अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

शियो का इतिहास

जनाबे ज़ैद शहीद

जनाबे ज़ैद शहीद

121 हिजरी में हश्शाम बिन अब्दुल मलिक से तंग आ कर आप अपने हम नवा तलाश करने लगे और यकुम सफ़र 122 हिजरी को चालीस हज़ार (40000) कूफ़ीयों समैत मैदान में निकल आये।

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कर्बला के बाद बनी उमय्या की हुकूमत में शियों के हालात।

कर्बला के बाद बनी उमय्या की हुकूमत में शियों के हालात। सन 60 हिजरी में मुआविया की मौत के बाद उसका बेटा यज़ीद जिसे ख़ुद मुआविया ने अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था और लोगों से उसकी बैअत भी ली थी, इस्लामी दुनिया का शासक बन बैठा।

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बनी उमय्या के ज़माने में शिया

 बनी उमय्या के ज़माने में शिया मुआविया इब्ने अबी सुफ़यान के हाथों सन 41 हिजरी में अमवी शासन की शुरूआत हुई और सन 132 हिजरी में मरवाने हेमार के शासन पर अमवी शासन का सम्पन्न हुआ

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अबू बक्र की ख़िलाफ़त के दौर में शियों के हालात।

 अबू बक्र की ख़िलाफ़त के दौर में शियों के हालात। शिया समुदाय के राजनीतिक और समाजिक इतिहास का पहला चरण रसूले इस्लाम स.अ. के देहांत से शुरू होकर अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.ह) की शहादत तक जारी रहा।

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शहादते जनाबे मुख्तार

शहादते जनाबे मुख्तार सिर्फ़ मुख़्तार ने जो सबसे आगे लड़ रहा था दो सौ आदमी वासिले जहन्नम किये। मसअब ने यह मायूसनाक मन्ज़र देखकर लश्कर को हुक्म दिया कि बजाये तलवार की जंग के नैज़ो से जंग करें और नैज़ा बरदार मुख़्तार का मुहासिरा कर लें मुख़्तार की तलवार के आगे जो भी आता था जान सलामत न ले जा सकता था।

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क़ुम शहर

क़ुम शहर क़ुम नगर की ख्याति का एक और कारण वह पैग़म्बरे इस्लाम के परपौत्र इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की बेटी हज़रत मासूमा का आध्यात्मिक वातावरण से ओत-पोत भव्य रौज़ा है।

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