“अलयहूद”
तौरैत यानी तालीम व खुशख़बरी। यह एक आसमानी किताब है। जो हज़रत मूसा अ.स. पर नाज़िल हुई थी। लेकिन यहूदियो ने उस किताब को बदल डाला और बहुत बेतुकी और बेहूदा बातें उसमे शामिल कर दीं, जिसका नतीजा यह हुआ कि आज यह एक ऐसी किताब की शक्ल मे मौजूद है कि जिसकी बहुत सारी बाते बेबुनियाद हैं।
तौरैत के इकट्ठा करने वाले ऐसे लोग हैं,जो गुमनाम हैं, जिनके बारे मे क़ुरआन मे अल्लाह का इरशाद है कि.....
वाय हो उन लोगो पर जो अपने हाथो से किताब लिख कर यह कहते हैं कि ये ख़ुदा कि तरफ से है,ताकि इसे थोडे दाम मे बेच दें। इनके लिए इस तहरीर पर अज़ाब है और इसकी कमाई पर भी।
(सुरये बक़रा,आयत न.-79)
यह आयत पुरी तरहा इन्ही लोगो पर फिट होती है।
1-ख़ुदा यहुदियो की निगाह मेः-
यहुदियो की किताब मे ख़ुदावन्दे आलम एक अजीब व ग़रीब सूरत व शक्ल वाली हस्ती है,मानो बिलकुल इन्सान की तरह है। कपडे पहनता है, उसके दो पैर हैं, इन्सानों की तरह चलता फिरता है, आसमान से जमीन पर उतरता है, जहाँ दिल चाहता है चला जाता है, किसी भी जगह अपना ठिकाना बनाकर रहना शुरू कर देता है, इतना जाहिल है कि बग़ैर निशानी के मोमिनीन और काफ़िरो के घरो को पहचान नही पाता है, बहुत सी चीज़ो से बेख़बर है,अपने किये हुए कामो पर पछताता है, कभी अफ़सोस करता है और कभी अपने किये हुए कामो पर दुखी होता है, इन्सान के साथ कुश्ती लड़ता है और तीन होते हुए भी एक है, यानी तीन भी है और एक भी है, साँप उससे ज़्यादा सच्चा है, लोगो की बातों मे टकराव पैदा कर देता है, क्योकि उनकी एक ज़ुबान होने से डरता रहता है,एक बात कहकर उससे मुकर जाता है।
2-पैग़म्बर यहुदियो की निगाह मेः-
यहुदियो कि किताब मे पैग़म्बरों की हैसियत भी ख़ुदा से कम नही है। मिसाल के तौर पर इन्ही में से कुछ......
• नामहरम औरतों के साथ ज़िना करते हैं। जैसा कि हज़रत दाऊद अ.स. कि तरफ़ निस्बत दी गई है।
• अपनी बेटियो के साथ ज़िना करते हैं। जैसा कि हज़रत लूत अ.स. कि तरफ़ निस्बत दी गई है।
• अवाम को धोखा देते हैं और उनको क़त्ल कर के उनकी बिवीयों को रख लेते हैं। इस अमल को भी हज़रत दाऊद अ.स. से मन्सूब किया गया है।
• ख़ुदा के मना करने के बावजूद उसके मना किये गये काम को करते हैं।जैसा कि हज़रत सुलैमान अ.स. के लिए कहते है।
• ख़ुदावन्दे आलम के साथ कुश्ती लडते है। जैसा कि हज़रत दाऊद अ.स. कि तरफ़ मन्सूब है।
• उनके दिल बुतों कि तरफ़ झुक जाते हैं, इसकी निस्बत भी हज़रत सुलैमान अ.स.की तरफ़ दी गई है।
• बुतों को पुजने के लिए बुतखाना बनाते हैं। इस काम की निस्बत भी हज़रत सुलैमान अ.स. कि तरफ़ देते हैं।
• ख़ुदा इनको मारने पर तैयार हो जाता है। इसकी निस्बत हज़रत मूसा अ.स. की तरफ की तरफ़ दी गई है।
• ज़ालिम हैं, बच्चों, मुसिबत के मारे हुए लोगो, गाय और भेड़ों को मार डालने का हुक्म देते हैं।
• ख़ुदा के साथ सख़्ती से पेश़ आते हैं।
