अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

जनाबत (संभोग) के अहकाम

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351 इंसान दो चीज़ों के द्वारा जुनुब हो जाता है। या तो वह संभोग करे या उसकी मनी (वीर्य) स्वयं निकल जाये चाहे सोते हुए या जागते हुए, कम मात्रा में हो या अधिक मात्रा में, मस्ती के साथ निकले या बिना मस्ती के, चाहे इंसान उसे स्वयं निकाले या खुद निकल जाये।


352  अगर किसी इंसान के मुत्र मार्ग से कोई तरी निकले और वह यह न जानता हो कि यह तरी वीर्य है या पेशाब या अन्य कोई चीज़ तो अगर वह तरी मस्ती के साथ व उछल कर निकली हो और उस के निकलने के बाद बदन सुस्त हो गया हो तो वह तरी मनी के हुक्म में है। लेकिन अगर इन तीनों लक्ष्णों में से समस्त या कुछ मौजूद न हो तो वह तरी मनी के हुक्म में नही है। लेकिन अगर वह इंसान बीमार हो तो यह आवश्यक नही है कि वह तरी उछल कर नुकले व उसके निकलने के बाद बदन सुस्त हो जाये। बल्कि अगर केवल मस्ती के साथ निकले तो वह तरी मनी के हुक्म में होगी।


353 अगर किसी तन्दरुस्त इंसान के मुत्र मार्ग से कोई ऐसी तरी निकले जिसमें उपरोक्त वर्णित तीनों लक्ष्णों में से कोई लक्षण पाया जाता हो और वह यह न जानता हो कि अन्य लक्षँ भी उसमें पाये जाते हैं या नही तो अगर उस तरी के निकलने से पहले उसने वुज़ू कर रखा हो तो उसी वुज़ू को काफ़ी समझना चाहिए। और अगर वुज़ू से न हो तो केवल वुज़ू करना ही काफ़ी है उस पर  ग़ुस्ल वाजिब नही है।


354 वीर्य निकलने के बाद इंसान के लिए मुस्तहब है कि वह पेशाब करे। और अगर पेशाब न करे व ग़ुस्ल करने के बाद उसके मुत्र मार्ग से कोई ऐसी तरी निकले जिसके बारे में वह यह न जानता हो कि यह वीर्य है या कोई और चीज़ तो वह तरी वार्य ही मानी जायेगी।


355  अगर कोई इंसान संभोग करे और उसका लिंग शिर्ष की मात्रा तक स्त्री की यौनी या गुदा में प्रवेश कर जाये तो चाहे वार्य निकले या न निकले वह दोनो जुनुब हो जायेंगे चाहे बालिग़ हो या ना बालिग़।


356  अगर किसी को शक हो कि उसका लिंग शीर्ष की मात्रा तक अन्दर गया है या नही तो उस पर ग़ुस्ल वाजिब नही है।


357  (खुदा न करे कि ऐसा हो) अगर कोई इंसान किसी जानवर के साथ संभोग करे और उसका वीर्य निकल जाये तो केवल ग़ुस्ल कर लेना ही काफ़ी है। और अगर वीर्य न निकले और उसने संभोग से पहले वुज़ू किया हो तो भी ग़ुस्ल करना ही काफ़ी है। और अगर वुज़ू न कर रखा हो तो एहतियाते वाजिब यह है कि वुज़ू और ग़ुस्ल दोनों करे। और अगर मर्द ने  किसी मर्द के साथ संभोग किया हो तब भी यही हुक्म है।


358  अगर वीर्य अपनी जगह से हिल जाये परन्तु बाहर न निकले या इंसान को शक हो कि वीर्य निकला है या नही तो उस पर ग़ुस्ल वाजिब नही है।


359 जो इंसान ग़ुस्ल न कर सकता हो परन्तु तयम्मुम कर सकता हो तो वह इंसान नमाज़ का समय होने के बाद भी अपनी बीवी से संभोग कर सकता है।


360 अगर कोई इंसान अपने कपड़ों पर वीर्य लगा देखे और यह भी जानता हो कि यह उसका स्वयं का वीर्य है और उसने इसके निकलने के बाद ग़ुस्ल न किया हो तो उसके लिए ग़ुस्ल करना ज़रूरी है। और जिन नमाज़ों के बारे में उसे यक़ीन हो कि उसने इन्हें वीर्य निकलने के बाद पढ़ा है उनकी कज़ा करे। लेकिन उन नमाज़ों की कज़ा ज़रूरी नही है जिनके बारे में यह एहतिमाल कि वह उसने वीर्य निकलने से पहले पढ़ी थीं।

 

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