इन्तेज़ार
हज़रत इमाम अली (अ) फ़रमाते हैः
اَفْضَلُ عِبٰادَةِ الْمُوْمِنِ اِنْتِظٰارُ فَرَجِ اللّٰہ
मोमिन की सबसे बड़ी इबादत यह है कि वह अल्लाह की तरफ़ से (दुख और कठिनाईयों) से नजात के इन्तेज़ार में रहे।
इन्तेज़ार का महत्व
इन्तेज़ार उन महान और भाग्यवान लोगों का गुण है जो कामयाबी और सफ़लता के रास्ते पर चल रहे हैं। चूंकि ग़ैबत (वह ज़माना जिस में वक़्त का इमाम नज़रों के सामने नही होता है) के दौरान इन महान हस्तियों से संबंधित रिवायतें और दृढ़ और मज़बूत कथन ख़ानदाने इस्मत और तहारत से दामन से जारी हुए हैं, हज़रत के ज़ुहूर का इन्तेज़ार करने वाले हर ज़माने के इन्सानों से बेहतर और महान हैं।
इसीलिए एक गुट इस दुनिया में इन्तेज़ार की मुश्किलों को कामयाबी और सफ़लता का राज़ मानता है।
उनका मानना है कि इन्सान इन्तेज़ार के कारण और उसके कमाल की पहचान और वसीले से वास्तविक्ता के गहरे समन्दर से कामयाबी और सफ़लता के मोती हासिल कर सकता है, और समाजी समस्याओं और दुनियावी रुकावटों से मुक्ति हासिल कर सकता है।
इन्तेज़ार वास्तव में बहुत मुश्किल काम हैं गोया राज़ों ने उसका घिराव कर रखा है (यानि इन्तेज़ार करना बहुत ही मुश्किल है) और बहुत ही कम लोगों ने इन्तेज़ार की वास्तविक्ताओं को समझा है, और दुश्मनों की मक्कारियों का विरोध किया है। चूंकि इन्तेज़ार का वास्तविक और सब से महान अर्ध इमाम ज़माना (अ) की इश्वरीय हुकूमत में ख़ुदाई निज़ाम को फैलाना और उस की सहायता करना है जिसको ईश्वरीय ताक़त से हासिल किया जाता है और इस प्रकार का इन्तेज़ार इमाम ज़माना (अ) के विशेष सहाबियों में पाया जाता है।
इन्तेज़ार जिस पड़ाव में भी साबित हो जाए तो यह ग़ैबी दुनिया से ग़ैबी सहायता और ख़ुदा क़ुरबत का रास्ता है। और अगर यह सदैव के लिए हो जाए तो और सब से ऊँचे स्थान पर पहुंच जाए तो समय व्यतीत होने के साथ साथ इन्सान के वजूद की गहराईयों से उस कुंठा और खिचाव से सदैव के लिए दूर कर देता है जो उस इन्सान के वजूद और ज़मीर में इसकी (इन्तेज़ार की) जानकारी ना होने के कारण से होता है। और नूर ज्ञान के दरीचे इन्सान कू रूह में खोलता है और इसी प्रकार तकामुल के रास्ते को इन्सान पर खोल देता है। क्योंकि इन्तेज़ार नाम ही ऊँचे मरतबों और बुलंद मक़ाम तक पहुंचने के लिए आमादगी और तैयारी का है।
और रूहानी ध्यान को दुनिया से ख़ुलूस, वास्तविक्ता और प्रकाश की तरफ़ ख़ीचता है। वह दुनिया जहा सारी शैतानी और साम्राजी ताक़तें और क़ुदरतें समाप्त हो जाएं उस इन्सानियत की दुनिया की रूह में ख़ुदाई नूर जगमगा उठता है।
इस वास्तविक्ता को ध्यान में रखते हुए हम कहते हैं कि ऍसा व्यक्ति ही इन्तेज़ार के उन महान पड़ावों को तय कर सकता है जो असामान्य ताक़त और क़ुदरत रखता हो।
जैसा कि हम जानते हैं कि इमाम ज़माना (अ) की हुकूमत एक ग़ैरे मामूली हुकूमत होगी जिसको समझ पाना हमारी हिम्मत, ताक़त और सोंच से कहीं परे है। और सब के लिए ज़रूरी है कि सहायता करने वाले इमाम ज़माना (अ) के पास इकठ्ठा हो जाएं और आप की सहायता करें। ताकि अल्लाह के नेक बंदों में शुमार हों और आप के आदेशों और हुक्म के पालन करने की ताक़त हासिल करें, जिसको हासिल करने के लिए एक असमान्य ताक़त का होना आवश्यक है।
वह रिवायतें जो इमाम ज़माना (अ) के तीन सौ तोरह विशेष साथियों की सिफ़तों और विशेषताओं को बयान करती हैं, उनके बारे में रहानी और ग़ैरे माद्दी ताक़तों के होने को बयान करती हैं यहा तक कि ग़ैबत के ज़माने में भी।
इन्तेज़ार के अवामिल
हमारे लिए आवश्यक है कि हम कोशिश करें कि इन्तेज़ार का वास्तिवक अर्थ समझ सकें और इस हालत को अपने और दूसरों के अंदर पैदा कर सकें।
इन्तेज़ार को मसअले को समझने, सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने के बहुत से रास्ते हैं जिन को काम में लाते हुए हम समाज में इन्तेज़ार की हालत को पैदा कर सकते हैं और लोगों की रूह की गहराईयों में इन्तेज़ार को बीच को फ़लदार बना सकते हैं। नीचे बयान किए गए महत्व पूर्ण रास्तों के माध्यम से समाज इन्तेज़ार के मसअले को समझ और उसकी तरफ़ झुकाव पैदा कर सकता है।
1. विलायत के महान मक़ाम को पहचानना और इमामे ज़माना की श्रेष्ठता की पहचान।
2. इन्तेज़ार के रहस्यम प्रभावों और उसका सही अर्थ एवं महान पड़ावों की पहचान।
3. इमाम ज़माना (अ) के सहाबियों की सिफ़तें और उनकी विशेषताओं की पहचान, जो इन्तेज़ार के सर्वश्रेष्ठ मरतबों तक पहुंचे और रूहानी ताक़त हासिल की और इमाम ज़माना (अ) के आदेशो का पालन करते हैं।
4. इन्सान और अगले ज़माने में आने वाले लोगों के जीवन में बड़े बदलाव और उन महत्व पूर्ण तबदीलियों की पहचान जो ज़ूहूर के ज़माने में घटित होंगी।
इमाम ज़माना (अ) के मर्तबे की पहचान, आप के चाहने वालों और साथियों की पहचान और अक़्लों की तकमील और इल्मों की तरक़्क़ी, ग़ैब की दुनिया से संबंध, अपरिचित उत्तपत्तियों की पहचान, आसमान और दूर दराज़ अंतरिक्ष की यात्रा और इसी प्रकार की दूसरी चीज़ें लोगों को इमाम ज़माना (अ) के ज़ूहूर की तरफ़ ध्यान दिलाती हैं। और लोगों के अंदर इन्तेज़ार की हालत और उनकी महान एवं रहस्यम हुकूमत के लिए तत्परता पैदा करती हैं
इस प्रकार की वास्तविक्ताओं की जानकारी, पवित्र अत्मा वाले लोगों के दिलों में एक जोश और उमंग पैदा करता है और उन महान दिनों के लिए उनके दिल में उमंग पैदा करती है, और इन्तेज़ार की हालत और ज़ोहूर की उम्मीद (जो कि हर इन्सान का दायित्व है) समाज में पैदा करती है, अब हम इन चीज़ों का विवरण बयान करेंगे।
1) इमाम ज़माना (अ) के मरतबे और महानता की पहचान
इमाम ज़माना (अ) का महान व्यक्तित्व अपनी प्रकाशमयी गुड़ों और विशेषताओं के कारण इन्तेज़ार की हालत के लिए महत्व पूर्ण है।
क्योंकि इस ज़मीन और दुनिया में आप के अतिरिक्त को दूसरा लीडरी, इमामत और दुनिया के सुधार के लाएक़ नही है, यह सभी कारण इन्सान के अपनी तरफ़ खीचते हैं और आप ही ख़ुदा की अंतिम निशानी, अंतिम मार्ग दर्शक और हादी हैं जैसा कि आप के बारे में हज़रत अमीर अल मोमेनीन (अ) फ़रमाते हैः