• बरसो नंगे सर और नंगे पैर बग़ैर कपड़ो के आम जगहों पर आते जाते रहते हैं। जैसा कि पैग़म्बर के मानने वालो कि तरफ़ निस्बत दी गई है।
• गर्दन बन्द और मालाओं से अपने को सजाते हैं। इस काम की निस्बत अरमिया पैग़म्बर की तरफ़ देते हैं।
• ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को इन्सानी निजासत से भरी हुई रोटी खाने का हुक्म देता है।
• ख़ुदा वन्दे आलम ने उनको हुक्म दिया है कि अपनी दाढ़ी और मूछों को मुडंवाओ। ये दोनो बातें हज़रत हिज़क़ील अ.स. से मन्सूब की गई है।
• ख़ुदा वन्दे आलम ने उनको हुक्म दिया है कि नाजायज़ औलाद से शादी करें। य़हुदिय़ो के बक़ौल हज़रत यूशा अ.स. ने ये काम किया।
• लोगो को बुतो को पूजने का शौक़ दिलाते हैं और खुद बुत बनाते हैं। इस बात को हज़रत हारून अ.स. कि तरफ मन्सूब करते हैं।
• ज़िना से पैदा हुए हैं।
• शराब पीकर मस्त हो जाते हैं। इसकी निस्बत हज़रत नूह अ.स. पर लगाते हैं।
• पैग़म्बर झूठ बी बोलता है। यह इलज़ाम भी हज़रत नूह अ.स. पर लगाते हैं।
• यहूदियो ने हज़रत याक़ूब अ.स. के बारे मे ये अक़ीदा बना रखा है कि आपने नुबूवत का ओहदा ज़बरदस्ती अल्लाह से हासिल किया मे था।
3-तौरैत मे लिखी हुई कुछ बातेः-
• मैने कहा कि तुम ख़ुदा हो और तुम सब हज़रत आला के बेटे हो, लेकिन आदमियो की तरह तुम्हें भी मौत का सामना करना होगा।
• इसराईल के अलावा दुसरी कोई क़ौम खुदा के ग्रुप से जुड़ नही सकती ऒर ना इनमे से कोइ अल्लाह के समाज मे दाख़िल हो सकता है।
• श़राब बिलकुल ना पियो, इसको किसी ग़रीब मुसाफ़िर को जो तुम्हारे दरवाज़े के अन्दर हो दे दो या किसी अजनबी के हाथ बेच डालो , इसलिए के तुम अपने ख़ुदा यहूद के नज़दीक मुक़द्दस हो।
• अपनी बेटियों को उनको न दो और ना उनकी बेटियों को अपने बेटों और अपने लिए लो।
• हमने तुम्हारी हदें और सरहदें फ़िलिस्तीन के समंदर और मैदान से फ़ुरात तक रखी है, इसलिए इस ज़मीन के रहने वालों को हम तुम्हारे सुपुर्द कर देगें। तुम इस ज़मीन के बाशिन्दो को उनकी ज़मीन से निकाल बाहर करोंगें। इन लोगो और इनके ख़ुदाओ के साथ अहद न करो।
• कन्आनियों की ज़मीन में फ़ुरात तक अन्दर चले जाओ, हमने इस ज़मीन को तुम्हारे सामने पेश कर दिया है तो इसमे दाख़िल होकर इस ज़मीन पर जिसको अल्लाह ने तुम्हारे बाप-दादा इब्राहीम (अ.स.) व याक़ुब (अ.स.) व इसहाक़ (अ.स.) को और उनकी औलाद को देने की क़सम खायी है, इसको इस्तेमाल करो।
• उम्मतों को तुम्हारी मिरास बना दूँगा और ज़मीन के कोनो-कोनो को तुम्हारी जागीर बनाऊँगा। उनको अपनी लोहे की लाठी से मार डालोगे। कुम्हार की तरह टुकड़े-टुकड़े कर दोगे।
• गोश्त खाओ और ख़ून पियो। तुम सारान का गोश्त खाओगे और दुनिया के रईसों और अमीरो का ख़ून पियोगे।
• उन लोगो को ज़िब्ह कर डालने के लिए भेड़-बकरियों की तरह बाहर खींच लो और उनको रोज़ क़त्ल के लिए तैय्यार कर दो।
