अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क
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आलमे बरज़ख
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आलमे बरज़ख
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लेखक:
शहीदे महराब आयतुल्लाह दस्तग़ैब शीराज़ी
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क़यामत
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आलमे बरज़ख़ .
अर्ज़े मुजारज्जिम (उर्दू )
अर्ज़े नाशिर
मुक़दमा ..
अक़ीदाऐ मआद आफ़रीनशे आलम का हमअस्र ..
आसमानी मज़ाहिब का बुनियादी रूक्न ....
मौत और बरज़ख़ को क़रीब देखने की तासीर .
बरज़ख़ की याद देहानी में तहज़ीबे नफ़्स और इस्लाह का अन्दाज़ ..
डराने और ख़ुशख़बरी देने के चन्द नमूने ..
लोगो के हक़ अदा न करने पर अज़ाबे बरज़ख़ .
वह गुनाह जो बरज़ख़ में गिरफ़्तारी के वजह हैं
शैख़ के क़ौल के मुताबिक तीन हुक़ूक़ .
आलिम की इहानत और उसकी सख़्त उक़ूबत .
मौत के वक़्त हमसायों से माफ़ी चाहना ..
हज़रत अली (अ.स) और यहूदी की हमसफ़री का लिहाज़ .
मज़ालिम सिरात में और जहन्नुम के ऊपर
सिराते जहन्नम के ऊपर एक पुल .
तीन हज़ार साल सिरात के ऊपर
सिरात के अक़ीदे और आमाल का नूर
ये तवील रास्ता बग़ैर नूर के कैसे तय होगा ..
सिरात भी शऊर रखती है
वहशतनाक और सच्चे ख़्वाब
कौन सारी ज़िन्दगी सिराते मुस्तक़ीम पर है
तशख़ीस बाल से ज़्यादा बारीक और अमल तलवार से ज़्यादा तेज़ .
हर शख़्स को जहन्नम से सदमा पहुँचेगा ..
आख़िरत के मतालिब तसव्वुर के क़ाबिल नहीं .
आतिशे जहन्नम मोमिन की दुआ पर आमीन कहती है
जहन्नम कहता है अभी मेरे पास जगह है
दोज़ख़ में अज़ाब के दर्जे मुख़्तलिफ़ हैं
तीन हज़ार साल तक फूँकने के बाद आतिशे दोज़ख़ का रंग .
ज़क़्क़ूम हन्ज़ल से भी ज़्यादा तल्ख़ ...
खौलता हुआ पानी जो चेहरे के गोश्त को गला देता है
मोमिनीन यक़ीन करते हैं
दोज़ख़यों का लिबास आग का होगा ..
ख़ौफ़े आतिश से हज़रत अली (अ.स) का रोना ..
अज़ाबे जहन्नम के चन्द नमूने .
दोज़ख़ियों के सरों पर जहन्नम के गुर्ज़ .
अहले सलम जहन्नम में नहीं जाऐंगे .
उनके दिलों की तरह उनके सख़्त जिस्म ...
आख़िरत में बातिन का ग़लबा ज़ाहिरी सूरत पर
जन्नत और जहन्नम अगर मौजूद हैं तो कहाँ हैं ?
जहन्नम में ख़ुनूद सिर्फ़ कुफ़्फ़ार के लिये है
नकीर और मुनकर ही बशीर और मुब्बश्शिर हैं
लोग सीरतों के मुताबिक़ सूरतों पर महशूर होगें .
आख़िरत का अज़ाब दुनियावी अज़ाब से अलग है
ख़्वाब बरजख़ी सवाब और अज़ाब का नमूना है
मुर्दे ज़िन्दों से इल्तेमास करते हैं
मैं कनीज़ों को आज़ाद करता हूँ ताकि जहन्नम में न जाऊँ .
आलमे बरज़ख़ में बहुत ख़ौफ़ और ख़तरे हैं
अगर मैं सिरात से गुज़र गया ..
ख़ुदाई आग से जली हुई क़ब्रे यज़ीद (ल 0)
तीन वक़्तों में ज़मीन के तीन नाले .
मलकूते क़ब्र के लिये नूर और फ़र्श .
तीन गिरोहों की हसरत बहुत सख़्त होगी ..
रहमे मादर और आलमे दुनिया ,दुनिया और बरज़ख़ की मान्निद
मुहब्बत या ग़ुस्से के साथ क़ब्ज़े रूह
तीन चीज़े बरज़ख में बहुत काम आती है
बख़ील का बरज़ख़ी फ़िशार ऐसा है जैसे दीवार में मेख .
दुनिया में हम्माल और बरज़ख़ में बादशाह
वो आग जो क़ब्र से शोलाज़न हुई
ग़ुस्से को ज़ब्त करना आग के ऊपर पानी डालना है
पोशीदा सदक़ा और अज़ाब के ख़ौफ़ से गिरया ..
नफ्स परस्ती सिरात से दूर ले जाती है
गुनाहगार हक़ीक़ी ग़ासिब है
अली (अ.स) का दोस्त जहन्नम में नहीं रहेगा ..
बहिश्त और दोज़ख़ की कुंजियाँ अली (अ.स) के हाथ में .
वो लोग जो मुज़्तरिब न होंगे .
क़यामत का अज़ाब बहुत सख़्त है
तालिबाने हुक़ूक़ और क़यामत .