''عِلْمُ الْاَنْبِیٰاء فِی عِلْمِھِمْ وِسِرُّ الْاَوْصِیٰاء فِی سِرِّھِمْ وَ عِزُّالْاَوْلِیٰاء فِی عِزِّھِمْ ،کَا لْقَطْرَةِ فِی الْبَحْرِ وَ الذَّرَّةِ فِی الْقَفْرِ''
सारे नबियों की इल्म, तमाम वसियों के राज़, सारे अवलिया की इज़्ज़तें और सम्मान, आप के इल्म, राज़ और इज़्ज़त के सामने ऍसे ही हैं जैसे समन्दर में एक बूंद या रेगिस्तान में एक कंण।
अब चूंकि हम ख़ानदाने इस्मत और तहारत की अंतिम शख़्सियत के ज़माने में जीवन व्यतीत कर रहे हैं इस लिए हमारा फ़र्ज़ बनता है कि आप की तरफ़ ध्यान और आप के मार्ग दर्शक कथनों का पालन करते हुए स्वंय को तबाही और बरबादी से बचाएं और उस दिन का इन्तेज़ार करें जब आप अदालत और हिदायत का परचम पूरी दुनिया पर फैला देंगे।
अगर कोई इस ज़माने में इमाम से परिचित हो और ग़ैबत के ज़माने में आप की ग़ैबी सहायताओं की जानकारी रखता हो और आप के ज़ोहूर के ज़माने में आप के माध्यम से पूरी दुनिया में होने वाली तबदीलियों की पहचानता हो, वह सदैव आप की याद में गुम रहेगा। और आप के आदेश अनुसार सदैव विलायत के सूरज के निकलने का इन्तेज़ार करता रहेगा।
मारेफ़त ऍसे इन्सान के अंदर से ग़फ़लत और बे परवाही की ज़ंग को हटा देती है, और प्रकाश और नूर और पाकीज़गी को उसके स्थान पर बिठा देती है, अब हम आप के सामने एक ऍसी बेहतरीन रिवायत पेश करते हैं जो ग़ैबत के ज़माने में आप की ग़ैबी सहायताओं की तरफ़ इशारा करती है। जाबिर जअफ़ी ने जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी से और उन्होंने प़ैगम्मबरे अकरम (स) ने रिवायत की है कि आप फ़ारमाते हैः ''ذٰاکَ الَّذِیْ یَفْتَحُ اللّٰہُ تَعالٰی ذِکْرُہُ عَلٰی یَدَیْہِ مَشٰارِقَ الْاَرْضِ وَ مَغٰارِبَہٰا ،ذٰاکَ الَّذِیْ یَغِیْبُ عَنْ شِیْعَتِہِ وَ اَوْلِیٰا ئِہِ غَیْبَةً لاٰ یَثْبُتُ فِیْھٰا عَلَی الْقَوْلِ بِاِمٰامَتِہِ اِلاّٰ مَنْ اِمْتَحَنَ اللّٰہُ قَلْبَہُ بِالْاِیْمٰانِ ''۔
قٰالَ :فَقٰالَ جٰابِرُ :یٰا رَسُوْلَ اللّٰہِ) صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم( فَھَلْ یَنْتَفِعُ الشِّیْعَةُ بِہِ فِی غَیْبَتِہِ ؟فَقٰال: اَی وَالَّذِی بَعَثَنِی بِالنُّبُوَّةِ اَنَّھُمْ لَیَنْتَفَعُوْنَ بِہِ وَ یَسْتَضِیْئُوْنَ بِنُوْرِ وِلاٰیَتِہِ فِی غَیْبَتِہِ کَانْتِفٰاعِ النّٰاسِ بِالشَّمْسِ ،وَاِنْ جَلَّلَھَا السَّحٰابُ ، یٰا جٰابِرُ ،ھٰذٰا مَکْنُوْنُ سِرِّ اللّٰہِ وَ مَخْزُوْنُ عِلْمِہِ فَاکْتُمْہُ اِلاّٰ عَنْ أَھْلِہِ .
वह (हज़रत मेहदी (अ)) हैं जिनके माध्यम से ख़ुदा पूरब और पश्चिम (सारी दुनिया) की ज़मीनों को फ़ैला देगा, वह वह हैं जो अपने शियों और दोस्तों की निगाहों से ओझल होंगे, इस तरह से कि उनकी इमामत के अक़ीदे पर कोई बाक़ी नही रहेगा मगर यह कि ख़ुदा ने जिसके दिल का इम्तेहान ले लिया हो।
जाबिर जअफ़ी कहते हैः जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी ने पैग़म्बर अकरम (अ) से कहाः ऍ अल्लाह के रसूल (स) क्या शिया उनकी ग़ैबत के ज़माने में उन से लाभ उठा सकेंगे?
पैग़म्बरे अकरम (स) ने जवाब में फ़रमायाः हां उस ख़ुदा की क़सम जिसने मुझे रसूल बना कर भेजा है वह (शिया) उनकी (इमाम ज़मान) ग़ैबत के ज़माने में उन से लाभ उठाएंगे, और उनके विलायत के नूर से प्रकाश हासिल करेंगे, उसी प्रकार कि जैसे लोग सूरज से फ़ाएदा उठाते हैं जब्कि वह बादलों की ओट में छिपा होता है, ऍ जाबिर यह ख़ुदा के छिपे हुए रहस्यों में से है और उसके इल्म के ख़ज़ानों में से है, इसलिए इसको छिपाकर रखो मगर इसके अहल से (यानि केवल उनके चाहने वालों से ही बताओ और किसी से नही)
जैसा कि आप ने देखा कि पैग़म्बरे अकरम (स) ने इस हदीस में ताकीद के साथ क़सम खाई है कि ग़ैबत के ज़माने में शिया इमाम ज़माना (अ) की विलायत से प्रकाश हासिल करते हैं।
कीस्त बी पर्दा बे दरख़्शी, नज़र बाज़ कुनद
चश्मे पोशीदाए मा, इल्लते पैदाई तस्त
अज़ लताफ़त न तवान याफ़्त, कुजा मी बाशी
जाई रहम अस्त बर आन कस कि तमाशाई तस्त
अगरचे आज के समय में इमाम ज़माना (अ) हमारी निगाहो से ओझल हैं, लेकिन वास्तव में यह ग़ैब का पर्दा हमारे दिलों पर है वरना इमाम एक चमकता हुआ नूर हैं और जिसका दिल पाक हैं उसके सामने हैं अगरचे वह देखने में अंधा हो
इस वास्तविक्ता की तरफ़ ध्यान इन्सान को विलायत के पद और आप (इमाम ज़माना (अ)) के इल्म और क़ुदरत की तरफ़ मार्ग दर्शन करती है और इमाम ज़माना (अ) की मोहब्बत को दिलों में भर देती है और आगे आने वाली हुकूमत के इन्तेज़ार को दिलों में पैदा करती है।
2) इन्तेज़ार के प्रभावो की पहचान
1) नाउम्मीदी और निराशा से बचाव
ऍसै समाज में जहा दीन की कोई अहमियत नही है और लोग अच्छे भविष्य के इन्तेज़ार में नही हैं, वहां जीवन से निराशा, क़त्ल और अत्याचार, अत्म हत्या बहुत अधिक होती है। क्योंकि लोग बुरे कारणों जैसे बेपरवाही, फ़क़ीरी, ग़रीबी, ज़ुल्म और अत्याचार, क़ानून को तोड़ना और उसका द्रुउपयोग, इन्सानी अधिकारों की पामाली, जैसे हालात से दो चार होते हैं और इससे मुक़ाबले के तरीक़ों की जानकारी नही रखते हैं जिसके कारण समाज और सोसाइटी की तबाही देखते ही नाउम्मीदी और निराशा का शिकार हो जाते हैं।
इसका कारण यह है कि वह अल्लाह पर ईमान नही रखते हैं और अच्छे भविष्य की कोई आशा नही रखते हैं और इन सारी समस्याओं का हल आत्म हत्या के समझते हैं, और इस अपराध (आत्म हत्या) को अंजाम देकर ना केवल अपनी दुनिया और परलोक को ख़राब करते हैं बल्कि अपने बीवी बच्चों और रिश्तेदारों को भी मुश्किलात में ढकेल देते हैं।