• ख़ुदा वन्दे आलम याक़ूब (अ.स.) पर रहम करते हुए इसराईल को दुबारा चुनेगा और उनको उनकि ज़मीनो में मुतमाइन बना देगा। ग़रीब उन से मिलकर याक़ूब (अ.स.) के खानदान से मिल जाएँ और ग़ैर यहूदी क़ौमें उनको अपने ठिकानों तक ले जाएँगी। इसराईल का ख़ानदान इन ग़ैर यहूदियों को ख़ुदावन्द की ज़मीनो पर अपना ग़ुलाम और कऩीज़ बना लेगा और बनी इसराईल अपने असीर करने वालों को असीर और अपने ऊपर ज़ुल्म ढाने वालो पर हुक्मुरानी करेंगें।
तलमूदः- यहूदी “ख़ाख़ामों” ने बरसों तौरैत की अलग-अलग मनगढ़त मतलब और तफ्सीरें लिखी हैं। इन तमाम कुंजियों और तफ्सीरों को ख़ाख़ाम “यूख़ास” ने सन् 1500 ई. मे जोड गाँठ कर इसमे कुछ दूसरी किताबो का जो सन् 230 ई. और सन् 500 ई. मे लिखी गई थीं। बढ़ा दिया। इस Collection को “तलमूद” यानी यहूदियों के दीन व तालीम के Manners का नाम दिया
गया।
यह किताब यहूदियों के नज़दीक बहुत पाक व पाकिज़ा है और तौरैत व ‘अह्दे अतीक़ ‘ नाम की किताब के बराबर हेसियत रखती है, बल्कि तौरैत से भी ज़्यादा अहमीयत वाली मानी जाती है। जैसा कि ग्राफ्ट ने कहा कि ....”जान लो कि ख़ाख़ाम की बातें पैग़म्बरों से ज़्यादा क़ीमती हैं।
यहूदियो की ख़ुदपरस्ती और इन्सानियत मुख़ालिफ़ यहूदी अक़ीदों की जानकारी दिलाने के लिए इस किताब की कुछ बातें लिखी जा रही हैः-
1- दिन बारह घण्टों का है। शूरु के तीन घण्टों में ख़ुदा शरीयत की स्टडी करता है, इसके बाद तीन घंण्टे हुक्म देने मे लगा देता है, फ़िर तीन घंण्टे दुनिया को रोज़ी देता है और आख़री तीन घंण्टे समन्दरी मछलियो की बादशाह हूत के साथ खेलकूद में लगा रहता है।
2- जब ख़ुदा ने हैकल को बर्बाद करने का हुक्म दिया, ग़लती पर था, अपनी ग़लती को मानते हुए रो पड़ा और कहने लगा कि अफ़सोस है मुझ पर कि मैंने अपने घर को बर्बाद करने का हुक्म दिया और हैकल को जलवा दिया और अपने बेटों को तबाह करवाया।
3- ख़ुदा यहूद को इस हालात में फंसाने की वजह से बहुत ज़्यादा पछतावे में है। हर रोज़ अपने चेहरे पर तमांचे मारता है और रोता बिलखता है। कभी-कभी उसकी आँखो के दो क़तरे समुन्र्द में गिर जाते है और इतनी ज़ोरदार आवाज़ होती है कि सारी दुनिया उसके रोने की अवाज़ सुनती है। समुन्र्द के पानी में उथल पुथल मच जाती है और ज़मीन काँप उठती है।
4- ख़ुदावन्दे आलम भी बेवकूफ़ी के काम, ग़ुस्सा और झूठ से बचा हुआ नही है।
5- कुछ श़ैतान आदम की औलाद हैं। आदम की एक बीवी टेलीस श़ैतानथी, जो 130 साल तक आदम के साथ रही उसी की नस्ल से श़ैतान पैदा हुए हैं।
6- हव्वा से 130 साल की मुद्दत में श़ैतान के अलावा कुछ भी पैदा नही हुआ, इसलिए कि वो भी एक श़ैतान कि बीवी थीं।
7- इन्सान श़ैतान को क़त्ल कर सकता है, इस श़र्त के साथ के ईद के मौक़े पर तय्यार की गई रोटी के ख़मीर को अच्छी तरहा खाए
(ईद की रोटी का ख़मीर ग़ैर यहूदी के ख़ून से तय्यार किया जाता है)
