तहारत
वाज़िब गुस्ल
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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- alshia.org
पाक चीज़ कैसे नजिस होती है ?
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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- al-shia.org
नापाक चीज़े और उनके अहकाम
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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- al-shia.org
दस चीज़ें नजिस हैं। 1)पेशाब. 2)पख़ाना. 3)मनी (वीर्य). 4)मुरदार. 5)ख़ून. 6)कुत्ता. 7). सुवर. 8)शराब. 9)काफ़िर. 10)निजासत ..............
तयम्मुम
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
अगर इंसान आबादी में हो तो ज़रुरी है कि वुज़ू और ग़ुस्ल के लिए पानी को इस हद तक तलाश करे कि उसके मिलने से नाउम्मीद हो जाये और अगर बयाबान में हो तो ज़रुरी है कि रास्तों में या अपने ठहरने की ज़गह पर या उसके आस पास वाली जगहों पर पानी तलाश करे। अगर वहाँ की ज़मीन ऊँची नीची हो या दरख़तों के ज़्यादा होने की वजह से रास्ता चलने में परेशानी ह
इस्तबरा के अहकाम
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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पेशाब करने के बाद बायें हाथ की बीच की उँगली से पख़ाने के सुराख से पेशाब की नली की जड़ तक तीन बार दबाये इसके बाद अँगूठे को पेशाब नली के उपर वाले हिस्से पर और अँगूठे का पास वाली उंगली को पेशाब नली के नाचे रख कर तीन बार
वुज़ू के अहकाम
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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अगर कोई इंसान वुज़ू के अफ़ाल व शर्तों में जैसे पानी के पाक या ग़सबी होने के बारे में बहुत ज़्यादा शक करता हो तो उसे चाहिए कि अपने शक की परवाह न करे।
जिन चीज़ो के लिए वुज़ू करना ज़रूरी है।
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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1. नमाज़े मय्यित के अलावा हर वाजिब नमाज़ के लिए। मुस्तहब नमाज़ों में वुज़ू उनके सही होने की शर्त है।
ज़ख्मी आदमी कैसे वुज़ु करे?
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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330 अगर वुज़ू वाले किसी हिस्से पर कोई ज़ख़्म या फोड़ा हो और उसका मुँह खुला हो या हड्डी टूटी हुई हो और उसके लिए पानी नुख़्सान दे न हो तो वुज़ू आम तरीक़े से करना चाहिए।
वह चीज़ें जिन से वुज़ू खत्म हो जाता है।
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
• ऐसी नींद जिस में न आँखें देख सके और न कान सुन सके। लेकिन अगर आँखे न देख रही हो लेकिन कान सुून रहे हो तो वुज़ू बातिल नही होता।
वुज़ू सही होने की शर्तें
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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वुज़ू का पानी पाक हो। एक क़ौल की बिना पर वुज़ू का पानी उन चीज़ो से आलूदा न हो जिनसे इंसान को घिन आती हो जैसे हलाल गोश्त जानवर का पेशाब, पाक मुरदार और ज़ख़्म का मवाद वग़ैरह। यह क़ौल एहतियात की बिना पर है वरना ऐसा पानी शरअन पाक है ।
वुज़ू का तरीक़ा
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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242 वुज़ू में वाजिब है कि चेहरे व दोनों हाथो को धोया जाये और सिर के अगले हिस्से और दौनों पैरों के सामने वाले हिस्से का मसा किया जाये।
पेशाब पख़ाना करने के मुसतहब्बात व मकरूहात
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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(म.न.79) हर शख़्स के लिए मुस्तहब है कि जब भी पेशाब पख़ाना करने के लिए जाये तो ऐसी जगह पर बैठे जहाँ उसे कोई देख न सके। और पख़ाने मे दाख़िल होते वक़्त पहले अपना बायाँ पैर अन्दर रखे और वहाँ से निकलते वक़्त पहले दाहिना पैर बाहर रखे और यह भी मुस्तहब है पेशाब पख़ाना करते वक़्त अपने सर को (टोपी ,दुपट्टे वग़ैरह) से ढक कर रखे और बदन का बोझ अपने बायेँ पैर पर रखे।
वो ग़ुस्ल जिनके करने का बहुत सवाब है।
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- हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
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अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीकलहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहू अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद व इजअलनी मिनत तव्वाबीना व इजअलनी मिनल मुत्ताहिरीन।
अहकाम टाइम
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- स्रोत:
- tvshia.com
जिन बर्तनों पर सोने या चाँदी की पालिश हो, उनके के इस्तेमाल में कोई आपत्ति नहीं है।
मुस्तहब ग़ुस्ल
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- लेखक:
- हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली हुसैनी सीसतानी
अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीकलहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहू अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद व इजअलनी मिनत तव्वाबीना व इजअलनी मिनल मुत्ताहिरीन।