लेकिन जिस व्यक्ति के दिल में इन्तेज़ार की हालत होती है वह सदैव आशावादी रहता है विलायत के चमकदार नूर को सारी ज़मीन पर चमकता हुआ देखता है, कभी भी इस प्रकार के अपराधो (आत्म हत्या) को अंजाम नही देता है, और इस पर राज़ी नही होता है कि अपने जीवन की आहूती देकर दूसरों को भी मुश्किलात में ढकेल दे. इसीलिए ज़ोहूर के इन्तेज़ार का मसअला उसके लिए एक रास्ता हैं और वह नाउम्मीदी और निराशा से बचाव की पृष्ट भूमि तैयार करता है। अब हम जो रिवायत पेश करने जा रहे हैं वह इसी वास्तविक्ता की तरफ़ इशारा कर रही हैः
عَنِ الْحَسَنِ بْنِ الْجَھِمْ قٰالَ: سَأَلْتُ أَبَا الْحَسَنْ (علیہ السلام )عَنْ شَیْئٍ مِنَ الْفَرَجِ ، فَقٰالََ: اَوَ لَسْتَ تَعْلَمُ اَنَّ اِنْتِظٰارَ الْفَرَجِ مِنَ الْفَرَجِ ؟ قُلْتُ لاٰ أَدْرِیْ اِلاّٰ أَنْ تُعَلِّمَنِی ۔ فَقٰالَ نَعَمْ ، اِنْتِظٰارُ الْفَرَجِ مِنَ الْفَرَج۔
हसन बिन जहम कहते हैः मैने हज़रत मूसा बिन जाफ़र (अ) से फ़रज (जोहूर) के बारे में सवाल किया। इमाम ने फ़रमाया क्या तुम नही जानते कि फ़रज का इन्तेज़ार विस्तार और वुसअत में से हैं मैंने कहा जितना आपने मुझे बताया है उससे ज़्यादा की मुझे जानकारी नही. इमाम ने फ़रमाया फ़रज का इन्तेज़ार विस्तार और वुसअत में से हैं।
2) रूहानी कमाल
इन्सान अपने अंदर संपूर्ण इन्तेज़ार को पैदा करके ज़ोहूर के ज़माने के लोगों के कुछ हालात को (जैसे दिल की पाकी, और आत्मा की पवित्रता) को अपने अंदर पैदा कर सकता है और उम्मीद और आशा का दामन थामे हुए ख़ुद को तबाही और बरबादी से बचा सकता है।
इसी से संबंधित एक रिवायत में इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) अपने पिता अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली (अ) रिवायत करते हैं कि आप (इमाम अली (अ)) ने फ़रमायाः
اَفْضَلُ عِبٰادَةِ الْمُوْمِنِ اِنْتِظٰارُ فَرَجِ اللّٰہ
मोमिन की सब से अच्छी इबादत यह है कि वह ख़ुदा से फ़रज की उम्मीद रखता हो।
इसी कारण वश इन्तेज़ार के माध्यम से इन्सान अपने अंदर ज़ोहूर के ज़माने के कुछ प्रभावो को पैदा कर सकता है, इस मतलब की व्याख्या के लिए इमाम सज्जाद (अ) के अबी ख़ालिद से कहे हुए इस कथन पर ध्यान दीजिएः عَنْ اَبِی خٰالِدِ الْکٰابُلِی عَنْ عَلِیِّ بْنِ الْحُسَیْنِ تَمْتَدُّ الْغَیْبَةُ بِوَلِیِّ اللّٰہِ الثّٰانِی عَشَرَ مِنْ اَوْصِیٰائِ رَسُوْلِ اللّٰہِ (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) وَ الْآئِمَّةِ بَعْدِہِ ،یٰا اَبٰاخٰالِدٍ اِنَّ أَھْلَ زَمٰانِ
غَیْبَتِہ ،اَلْقٰائِلُوْنَ بِامٰامَتِہِ ،اَلْمُنْتَظِرُوْنَ لِظُہُوْرِہِ ،اَفْضَلُ اَھْلِ کُلِّ زَمٰانٍ ،لِاَنَّ اللّٰہَ تَعٰالٰی ذِکْرُہُ اِعْطٰاھُمْ مِنَ الْعُقُوْلِ وَالْاَفْہٰامِ وَالْمَعْرِفَةِ مٰا صٰارَتْ بِہِ الْغَیْبَةُ عِنْدَ ھُمْ بِمَنْزِلَةِ الْمُشٰاہَدَةِ ،وَ جَعَلَہُمْ فِی ذٰلِکَ الزَّمٰانِ بِمَنْزِلَةِ الْمُجٰاہِدِیْنَ بَیْنَ یَدَیْ رَسُوْلِ اللّٰہِ (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) بِالسَّیْفِ ،اُو لٰئِکَ الْمُخْلَصُوْنَ حَقًّا،وَ شِیْعَتُنٰا صِدْقًا ،وَالدُّعٰاةُ اِلٰی دِیْنِ اللّٰہِ سِرًّا وَ جَہْرًا
وَقٰالَ: اِنْتِظٰارُ الْفَرَجِ مِنْ أَعْظَمِ الْفَرَجِ अबी ख़ालिद ने हज़रत अली बिन हुसैन (अ) (इमाम सज्जाद) से रिवायत की है कि आप फ़रमाते हैः
ख़ुदा के वली और पैग़म्बर की बारहवे वसी और आप के बाद के इमामों में ग़ैबत का समय बहुत अधिक होगा।
ऍ! अबू ख़ालिद जान लो कि जो लोगो उनकी ग़ैबत के ज़माने में होंगे और उनकी इमामत पर अक़ीदा रखते होंगे और उनके ज़ोहूर का इन्तेज़ार कर रहे होंगे, हर ज़माने के लोगों से बेहतर होंगे।
इसलिए कि ख़ुदा वंद उनको इतनी अधिक अक़्ल, समझ और मारेफ़ेत देगा कि ग़ैबत उनके लिए ऍसे ही होगी कि जैसे वह उन्हें देख रहे हों और ख़ुदा ने उन को उस ज़माने में उन मुजाहिदों के समान मरतबा दिया हैं जो पैग़म्मबर के ज़माने में उन के साथ तलवार लेकर जंग किया करते थे। वह वास्तव में ख़ुलूस वाले हैं और हमारे सच्चे शिया हैं और लोगों को खुले आम और तन्हाई में ख़ुदा के दीन की तरफ़ बुलाते हैं।
फिर इमाम सज्जाद फ़रमाते हैः ज़ोहूर का इन्तेज़ार सब से बड़ी फ़रज (वुसअत और कुशादगी) है।
दोस्त नज़दीकतर अज़ मन, बे मन अस्त
वैन अजीबतर कि मन अज़ वय दूरम
ईन सोख़न बा कि तवान गुफ़्त की दोस्त
दर किनारे मन व मन महजूरम
सच्चे इन्तेज़ार करने वाले इन्तेज़ार करते हुए रूहाना पराकाष्ठा तक पहुंच गए हैं, अपने आप को ग़ैबत के ज़माने में सारी दुनिया पर ख़ुदा की ग़ैबी ताक़तों की हुकूमत के लिए तैयार करने के कारण इमाम ज़मान के ज़ोहूर के ज़माने की कुछ एकाकी विशेषताओं (जैसे दिल की पाकी और आत्मा की पवित्रता) को अपने अंदर पैदा कर लिया है, इस प्रकार कि ग़ैबत के अंधेरे और भयानक दिन उनके लिए ज़ोहूर के जैसे हैं।
अगर उनके अंदर इस प्रकार के प्रभावों वाला ना हो तो किस प्रकार ज़ोहूर का इन्तेज़ार वुसअत और कुशादगी होगी? वह इन्तेज़ार के माध्यम से ज़ोहूर और ग़ैबत के ज़माने को जोड़ते हैं और उस ज़माने (ज़ोहूर के ज़माने) के कुछ हालात को ग़ैबत के दिनों में हासिल कर लेते हैं
मरहूम शेख अंसारी इमाम ज़मान के घर में
अब हम आपके सामने शिया समुदाय की उम महान हस्ती का दिलों पुर नूर करने वाला वाक़ेआ पेश करते हैं जिन्होंने प्रतयक्ष और अप्रतयक्ष दोनो स्थानों पर ग़ैबी सहायताओं सें ख़ुदा के दीन की हिफ़ाज़त की है।
मरहूम शेख़ अंसारी के एक छात्र ने आपके इमाम ज़माना (अ) से संबंधों और आपके इमाम के घर पर जाने के बारे में यूँ बयान किया हैः