8- यहूदियों की रूहें ग़ैरों की रूहों से अफ़ज़ल है, इसलिए कि यहूदियों की रूह ख़ुदा का हिस्सा हैं, उसी तरहा जिस तरहा बेटा बाप का हिस्सा होता है। यहूदियों की रूहें ख़ुदा के नज़दीक सबसे ज़्यादा पसंद वाली है, इसलिए कि दूसरों की रूहें श़ैतानी और जानवरो की अरवाह के मानिन्द हैं।
9- ग़ैर यहूदी का नुत्फ़ा जानवरो के नुत्फ़े की तरह है।
10- जन्नत यहूदियों से मख़सूस है और उनके अलावा कोई भी इसमें दाख़िल नही हो सकता। लेकिन ईसाइयों और मुसलमानों का ठिकाना जहन्नम है। रोने-पीटने के अलावा इन लोगो के नसीब में कुछ नही है, इसलिए कि इसकी ज़मीन बहुत ज़्यादा काली और बदबूदार मिट्टी की है।
11- कोई पैग़म्बर मसीह के नाम से नही भेजा गया है और जब तक ग़ैर यहूदी ख़त्म नही हो जाते, उस वक़्त तक मसीह ज़ूहुर नही करेगा। जब वह आएगा तो ज़मीन से रोटी का ख़मीर और रेश़मी लिबास उगेंगे। यह वह मौक़ा होगा जब यहूदी हावी हो जाएँगे और बादशाही उनको वापस मिलेगी और तमाम क़ौमे और मिल्लते मसीह की ख़िदमत करेंगी। उस वक़्त हर यहुदी के पास दो हज़ार आठ सौ (2800) ग़ुलाम होंगे।
12- यहुदियो के लिए ज़रूरी है कि दूसरो कि ज़मीनो को ख़रीदें ताकि कोई और किसी चीज़ का मालिक ना हो और इकोनॅमिकल तौर पर यहूदि तमाम दूसरो पर भारी पड सके और अगर ग़ैर यहूदि कभी यहूदियों पर भारी पड जाँए तो यहूदियों को चाहिये कि अपनी हालत पर रोँए और कहें कि अफ़सोस हमारे हाल पर, यह तो बहुत वैसी बात है कि हम दूसरों के हाथों ज़लील हो रहे हैं।
13- इससे पहले के यहूदी पूरी दुनिया की हुकूमत हासिल कर लें और सब पर हावी हो जाएँ, ज़रूरी है कि वर्ड वार हो और दो तिहाई लोग ख़त्म हो जाएँ। सात साल कि मुद्दत में यहुदी जंगी असलहो को जला डालेंगे और बनी ईसराइल के दुश्मनो के दाँत बाइस बालिश्त उनके मुहँ से बाहर निकल आएँगें।जिस वक़्त सच्चा मसीहा दुनया में क़दम रखेगा, यहूदियो की दौलत इतनी हो जाएगी कि उसके बक्सो की चाबियाँ तीन सौ गधोँ से कम पर नही ढोई जा सकेगी।
14- ईसाइयो को क़त्ल करना, हमारे मज़हवी वाजिबात में से है और अगर यहूदी उनके साथ कोई मुआहेदा करें तो उसको पूरा करना ज़रूरी नही है। ईसाई मज़हब के सरदारो पर जो यहूदियों के दुश्मन हैं, हर रोज़ तीन बार लानत करना ज़रूरी है।
15- यसूअ नासिरी (हज़रत ईसा अ.स.) को जिसने पैग़म्बरी का दावा किया था और ईसाई उसके धोख़े मे आ गये थे। अपनी माँ मरियम के साथ जिसने बानदार नामी मर्द से ज़िना के ज़रीये उसको पैदा किया था, जहन्नुम मे जलाया जाएगा। (अलअयाज़ु बिल्लाह) ईसाईयों के चर्च जिसमे आदमियों के भेस में कुत्ते भौंकते हैं, कूडेख़ाने जैसे हैं।
16- इसराईली ख़ुदा के नज़दीक मलायका से ज़्यादा महबूब और मोअतबर हैं। अगर ग़ैर यहूदी यहूदी को मारे तो ऐसा है कि जैसे उसने अल्लाह की इज़्ज़त के साथ बेअदबी की हो और ऐसे शख़्स की सज़ा मौत के अलावा कुछ और नही हो सकती। इसलिए उसको क़त्ल कर देना चाहिये।