जिस्म के आज़ा की शहादत .
आग और गुमराही मुजरेमीन के लिये .
निजात का रास्ता खो देते हैं
चक्खो आतिशे जहन्नम का मज़ा ..
क़यामत में मुन्तशिर अज्ज़ा फ़िर जमा किये जाऐंगे .
मौत के बाद ज़मीन की ज़िन्दगी ..
ख़ुदा ने जहन्नमियों को पैदा ही क्यों फ़रमाया ..
अस्ल ग़रज़ रहमत और फ़ज़्ल को वुस्अत देना है
उमरे साद और मुल्के रै की शैतानी आवाज़ .
मौत क़ुदरते ख़ुदावन्दी का नमूना ..
बनी हाशिम के नाम इमामे हुसैन (अ.स) का ख़त .
बरज़ख़ में अज़ादारे हुसैन की फ़रियादरसी ..
महशर में इमाम हुसैन (अ.स) के ज़ेरे साया ..
तकमीले ख़िलक़त के बाद रूह फूँकना ..
ज़िनाकार का बरज़ख़ी अज़ाब
सहराऐ महशर में ज़िनाकार की बदबू
मैं तुम्हारे लिये बरज़ख़ से डरता हूँ
कल आँसूओं के बदले ख़ून रोऐंगे .
पहले अपने बरज़ख़ को तय करे
जवारे हुसैन (अ.स) में अताए इलाही .
हिज़क़ील ने किस चीज़ से इबरत हासिल की ..
जिसकी आख़िरी ख़्वाबगाह चन्द मुट्ठी ख़ाक है
ज़ियारते क़ुबूर ख़ुद तुम्हारे लिये है
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स. अ.) शोहदाए ओहद की क़ब्रों पर
बरज़ख़ .
बरज़ख़ .
आलमे मिसाली- बदने मिसाली ..
तासीर और तास्सुर की शिद्दत .
हालाते आख़िरत के बारे में एक रवायत .
जिस्मानी बदन में रूह की तासीर
बरज़ख़ कहाँ हैं ?
रूहें आपस में मुहब्बत करती हैं
वादिउस्सलाम रूहों का घर हैं
क़ब्र से रूह का ताअल्लुक़ बहुत गहरा है
दूसरा शुब्हा और उसका जवाब
बरज़ख़ का सवाब ओ अज़ाब क़ुरआन में .
बरज़ख़ी सवाब ओ अज़ाब रवायतों में .
हौज़े कौसर बरज़ख़ में .
बरहूत बरज़ख़ी जहन्नम का मज़हर
अक़्ल मआद और ख़ैर ओ शर को समझती है
अक़्ले इल्मी और उसका कम या ज़्यादा होना ..
तुमने अपनी आख़िरत के लिये क्या बनाया है ?
बहिशते बरज़ख़ और बहिशते क़यामत .
बरज़ख़ के बारे में एक शुब्हा ...
ख़्वाब बरज़ख़ का एक छोटा सा नमूना है
सिर्फ़ चन्द मवारिद नक़्ल करने पर इक्तेफ़ा ..
मौत ताअल्लुक़ात से क़त्अ कर देती है
आलमे बरज़ख़ में सिर्फ़ अमल तुम्हारे साथ है
तुम्हारी रूह आलमे बरज़ख़ में रिज़्क़ चाहती है
ऐ दीन के हामी बरज़ख़ी जन्नत में आ जा !
बरज़ख़ में इन्सानों की हालत हक़ीक़तो का इन्केशाफ़ है
बरज़ख़ में जमाले मुहम्मदी (स.अ.व.व) के अलावा कोई नूर न होगा ..
मरक़द और बरज़ख़ के बारे में एक नुक्ता ....
बरज़ख़ की निस्बत से क़यामत ख़्वाब के बाद बेदारी है
आलमे बरज़ख़ में बक़ाऐ अरवाह का सुबूत .
बरज़ख़ के बारे में इमाम मूसा काज़िम (अ.स) का मोजिज़ा ..
आलमे बरज़ख़ के बारे में चन्द सवालात .
बरज़ख़ में नेक आमाल बेहतरीन सूरतों में .
जनाज़े के ऊपर एक कुत्ता बरज़ख़ी सूरत .
बरज़ख़ में आदमी के किरदार मुनासिब हाल सूरतों में .
ख़ुदा के नामों में से एक नाम सलाम भी है
क़ब्र और बरज़ख़ की कुशादगी इलाही तलाफ़ी ..
अगर हम बरज़ख़ की ज़ुल्मतों में गिरफ़्तार हुऐ तो फ़रियाद करेंगे .
इमाम हुसैन (अ.स) की इज़्ज़त बरज़ख़ और क़यामत में ज़ाहिर होगी ..
बरज़ख़ वसीय तर ज़िन्दगी का आलम .
आलमे बरज़ख़ में मोमिन के वुरूद का जशन .
अज़ाबे बरज़ख़ मिक़दारे गुनाह के मुताबिक़ .
लोगो के हक़ के लिये बरज़ख़ में एक साल की सख़्ती ....
फेहरिस्त ...
आलमे बरज़ख
लेखक:
शहीदे महराब आयतुल्लाह दस्तग़ैब शीराज़ी
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क़यामत
हिंदी
2017-12-13 00:14:16
यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.