एक बार मैं इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत के लिए करबला पहुंचा, एक रात को मैं आधी रात के बाच हम्माम जाने के लिए घर से बाहर निकला, और चूंकि गलियों में कीचड़ आदि था इसलिए मैंने एक चिराग़ भी ले लिया, मैने दूर से एक साया देखा जो बिलकुल शेख़ की तरह का था, मैं जब थोड़ा पास पहुंचा तो पता चला कि वह शेख़ ही हैं। मैने सोचा कि शेख इतनी रात में कीचड़ भरी गली में कमज़ोर निगाहों के साथ क्या कर रहे हैं? किधर जा रहे हैं? मैने सोचा कि कहीं कोई आपका पीछा करके आप पर हमला ना कर दे इसलिए आहिस्ता आहिस्ता आप के पीछे हो लिया। कुछ दूर चलने के बाद आप एक पुराने बने हुए मकान के पास खड़े होकर ख़ुलूस के साथ ज़ियारते जामए कबीरा पढ़ने लगे। और पढ़ने के बाद उस घर में दाख़िल हो गए। उसके बाद मुझे कुछ दिखाई नही दिया लेकिन मैं आपकी आवाज़ को सुन रहा था ऍसा लग रहा था कि जैसे आप किसी से बात कर रहे हों। मैं वापस आ गया और हम्माम जाने के बाद इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत करने गया और शेख़ को मैने इमाम के हरम में देखा।
इस यात्रा से वापस लौटने के बाद मैं नजफ़ अशरफ़ में शेख़ के पास पहुंचा और उस रात वाले वाक़ए को दोहराया, और इसका विवरण जानना चाहा, पहले तो शेख़ ने इन्कार किया लेकिन बहुत इसरार पर आप ने फ़रमायाः जब मैं इमाम से मुलाक़ात करना चाहता हूँ तो उस घर के दरवाज़े पर चला जाता हूँ, जिसे अब तुम कभी नही देख पाओगे, ज़ियारते जामेआ पढ़ने के बाद प्रवेश करने की आज्ञा मांगता हूँ, अगर आज्ञा मिल जाती है तो हज़रत की ख़िदमत में ज़ियारत के लिए पहुंच जाता हूँ। और जो मसअले मुझे समझ में नही आते हैं आप उनका हल मुझे बता देते हैं। और याद रखो जब तक मैं जीवित हूँ इस बात को छिपाकर रखना, कभी भी किसी को नही बताना ।
इसी प्रकार और भी महान हस्तियां सदैव हज़रत के ज़ोहूर के लिए तैयार रखती थीं, उन लोगों की तरह नही जो कि ज़ोहूर के ज़माने में आयतों की तावील और उसकी तौजीह करेंगे, और इमाम ज़माना (अ) से जंग करेंगे!
कलीदे गंजे सआदत फ़ितद बेह दस्ते कसी
कि नख़ले हस्ती ऊ रा बुवद बरे हुनरी
चू मुस्तइद नज़र नीस्ती, विसाल म जवी
कि जामे जम न दहद सूद, वक़्ते बे बसरी।
कामयाबी और नाकामी के राज़
संभव है कि कोई सवाल करे किः किस प्रकार संभव है कि शेख़ अंसारी सदैव ज़ियारते जामे पढ़ कर इमाम के घर में प्रवेश कर जाया करते थे और अपने इमाम से बातचीत किया करते थे?
वह किस प्रकार इस स्थान तक पहुंच गए थे, जब्कि आपके छात्र ने भी इमाम ज़मान का घर देखा था लेकिन उसको यह सम्मान ना मिला, और मरहूम शेख़ ने उस से फ़रमायाः इसके बाद तुम कभी उस घर को ना देख पाओगे!
यह एक महत्व पूर्ण प्रश्न हैं जिसका उचित उत्तर दिया जाना आवश्यक है। लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि कुछ लोग इस प्रकार के सवालों के सामने पहले से तैयार उत्तर रखते हैं, और इस प्रकार के सवाल पर फ़ौरन जवाब देते हैं किः ख़ुदा की यही इच्छा थी या ख़ुदा कुछ लोगों के रिश्तेदारी, या दोस्ती रखता है और लोगों के अमल और उनकी इच्छाओं का इस में कोई दख़ल नही है!
इस प्रकार के जवाब जो कि अधिकतर पल्लू झाड़ने के लिए होते हैं, सही नही हैं यह ना तो उचित उत्तर हैं और ना ही किसी का मार्ग दर्शन करते हैं।
हम इस प्रश्न का उत्तर (ख़ुदा के आदेश अनुसार) इस प्रकार देंगेः
रहीम परवरदिगार ने सारे इन्सानों के रुहानी पाराकाष्ठा और मानवी तरक़्क़ी की दावत दी है, देता है, और आने पर सब की आहो भगत करता है, इसी प्रकार ख़ुदा ने भी तरक़्क़ी और पराकाष्ठा को इन्सान के अंदर पैदा किया है और इस तरह उनको पराकाष्ठा और तरक़्क़ी का निमंत्रण दिया है। और क़ुरआन में साफ़ साफ़ फ़रमाया हैः وَالَّذِينَ جَاهَدُوا فِينَا لَنَهْدِيَنَّهُمْ سُبُلَنَا
जो भी हमारी राह में कोशिश करे, हम यक़ीनन उसको अपनी राहों का मार्ग दर्शन करेंगे।
यह मेहमानों का दायित्व है कि वह ख़ुदा के निमंत्रण को स्वीकार करें और रूहानी तकामुल और मानवी तरक़्क़ी के रास्ते पर क़दम बढ़ाएं।
इसलिए यह बात साबित हैं कि हर इन्सान के अंदर तरक़्क़ी और पाराकाषठा पाई जाती है और उनको यह नेमत दी गई है, लेकिन उन्होंने उसे जमा कर रखा हैं और इस्तेमाल में नही लाते हैं। उस छोटी सोच वाले अमीरों की तरह कि जो बैंकों में अपने बैंक बैलेंस को बढ़ा कर ही ख़ुश हैं लेकिन कभी भी उस दौलत का प्रयोग नही करते हैं।
कामयाबी के लिए आवश्यक है कि अपने अंदर पाई जाने वाली ताक़तों और योग्यताओं में फ़ाएदा उठाया जाए और अपनी कमियों को दूर किया जाए, ताकि अपने बनाए हुए बड़े लक्ष्यों तक पहुंच सकें।
बहुत से लोग रूहानी और मानवी पराकाष्ठा तक पहुचने के लिए व्यक्तिगत तौर से बहुत अधिक योग्यता रखते हैं, लेकिन चूंकि इस प्रकार के कार्यों से उनका कोई लेना देना नही होता हैं इसलिए इस प्रकार की योग्यताओं से कोई लाभ नही उठाते हैं और दुनिया से चले जाते हैं और उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। पुराने ज़माने के उन अमीरों की भाति जो अपनी दौलत और संम्पत्ति के बचाने के लिए ज़मीन में दफ़्न कर दिया करते थे और ना ख़ुद उसके कोई लाभ उठाते थे और ना ही उनकी औलाद।
इस बात को साबित करने के लिए कि कुछ लोगों के अंदर रूहानी ताक़त बहुत अधिक होती है और समझने की ताक़त भी आशचर्य जनक होती हैं, और उन्होंने इस ताक़त को किस प्रकार हासिल किया हैं, मरहूम शेख़ हुर्रे अमेली जो कि शिया संप्रदाय के धर्म गुरूओं में से थे, का एक कथन बयान करते हैं, वह कहते हैः
यह बात स्पष्ट है कि देखना और सुनना और इसी प्रकार के दूसरे कार्य सीधे आँख, कान या इसी प्रकार शरीर के दूसरे अंगों से नही होता है बल्कि यह सब रूह के लिए साधन हैं, जिनके माध्यम से आत्मा देखती और सुनती और दूसरे कार्य करती है। और चूंकि इन्सान की आत्मा शक्तिशाली नही है इसलिए उसका देखना, और सुनना भी माद्दी चीज़ों और उनकी विशेषताओं तक सीमीत है।
इसीलिए केवल माद्दी चीज़ों को देखता है, और रूहानी मसअलो की नही समझ सकता है, लेकिन अगर इन्सान की आत्मा को शक्ति दी जाए और इबादत और वाजिबात को अंजाम देने, और हराम चीज़ों से बचने से ख़ुदा से क़रीब हुआ जाए तो उसकी आत्मा शक्तिशाली हो जाएगी। तब वह अपनी आँखों से वह चीज़ें देखेगा जो दूसरे नही देख पाते और अपने कानों से वह सुनेगा जो दूसरे नही सुन सकते।
