अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

मेहदी(अ) इमाम होंगें और ईसा मामूम

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अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि वा आलिहि वसल्लम ने बयान फ़रमाया: यक़ीनन मेरे बाद मख़लूक़ पर अल्लाह की जानिब से मेरे बारह ख़ुलाफ़ा और औसिया हुज्जत होगें। जिनमें से पहला मेरा भाई और आख़िरी मेरा फ़रज़न्द होगा। लोगों ने अर्ज़ की, या रसूलल्लाह आपका भाई कौन है ? हज़रत ने फ़रमाया: अली इब्ने अबी तालिब। अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि वा आलिहि वसल्लम ने बयान फ़रमाया: यक़ीनन मेरे बाद मख़लूक़ पर अल्लाह की जानिब से मेरे बारह ख़ुलाफ़ा और औसिया हुज्जत होगें। जिनमें से पहला मेरा भाई और आख़िरी मेरा फ़रज़न्द होगा। लोगों ने अर्ज़ की, या रसूलल्लाह आपका भाई कौन है ? हज़रत ने फ़रमाया: अली इब्ने अबी तालिब। सवाल किया गया कि आपका फ़रज़न्द कौन है ? आपने फ़रमाया मेरा फ़रज़न्द वह महदी है, जो दुनिया को अदल व इंसाफ़ से भर देगा। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह वह पहले ज़ुल्म व जौर से भर चुकी होगी। उस ज़ाते पाक की क़सम जिसने मुझे हक़ के साथ बशारत देने वाला बना कर भेजा है, अगर दुनिया सिर्फ़ एक दिन भी बाक़ी रह जायेगी तो ख़ुदावन्द उस दिन को इस क़दर तूलानी कर देगा कि मेरा फ़रज़न्द ज़हूर करे और रूहूल्लाह ईसा इब्ने मरियम नाज़िल हो कर महदी की इमामत में नमाज़ अदा करेंगे और महदी के नूर से ज़मीन रौशन हो जायेगी और उसकी हुकुमत मशरिक़ से मग़रिब तक होगी। 2. महदी (अ.) रसूलुल्लाह (स.) केसाथजन्नतमें मदीने के एक यहूदी ने अमीरूल मोमिनीन अली इब्ने अबी तालिब (अ.) से यह सवाल किये: 1- या अली! मुझे बताईये कि इस उम्मत के नबी (स.) के बाद कितने इमाम होगें? 2- मुझे बताईये कि जन्नत में मुहम्मद (स.) का दर्जा कहाँ है ? और यह भी बताईये कि मुहम्मद (स.) के साथ और कौन होगा ? हज़रत अली (अ.) ने फ़रमाया: इस उम्मत में नबी (स.) के बाद बारह इमाम होगें और लोगों की मुख़ालेफ़त उनको कुछ नुक़सान न पहुचा सकेगी। यहूदी ने कहा: आपने बिल्कुल सही फ़रमाया। हज़रत ने फिर फ़रमाया: मुहम्मद (स.) का मक़ाम जन्नते अदन है। उसका बालाई हिस्सा परवरदिगार के अर्श से क़रीब होगा। यहूदी ने अर्ज़ की "आपने सही फ़रमाया" हज़रत अली (अ.) ने फिर फ़रमाया: जन्नत में मुहम्मद (स.) के हमराह बारह इमाम होगें, जिनका अव्वल मैं हूँ और आख़िरी क़ायम अलमहदी (अ.) हैं। यहूदी ने अर्ज़ की: आपने सच फ़रमाया। (किताब यनाबी उल मवद्दत) किफ़ायतुल असर में अबी सईद ख़िदरी से रिवायत की गई है कि वह बयान करते हैं मैंने रसूलल्लाह (स.) को यह फ़रमाते सुना: मेरे अहले बैत, अहले ज़मीन के लिए उसी तरह अमान हैं, जिस तरह आसमान वालों के लिए सितारे अमान हैं। लोगों ने अर्ज़ की या रसूलल्लाह (स.) आपके बाद आईम्मा आपके अहलेबैत से होगें ? हज़रत ने फ़रमाया: हाँ मेरे बाद बारह इमाम होगें जिनमें से नौ हुसैन की सुल्ब से अमीन और मासूम होगें और इस उम्मत में महदी हम ही में से होगा। (आगाह रहो) यह सबके सब मेरे अहले बैत और मेरी औलाद से मेरे गोश्त और ख़ून होगें। उन क़ौमों का क्या हश्र होगा जो मेरी ज़ुर्रियत व अहलेबैत के ज़रिये मुझे अज़ियत देगें। ख़ुदावन्दे आलम ऐसे लोगो को मेरी शिफ़ाअत नसीब न करेगा। हदीसुलमुनाशिदा हाफ़िज़ अलक़न्दूज़ी हदीसे मुनाशिदा की रसूलल्लाह (स.) के