इमामे काजि़म(अ)
इमाम काज़िम अ.स की शहादत
- में प्रकाशित
इस प्रकार की व्याख्या इमामत के स्थान को बयान करने के लिए थी कि जो स्वयं इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम का एक सांस्कृतिक कार्य था।
इमाम काज़िम और बीबी शतीता
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
उन्होंने तीस हज़ार दीनार, पचास हज़ार दिरहम, कुछ लिबास और कुछ कपड़े दिये और साथ ही साथ एक कापी भी दी कि जिस पर सील लगी हुई थी और उसके हर पेज पर एक मसला लिखा हुआ था और उस से कहा था कि जब भी इमाम की खिदमत मे पहुँचो सवालो की कापी इमाम को दे देना और अगले दिन उस कापी को उनसे वापस ले लेना अगर इस कापी की सील नही टूटी तो खुद इस की सील को तोड़ लेना
इमाम काज़िम की एक नसीहत
- में प्रकाशित
इमाम (अ) ने फ़रमाया: सफ़वान ! तुम ने ऊँटों को (ज़ालिम के) इखि़्तयार में दिया है ताके बाद में किराया वसूल करो, क्या ऐसा नहीं है ?
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम
- में प्रकाशित
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम को हारून रशीद ने 14 वर्षों तक अपने बन्दीगृह मे बन्दी बनाकर रखा।
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