यह ताक़त और शक्ति लोगों में अलग अलग होती है, जिस प्रकार उनकी ख़ुदा से क़ुरबत भी एक जैसी नही होती, जो भी इबादत और जिहाद के माध्यम से ख़ुदा से अधिक से अधिक नज़दीक होगा उसके मानवी हालात और आत्मा अधिक शक्तिशाली होगी, और उन मसअलों को समझने में भी उन लोगों से शक्तिशाली होगें जिनके आँख और कान इनकी तरह नही है
इस पूरे विवरण से साबित हो गया कि क्यों मरहूम शेख़ अंसारी जैसे लोग इस प्रकार की नेमतों को हासिल कर सकते हैं लेकिन दूसरे लोग इस प्रकार की शक्ति नही रखते हैं और उनकी आँखे इस प्रकार के दृश्य नही देख सकती।
आपके अंदर इन्तेज़ार की हालत उसके वास्तविक मानी में इस प्रकार के इन्आम लाती है।
दीदए बातिन चू बीना मी शवद
आनचे पिनहान अस्त पैदा मी शवद
वह इन्तेज़ार करने वाले जो इन्तेज़ार के रास्ते में जल कर कुंदन हो गए हैं, वह शारीरिक इच्छाओं से दूरी और आत्मा की तरक़्क़ी से अपने शरीर के अधिकार से बाहर निकल जाते हैं, और उनकी शारीरिक इच्छाएं उनको अपनी तरफ़ नही खींच सकती हैं। जिस प्रकार अंतरिक्ष यान जब ज़मीन के मदार से निकल जाता है तो अब ज़मीन की शक्ति उसको अपनी तरफ़ नही खींच सकती, इसी प्रकार आप भी समय के बीतने के साथ साथ अपने आप को शारीरिक इच्छाओं के जाल से निकाल लें तो यह शरीरिक इच्छाएं और शैतानी भ्रम आप पर कोई प्रभाव ना डाल सकेंगे।
अहले बैत के सच्चे साथी जैसे सलमान फ़ारसी इसी तरह के थे। वह शारीरिक इच्छाओं के जाल से निकल गए थे और माद्दीयात की क़ैद से आज़ाद हो गए थे, इसलिए ग़ैब की दुनिय से संपर्क में थे। वह शक्ति और विलायत जो सलमान में थी वह इस कारण थी कि उन्होंने शारीरिक इच्छाओं और अपनी हवस को मार दिया था, और अमीरुल मोमेनीन (अ) के इरादे और उनकी इच्छाओं को अपने इरादे और इच्छाओं से आगे कर लिया था, और इसी कारण छिपी हुई ताक़तों और ग़ैबी शक्तियां रखते थे और उनका इस्तेमान किया करते थे।
3) विलायत के मरतबे की पहचान
ज़ोहूर का इन्तेज़ार, इन्तेज़ार करने वाले इन्सान की रूह और दिल में इमामे ज़माना की विलायत की ताक़त को और भी अधिक शक्तिशाली कर देती है, और उसको इस अक़ीदे पर और अधिक साबित एवं चिरस्थाई कर देता है कि एक दिन ख़ुदा के घर (काबा) से ख़ुदाई शक्ति आप (इमाम ज़माना (अ)) के हाथों प्रकट होगी और और दुनिया के तमाम अत्याचारियों और साम्राजी ताक़तों को जो कि कमज़ोरो का ख़ून चूस रही हैं उनके किए की सज़ा देगी, और विलायत की महान शक्ति और ताक़त के साथ सारी दुनिया को बता देगी कि कोई है जो इमामत और विलायत के मरतबे वाला है और जो ख़ुदा की शक्ति को सब पर प्रकट करने वाला है।
यह एक इन्तेज़ार करने वालें व्यक्ति का विश्वास है। इसलिए ज़ोहूर का इन्तेज़ार दीन के वास्तविक अक़ीदों पर विश्वास के साथ होता है, क्योंकि इन्तेज़ार मारेफ़त और अक़ाएद की समझ का बीज इन्तेज़ार करने वालों के दिलों में बोता है और उन्में विश्वास और इत्मीनान पैदा करता हैःकि एक दिन पूरी दुनिया विलायत की असीमित शक्ति के परचम तले परवान चढ़ेगी और विलायत की महान और रहस्यमी शक्ति दुनिया की सारी साम्राजी ताक़तों को घुटने टेकने पर मजबूर कर देगी, और दुनिया की माद्दी संस्क्रति इलाही विलायत की असीमित शक्तियों की ताब ना लाकर समाप्त हो जाएगी और सारी दुनिया विश्व सुधारक (इमाम ज़मान (अ)) की आश्चर्य जनक शक्तियों के साए में आ जाएगी।
4) महदवियत के दावेदारों की पहचान
शिया इतिहास में बहुत से लोग मेहदी होने के दावे के साथ उठे हैं और ख़ुद को लीडर और लोगों का सुधारक बताया है, और इन मक्कारियों और बहानों से लोगों का ख़ून बहाया और उनकी जान और संम्पत्ति को बरबाद किया, और बहुत से लोगों को गुमराह किया, लेकिन वह लोग जिन्होंने सच्चे दिल से इन्तेज़ार के रास्ते में क़दम बढ़ाया है और अपने वजूद को विलायत के नूर से प्रकाशमयी किया हैं, वह इन मक्कारों की चाल में नही आए और इनके जाल में नही फसें, और उनको इस प्रकार जवाब दिया
बोरो ईन दाम बर मुर्ग़े दीगर नह
कि अनक़ा रा बुलंद अस्त आशयानेह
उनकी जानकारी और शिकारियों एवं राहज़नों की पहचान, इमामत के बुलंद मरतबे की सही जानकारी के कारण है, इस प्रकार कि वह अम्रत को सराब (मरिचिका) से नही बेचते हैं और ख़िलाफ़त को ग़स्ब करने वालों को इमामत के मुक़ाबले में नही चुनते हैं।
इमाम ज़माना (अ) के प्रतिष्ठित सहाबी
इन्तेज़ार के रास्ते की तरफ़ लोगों के अकर्शित होने के बहुत से कारणों में से एक कारण वास्तविक इन्तेज़ार करने वालों यानी इमाम ज़माना (अ) के सहाबियों के मरतबे की पहचान है।
वास्तविक इन्तेज़ार करने वालों पर इन्तेज़ार के आश्चर्य जनक प्रभावों में से एक यह है कि वह ना केवल अक़ीदे और एतेक़ाद के लेहाज़ से विलायत के महान मरतबे की पहचान रखते हैं बल्कि वह स्वंय विलायत के चमकते हुए सूरज की किरणों में से एक किरण हैं। यानि अपनी योग्यता भर इन्तेज़ार के रास्ते पर चल करके उन्होने ख़ानदाने वही से रूही और मानवी शक्तियां प्राप्त की हैं, और इन शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपने दायित्वो को पूरा करते हैं।
इस तरह के लोग इमाम ज़माना (अ) के साथियों के सरदार हैं, और इमाम ज़माना (अ) की विलायत पर विश्वास रखने वालों में सब से आगे हैं।
रहीम परवरदिगार क़ुरआने मजीद में इरशाद फ़रमाता हैः
فَاسْتَبِقُواْ الْخَيْرَاتِ أَيْنَ مَا تَكُونُواْ يَأْتِ بِكُمُ اللّهُ جَمِيعًا
नेक कामों में एक दूसरे से आगे बढ़ों, तुम जहां भी रहोगे ख़ुदा एक दिन तुम सबको जमा कर देगा।
यह आयत इमाम जमाना (अ) के उन तीन सौ तेरह सहाबियों के बारे में कि है जिनको ज़ोहूर के दिन ख़ुदा अपने घर (काबे) के पास इमाम के गिर्द जमा करेगा, ताकि यह आप की सहायता करें और अत्याचारियों का सर्वनाश करें।
कभी कभी एक बहुत महत्व पूर्ण सवाल कुछ लोगों के दिमाग़ में आता है, कि नेकियों पर एक दूसरे से आगे बढ़ने का अर्थ क्या है? और इमाम के तीन सौ तेरह साथी आख़िर किस गुण या सिफ़त में दूसरों से आगे हैं और किस प्रकरा वह इस मरतबे तक पहुंच गए?
