मुज़ारेआ (बटाई) 2
- में प्रकाशित
पढ़ने वाले: मौलाना सैय्यद असकरी रज़ा रिज़वी मेरठी
एल्बम: अहकाम (मामलात)
इस प्रोग्राम मे बताया गया है कि अगर हादसे की वजह से फ़स्ल खराब हो जाए तो मुजारेआ बातिल हो जाएगा। उसके बाद बताया गया है कि अरग ज़मान का मालिक या किसान मर जाए तो फसल की जो आमदनी होगी वो इनके घर वालो को मिलेगी मामल बातिल नही होगा।
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