हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा हाज शेख मिर्ज़ा जवाद तबरेज़ी
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा हाज शेख मिर्ज़ा जवाद तबरेज़ी सन् 1305 हिजरी शम्सी मे तबरेज़ मे पैदा हुए। 18 वर्ष की आयु तक उन्होंने आधुनिक शिक्षा प्राप्त की तथा सन्1323 हिजरी शम्सी मे उन्होने मज़हबी तालीम (धार्मिक शिक्षा) के लिए तबरेज़ के मदरस ए तालबिया मे प्रवेश लिया। चार वर्षों के समय मे अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण कर के वह सन् 1327 हिजरी शम्सी मे उच्च शिक्षा की प्राप्ति हेतू होज़े इल्मिया क़ुम गये। तथा यहां पर अपनी शिक्षा पूर्ण करने बाद आयतुल्लाहिल उज़मा बुरूजर्दी के दर्से खारिज से ज्ञान लाभ प्राप्त करते हुए क़ुम मे ही उच्चतर स्तर पर शिक्षण कार्य करने लगे।सन् 1332 हिजरी शम्सी मे अपने ज्ञान मे वृद्धि के उद्देश्य से वह नजफ़े अशरफ़ गये। और वहाँ पर उन्होने आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यिद अबुल क़ासिम खुई व आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यिद अब्दुल हादी शीराज़ी के दर्से खारिज मे शरीक हो कर अपने ज्ञान को बढ़ाया।
आयतुल्लाह तबरेज़ी आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यिद अबुल क़ासिम खुई के विशेष शिष्य के रूप मे पहचाने जाते हैं। आप 23 वर्षों तक होज़ा ए इल्मिया नजफ़ मे रह कर ज्ञान लाभ प्राप्त करते रहे। सन् 1355 हिजरी शम्सी मे जब आप कर्बला की ज़ियारत करके नजफ़ की ओर जारहे थे उस समय इराक़ी सैनिकों ने आप को गिरफ़्तार करके ईरान भेज दिया।
इराक़ से आने के बाद वह होज़े इल्मिया क़ुम मे फ़िक़्ह व उसूल विषयों पर दर्से खारिज कहने लगे।वर्तमान समय मे तालिबे इल्मों की एक बहुत बड़ी सख्याँ उनके दर्से खारिज से ज्ञान लाभ प्राप्त कर रही है।
आयतुल्लाहिल उज़मा तबरेज़ी की तालीफ़ात( रचनाऐं)
1-रिसाला ए तौज़ीहुल मसाइल
2-अहकामे बानुवान दर हज
3-मनासिके हज
4-अबक़ाते विलायत
5-नफ़ी- युस- सहव अनिन नबी
6-रिसालातुल मुख्तसर
7-अल मसाइलुल मुंतखेबा
8-असःसुल हदूद वत् ताज़ीरात
9-असःसुल कज़ा वश शहादत
10-सिरातुन्निजात
इस महान बुद्धिजीवी वर्ष 2006 में ईरान के शहरे कुम में देहान्त हो गया।