अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

नक़ली खलीफा 3

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हमने बताया था कि एक रात हारून रशीद ने अपने मंत्री जाफ़र बरमक्की और मसरूर शमशीरज़न के साथ भेस बदलकर शहर में निकलने का इरादा किया ताकि लोगों के हालात से अवगत हो सके। जब वे दजला नदी पर पहुंचे तो उन्होंने एक नाविक से कहा कि उन्हें दजला की सैर कराए। बूढ़े आदमी ने उनसे कहा कि यह घूमने फिरने का वक़्त नहीं है। इसलिए कि हर रात हारून रशीद दजला पहुंचकर नाव से सैर करता है और उसके एलची एलान करते हैं कि जो कोई भी इसके बाद, दजला में दिखाई देगा उसकी गर्दन मार दी जाएगी। हारून रशीद उसकी यह बात सुनकर आश्चर्य में पड़ गया, लेकिन पैसे देकर उसने नाविक को राज़ी कर लिया और झूठे ख़लीफ़ा को देखने में सफल हो गया। ख़लीफ़ा ने नाविक को अधिक पैसे देकर अगली रात के लिए भी दजला की सैर के लिए तैयार कर लिया। अंततः वे बनावटी ख़लीफ़ा तक पहुंचने में सफल हो गए, लेकिन वे ख़लीफ़ा के संतरियों के हाथों गिरफ़्तार हो जाते हैं। जब वे ख़लीफ़ा से व्यापारी के रूप में अपना परिचय कराते हैं तो ख़लीफ़ा उन्हें अपने साथ महल में ले जाता है और मेहमानों की भांति उनका स्वागत करता है। महल की एक एक चीज़ को देखकर वे अचरज में पड़ जाते हैं। इस बीच, बड़ा सा दस्तरख़ान लगाया जाता है और सब दस्तरख़ान पर बैठकर खाने में व्यस्त हो जाते हैं।

 

कुछ देर बाद, हारून ने वज़ीर के कान के पास अपना मूंह ले जाकर उससे कहा, जाफ़र मैं असली ख़लीफ़ा हूं, इसके बावजूद मेरे महल में इस तरह का ताम झाम नहीं है और मैंने अपने दस्तरख़ान पर कभी भी ऐसी ऐसी अनुकंपायें नहीं देखी हैं। काश हम यह जान सकते कि यह युवा क्या करता है और कैसे यहां तक पहुंचा है।

 

ख़लीफ़ा ने हारून रशीद और जाफ़र बरमक्की को कानाफूंसी करते हुए देख लिया और कहा, लोगों के समूह में बैठकर कानाफूंसी करना असभ्यता है, अगर कुछ बताने योग्य है तो कहो ताकि हम भी सुन लें। जाफ़र बरमक्की ने माफ़ी मांगते हुए कहा, श्रीमानजी मेरे साथी कह रहे हैं कि हम अब तक कई देशों की यात्रा कर चुके हैं और अनेक राजाओं के दस्तरख़ान पर बैठ चुके हैं, लेकिन हमने कभी ऐसा शानदार दस्तरख़ान नहीं देखा था। कितना अच्छा होता अगर इन समस्त अनुकंपाओं के साथ कोई गाने वाला भी होता। ख़लीफ़ा ने बरमक्की की बात सुनकर निकट ही रखे हुए एक तबले पर हाथ मारा। तुरंत हाल का द्वार खुला और संगीत के उपकरण के साथ एक युवक अंदर आया और हाल में एक कुर्सी पर बैठ गया। उसने साज़ के तारों को छेड़ा और गाना शुरू कर दिया। कुछ देर वह गाता बजाता रहा कि अचानक बनावटी ख़लीफ़ा सिंहासन से उठा और होश खो बैठा और उसने अपने वस्त्रों को फाड़ डाला। सेवकों ने तुरंत वहां पर्दा खींचा और उसके वस्त्र बदले औऱ पुनः सिंहासन पर बैठा दिया। ख़लीफ़ा जब थोड़ा सा होश में आया तो उसने मनमोहक आवाज़ वाले सेवक से कहा कि फिर से गाना और बजाना शुरू करे। सेवक ने भी अनुपालन किया और गंमगीन गीत गाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद, ख़लीफ़ा रोने लगा, अपने स्थान से उठा और फिर क़ीमती वस्त्रों को फाड़ डाला। सेवकों ने पुनः उसे नए वस्त्र पहनाए और सिंहासन पर बैठा दिया।

 

ख़लीफ़ ने एक बार फिर तबले पर हाथ मारा, हाल का द्वार खुला और इस बार दो युवा सेवक अंदर आए। वे भी आकर कुर्सियों पर बैठ गए। उनमें से एक ने संगीत उपकरण उठाया और बजाना शुरू कर दिया और दूसरे ने मीठी आवाज़ में गाना शुरू कर दिया। ख़लीफ़ा यह दर्द भरे शेर सुनकर फिर से बेक़ाबू होने लगा, वह चीख़ने चिल्लाने लगा और फिर से उसने अपने कपड़े फाड़ डाले और बेहोश होकर फ़र्श पर गिर पड़ा। इस बार भी सेवक वही पर्दा लाए और पर्दे के पीछे उसके वस्त्र बदले और नए वस्त्र पहना दिए। इस दौरान हारून रशीद की नज़र ख़लीफ़ा के नंगे बदन पर पड़ गई। बनावटी ख़लीफ़ा की कमर पर कोड़ों के निशान और पुराने घाव थे। हारून ने जैसे ही उस युवक के शरीर पर कोड़ों के निशान देखे तो जाफ़र से कहा, जाफ़र यह युवक कोई चोर है। वज़ीर ने पूछा, हे ख़लीफ़ा आपको कैसे पता चला। हारून ने कहा, उसकी कमर पर मैंने कोड़ों के निशान देखे हैं। निश्चित रूप से उसे गिरफ़्तार किया गया होगा और चोरी के अपराध में कोड़े लगाए गए होंगे।

 

बनावटी ख़लीफ़ा जब नए वस्त्र ग्रहण करके सिंहासन पर बैठ गया तो उसने देखा कि उसके मेहमान फिर से कानाफूसी कर रहे हैं। उसने पूछा कि हे सज्जन व्यापारियो, फिर से तुम एक दूसरे के कान में कुछ कह रहे हो और कुछ हमसे छुपा रहे हो।

 

जाफ़र बरमक्की ने जवाब दिया, आप से हटकर हम कोई बात नहीं कर रहे हैं, मालिक। मेरा साथी कह रहा है कि हम अब तक कई देशों की यात्रा कर चुके हैं और अनेक राजाओं से मिल चुके हैं, लेकिन कभी किसी राजा को इतने क़ीमती वस्त्र फाड़ते हुए नहीं देखा। मेरे दोस्त का कहना है कि इतने क़ीमती वस्त्रों को फाड़ना अच्छा काम नहीं है।

 

ख़लीफ़ा ने कहा, यह वह वस्त्र हैं जिन्हें मैंने अपने हाथों से परिश्रम करके ख़रीदा है और जो मेरा दिल चाहेगा मैं वह करूंगा। इसके अलावा मैं पुनः उन्हें नहीं पहनता हूं, बल्कि 500 सिक्के के साथ इस सभा में उपस्थित किसी व्यक्ति को उपहार स्वरूप दे देता हूं।

 

जारी है......................

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