17- अगर यहूदी न होते तो ज़मीन से बरकतें उठा ली जातीं, सुरज ना निकलता और आसमान से पानी ना बरसता। जिस तरहा इंसान जानवरों पर फ़ज़ीलत रखता है, यहूदी दूसरी क़ौमो पर फ़ज़ीलत रखता है।
18- ग़ैर यहूदी का नूत्फ़ा घोड़े के नुत्फे की तरह है।
19- ग़ैर यहूदी कुत्तो की तरहा हैं। इनके लिए कोइ ईद नही है, इसलिए के ईद कुत्तों औऐर ग़ैर यहूदीयो के लिए है ही नहीं।
20- कुत्ता ग़ैर यहूदीयों से ज़्यादा फ़ज़ीलत वाला है। इसलिए की ईद के मौक़े पर कुत्ते को रोटी और गोश्त दिया जाना चाहिए, लेकिन अजनबियों को रोटी देना हराम है।
21- अजनबियों के दरमियान किसी तरहा की कोई रिश्तेदारी नही है। क्या गधों के ख़ानदान और नस्ल मे किसी तरहा की रिश्तेदारी पाई जाती है। (ग़ैर यहूदी) ख़ुदा के दुश्मन हैं और सुअर की तरहा इनको क़त्ल कर देना मुबाह है।
22- अजनबी यहूदीयों की ख़िदमत करने के लिए इन्सान की सूरत में पैदा हुए हैं।
23- यसूअ मसीह काफ़िर है इसलिए वो दीन से फिर गया था और बुतों को पुजने लगा था। हर ईसाई जो यहूदी मज़हब न इख़्तियार करे, ख़ुदा का दुश्मन , बुतपरस्त और अदालत से ख़ारिज है और हर इन्सान जो ग़ैर यहूदी के साथ ज़रा भी मेहरबानी करे, आदिल नही है।
24- ग़ैर यहूदीयों को धोखा देना और उनके साथ धोखा करना, मना नही है। ग़ैर यहूदीयों को सलाम करना बुरा नही है, इस शर्त के साथ कि दरपर्दा उसका मज़ाक उड़ाए। चूँकि यहूदी अल्लाह की इज़्ज़त के साथ बराबरी रखते हैं, इसलिए दुनिया और इसमे जो कुछ है, उनकी मिलकियत है और उनको हक़ है कि वह जिस चीज़ पर चाहें, ख़र्च करें।
25- यहूदीयों के माल की चोरी हराम है, लेकिन ग़ैर यहूदी की कोई भी चीज़ चुराई जा सकती है। इसलिए कि दूसरों का माल समुन्दरों की रेत की तरहा है, जो पहले हाथ रख दे वही उसका मालिक है।
26- यहूदी शोहरदार औरतों की तरह है, जिस तरहा औरतें घर में आराम करती हैं और घर के बाहर के कामों में शौहर के साथ शरीक हुए बग़ैर शौहर उसका ख़र्चा बर्दाश्त करता है, उसी तरहा यहूदी भी आराम करता है, दूसरों को चाहिए कि उसको रोज़ी पहुँचाए।
27- अगर यहूदी और अजनबी यानी ग़ैर यहूदी शिकायत करें तो यहूदी के हक़ में फ़ैसला किया जाना चाहिए, चाहे वह बातिल पर ही क्यूं ना हो।
28- तुम्हारे लिए जायज़ है कि कस्टम के ओहदेदारों को धोखा दो और उनके सामने झूठी क़सम खाओ। ख़ाख़ाम (समूईल) से सबक़ लो कि समूईल ने एक अजनबी से एक सोने का प्याला चार दिरहम में ख़रीदा, मगर बेचने वाला उसके सोना होने के बारे में नही जानता था, इसके बावजूद उसने उसका एक दिरहम भी चुरा लिया।
29- सूद के ज़रिये दूसरो का माल हड़प जाना कोई ऐब नही है। इसलिए के ख़ुदावन्द ग़ैर यहूदीयों से सूद लेने का तुमको हुक्म देता है। जो यहूदी ना हो, उसको क़र्ज़ ना दो, सिवाए इसके कि उससे सूद लो। इस सूरत के अलावा ग़ैर यहूदीयों को कर्ज़ देना जायज़ नही है और हमको हुक्म दिया गया है कि ग़ैर यहूदीयों को नुक़सान पहुँचाएँ।