इस सवाल के जवाब के लिए हम ख़ानदाने वही यानी अहले बैत (अ) के दरवाज़े पर जाएंगेः
हज़रत इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) इस आयत की तफ़सीर में फ़रमाते हैः
أَلْخَیْرٰاتُ:أَلْوِلاٰیَةُ لَنٰا أَھْلَ الْبَیْتِ
नेकियों का अर्थ (जो कि आयत में बयान किया गया है) हम अहले बैत (अ) की विलायत है।
सच्चे सहाबियों की शक्ति का संक्षिप्त विवरण
इन्सान विलायत को स्वीकार करने में जितनी भी कोशिश करेगा उतनी ही उसकी आत्मा शक्तिशाली होती जाएगी, और वह इतना शक्तिशाली हो जाएगा कि, अपनी आत्मा की शक्ति से माद्दी और ग़ैर माद्दी चीज़ों पर कंट्रोल कर लेगा, इस संदर्भ में हम आपके सामने अल्लामा बहरुल उलूम की कहानी पेश करते हैः
मरहूम अल्लामा बहरुल उलूम दिल के मरीज़ थे, और इसी मर्ज़ की हालत में गर्मी के मौसम के एक बहुत गर्म दिन में इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत करने के लिए नजफ़ अशरफ़ से चल पड़े, लोग अश्चर्य में पड़ गए कि इस गर्मी के मौसम में इस बीमारी में किस तरह यात्रा पर जा रहे हैं?!
उनके हम सफ़रों में मरहूम शेख़ हुसैन नजफ़ भी थे जो कि अपने समय के बहुत बड़े विद्रानों में से थे, वह लोग जब अपने घोड़ों पर सवार हुए और यात्रा आरम्भ की तो अचानक एक बादल आया और उसने इन दोनो पर साया कर लिया और ठंडी हवा चलने लगी।
बादल उन पर साया किए हुए था यहा तक कि वह “ख़ान शूर” के क़रीब पहुंच गए वहा पर महान विद्रान शेख़ हुसैन नजफ़ का एक परिचित मिला और वह सैय्यद बहरुल उलूम से अलग हो कर उसका हाल चाल पूछने लगे, वह बादल उसी प्रकार सैय्यद पर साया किए हुए था यहा तक कि आप धर्म शाला में प्रवेश कर गए, और अब जब शेख़ हुसैन पर धूप की गर्मी पड़ी तो वह ज़मीन पर गिर पड़े और बुढ़ापे और कमज़ोरी के कारण बेहोश हो गए।
फिर उनको उठाया गया और धर्म शाला में मरहूम सैय्यद बहरुल उलूम के पास पहुंचाया गया, जब वह होश में आए तो आप से कहने लगे لما لم تدرکنا الرحمۃ؟ क्यो हम पर रहमत के बादल ना छाए? सैय्यद ने जवाब दिया لما تخلفتم عنھا؟ क्यों रहमत से दूर हो गए, इस जवाब में एक वास्तविक्ता छिपी हुई है
इमाम ज़माना (अ) के विषेश साथियों की इस प्रकार की है। इमाम के तीन सौ तेरह साथियों में से कुछ रहस्यम बादलों को प्रयोग में लाएंगे, और आपकाज़ोहूर होते ही इन्ही बादलों के माध्यम में आप के पास पहुंचेगें।
मुफ़ज़्ज़ल कहते हैः قال ابو عبد اللہ اِذٰا اُذِنَ الْاِمٰامُ دَعَا اللّٰہَ بِاسْمِہِ الْعِبْرٰانِیّ فَاُتیحَتْ لَہُ صَحٰابَتُہُ الثَّلاٰثَ مِأَةِ وَ ثَلاٰثَةَ عَشَرَ قَزَع کَقَزَعِ الْخَرِیْفِ وَ ھُمْ أَصْحٰابُ الْاَلْوِیَّةِ ، مِنْھُمْ مَنْ یُفْقَدُ عَنْ فِرٰاشِہِ لَیْلاً
فَیُصْبَحُ بِمَکَّةَ وَ مِنْھُمْ مَنْ یُرٰی یَسِیْرُ فِی السَّحٰابِ نَھٰارًا یُعْرَفُ بِاسْمِہِ وَ اسْمِ أَبِیْہِ وَ حِلْیَتِہِ وَ نَسَبِہِ قُلْتُ جُعِلْتُ فِدٰاکَ أَیُّھُمْ أَعْظَمُ اِیْمٰانًا ؟ قٰالَ : اَلَّذِی یُسِیْرُ فِی السِّحٰابِ نَھٰاراً وَ ھُمُ الْمَفْقُودُوْنَ وَ فِیْھِمْ نُزلَتْ ھٰذِہِ الْآیَةُ ( اَیْنَمٰا تَکُونُوا یَأْتِ بِکُمُ اللّٰہُ جَمِیْعًا ) इमाम सादिक़ (अ) फ़रमाते हैः जब इमाम को (ज़ोहूर की) आज्ञा दी जाएगी तो ख़ुदा उनको उनके इबरी नाम से पुकारेगा, उस समय उनके सहाबी जिन की संख्या तीन सौ तेरह होगी उनकी सहायता के लिए जमा हो जाएगें, वह हेमंत ऋतु (पत झड़) के बादलों की तरह हैं (जो आपस में मिल जाएंगे और एक साथ जमा हो जाएंगे) और वह (हज़रत मेहदी (अ)) के परचमदार हैं
उनमें से कुछ रात में अपने बिस्तरों से ग़ाएब हो जाएंगे और मक्के में आँख खोलेंगे, और कुछ दूसरे इस प्रकार देखे जाएंगे कि दिन की रौशनी में बादलों पर यात्रा कर रहे होंगे, और अपने नाम, अपने बाप के नाम और निस्बतों से पहचाने जाएंगे.
(रावी कहता है) मैं ने कहाः इन दोनों में से मरतबे और महानता में कौन बड़ा होगा? इमामे सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः वह जो दिन में बादलो की सवारी करेंगे और यह वह हैं जो अपने घरों से ग़ाएब हो जाएंगे और इन्ही के बारे में यह आयत नाजिल हुई “तुम जहां भी होगे ख़ुदा तुम को एक स्थान पर इकठ्ठा कर देगा” ज़ोहूर के ज़माने का परिचय
ज़ोहूरे के दिनों में दुनिया की हालत और वह मह्तव पूर्ण तबदीलियां जो उस समय सामने आएंगी, इन्सान को वास्तविक इन्तेज़ार का निमंत्रण देती हैं
अश्चर्य चकित कर देने वाली वह तबदीलियां जो इन्सान दुनिया में पैदा होंगी, वह इन्सान और इस दुनिया को एक नया रंग दे देंगी।
रूह की पवित्रता
वह तबदीलियां जो इन्सान की रूह में ज़ोहूर के दिनों में होंगी उन को हम संक्षेप में यहा कर बयान करेंगेः
एतिक़ादी (आस्थिक) मसअलों में से एक स्वभाव और रूह और पवित्र और अपवित्र आत्माओं का एक दूसरे में मिला होना है। रिवायत में बयान किया गया है कि स्वभाव का अर्ध क्या है और क्यों स्वभाव एक दूसरे में मिल गए हैं और कैसे अलग और पवित्र होगें?
इस बात को यहां पर पूर्ण वियाख्या के साथ नही बयान किया जा सकता हैं क्योंकि हम यहां पर केवल संक्षिप्त बहस करना चाहते हैं इसलिए केवल इस नुक्ते की तरफ़ इशारा करेगेः
ज़ोहूर के दिनों की विषेशताओं मे से एक स्वभावों का इच्छे और बुरे से अलग होना और आत्मा एवं दिल का बुराईयों से पाक होना है जो कि इन्सान के दिल की गहराईयों में पाई जाती हैं।
हम क्यों इस बात का दावा करते हैं कि इमाम ज़माना (अ) के ज़ोहूर के दिनों में लोगं बुराई से पाक हो जाएंगे?
