विभिन्न
यज़ीद के कलाम मे बनी हाशिम से इंतेक़ाम लेने और बुग्ज़ो हसद करने के आसार
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अनुवादकः सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
जंगे बदर मे मेरे खानदान के जो बड़े क़त्ल हुऐ थे काश वो आज होते और देखते कि किस तरह कबीलाऐ खज़रज नेज़ो की चोट से गिरया और ज़ारी कर रहे है। आज इस वक्त वो खुशी से चीखते और कहतेः ऐ यज़ीद तू सलामत रह।
हज़रत आयशा का दोग़लापन
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- जनाब फरोग़ काज़मी सााहब
- स्रोत:
- हज़रते आयशा की तारीखी हैसीयत
उस्मान काफ़िर हो गया है इस नअसल को क़त्ल कर दो।
हज़रत अब्बास का ख़ुत्बा
- में प्रकाशित
एक रिवायत में आया है कि हज़रत अब्बास (अ) ने मक्का शहर में सन 60 हिजरी में हुसैनी क़ाफ़िले के मक्के से कूफ़े की तरफ़ कूच करने से पहले एक ख़ुत्बा दिया आठ ज़िलहिज्जा सन साठ हिजरी यानी हुसैनी काफ़िले के कर्बला की तरफ़ कूच करने से ठीक एक दिन पहले क़मरे बनी हाशिम हज़रत अबुल फ़ज़लिल अब्बास (अ) ने ख़ान –ए- काबा की छत पर जाकर एक बहुत ही भावुक और क्रांतिकारी ख़ुत्बा दिया।
“अलयहूद”
- में प्रकाशित
वाय हो उन लोगो पर जो अपने हाथो से किताब लिख कर यह कहते हैं कि ये ख़ुदा कि तरफ से है,ताकि इसे थोडे दाम मे बेच दें। इनके लिए इस तहरीर पर अज़ाब है और इसकी कमाई पर भी।
साम्राज्यवादी शक्तियां और वहाबियों का सरगना।
- में प्रकाशित
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- स्रोत:
- wilayat.in
अल्लाह के घर काबे को मिटाना यह कहते हुए कि यह केवल बुतों की पूजा की तरह है, और लोगों को हज से रोकना, फिर चाहे रास्ते में छिप कर उनके काफ़िले पर हमला कर के ही क्यों न हो।
वहाबियत का जन्म कब हुआ?
- में प्रकाशित
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- स्रोत:
- विलायत पोर्टल
वहाबियों के अधिकतर विचार क़ुर्आन और पैग़म्बर की हदीस के विपरीत हैं, कुछ विचारों को आप लोगों के सामने लिखा जा रहा है।
जन्नतुल बक़ी
- में प्रकाशित
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- स्रोत:
- tvshia.com
जन्नतुल बक़ीअ तारीख़े इस्लाम के जुमला मुहिम आसार में से एक है, जिसे वहाबियों ने 8 शव्वाल 1343 मुताबिक़ मई 1925 को शहीद करके दूसरी कर्बला की दास्तान को लिख कर अपने यज़ीदी किरदार और अक़ीदे का वाज़ेह तौर पर इज़हार किया है।
शिया और पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की सुन्नत
- में प्रकाशित
जब तुम तक कोई हदीस पहुँचे और तुम्हें क़ुरआन या पैग़म्बर स.अ की हदीस से उसका प्रमाण मिल जाए तो उसे स्वीकार कर लो वरना बेहतर यही है कि उसकी निस्बत उसी की ओर दी जाए जिसने उसे तुमसे नक़्ल किया है
फ़ात्मी ख़ुल्फ़ा
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना नजमुल हसन करारवी
- स्रोत:
- चौदह सितारे
मुवर्रिख़ एहसान उल्लाह अब्बासी अपनी तारीख़े इस्लाम के पृष्ठ 422 में लिखते हैं कि तीसरी सदी हिजरी के आख़ीर में एक बड़ी ज़बर दस्त सलतनत अलवियों की मग़रिब में क़ायम हुई।
इस्लाम पर महापुरूषों के विचार
- में प्रकाशित
जहां तक हम जानते हैं कि किसी धर्म ने न्याय को इतनी महानता नहीं दी जितनी इस्लाम ने दी है।
आखिर एक मशहूर वैज्ञानिक मुसलमान कैसे हो गया ?
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मेवाती
क़ुरआन की सत्यता को सिद्ध करने के लिए क़ुरआन का यह प्रमाण भी काफी है कि मुहम्मद सल्ल0 के एक संकेत पर चाँद दो टूकड़े हो गए।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-14
- में प्रकाशित
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की क़ब्र को छूने और चूमने को अनेकेश्वरवाद बताना भी वहाबियत के भ्रष्ट विचारों एवं बिदअतों में से एक है।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-13
- में प्रकाशित
सुन्नी मुसलमानों ने भी शहीदों और अपनी सम्मानीय हस्तियों की क़ब्रों पर गुंम्बद का निर्माण करवाया तथा उनके दर्शन के लिए जाते हैं।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-12
- में प्रकाशित
सलफी एवं वहाबी पंथ की बुनियाद रखने वाला इब्ने तय्मिया पैग़म्बरे इस्लाम की पावन समाधि के दर्शन को हराम और क़ब्र का दर्शन करने के इरादे से की जाने वाली यात्रा को भी हराम समझता है।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-11
- में प्रकाशित
कौन है जो यह न जानता हो कि पैग़म्बर और ईश्वर के प्रिय बंदे ईश्वर के मार्ग में शहीद होने वाले उन लोगों की भांति हैं जिनके बारे में क़ुरआन स्पष्ट रूप से कहता है कि वे जीवित हैं।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-10
- में प्रकाशित
ईश्वर के अतिरिक्त किसी और से शिफ़ाअत की मांग करना वास्तव में ईश्वर के अलावा किसी और से अपनी मांगें मांगना है।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-9
- में प्रकाशित
उनका मानना है कि शिफ़ाअत का अधिकार केवल ईश्वर को है और उसके अतिरिक्त किसी को भी इस प्रकार का अधिकार प्राप्त नहीं है।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-8
- में प्रकाशित
वहाबी पंथ के संस्थापक मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब ने अपनी पुस्तक कश्फ़ुश्शुबहात में अनेकेश्वरवाद की चर्चा में दावा किया है कि शेफ़ाअत और तवस्सुल अर्थात किसी को मध्यस्थ बनाना अनेकेश्वरवाद का भाग है और इसीलिए वे बहुत से मुसलमानों को अनेकेश्वरवादी कहते हैं।
वहाबियत, वास्तविकता और इतिहास-7
- में प्रकाशित
इब्ने तैमिया द्वारा इस मूल्यवान हदीस का यह अर्थ निकालने से पता चलता है कि वह और उसके अनुयाई वहाबी ईश्वर को मनुष्यों के समान समझते हैं, इस लिए कि दौड़ना शरीर से विशेष है और शरीर की विशेषताओं में से है।