मूसा (अ.स.) फ़िरऔन और ज़ंजीर ज़नी
हज़रत मूसा (अ.स.) के दौर का मशहूर वाक़िआ है उनकी क़ौम के दो शख़्स एक दूसरे के साथ लड़ रहे थे हज़रत मूसा (अ. स.) ने दोनों को एक दूसरे से अलग करने के लिये जब एक को धक्का दिया तो वह गिर कर मर गया फ़िरऔर के सिपाहियों ने हज़रत मूसा (अ. स.) का पिदा किया मगर हज़रत मूसा (अ. स.) वहां से निकलने में कामयाब हो गए उस शख़्स की हलाकत ने बेशक मसलहते इलाही छुपी हुई थी जिसे फ़िरऔन न समझ सका लेहाज़ा बरसो बाद जब हज़़रत मूसा (अ. स.) लौट कर फ़िरऔन को दावते दीन देने आए तो फिरऔन ने उनकी एक न सुनी और न पैग़म्बरी देखी न दलीलें सुनी बस एक ही बात की कि तुम वही हो न जिसने हमारा एक आदमी मार दिया था ? हज़रते मूसा (अ. स.) ने उससे बहुत कुछ बयान किया मगर फ़िरऔन का एक ही जुमला था तुम वही हो न जिसने हमारा एक आदमी मार दिया था ?
हमारे पाकिस्तान और हिन्दुस्तान में भी बहुत से ऐसे ज़िद्दी दोस्त हैं उनकी सुईं भी जहां अटक गई वहीं रूक जाते हैं हम कहते हैं कि भाई देखो हम ख़ुश नसीब हैं कि उस इस्राईल जिसे सारे अरब मुल्क मिलकर शिकस्त न दे सके, को हमारे हिज़्बुल्लाह ने सिर्फ़ 33 दिन में झंझोड़ कर रख दिया यह अल्लाह की मदद, सीरते अहलेबैत (अ. स.) पर अमल और रहबरे मोअज़्ज़म आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की बाबसीरत क़यादत की मरहूमे मिन्नत है तो जवाब में दोस्त कहते हैं :
यह वही ख़ामेनाई है ना कि जिसने फ़तवा दिया कि ज़ंजीर ज़नी न करो ?
शाम में हमारे शिया जवानों ने दाईश को भगा कर बीबी ज़ैनब (स. अ.) का रौज़ा आज़ाद करवा लिया है यह सब भी अल्लाह और सिरते अहलेबैत (अ. स.) के फ़ैज़ और रहबरे मोअज़्ज़म सैयद अली ख़ामेनेई की बसीरत और जद्दो जहद से मुम्किन हुआ है तो दोस्त जवाब फ़रमाते हैं :
यह वही ख़ामेनेई है न जिसने ज़नजीर ज़नी को नाजाईज़ क़रार दिया।
इसके बाद हम इन दोस्तों से अर्ज़ करते हैं कि अब ईराक़ में भी दाईश (Isis) का मुकम्मल सफ़ाया हो चुका है इसमें भी फ़क़ीहें बुज़ुर्ग आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली सीस्तानी फतवे और रहबरे मोअज़्ज़म सैयद अली ख़ामेनेई की बसीरत शामिल है तो जवाब मिलता हैः
खामेनेई कैसा शिया उसने तो ज़ंजीरज़नी को नाजाऐज़ कहा है!!!
भई नाईजीरीया कि जहा सिर्फ दो-चार शिया थे आज वहा चेहलूम पर करबला के बाद सबसे बड़ा शियो का इजतेमा होता है और वो सब अपने सीनो पर रहबरे मौअज़्ज़म सैयद अली खामेनेई की तसवीर वाला पेज लगाते है तो दोस्त ये ही कहते हैः
खामेनेई कैसा शिया उसने तो ज़ंजीरज़नी नाजाऐज़ कर दी!!
अरे भई जब पाकिस्तान मे एक साल जब रमज़ान मे सैलाब आया तो ये इस्लामी दुनिया के अकेले लीड़र थे जो जुमे के खुत्बे मे पाकिस्तानीयो का हाल बयान करते हुऐ रो पड़े थे....
बोलेः वो सब अपनी जगह मगर ये कैसा शिया उसने तो ज़ंजीरज़नी को नाजाऐज़ कर दी।
भाई जान हम शियो के लिऐ फख्र की बात है कि अमरीकी कहते है कि हम एक मंसूबा बनाने मे सालो लगा देते है लेकिन शियो का ये मौलवी खामेनेई उसे एक तक़रीर से मिट्टी मे मिला देता है।
रूस के राष्ट्रपति को जिस शख्स की सादगी और लीडरशिप ने मुताअस्सिर किया जिसके नतीजे मे वो मकतबे शियत से मुताअस्सिर हुआ वो सैयद अली खामेनेई...
बोलेः लेकिन ज़ंज़ीरज़नी को नाजाऐज़ कह दिया ये कैसा शिया!!!
देखिऐ भाई आले सऊद इस वक़्त सबसे ज़्यादा सैय्यद अली खामेनेई से खौफज़दा है। इस खौफ ने बहरैन मे शियो को हिम्मत दी कि शैख ईसा क़ासिम की गिरफ्तारी, अब तक उन्होने नही होने दी और यमन वाले रियाज़ पर लान्चर मारते है, ओमान मे अलीयुन वलीयुल्लाह की अज़ान होने लगी है।
बहरैन और यमन के मज़लूम अवाम की हिमायत करने वाला ये रहबर जो तमाम मजलूमीने जहान के दिलो की धड़कन बना हुआ है। ये हमारा ही शिया आलिमे दीन है। इस आलिमे दीन पर फ़ख्र करो।
फरमायाः ज़ंज़ीरज़नी को नाजाऐज़ कह दिया ये कैसा शिया।।।।
कल इंशा अल्लाह हम काबे मे रहबरे मौअज़्ज़म सैयद अली खामेनेई की इक्तेदा मे ईद की नमाज़ पढ़ कर जन्नतुल बक़ी के सामने मजलिस करवाऐगें तब भी हमारे दोस्त ये ही कहेंगेः
खामेनेई के पीछे कैसी नमाज़। ये वही है न जिसने कहा था ज़ंजीर ज़नी नाजाऐज़ है।।।।
यानी हमारे इन दोस्तो की नज़र मे शिया की पहचान ही ज़ंजीरज़नी है।
अल्लाह न करे कल ये इमामे ज़माना (अ.स.) के शिया होने को भी ज़ंजीर ज़नी के मैयार पर परखे। नही तो ये वहा भी ये ही कह देंगे कि बेशक दुनिया को अद्लो इंसाफ से भर दिया लेकिन वो कैसा शिया जो ज़ंजीर ज़नी से रोके।