इस सवाल का जवाब देने से पहले हम आपके सामने एक छोटी सी कहानी पेश करते हैः
शैबा बिन उस्मान पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पक्के दुश्मनों में से एक था, और आपको क़त्ल करना चाहता था। वह पैग़म्मबर (स) को क़त्ल करने की नियत में जंगे हुनैन में समिलित हुआ, और जब लोग पैग़म्बर (स) के पास से भाग गए और पैग़म्बर (स) एकेले रह गए पीछे से आपके पास आया और चाहा कि क़त्ल कर दे, लेकिन अचानक आग की एक लपट उसकी तरफ़ बढ़ी वह उसको बर्दाश्त ना कर सका और अपने मक़सद में कामयाब ना हो सका।
पैग़म्बर (स) ने उसके तरफ़ देखा और फ़रमायाः यहां आओं! फिर पैग़म्बर (स) ने अपने हाथ को उसके सीने पर रखा, जिसके कारण आप की मोहब्बत उसके दिल में पैदा हो गई, और वह आप से इतनी अधिक मोहब्बत करने लगा कि किसी को भी आप से अधिक नही चाहता था, फिर आपके साथ मिलकर दुश्मनों से जंग करने लगा, और इस प्रकार जंग की कि अगर उसके सामने उसका बाप भी पड़ जाता तो उसको भी पैग़म्बरे अकरम (स) के लिए क़त्ल कर देता।
आपने देखा कि किस प्रकार पैग़म्बर (स) के पवित्र हाथ ने एक पक्के दुश्मन के अपवित्र स्वभाव को पल भर में बदल दिया और उसको अपवित्रता और गंदगी ने नजात दिला दी, और उसको काफ़िरों के लशकर ले अलग करके पैग़म्बर (स) के लशकर में शामिल कर दिया।
पैग़म्बरे अकरम (स) ने अपने पवित्र हाथ को उसके सीने पर फिरा कर उसकी अक़्ल को पूर्ण कर दिया, और उसकी अपवित्र स्वभाव में जो बदलाव आया उसके कारण वह गुमराही से नजात पा गया।
इस प्रस्तावना के बाद अब ज़ोहूर के दिनों के बारे में बयान करेगें।
हज़रत इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) फ़रमाते हैः
اِذٰا قٰامَ قٰائِمُنٰا وَضَعَ یَدَہُ عَلٰی رُئُوْسِ الْعِبٰادِ ، فَجَمَعَ بِہِ عُقُوْلَھُمْ وَ اَکْمَلَ بِہِ اَخْلاٰقَھُم
जब हमारा क़ाएम उठेगा, तो उपने हाथ को लोगों के सरों पर फिराएगा, जिसके कारण उनकी अक़्लें एक हो जाएगीं (इस कारण उनकी अक़्लों की शक्ति पूर्ण हो जाएगी) और उनके अख़्लाक़ (स्वभाव) पूर्ण हो जाएंगे।
इमाम जामाना अपने इस कार्य से लोगों की आत्माओं को पवित्र करेंगे और ख़ुदा के सारे बंदों को गंदगियों और अपवित्रताओं के नजात दिलाएंगे।
ज़ोहूर के दिनों में अक़्लों का पूर्ण होना
अब हम आप के सामने रिवायत में पाए जाने वाले दो बेहतरीन नुक्तों को पेश करेंगेः
1. हज़रत इमाम ज़माना (अ) ना केवल अपने विषेश साथियों और दोस्तों से सरों पर हाथ फेरेगें बल्कि तमाम लोगों पर अपना पवित्र हाथ फेरेंगे। यानि हर वह इन्सान जो उस ज़माने में ख़ुदा की इबादत करता होगा चाहे वह जंग में इमाम का साथ ना भी दे रहा हो जैसे बूढ़े और बच्चे, सभी इस में शामिल होगें।
2. तमाम लोगों की अक़्लें बिखराओ से नज़ात पा जाएगीं और सभी सोच और फ़िक्र जो कि इल्मों और समझ का रास्ता हैं की असीमित शक्ति पा जाएगें, उनकी अक़्लों के पूर्ण हो जाने का अर्थ यह है कि वह अपने दिमाग़ की पूरी शक्ति का प्रयोग कर सकेगें
बेशक जिस दिन लोगों के सरे पर फैल जाएगा और ग़ैबत के दिनों में मुश्किलों के मारे इन्सानों पर दया की जाएगी, अक़्लों के पूर्ण हो जाने के कारण दिमाग़ों की छिपी हुई शक्तियां सामने आ जाएगीं और ज़ोहूर के दिनों में इल्म और इल्मी संस्क्रति सब से ऊँची चोटी पर पहुंच जाएगी।
दिमाग़ की असीमित शक्ति और अक़्लों के पूर्ण होने के प्रभावों को बारे में और अधिक जानकारी के लिए हम आपके सामने दिमाग़ की असीमित शक्तियों के बारे में बयान करते हैः
इस दुनिया का हर इंसान चाहे वह असीमित शक्तियों वाला हो या एक आम आदमी वह अपने जीवन काल में अपने दिमाग़ के एक अरबवें भाग से अधिक का प्रयोग नही करता है। अगर सामान्य तौर से असीमित दिमाग़ी शक्तियों वाले लोग अपने दिमाग़ का केवल एक अरबवा भाग प्रयोग में लाएं तो वह अंतर जो उनके और एक आम आदमी के बीच में देखने में आएगा वह आश्चर्य में डाल देने वाला अंतर होगा
यानि कि असीमित शक्तियों वाले लोग भी केवल अपने दिमाग़ का एक अरबवां भाग ही प्रयोग में लाते हैं लेकिन आप देखते हैं कि किस प्रकार उनका इतना कम प्रयोग भी दूसरे लोगों से कहीं बेहतर होता है।
कुछ साल पहले एक समकालीन गणितिज्ञ ने एक बहुत हंगामे वाला मसअला लोगों के सामने बयान किया, उसने अनुमान लगाया कि एक इन्सान का दिमाग़ दस इकाइयों (UNITES) को अपने अंदर समो सकता है, अगर हम इन इकाइयों के आम भाषा में बयान करे तो इस प्रकार होगा कि हम में से हर एक मास्को में पाए जाने वाले दुनिया के सब से बड़े पुस्तकालय में मौजूद दसियों लाख जिल्द किताबों को याद कर सकते हैं और उनको दिमाग़ में सुरक्षित कर सकते हैं, यह बात जिसको गणित में स्वीकार किया जा चुका है आश्चर्य चकित कर देने वाला लगता है
अब आप ध्यान दीजिए कि जब विश्व सुधारक हज़रत इमाम मेहदी के चमकते हुए नूर की रौशनी में इन्सानी दिमाग़ की सारी शक्तिया पूर्ण हो जाएगीं और इन्सान अपने दिमाग़ की पूर्ण शक्ति (ना केवल एक अरबवे भाग को) को प्रयोग करेगा और पूरी दुनिया पर इल्म और इल्मी संस्क्रति छा जाएगी दुनिया का मंज़र क्या होगा?
