इमामे महदी (अ)
ज़ुहूर का रास्ता हमवार होना और ज़हूर की निशानियां
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इमाम मुहम्मद बाकिर (अ. स.) से कहा कि मैंने सुना है कि जब हज़रत इमाम महदी (अ. स.) का ज़हूर होगा तो सारे काम उनकी मर्ज़ी के अनुसार होंगे।
ग़ैबत सुग़रा व कुबरा और आपके सुफ़रा
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ऐ अली बिन मुहम्मद ! ख़ुदा वन्दे आलम तुम्हारे भाईयों और दोस्तों को अजरे जमील अता करे। तुम्हें मालूम है कि तुम 6, दिन में वफ़ात पाने वाले हो, तुम अपने इन्तेज़ामात कर लो
ज़ुहूर कब
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हज़रत इमाम सादिक़ (अ. स.) फरमाते हैं कि “हमने न तो कभी पहले ज़हूर के लिए कोई वक़्त निश्चित किया है और न ही इसके लिए भविष्य में कोई वक़्त निश्चित करेंगे...।”
इमाम अस्र (अ) कुरआने करीम की रौशनी में
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अली(अ) उनकी ज़ौजा और उनकी औलाद हुज्ज्ते ख़ुदा है। इनसे हिदायत हासिल करने वाला सिराते मुस्तक़ीम की तरफ़ हिदायत पाने वाला है।(रसूले अकरम(स)) (शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 58)
महदवियत के लिए नुक्सानदेह चीज़ों की पहचान 3
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लोगों में ग़ुरबत के एहसास के न होने की वजह यह होगी कि उनके यहाँ क़नाअत का एहसास पाया जाता होगा।
307, हिजरी में आपका हजरे असवद नसब करना
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अल्लामा अरबी लिखते हैं कि ज़मानए नियाबत में बाद हुसैन बिन रौह अबुल क़ासिम, क़ौलाया हज के इरादे से बग़दाद गये और वह मक्के
इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत पर उलमा ए- अहले सुन्नत का इजमा
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इमाम महदी अलैहिस्सलाम सामरा में पैदा हुए, जो बग़दाद से 20 फ़रसख के फ़ासले पर है।
ज़ुहूर का ज़माना
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उस उम्मत के आखिर में एक ऐसी क़ौम आयेगी जिसका सवाब व ईनाम इस्लाम के प्रथम चरण के मुसलमानों के बराबर होगा,
15 शाबान
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ईसाईयों के लिए वास्तविक इंजील से और यहूदियों के लिए वास्तविक तौरात से प्रमाण पेश करेंगे और किसी के पास यह कहने का बहाना नहीं रहेगा कि हमें वास्तविकता का ज्ञान नहीं था।
दज्जाल
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रिवायतों के मुताबिक़ दज्जाल हज़रत महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर के 18 दिन बाद ख़रूज करेगा। इमाम के ज़हूर और दज्जाल के ख़रूज से पहले तीन साल तक सख़्त क़हत पड़ेगा। पहले साल एक बटे तीन बारिश और एक बटे तीन फ़सल ख़त्म हो जायेगी। दूसरे साल ज़मीन व आसमान की बरकत व रहमत ख़त्म हो जायेगी। तीसरे साल बिल्कुल बारिश नही होगी और दुनिया मौत की आग़ोश में पहुँचने के क़रीब हो जायेगी।
ग़ैबत सुग़रा व कुबरा और आपके सुफ़रा
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ऐ अली बिन मुहम्मद ! ख़ुदा वन्दे आलम तुम्हारे भाईयों और दोस्तों को अजरे जमील अता करे।
इमामे ज़माना पर बहस की ज़रुरत
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हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का विषय, इमामत के उस आधार भूत मसले की तरफ़ पलटता है जो शिओं के एतेक़ादी (आस्था संबंधी) उसूल में से है
इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर का ज़माना
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मेरे नज़दीक ज़िल्हिज्जा की 23 तारीख़ होगी क्योँकि नफ़से ज़किया के क़त्ल और
महदवियत के लिए नुक्सानदेह चीज़ों की पहचान
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महदवियत के अक़ीदे के लिए एक नुक्सानदेह चीज़ इस बारे में “झूटा दावा करने वाले” लोग हैं। हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की ग़ैबत के ज़माने में कुछ लोग झूठा दावा करते हैं कि हम इमाम (अ. स.) से एक खास