एक सफल विवाह
एक सफल विवाह के क्या मापदंड हैं। प्रश्न यह है कि एक सफल विवाह के लिए किन मापदंडों को ध्यान में रखना चाहिये। इसी तरह एक अच्छे जीवन साथी के चयन में किन किन बातों को ध्यान में रखना चाहिये? क्योंकि सफल विवाह ही एक स्वस्थ परिवार एवं समाज की इकाई है।
अच्छे व स्वस्थ परिवार की उपमा उस फुलवारी से दी गयी है जो नाना प्रकार के पुष्पों से भरी हो और योग्य जीवन साथी का चयन करके इस फुलवारी की कुंजी पति के हवाले कर दी जाती है परंतु इस बाग़ पर ध्यान देने और उसकी निगरानी की बहुत आवश्यकता है ताकि यह फुलवारी हमेशा हरी- भरी रहे। परंतु यहां पर हम सबसे पहले इस बारे में चर्चा करेंगे कि कुछ परिवारों के मज़बूत होने का कारण क्या है जबकि कुछ परिवारों में इसका उल्टा होता है? इस आधार पर योग्य जीवन साथी के चयन के बारे में चर्चा करने से पहले आवश्यक है कि हम प्रेम के बारे में चर्चा करें और देखें कि संयुक्त जीवन में इसकी क्या भूमिका है?
ऐसा देखने में बहुत आता है कि एक स्त्री और पुरुष ने संयुक्त जीवन बड़े प्यार और मोहब्बत से आरंभ किया और दोनों इस बात को पसंद नहीं करते हैं कि उनके संयुक्त जीवन में किसी विशेष समस्या का सामना हो। दोनों यह सोचते हैं कि चूंकि दोनों एक दूसरे को चाहते हैं इसलिए पूरी जिन्दगी तनावरहित होगी लेकिन वास्तविकता कभी इसके बिल्कुल विपरीत भी हो जाती है और विवाह के कुछ ही दिन के बाद दोनों यह समझने लगते हैं कि उनके बीच दूरियां उत्पन्न हो गयी हैं उनके बीच लड़ाई झगड़ा आरंभ हो जाता है इस प्रकार से कि कुछ दिनों के बाद पति- पत्नी यह समझने लगते हैं कि वे एक दूसरे के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं रखते हैं। वास्तविकता यह है कि दोनों संयुक्त जीवन को सही तरह से नहीं समझ पाये और दोनों ने गलत व अनुचित कल्पनाओं पर संयुक्त जीवन की बुनियाद रखी।
जिस चीज से पत्नी को कष्ट पहुंचता है वह यह है कि वह यह समझती है कि उसके पति ने अभी तक उसके साथ खिलवाड़ किया है और वह कुछ और है तथा दिखाई कुछ और देता है। बहुत से लोग विशेषकर युवा यह सोचते हैं कि जब उनमें प्रेम हो गया तो विवाह के लिए भूमि प्रशस्त हो गयी है जबकि प्रशिक्षा विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि एक अच्छे और सफल विवाह के लिए केवल प्रेम का होना ही पर्याप्त नहीं है। प्रेम इंसान के अंदर बहुत अच्छी चीज़ है। उसके सकारात्मक प्रभाव व लाभ संयुक्त जीवन में अनगिनत हैं। अगर इंसान के दांपत्य जीवन में प्रेम है तो बहुत सी कठिनाइयां व समस्याएं अस्तित्व में ही नहीं आती हैं। सच्चे प्रेम के लिए आवश्यक है कि पति और पत्नी एक दूसरे की इच्छाओं, आभासों और भावनाओं को समझें। एक दूसरे की उचित व तार्किक आवश्यकताओं का उत्तर देने का प्रयास करें न कि रुकावट बन जायें।
