मार्च1907
ज़माना आया है बे - हिजाबी का आम दीदार - ए - यार होगा
सुकूत था पर्दा - दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा
गुज़र गया अब वो दौर - ए - साक़ी कि छुप के पीते थे पीने वाले
बनेगा सारा जहान मय - ख़ाना हर कोई बादा - ख़्वार होगा
कभी जो आवारा - ए - जुनूँ थे वो बस्तियों में फिर आ बसेंगे
बरहना - पाई वही रहेगी मगर नया ख़ारज़ार होगा
सुना दिया गोश - ए - मुंतज़िर को हिजाज़ की ख़ामुशी ने आख़िर
जो अहद सहराइयों से बाँधा गया था फिर उस्तुवार होगा
निकल के सहरा से जिस ने रूमा की सल्तनत को उलट दिया था
सुना है ये क़ुदसियों से मैं ने वो शेर फिर होशियार होगा
किया मिरा तज़्किरा जो साक़ी ने बादा - ख़्वारों की अंजुमन में
तो पीर - ए - मय - ख़ाना सुन के कहने लगा कि मुँह - फट है ख़्वार होगा
दयार - ए - मग़रिब के रहने वालो ख़ुदा की बस्ती दुकाँ नहीं है
खरा जिसे तुम समझ रहे हो वो अब ज़र - ए - कम - अयार होगा
तुम्हारी तहज़ीब अपने ख़ंजर से आप ही ख़ुद - कुशी करेगी
जो शाख़ - ए - नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना - पाएदार होगा
सफ़ीना - ए - बर्ग - ए - गुल बना लेगा क़ाफ़िला मोर - ए - ना - तावाँ का
हज़ार मौजों की हो कशाकश मगर ये दरिया से पार होगा
चमन में लाला दिखाता फिरता है दाग़ अपना कली कली को
ये जानता है कि इस दिखावे से दिल - जलों में शुमार होगा
जो एक था ऐ निगाह तू ने हज़ार कर के हमें दिखाया
यही अगर कैफ़ियत है तेरी तो फिर किसे ए 'तिबार होगा
कहा जो क़ुमरी से मैं ने इक दिन यहाँ के आज़ाद पा - ब - गिल हैं
तू ग़ुंचे कहने लगे हमारे चमन का ये राज़दार होगा
ख़ुदा के आशिक़ तो हैं हज़ारों बनों में फिरते हैं मारे मारे
मैं उस का बंदा बनूँगा जिस को ख़ुदा के बंदों से प्यार होगा
ये रस्म - ए - बज़्म - ए - फ़ना है ऐ दिल गुनाह है जुम्बिश - ए - नज़र भी
रहेगी क्या आबरू हमारी जो तू यहाँ बे - क़रार होगा
मैं ज़ुल्मत - ए - शब में ले के निकलूँगा अपने दर - माँदा कारवाँ को
शरर - फ़िशाँ होगी आह मेरी नफ़स मिरा शोला - बार होगा
नहीं है ग़ैर - अज़ - नुमूद कुछ भी जो मुद्दआ तेरी ज़िंदगी का
तू इक नफ़स में जहाँ से मिटना तुझे मिसाल - ए - शरार होगा
न पूछ 'इक़बाल ' का ठिकाना अभी वही कैफ़ियत है उस की
कहीं सर - ए - राहगुज़ार बैठा सितम - कश - ए - इंतिज़ार होगा
मिर्ज़ा ' ग़ालिब '
फ़िक्र - ए - इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर - ए - मुर्ग़ - ए - तख़य्युल की रसाई ता - कुजा
था सरापा रूह तू बज़्म - ए - सुख़न पैकर तिरा
ज़ेब - ए - महफ़िल भी रहा महफ़िल से पिन्हाँ भी रहा
दीद तेरी आँख को उस हुस्न की मंज़ूर है
