ज़ियारते
ज़ियारते अरबईन
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
ख़ुदा लानत करे उस उम्मत पर जिन्होंने आपको क़त्ल किया और उस उम्मत पर जिन्होंने इसको सुना और इस पर राज़ी रहे।
चेहलुम के दिन की ज़ियारत हिन्दी अनुवाद के साथ
- में प्रकाशित
सफ़र महीने की बीसवी तारीख़ को इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत के लिए दो तरीक़े बयान किए गए हैं पहला तरीक़ा वह है जिसे शेख़ तूसी ने तहज़ीब और मिस्बाह नामक किताबों में सफ़वान जम्माल से रिवायत की है कि उसने कहा कि मुझको मेरे
ज़्यारते नाहिया और उसका तरजुमा
- में प्रकाशित
सलाम हो इस पर जिस की कब्र की मिटटी ख़ाके शिफ़ा है सलाम हो इस पर जिस के हरम की फ़िज़ा में दुआएं क़बूल होती हैं सलाम हो पेसर-ए-खत्मी मर्ताबत (अ:स) पर सलाम हो सय्यद-ए-औसिया (अ:स) के फ़र्ज़न्द पर
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