30- दूसरों की ज़िन्दगी यहूदीयों की मिलकियत है तो उनके माल किस शुमार में हैं। जब भी किसी ग़ैर यहूदी को पैसे कि ज़रूरत हो तो उससे इतना ज़्यादा सूद लेना चाहिये कि वह अपनी तमाम दौलत को खो बैठे।
31- ग़ैर यहूदी कितना ही नेक और अच्छे किरदार का मालिक हो, उसको मार डालना चाहिये।
32- ग़ैर यहूदी को नजात देना हराम है। यहाँ तक के अगर वो कुँए में गिर जाए तो फ़ौरन उस कुँए को पत्थर से भर दो। अगर किसी ग़ैर यहूदी को मार डालें तो उसकी मिसाल ऐसी है कि जैसे ख़ुदा की राह में क़ुर्बानी कि हो और अगर एक यहूदी ग़ैर यहूदी की मदद करे तो उसने एक ऐसा गुनाह किया है कि जो बख़्शने के क़ाबिल नही है।
33- अगर ग़ैर यहूदी दरिया में डूब रहा हो तो उसे मत बचाओ, इसलिए कि वह सात क़ौमें जो कन्आन की ज़मीन में थी और यहूदी उनको मार डालने पर लगाये गये थे, सब के सब क़त्ल नही किये जा सके थे। मुमकिन है कि यह डूबने वाला आदमी उन्ही में से एक हो।
34- जहाँ तक तुम्हारे इमकान में हो, ग़ैर यहूदीयों को क़त्ल करो और अगर तुमने किसी ग़ैर यहूदी को क़त्ल करने का मौक़ा पाने के बाद उसे क़त्ल ना किया तो गुनाह किया है।
35- ईसाई को हलाक करना सवाब है और अगर कोई उसके क़त्ल पर क़ुदरत न रखता हो तो कम से कम उसकी हलाकत के असबाब ज़रूर पैदा करना चाहिये।
36- जो लोग मुरतद हों यानी यहूदी क़ानून की ख़िलाफ़वर्ज़ी करें, अजनबी हैं और उनको फाँसी देना ज़रूरी है, सिवाए इसके कि दूसरों को धोखा देने के लिए मुरतद हुए हों।
37- ग़ैर यहूदियों की औरतों की इज़्ज़त लूटने में कोई हर्ज नही है, इसलिए के काफ़िर यानी ग़ैर यहूदी जानवरों की तरहा हैं और जानवरों के बीच शादी-ब्याह का रिवाज नही होता है।
38- यहूदियों को हक़ है कि ग़ैर मोमिन या ग़ैर यहूदी औरतों को ज़बरन हासिल कर लें और ग़ैर यहूदी के साथ ज़िना और लेवात की कोई सज़ा नही है।
39- यहूदी के लिए कोई हरज नही है कि वह अपने माल और अपनी नाजायज़ ख्वाहिशों के सामने झुक जाए।
40- क़सम खाना जायज़ है, ख़ासतौर पर ग़ैर यहूदी के साथ मामिले की सूरत में।
41- क़सम खाने का उसूल झगड़ों को ख़त्म करने के लिए शरीयत ने बयान किया है, लैकिन यह उसूल ग़ैर यहूदीयों के लिए नही है, क्योंकि वह इंसान नही हैं। झूठी गवाही भी देना जायज़ है।
42- ज़रूरी है कि अगर बीस झूठी क़समे भी खानी पड़ें तो भी अपने यहूदी भाई को ख़तरे में ना डालो। यहूदीयों पर ज़रूरी है कि हर दिन तीन बार ईसाईयों पर लानत करें और उनके ख़त्म हो जाने के लिए अल्लाह से दुआ करें।
43- हम पर लाज़िम है कि ईसाईयों के साथ जानवरों जैसा सुलूक रखें।
44- ईसाईयों के चर्च गुमराहो के अड्डे हैं और इनका गिरा देना वाजिब है।
