अहमद बन गया बादशाह 2
हमने कहा था कि अहमद नाम का एक लड़का होता है जो अपनी मां के साथ रहता है। एक दिन उसने कुछ काम- धाम करने का फ़ैसला किया। काम की तलाश में वह राजा के महल में गया और कहा कि मुझे कुछ काम दिया जाये ताकि मैं अपना और अपनी मां का ख़र्च चला सकूं। राजा ने उससे कहा कि बहिश्त नामक बाग़ में जाओ और मेरे लिए सोने -चांदी की सींग वाला हिरन ले आओ। लड़का बहुत परेशान हो गया कि वह यह हिरन कहां से लाए ? रात में हज़रत ख़िज्र उसके स्वप्न आये और उन्होंने सोने-चांदी की सींग वाले हिरन को प्राप्त करने का तरीक़ा बताया। अहमद हज़रत ख़िज्र के रास्ते पर चलकर हिरन को प्राप्त कर लेता है और उसे राजा के लिए ले आता है। राजा किसी प्रकार का इनाम दिये बिना उससे “चेल तूती” नामक वृक्ष लाने के लिए कहता है। चेलतूती उस वृक्ष को कहते हैं जिस पर चालिस तोते बैठते हैं।
इस बार भी हज़रत ख़िज़्र उसके स्वप्न में आये और उन्होंने समस्या का समाधान बताया। अहमद ने हज़रत ख़िज़्र के बताये हुए रास्ते पर चल कर यह कार्य भी अंजाम दे दिया। अहमद ने वृक्ष को राजा को दे दिया और कुछ देने के बजाये राजा ने केवल ६ बार शाबाश! शाबाश! कह दिया। अहमद बहुत खिन्न था। वह ख़ाली हाथ घर लौट आया। उसकी मां ने जब अहमद को देखा तो उससे कहा बेटा दुःखी मत हो। ऐसा तो नहीं है कि तुम भूखे मर रहे हो। अभी हम चर्खा चला कर सूत कातते हैं और उससे रोज़ी- रोटी चल रही है। उसके बेटे अहमद ने धैर्य किया। अगले दिन फिर वह राजा के महल गया और कहा कि मुझे कुछ काम दिया जाये। राजा ने कहा जाओ और मेरे लिए हाथियों की इतनी हड्डी ले आओ कि उससे नया महल बन जाये। अहमद घर लौट आया और कुछ बोला नहीं। रात को जब वह सो गया तो दोबारा हज़रत ख़िज़्र उसके स्वप्न में आये और उन्होंने उससे कहा शराब की एक मश्क ले लो और जाओ। जब हाथियों के झुंड में पहुंच जाना तो शराब को पीने के लिए हाथियों को दे देना। जैसे ही वे मुंह लगायेंगे ज़मीन पर गिर जायेंगे और उस समय १० जल्लाद आयेंगे और वे हाथियों की हत्या कर देंगे।
वे उनके चमड़ों को अलग करके हड्डियां तुम्हें दे देंगे। अहमद की आंख खुली तो उसने बड़ी मश्क को शराब से भरा और उसे अपने कांधों पर रखकर रास्ता चल दिया। कभी वह तेज़ चलता था तो कभी धीरे। वह रात- दिन चलता रहा यहां तक कि वह हाथियों के झुंड तक पहुंच गया। शराब से भरी मश्क के मुंह को खोल दिया और अंतिम बूंद तक पूरी शराब उसने हाथियों को पिला दी। जिन- २ हाथियों ने शराब पी थी एक- एक करके वे सब ज़मीन पर गिर गये और अचानक इधर- उधर से १० जल्लाद आ गये। उन सबने हाथियों की हत्या कर दी और उसके बाद उनके चमड़े, मांस और हड्डियों को एक दूसरे से अलग कर दिया। उसके बाद उन्होंने हड्डियों को कई हाथियों पर लादा और उनकी लगाम अहमद के हाथ में दे दी। अहमद जिस रास्ते से गया था उसी रास्ते से वापस लौट आया। जब वह नगर के निकट पहुंच गया तो लोगों को उसके लौटने की सूचना मिल गयी और लोगों ने राजा को भी उसके आने की सूचना दे दी। इस बार कोई भी उसकी आगवानी के लिए नहीं आया। क्योंकि राजा के मंत्री और वकील ने उसे डरा दिया था कि यह अहमद उसकी जान का दुश्मन है और बेहतर यही है कि वह अपनी जगह पर बैठा रहे। राजा के मंत्री और वकील ने उससे कहा महाराज इससे पहले आपने ६ बार शाबाश! शाबाश! कहा था इस बार आप नौ बार शाबाश! शाबाश! कह दें। बहरहाल अहमद हड्डियों का बोझ लेकर पहुंचा और उसने उन्हें राजा के हवाले किया। राजा ने नौ बार शाबाश! २ कहा। अहमद ने जब देखा कि इस बार भी पैसे की कोई ख़बर नहीं है तो वह तेज़ी से घर लौट आया और अपनी मां से कहा इस बार भी कुछ नहीं मिला। कल से बाज़ार जाऊंगा वहां कुछ काम करूंगा परंतु उसकी मां ने उसे नसीहत की और कहा कि राजा अंत में उसके काम का बदला ज़रूर देगा ऐसे ही नहीं छोड़ देगा। बेहतर होगा कि आज रात को सो जाओ कल का मालिक ऊपर वाला है।
कल तुम महल जाना कुछ ज़रूर मिलेगा। बहरहाल अपनी मां की नसीहत सुनने के बाद अहमद सो गया और अगले दिन सुबह जल्दी उठा और सीधे महल गया। राजा ने जैसे ही अहमद को देखा बोला अंतिम शर्त पूरी कर दो तो तुम्हारी मज़दूरी तुम्हारे हाथ में रख दूंगा। अब जाओ और मेरे लिए परियों की रानी की लड़की ले आओ। अहमद ने जैसे ही यह बात सुनी एक आह भरी और घर लौट आया और वह बहुत रोया। उसकी मां ने उसे ढारस बंधाया और कहा कि ईश्वर बहुत बड़ा है और इस बार भी तुम्हारा काम सही हो जायेगा। रात हो गयी अहमद सो गया। इस बार भी हज़रत ख़िज़्र उसके स्वपन में आये और उन्होंने कहा कल तुम घर से निकल जाओ। जब तुम तिराहे पर पहुंचे तो तुम्हें तीन कबूतर दिखाई देंगे। एक का पर लाल होगा दूसरे का पर हरा जबकि तीसरे का पर सफ़ेद होगा।
लाल और हरे पर वाले कबूतर जो भी कहें उसे नहीं मानना है और उसी रास्ते पर जाना जो सफेद पर वाला कबूतर कहेगा। इस तरह तुम अपने लक्ष्य तक पहुंच जाओगे। सुबह हुई तो अहमद ने शाल ओढ़ी टोपी पहनी और रास्ता चल दिया रास्ता चलता चला गया यहां तक कि तिराहे तक पहुंच गया वहां उसने एक पेड़ की डाल पर तीन कबूतर देखे। लाल पर वाले कबूतर ने जैसे ही अहमद को देखा कहा दाहिनी ओर से मेरे पीछे आओ और हरे पर वाली कबूतर ने कहा मैं तुम्हारे बायीं ओर से जा रहा हूं तुम मेरे पीछे आओ जबकि सफ़ेद पर वाले कबूतर ने कहा क़िबले की ओर जाओ।