इजतेहाद और तक़लीद 2
- में प्रकाशित
एल्बम: अहकाम (इबादात)
इस प्रोग्राम मे बताया गया है कि आरम्भ से मुर्दा मुजतहिद की तकलीद करना हराम हैं इस की तीन सूरते हैं (1) मुजतहिद आलम था (2) मुर्दा मुजतहिद ज़िन्दा मुजतहिद के बराबर इल्म रखता था इन तीन सूरतों मे मुर्दा मुजतहिद की तकलीद पर बाक़ी रह सकते है (3) लेकिन अगर मुर्दा मुजतहिद का इल्म ज़िन्दा मुजतहिद से कम हो तो यहाँ पर मुर्दा मुजतहिद की तकलीद नही करनी चाहिए।
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