी बने उनके बेटे इमाम हसन (अ.) जो कि अहलेबैत में शामिल हैं और पंजतन पाक के चौथे सितारे थे। इमाम हज़रत अली(अ.) व बीबी फातिमा(स.) के बड़े बेटे थे।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 3)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 3) आज से हज़ार साल पहले एक महान इस्लामी विद्वान शेख सुददूक(अ.र.) हुए हैं। उन्होंने अपनी किताब 'कमालुददीन' में कुरआन व हदीस से यह सिद्ध किया है कि हर दौर और हर ज़माने में खुदा के दीन यानि इस्लाम धर्म को बताने वाले कभी नबी, कभी पैगम्बर, कभी रसूल और कभी इमाम के तौर पर दुनिया में मौजूद रहे हैं और इस दुनिया के अंत तक मौजूद रहेंगे।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 2)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी (भाग 2) इस लेख के भाग - एक में मैंने बताया कि रसूल(स.) के बाद धर्म के सर्वोच्च अधिकारी का पद अल्लाह ने अहलेबैत को ही दिया। इतिहास का कोई पन्ना अहलेबैत में से किसी को कोई ग़लत क़दम उठाते हुए नहीं दिखाता जो कि धर्म के सर्वोच्च अधिकारी की पहचान है। यहाँ तक कि जो राशिदून खलीफा हुए हैं उन्होंने भी धर्म से सम्बंधित मामलों में अहलेबैत व खासतौर से हज़रत अली(अ.) से ही मदद ली।

अधिक पढ़ें

ख़िलाफ़त पर फ़ासिद लोगों का क़ब्ज़ा

ख़िलाफ़त पर फ़ासिद लोगों का क़ब्ज़ा जनाबे जहरा (अ.स) के घर पर इमाम अली (अ.स) से अबुबकर की बैअत कराने के लिऐ हमला किया गया। 11 हि.

अधिक पढ़ें

शरमिन्दगी की रिवायत

शरमिन्दगी की रिवायत इस जुमले से मालूम होता कि वो अपनी खिलाफत, जानशीनी और हक़्क़ानियत मे शक रखता था इस बिना पर रसूले खुदा (स.अ.व.व.) के खलीफा बनने के अपने अमल के ग़लत होने का खुद इकरार किया

अधिक पढ़ें

ख़िलाफ़त और इमामत का मक़सद

 ख़िलाफ़त और इमामत का मक़सद इमामत व ख़िलाफ़त का मक़सद समाज से बुराईयों को दूर कर के अदालत (न्याय) को स्थापित करना और लोगों के जीवन को पवित्र बनाना है। यह उसी समय संभव हो सकता है जब इमामत का ओहदा योग्य, न्यायप्रिय व हक़ परस्त इंसान के पास हो।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी? (भाग 14 - अंतिम भाग)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी?  (भाग 14 - अंतिम भाग) अभी तक इस सीरीज़ में हमने इस्लाम के ऐसे धर्माधिकारियों की बात की जो शहीद हो चुके हैं और यह दुनिया उन्हें खो चुकी है।

अधिक पढ़ें

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी? (भाग 13)

इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी? (भाग 13) पैगम्बर मोहम्मद(स.) उस धर्म के आखिरी पैगम्बर थे जिसे अल्लाह ने दुनिया के तमाम इंसानों के लिये पसन्द किया।

अधिक पढ़ें

कौन है इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी? (भाग 12)

कौन है इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी? (भाग 12) इमाम मोहम्मद तक़ी(अ.) को उस ज़माने के ज़ालिम बादशाह ने सिर्फ पच्चीस साल की उम्र में शहीद कर दिया था। लेकिन अल्लाह का वादा कि...............

अधिक पढ़ें

आपका कमेंन्टस

यूज़र कमेंन्टस

कमेन्ट्स नही है
*
*

अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क