असहाब से रिवायत करते हैं। वह बयान करते हैं कि जिस वक़्त आयते الیوم اکملت لکم دینکم و اتممت علیکم نعمتی و رضیت لکم الاسلام دیناनाज़िल हुई तो हुज़ूर (स.) ने फ़रमाया अल्लाहु अकबर दीन कामिल हो गया। नेमतें तमाम हो गयीं और मेरा परवरदिगार मेरी रिसालत और मेरे बाद अली (अ.) की विलायत से राज़ी हो गया। लोगों ने अर्ज़ की या रसूलल्लाह यह आयतें अली (अ.) से मख़सूस हैं? हज़रत ने फ़रमाया हाँ ! यह आयतें अली और क़ियामत तक आने वाले मेरे औसिया से मख़सूस हैं। लोगों ने अर्ज़ की या रसूलल्लाह हमारे लिए बयान फ़रमाइये हज़रत ने बयान फ़रमाया अली (अ.) मेरा भाई और मेरा वारिस व वसी और मेरे बाद तमाम मोमीनीन का वली है। फिर मेरा फ़रज़न्द हसन, फिर हुसैन उनके बाद हुसैन के नौ फ़रज़न्द मेरे औसिया होगें। क़ुरआन उनके साथ है और वह क़ुरआन के साथ हैं। न यह क़ुरआन से जुदा होगें और न क़ुरआन उनसे जुदा होगा। यहाँ तक कि यह सब के सब मेरे पास हौज़े (कौसर) पर वारिद होगें। (यहाँ तक कि हुज़ूर (स.) ने फ़रमाया) मैं तुम्हे ख़ुदा की क़सम दे कर सवाल करता हूँ। क्या तुम जानते हो कि ख़ुदा वन्दे आलम ने सूरए हज में इरशाद फ़रमाया है: یا یها الذین آمنوا ارکعوا و اسجدوا و اعبدوا ربکم و افعلوا الخیر ऐ ईमान लाने वालो ऱूकू व सुजूद बजा लाओ (यानी नमाज़ पढो) और सिर्फ़ अपने परवरदिगारे हक़ीक़ी की इबादत करो और नेकी करो। सूरः की बाद की आयतें इस तरह हैं[1] सलमान ने अर्ज़ की या रसूलल्लाह वह कौन लोग हैं जिनके (आमाल व अफ़आल) पर आपको गवाह बनाया गया है और उनको दूसरे लोगों (के आमाल व अफ़आल पर) गवाह मुक़र्रर किया गय है, जिनको ख़ुदावन्दे आलम ने मुनतख़ब किया है और मिल्लते इबराहीम से उन पर दीन (के मुआमलात) में किसी क़िस्म की तंगी (सख्ती) को रवा नही रखा गया है? हज़रत ने फ़रमाया: इस अम्र से सिर्फ़ 13 हज़रात मुराद हैं। सलमान ने अर्ज़ की (या रसूलल्लाह) इरशाद फ़रमाईये, फ़रमाया मैं और मेरे भाई और मेरे 11 फ़रज़न्द हैं। इमाम हम्बल बयान करते हैं: रसूलल्लाह (स.) ने हुसैन (अ.) के लिए फ़रमाया: मेरा यह फ़रज़न्द इमाम है, इमाम का भाई और 9 इमामों का बाप है जिनमें का आखिरी क़ाइम (अ.) है।(मुस्नद अहमद बिन हम्बल) नासल रसूलल्लाह से सवाल करता हैं: इब्ने अब्बास का बयान है कि नासल यहूदी पैग़म्बरे इस्लाम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ की ऐ मुहम्मद ! मैं आप से कुछ ऐसी चीज़ों के मुतअल्लिक़ सवाल करना चाहता हूँ, जो एक ज़माने से मेरे सपने में ख़लिश बनी हुई हैं। हज़रत ने फ़रमाया बयान करो: उसने कहा "आप मुझे अपने वसी के बारे में बतालाइये ? इसलिए कि कोई नबी ऐसा नही गुज़रा जिसका वसी न हो। हमारे नबी मूसा बिन इमरान ने यूशा बिन नून को अपना वसी मुक़र्रर किया। हज़रत ने फ़रमाया: मेरे वसी अली इब्ने अबितालिब हैं और उनके बाद मेरे दो नवासे हसन और हुसैन होगें फिर यके बाद दीगर हुसैन की औलाद से नौ इमाम होगें। नासल ने कहा: आप मुझे उनके नाम बताईये। हज़रत ने फ़रमाया: हुसैन के बाद उनका फ़रज़न्द अली होगा और उनके बाद उनका फ़रज़न्द मुहम्मद होगा और उनके बाद उनका फ़रज़न्द जाफ़र होगा और उनके बाद उनका फ़रज़न्द मूसा फिर उनका फ़रज़न्द अली होगा फिर उनका फ़रज़न्द मुहम्मद होगा फिर उनका फ़रज़न्द अली होगा फिर उनका फ़रज़न्द हसन होगा फिर उनका फ़रज़न्द हुज्जत मुहम्मद महदी होगा जो कि बारह हैं।[2]

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