नुबूवत
रसूले अकरम और वेद
- में प्रकाशित
वेदों में नराशंस या मुहम्मद (सल्ल॰) के आने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, बल्कि धर्मिक ग्रंथों में ईशदूतों (पैग़म्बरों) के आगमन की पूर्व सूचना मिलती रही है। यह ज़रूर चमत्कारिक बात है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के आने की भविष्यवाणी जितनी अधिक धार्मिक ग्रंथों में की गई है,
ईश्वरीय दूत और अनुसरण
- में प्रकाशित
कुछ लोग यह शंका करते हैं कि यदि ईश्वर ने अपने दूतों को लोगों के मार्गदर्शन के लिए भेजा और उसके दूतों ने यह काम पूरी ज़िम्मेदारी से किया तो फिर विश्व में इतने अधिक लोग पाप क्यों करते हैं? और क्यों इतने व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार दिखाई देता
पैगम्बरों की पवित्रता
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
इस बारे में कि पैगम्बर किस सीमा तक पापों से दूर हैं, मुसलमानें के विभिन्न समुदायों के मध्य मतभेद हैः बारह इमामों को मानने वाले शिओं का मानना है कि पैगम्बर अर्थात र्इश्वरीय दूत,जन्म से मृत्यु तक छोटे बड़े हर प्रकार के पापो से पवित्र होता है बल्कि गलत व भूल से भी वह पाप नही कर सकता।
चमत्कार एवं ईश्वरीय दूत
- में प्रकाशित
इस संसार में घटने वाली घटनाएं मूल रूप से उन कारकों का परिणाम होती हैं जो प्राकृतिक रूप से निर्धारित होती हैं और उन्हें प्रयोगों द्वारा समझा जा सकता है
चमत्कार और उससे संबंधित शंकायें
- में प्रकाशित
पहली शंका यह पेश की जाती है कि हर भौतिक प्रक्रिया के लिए विशेष कारक की आवश्यकता होती है जिसे वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा समझा जा सकता है अब यदि कोई ऐसी प्रक्रिया नज़र आये जिसके कारक का ज्ञान न हो तो उसे असाधारण प्रक्रिया उसी समय तक कहा जा सकता है जब तक उसके कारक का पता न चला हो किंतु कारक का ज्ञान न होना इस अर्थ में नहीं है
र्इश्वरीय दूतों को भेजने के लाभ
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
दूतो को इसलिए भेजा है ताकि वह मनुष्य को प्रवत्ति की प्रतिज्ञा की याद
चमत्कार की परिभाषा
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
चमत्कार या मोजिज़ा उस काम को कहते हैं जो असाधारण रुप से र्इश्वर के आदेश से पैगम्बरी का सच्चा दावा करने वाले को सच्चा सिध्द करता हों।
नबी और रसूल
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
जबकि इतिहासिक पुस्तको मे इमामो के कथनो से जो बात पता लगती है वह यह है कि उनकी संख्या पाँच थी।
ईश्वरीय दूत और आधुनिक प्रगति
- में प्रकाशित
पिछले कार्यक्रम में हमने एक शंका का उल्लेख किया था कि कोई यह कह सकता है कि यदि ईश्वरीय दूत मानव समाज के कल्याण के लिए आए थे तो फिर उन्होंने क्यों नहीं मानव समाज के सामने ज्ञान पर पड़े सारे पर्दे हटा दिये ताकि मनुष्य प्रगति