जिस ज़माने में इन्सान अक़्लों के पूर्ण हो जाने के कारण रूह की सोई हुई शक्तियों को पा लेगा और उनको प्रयोग में लाएगा, तब वह अपने जिस्म को अपनी आत्मा के अधीन कर सकेगा और रूहानी शक्तियों के पा सकेगा। यानि अपने जिस्म को एनर्जी और किरणों में बदल सकता है और इस काम से अपने जिस्म से जिस्म और माद्दे की हालत को छीन सकता है, जब इन्सान इस काम को कर सकेगा तो बहुत से चमत्कार जो कि उस ज़माने में सामान्य होंगे कर सकेगा।
ग़ैबत के ज़माने में बहुत कम ऍसे लोग हैं जो तय्युल अर्ज़ (पलक छपकते ही धरती के एक भाग से दूसरे भाग में जाने की शक्ति) कर सकते हैं और इसको प्रयोग में लाते हैं, और अपने जिस्म से जिस्म और माद्दे की हालत को छीनकर अपने आपको एनर्जी और किरणों में बदल देते हैं और पल भर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं, और वह अपनी आत्मा की इस शक्ति से जिस स्थान पर भी जाना चाहते हैं चले जाते हैं।
दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव
ज़ोहूर के वैभव पूर्ण ज़माने में ज़मीन पर बहुत बड़ी तब्दीलियां सामने आएगीं, और क़ुरआने मजीद के फ़रमान के मुताबिक़ः
يَوْمَ تُبَدَّلُ الأَرْضُ غَيْرَ الأَرْضِ
उस दिन जब ज़मीन दूसरी ज़मीन में बदल जाएगी
ज़मीन एक नए तरीक़े और नई हालत में सामने आएगी और ना केवल ज़मीन बल्कि समय भी तबदीलियों का शिकार हो जाएगा।
आज तमाम विद्रान इस पर एक मत हैं कि माद्दा (मूल तत्व) कंपन से पैदा हुआ है, और कंपन को केबिल या ध्वनी किरणों के माध्यम से जैसे फोटो और आवाज़ की सूरत में दूर दराज़ स्थानों पर भेजा जा सकता है, जिसका नतीजा यह हुआ कि इन्सान के जिस्म की बनावट (Organism) जो कि माद्दे से बनी है को कंपन में बदला जा सकता है और इलेक्ट्रानिक्स के माध्यम से उसको दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचाया जा सकता है
मेरा मानना यह है कि निकट भविष्य में यहां तक कि अंतरिक्ष यात्राओं से भी पहले, ऍसे तरीक़े बनाए जा सकेंगे कि जिसके माध्यम से इन्सान के जिस्म को कंपन में बदला जा सकेगा और उसको अंतरिक्ष में भैजा जा सकेगा और वहा अलग अलग कणों को फिर से मिलाकर एक जिस्म बनाया जा सकेगा।
अब हमारे पाठक स्वंय फ़ैसला करें कि इन्सान आत्मा है और उसका जिस्म मिले हुए कणों और माद्दे के अतरिक्त कुछ नही है कि जिसको कंपन के कम करने या उसकी गति को कम करके किसी भी रूप में बदला जा सकता है।
हो सकता है कि हम किसी दिन यह देखें कि इन्सान अपने जिस्म को इलेक्ट्रान में बदल दे ताकि इसके माध्यम से दूर दराज़ की यात्र कर सके और वहां पर जिस्म को एक साथ रखने वाले एटम को मिलाकर दोबारा सूरत पा जाए
दिमाग़ी शक्ति की पूर्णता कि जिसकी तरफ़ रिवायत में इशारा किया गया है, आत्मा का तमाम माद्दी चीज़ों पर अधिपत्य है और लोग अपने जिस्मों पर कंट्रोल करेगें, और इस अवस्था के पूर्ण लाभ उठाएंगे, और उन रहस्यमी और वैभव पूर्ण दिनों में लोगों का जीवन और उनकी माद्दी चीज़ों की आवश्यकता एक अलग प्रकार की होगी।
विलायते अहले बैत (अ) के नूर के ज़ोहूर की रौशनी में इन्सान का इल्म और ज्ञान संभावनाओं की अंतिम सीढ़ी तक पहुंच जाएगा, और इन्सान इल्म और ज्ञान की सारी तरक़्क़ियों से लाभ उठाएगा और ख़ुदा के वली उस दिन वह राज़ (जो लोगों की मानसिक्ता के तैयार ना होने के कारण छिपा लिया करते थे) ज़ाहिर कर देंगे, और इन्सान को अपनी रहस्यम दुनिया और बाहर की दुनिया से परिचित कराएगें, और उनके लिए तरबियत और पूर्णता की अंतिम राह खोल देंगे।
संभव है कि इस प्रकार की बातों को स्वीकार करना हमारे लिए कठिन हो, और इल्मी की इतनी अधिक तरक़्क़ी को शायद हम स्वीकार ना कर सकें, जब्कि हम जानते हैं कि इन्सानी दिमाग़ शैतान के चंगुल से आज़ाद हो जाए तो उसका अर्थ यह है कि इन्सान तमाम दर्जों में पूर्ण हो जाता है, इस प्रकार कि दुनिया का कोई भी राज़ उससे छिपा नही रह जाता है और तमाम कठिन इल्मी मसअलों का हल निकल आता है और वह उसके लिए आसान हो जाते हैं।
हज़रत अमीरुल मोमेनीन (अ)(ख़िलाफ़त को ग़स्ब करने वालों ने आप की ख़िलाफ़त को ग़स्ब करके आज तक अरबों लोगों को इल्म और कमाल के सब से ऊँचे मरतबे और विलायत की चमकती हुई संस्क्रति तक पहुंचने से रोके रखा) अपने एक कथन में जो आपके वजूद की गहराईयों से निकलता हैं फ़रमाते हैः
یٰا کُمَیْل مٰا مِنْ عِلْمٍ اِلاّٰ وَ اَنَا اَفْتَحُہُ وَمٰا مِنْ سَرٍّ اِلاّٰ وَ الْقٰائِمُ یَخْتِمُہ
ऍ! कुमैल कोई इल्म नही है मगर यह कि मैने उसे खोला है, और कोई राज़ नही है मगर यह कि क़ाएम (अ) उसे अंतिम पड़ाव तक पहुचाएं।
बे शक उस समय जब हज़रत बक़ीयतुल्लाहिल आज़म (अ) के हाथों से चमकता हुआ नूर दुनिया के ग़मों मे डूबे हुए और अत्याचार का शिकार लोगों की अक़्लों को पूर्ण करेगा, और उसकी आश्चर्य जनक शक्तियों से लाभ उठाने की शक्ति पैदा कर देगा, तब इन्सान अपनी पूर्ण अक़्ल और समझ (ना केवल एक अरबवें भाग) से ख़ानदाने वही के जीवनदायी राज़ों को स्वीकार कर सकेगा और इल्म और पूर्णता के अंतिम मरतबे तक पहुच सकेगा।
उन बैभव पूर्ण दिनों में छिपे हुए राज़ खुल जाएंगे और इस ज़माने का अंधेरा और तारीकी का नाम और निशान भी ना होगा, क्यों इस प्रकार के दिनों तक पहुचने का इन्तेज़ार आपके दिलों को ख़ुलूस और पवित्रता नही देगा?!
बहस का नतीजा
इन्तेज़ार, आशा दिलाने वाली और नजात देने वाली हालत है जो इन्तेज़ार करने वाले लोगों को ग़ैबत के अंधेरे दिनों में गुमराही और भटकाओं से नमाज़ देती हैं और उनको नूर और पवित्रता की घाटी की तरफ़ खीचती है।
इन्तेज़ार दुखी और अत्याचार का शिकार लोगों के एक नई शक्ति देती है और निराशा में डूबे दिलों को आशावादी बनाता है और एक सुखी और ख़ुशियों से भरी हुई दुनिया की रूप रेखा बनाता है।
इन्तेज़ार, वास्तविक इन्तेज़ार करने वाले लोगों को तलाश करता है और चमकते हुए नूर का मार्ग दर्शन करता है, इन्तेज़ार रुकावटों और अंधेरों को हटा देता है और पराकाष्ठा पाए हुए लोगों के अस्तित्व में एक चमकता हुआ नूर पैदा करता है।
इन्तेज़ार, इन्तेज़ार करने वालों के दिलों में वास्तविक शिया अक़ीदों का बीज बोता है और महान लोगों के लिए पूर्ण मानवी हालात को इनआम के तौर पर देता है।
अगर आप चाहते हैं कि इन्तेज़ार की हालत आपके अंदर पैदा हो और उसको शक्ति मिले, तो विलायत के महान पद से मोहब्बत कीजिए और इन्तेज़ार के रहस्यम प्रभावो और वास्तविक इन्तेज़ार करने वालों के हालात को देखकर उनकी विशेषताओं और आदतों की जानकारी पैदा कीजिए, और हज़रत बक़ीयतुल्लाहिल आज़म (अ) के ज़ोहूर के ज़माने की बरकतों से अपनी आत्मा और दिन को परिचित कीजिए,
ताकि उन दिनों के आने का इन्तेज़ार अन्जाने में ही आप के पूरे वजूद को घेर ले।
रोज़े महशर कि ज़ेहूलश सोख़नान मी गोयन्द
रास्त गोयन्द वली चून शबे हिजरां तू नीस्त