दांपत्य जीवन में एक चीज़ जो बहुत महत्वपूर्ण है वह एक दूसरे का सम्मान है। निश्चित रूप से अगर पति पत्नी एक दूसरे को चाहते होंगे, एक दूसरे से प्रेम करते होंगे तो निश्चित रूप से एक दूसरे का सम्मान भी करेंगे। अगर पति पत्नी एक दूसरे से लड़ाई झगड़ा करते हैं एक दूसरे का अपमान करते हैं एक दूसरे के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं तो यह इस बात का सूचक है कि उनके मध्य प्रेम की जड़ गहरी नहीं है। अगर उनके मध्य एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम होगा तो लड़ाई झगड़ा होगा ही नहीं या होगा तो बिल्कुल नाम का। क्योंकि जब उनके मध्य प्रेम होगा तो एक दूसरे की ग़लतियों व कमियों को नज़रअंदाज़ कर देंगे। परिणाम स्वरुप लड़ाई झग़डे की नौबत ही नहीं आयेगी।
पति- पत्नी के बीच सच्चे प्रेम का एक चिन्ह यह है कि दोनों एक दूसरे के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का आभास करते हैं। अगर पति- पत्नी एक दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का आभास न करें तो उनके संबंधों में वह गर्मी व प्रेम नहीं होगा जो होना चाहिये।
विवाह इंसान के जीवन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। दूसरे शब्दों में विवाह वह चीज़ है जिसने मानव जाति बची अतः इंसान को चाहिये कि वह विवाह करने में अपनी भावनाओं पर अमल न करे बल्कि उसे चाहिये कि वह ठंडे और तार्किक ढंग से इसके बारे में निर्णय करे। उदाहरण स्वरुप जब इंसान किसी कपड़े की दुकान पर जाता है तो वह हर कपड़ा नहीं ले लेता है बल्कि वह वही कपड़ा लेता है जो उसके लिए उचित होता है और कपड़े की खरीदारी में अपनी बुद्धि से काम लेता है तो विवाह में और भी बुद्धि से काम लेने की आवश्यकता है क्योंकि अगर कपड़ा खराब निकल जाता है तो इंसान का कोई विशेष नुकसान नहीं होता है और उसके स्थान पर वह दूसरा कपड़ा धारण कर लेता है लेकिन विवाह में एसा नहीं है। विवाह वह चीज़ नहीं है जिसे कपड़े की भांति बदला जाये। अतः जीवन साथी के चयन में बुद्धि और विवेक से काम लिया जाना बहुत ज़रूरी है।
यहां इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिये कि बुद्धि से काम लेने का यह मतलब नहीं है कि मानवीय भावनाओं और एहसासों को छोड़ दिया जाये। पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है कि इस्लाम के बाद सबसे बड़ी नेअमत अच्छी पत्नी है और वह जीवन की सबसे बड़ी नेअमत है” इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इस नेअमत को प्राप्त करने के लिए कुछ मापदडों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है। विवाह के माध्यम से पति पत्नी एक दूसरे के साथ संयुक्त जीवन बिताते हैं।
ईरानी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक श्रीमती नव्वाबी नेजाद कहती हैं” सांस्कृतिक दृष्टि से जितना मर्द औरत या लड़की लड़का एक दूसरे से निकट होंगे उन दोंनों की जिन्दगी उतनी ही अच्छी होगी और इस बात को इस्लामी स्रोतों में लड़की लड़के के समतुल्य होने के अर्थ में बयान किया गया है कि जो उम्र, मानसिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, और धार्मिक स्थिति सहित विभिन्न पहलुओं से मूल्यांकन योग्य है”
शारीरिक दृष्टि से वांछित स्वास्थ्य एक एसी चीज़ है जिस पर विवाह से पहले ध्यान दिया जाता है। पति पत्नी की उम्र का संतुलित होना भी वह चीज़ है जिस पर विवाह में ध्यान दिया जाना चाहिये। दोनों पक्षों की अपेक्षाएं, आशाएं और रुझान भी वे चीज़ें हैं जो दांपत्य जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।