नमाज़े मय्यत का तरीक़ा
615. नमाज़े मैयित में पाँच तकबीरें हैं, अगर नमाज़ पढ़ने वाला निम्न लिखित तरतीब से पाँच तकबीरें कहे तो काफ़ी है।
नियत करने के बाद पहली तकबीर कहे और यह पढ़े अशहदु अन ला इलाहा इल्ला अल्लाह अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसूलु अल्लाह
फिर दूसरी तकबीर कहने के बाद यह पढ़े अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मद
तीसरी तकबीर कहने के बाद यह पढ़े अल्लाहुम्मग़ फ़िर लिल मोमेनीना व अल-मोमिनात
चैथी तकबीर कहने के बाद, अगर मैयित मर्द की है तो यह पढ़े, अल्लाहुम्मग़ फ़िर लिहाज़ल मैयित। और अगर मैयित औरत की है तो कहे अल्लाहुम्मग़ फ़िर लिहाज़िहिल मैयित। इसके बाद पाँचवीं तकबीर कह कर नमाज़ को तमाम करे।
बेहतर यह है कि पहली तकबीर के बाद यह पढ़े – अशहदु अन ला इलाहा इल्ला अल्लाह वह-दहु ला शरी-कलह व अशहदु अन्ना मुहम्दन अब्दुहु व रसूलुहू बिल हक़्क़ि बशीरन व नज़ीरन बैना यदा-यिस्साअः।
दूसरी तकबीर के बाद यह पढ़े- अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहमदिन व आलि मुहम्मद व बारिक अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद वरहम मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद क-अफ़ज़लि मा सल्लैता व बारकता व तरहमता अला इब्राहीमा व आलि इब्राहीमा इन्नका हमीदुन मजीद व सल्ले अला जमीइल इम्बियाए वल मुर्सलीन व शोहदाए व सिद्दीक़ीन व जमीए इबादिल्लाहि अस्सालिहीन।
तीसरी तकबीर के बाद यह पढ़े – अल्लाहुम्मग़ फ़िर लिल मोमेनीना वल मोमिनात वल मुसलेमीना वल मुसलेमात अल अहयाए मिनहुम वल अमवात ताबे बै-नना व बैनाहुम बिल ख़ैरात इन्नका मुजीबुद्दावात इन्नका अला कुल्लि शैइन क़दीर।
चैथी तकबीर के बाद अगर मैयित मर्द की हो तो यह पढ़े- अल्लाहुम्मा इन्ना हाज़ा अब्दुका व इब्नु अब्दिक वब्नु अमातिक, नज़ला बिका व अन्ता ख़ैरु मनज़ूलिन बिहि, अल्लाहुम्मा इन्ना ला नालमु मिन्हु इल्ला ख़ैरा, व अन्ता आलमु बिहि मिन्ना, अल्लाहुम्मा इन काना मोहसिनन फ़ज़िद फ़ी एहसानिहि, व इन काना मुसीयन फ़तजावज़ अनुहु वग़फ़िर लहु, अल्लाहुम्मा इजअलहु इन्दका फ़ी आला इल्लियीना वख़लुफ़ अहलिहि फ़िल ग़ाबिरीना व इरहमहु बिरहमतिका या अरहमुर्राहीमीन। इसके बाद पाँचवीं तकबीर कह कर नमाज़ तमाम करे। लेकिन अगर मैयित औरत हो तो चौथी तकबीर के बाद यह पढ़े अल्लाहुम्मा इन्ना हाज़िहि अमातुक वब्नतु अब्दिक वब्नतु अमातिक, नज़ालत बिका व अन्ता ख़ैरु मनज़ूलिन बिहि, अल्लाहुम्मा इन्ना ला नालमु मिन्हा इल्ला ख़ैरा, व अन्ता आलमु बिहा मिन्ना, अल्लाहुम्मा इन कानत मोहसिनतन फज़िद फ़ी एहसानिहा, व इन कानत मुसीअतन फ़-तजावज़ अन्हा, वग़-फ़िर लहा, अल्लाहुम्मा इज़अलहा इन्दका फ़ी आला इल्लीयीना वख़लुफ़ अला अहलिहा फिल ग़ाबिरीना वरहमहा बिरहमतिका या अरहमुर्राहीमीन।
616. तकबीर और दुआएं तसलसुल के साथ इस तरह पढ़नी चाहिए कि नमाज़ की शक्ल ख़त्म न होने पाये।
617. जो इंसान नमाज़े जनाज़ा जमाअत के साथ पढ़ रहा हो उसके लिए ज़रूरी है कि नमाज़ की तकबीरों व दुआओं को अपनी ज़बान से दोहराता रहे।