जमाअत मे नमाज़ी का फरीज़ा
- में प्रकाशित
एल्बम: अहकाम (इबादात)
इस प्रोग्राम मे सबसे पहले बताया गया है कि एहतियाते मुस्तहब यह है कि इमाम की तकबीरतुल अहराम तमाम होने से पहले नमाज़ी को तकबीर नही कहनी चाहिऐ और फिर मौलाना साहब ने सजदे और रूकुअ के जिक्र को इमामे जमाअत से पढ़ने हुक्म को बयान किया।
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