45- हम ख़ुदा की चुनी हुई क़ौम हैं इसलिए हमारे लिए इंसानों की श़क्ल में जानवर पैदा हुए हैं। ख़ुदा जानता है कि हमको दो तरहा के जानवरों की ज़रूरत है। एक बेज़ुबान और समझ न रखने वाले और दुसरे समझ और ज़ुबान रखने वाले। मसलन ईसाई, मुसलमान और बौध्द। इन तमाम जानवरों पर सावारी करने के लिए अल्लाह ने हमको तमाम दुनिया में बिखेर दिया है, ताकि अपनी ख़ूबसूरत और हसीन व जमील बेटियों को ग़ैर यहूदी बादशाहों को देकर दुनिया पर हुकूमत कर सकें।
यहूदियों के मज़ालिमः-
यहूदियों की दो ईदें हैं, जिनमे ख़ून पीना ज़रूरी है –
1- मार्च में ईद Purim
2- अप्रैल में Passover
3- हर साल बहुत सारे लोग इन दो मुक़द्दस ईदों की क़ुर्बान हो जातें हैं।
सन् 1440 ई. की बात है इटली के एक कशिशप फ्रैन्सो अन्तून तूमा अपने नौकर के साथ घर से बाहर आए और ग़ायब हो गये। हुकूमत की तरफ़ से छानबीन शुरू हुई तो मालूम हुआ कि यहूदियों के हाथों बेचारा क़त्ल किया जा चुका है।
सुलैमान सरतराश जो मुलजिमों में से एक है, अपने बयान में कहता है कि रात का पहला पहर था कि दाऊद हरारी का नौकर मेरे पास आया और कहने लगा कि फ़ौरन दाऊद के घर की तरफ़ रवाना हो गया। दाऊद के घर पर हारून हरारी, इसहाक़ हरारी, यूसुफ़ हरारी, यूसुफ़ लीनिवो, ख़ाख़ाम मूसा, अबुल आफ़िया, ख़ाख़ाम मूसा बखूर यूद अमसलूनकी और दाऊद हरारी मौजूद थे, जैसे ही घर में दाख़िल हुआ और मैनें तूमा कशीश को हाथ-पैर बँधी हालत में देखा, वैसे ही समझ गया कि मुझे किस लिए बुलाया गया है।
बहरहाल मेरे पहुँचते ही घर के दरवाज़े बन्द कर दिये गये और एक बड़ा सा तश्त लाया गया और मुझसे कहा गया कि कशीश को मार डालो, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। दाऊद ने कहा कि अच्छा ऐसा करो कि तुम और दूसरे लोग इसके सर को पकड़ लो ताकि मैं इसका काम तमाम कर दूँ। कशीश को लाया गया और ज़मीन पर ढकेल दिया गया और बग़ैर इसके कि उसके ख़ून का एक क़तरा भी ज़मीन पर गिरता, उसका सर काट दिया गया। इसके बाद हमने उसके बेजान जिस्म को गोदाम में ले जाकर जला दिया, फ़िर उसके बाक़ी बचे-कुचे जिस्म को टुकड़े-टुकड़े करके थैलों में भर कर बाज़ार के पास दफ़्न कर दिया। हमारा यह काम जब ख़त्म हो गया तो कशीश के नौकर को लालच देकर चुप करा दिया गया। पुलिस इंस्पेकटर ने सवाल किया। उसकी हड्डियों का क्या किया ?
हावगं दस्ते में पीस डाला।
हावंग दस्ते से टुकड़े-टुकड़े कर दिया
इसकी आँतें क्या कीं ?
उनको टुकड़े-टुकड़े करके क़रीब की एक जगह पर दफ़्न कर दिया।
फिर पुलिस इंस्पेक्टर ने इसहाक़ हरारी से पूछा कि सुलैमान की बात पर तुमको कोई एतराज़ है ?
उसने जवाब दिया कि सुलैमान ने जो कुछ कहा है वह सही है, लेकिन तुम इस अमल को जुर्म नही कह सकते, क्योंकि हमारे मज़हब में इस ईद के आमाल में ग़ैर यहूदी के ख़ून से फ़ायदा हासिल करना शामिल है।
तुमने पादरी के ख़ून का क्या किया ?
एक शीशी में जमा करके ख़ाख़ाम मूसा अबुल आफ़िया को दे दिया।
तुम्हारी मज़हवी रस्मो में ख़ून को किस चीज़ में इस्तेमाल किया जाता है ?
ईद की रोटी के ख़मीर में।
क्या तमाम यहूदियों को इस रोटी का इस्तेमाल ज़रूरी है ?
सन् 1823 ई. में Passover ईद के मौक़े पर पिछले रूस के शहर Valisob में एक दो साल का बच्या ग़ायब हो गया। एक हफ्ते की तलाश के बाद उसका बेजान जिस्म शहर के बाहर एक जगह पाया गया, उसके जिस्म पर कीलों और सुईयों के निशानात थे, लेकिन ख़ून का एक क़तरा भी उसके कपड़ों पर मौजूद नही था। बाद को यह मालूम हुआ कि एक औरत जो ताज़ा यहूदी हुई थी और इस क़ज़िये के मुलज़िमो में से थी, इस तरहा बयान दिया ......
यहूदियों की तरफ से हमको ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी कि इस ईसाई बच्चे को अग़वा करके एक बंधे वक़्त पर किसी एक के घर पहुँचा दें। जब हम इस बच्चे के साथघर में घुसे तो तमाम लोग एक मेज़ के चारो तरफ बेठे हुए हमारा रस्ता देख रहे थे। बच्चे को मेज़ पर रख कर उसको चॉकलेट और बिस्कुट में लगा दिया गया। बेचारा बच्चा अभी खाने में लगा था कि उनमें से एक ने एक लम्बी और नुकीली कील उसकी रॉन में चुभो दी। बच्चे की दिल हिला देने वाली चीख़ बुलन्द हो गई, वह दहला हुआ उनमें से एक की तरफ़ बढ़ा, उसने भी उस पर ज़रा सा भी रहम ना किया और एक लम्बी सुई के ज़रीये जो उसके हाथ में थी, बच्चे की कमर को ज़ख़्मी कर दिया। बच्चा दोबारा चीख़ पड़ा और तीसरे आदमी की तरफ़ लपका, उसने भी उसका सीना छेद डाला। नतीजे में उसके जिस्म में इतनी सुईयाँ और कीलें चुभोई गईं कि वहीं पर उसका दम निकल गया। फिर उसके ख़ून को एक शीशी में जमा करके बड़े ख़ाख़ाम के हवाले कर दिया गया।
गर्मीयों की तपती दोपहर में यहूदियों नें एक मुसलमान फ़िलीस्तीनी के घर पर हमला कर दिया। इस वाक़िये के बारे में उस घर की बड़ी बेटी ने इस तरहा बयान दिया कि .....
जिस वक़्त यहूदी सिपाही हमारे घर में घुसे मैं इतना डर गई थी कि क़रीब था कि मैं मर जाउँ, मेरी छोटी बहन एक कोने में घुस गई। मेरे माँ-बाप चीख़ रहे थे, मगर कोई मदद करने वाला न था। वहशी दरिन्दे और जानवरों जैसे यहूदियो ने मेरी माँ को पकड़ लिया और उनके मख़सूस मक़ाम पर कई गोलियाँ दाग़ दीं फिर मेरे बाप को लातों-घूसों और बन्दूक़ों के कुन्दों से मार-मार कर ख़त्म कर दिया और मेरे हाथ-पैर बाँधकर खींचते हुए घर से बाहर ले आये।
वह कहती है कि मुझे नही पता कि मेरी छोटी बहन पर क्या गुज़री। मुझको कुछ यहूदी दरिन्दों के साथ एक ट्रक के पीछे सवार कर दिया गया। हम नामालूम जगह की तरफ़ चल पड़े। वह दरिन्दे रास्ते में मेरी आबरू रेज़ी की कोशिश करने लगे। मैंने उनका मुक़ाबला किया, लेकिन मुझे बेहोश कर दिया गया। जब मैं होश़ में आयी तो मेरा सब कुछ लूटा जा चुका था। मेरी इज़्ज़त और आबरू हाथ से जा चुकी थी।
“मुसलमानों की हालत क्या हो गई है, उनकी बेग़ैरती किस हद तक पहुँच चूकी है कि यहूदियों के तमाम ज़ुल्म के बाद भी यह अपने महलों में बैठे ख़रगोश की नींद सो रहे हैं,
इससे बड़ी ज़िल्लत और क्या होगा।