बन के सोज़ - ए - ज़िंदगी हर शय में जो मस्तूर है
महफ़िल - ए - हस्ती तिरी बरबत से है सरमाया - दार
जिस तरह नद्दी के नग़्मों से सुकूत - ए - कोहसार
तेरे फ़िरदौस - ए - तख़य्युल से है क़ुदरत की बहार
तेरी किश्त - ए - फ़िक्र से उगते हैं आलम सब्ज़ा - वार
ज़िंदगी मुज़्मर है तेरी शोख़ी - ए - तहरीर में
ताब - ए - गोयाई से जुम्बिश है लब - ए - तस्वीर में
नुत्क़ को सौ नाज़ हैं तेरे लब - ए - एजाज़ पर
महव - ए - हैरत है सुरय्या रिफ़अत - ए - परवाज़ पर
शाहिद - ए - मज़्मूँ तसद्दुक़ है तिरे अंदाज़ पर
ख़ंदा - ज़न है ग़ुंचा - ए - दिल्ली गुल - ए - शीराज़ पर
आह तू उजड़ी हुई दिल्ली में आरामीदा है
गुलशन - ए - वीमर में तेरा हम - नवा ख़्वाबीदा है
लुत्फ़ - ए - गोयाई में तेरी हम - सरी मुमकिन नहीं
हो तख़य्युल का न जब तक फ़िक्र - ए - कामिल हम - नशीं
हाए अब क्या हो गई हिन्दोस्ताँ की सर - ज़मीं
आह ऐ नज़्ज़ारा - आमोज़ - ए - निगाह - ए - नुक्ता - बीं
गेसू - ए - उर्दू अभी मिन्नत - पज़ीर - ए - शाना है
शम्अ ये सौदाई - ए - दिल - सोज़ी - ए - परवाना है
ऐ जहानाबाद ऐ गहवारा - ए - इल्म - ओ - हुनर
हैं सरापा नाला - ए - ख़ामोश तेरे बाम दर
ज़र्रे ज़र्रे में तिरे ख़्वाबीदा हैं शम्स ओ क़मर
यूँ तो पोशीदा हैं तेरी ख़ाक में लाखों गुहर
दफ़्न तुझ में कोई फ़ख़्र - ए - रोज़गार ऐसा भी है
तुझ में पिन्हाँ कोई मोती आबदार ऐसा भी है
मोहब्बत
उरूस - ए - शब की ज़ुल्फ़ें थीं अभी ना - आश्ना ख़म से
सितारे आसमाँ के बे - ख़बर थे लज़्ज़त - ए - रम से
क़मर अपने लिबास - ए - नौ में बेगाना सा लगता था
न था वाक़िफ़ अभी गर्दिश के आईन - ए - मुसल्लम से
अभी इम्काँ के ज़ुल्मत - ख़ाने से उभरी ही थी दुनिया
मज़ाक़ - ए - ज़िंदगी पोशीदा था पहना - ए - आलम से
कमाल - ए - नज़्म - ए - हस्ती की अभी थी इब्तिदा गोया
हुवैदा थी नगीने की तमन्ना चश्म - ए - ख़ातम से
सुना है आलम - ए - बाला में कोई कीमिया - गर था
सफ़ा थी जिस की ख़ाक - ए - पा में बढ़ कर साग़र - ए - जम से
लिखा था अर्श के पाए पे इक इक्सीर का नुस्ख़ा
छुपाते थे फ़रिश्ते जिस को चश्म - ए - रूह - ए - आदम से
निगाहें ताक में रहती थीं लेकिन कीमिया - गर की
वो इस नुस्ख़े को बढ़ कर जानता था इस्म - ए - आज़म से
बढ़ा तस्बीह - ख़्वानी के बहाने अर्श की जानिब
तमन्ना - ए - दिली आख़िर बर आई सई - ए - पैहम से
फिराया फ़िक्र - ए - अज्ज़ा ने उसे मैदान - ए - इम्काँ में
छुपेगी क्या कोई शय बारगाह - ए - हक़ के महरम से
चमक तारे से माँगी चाँद से दाग़ - ए - जिगर माँगा
उड़ाई तीरगी थोड़ी सी शब की ज़ुल्फ़ - ए - बरहम से
तड़प बिजली से पाई हूर से पाकीज़गी पाई
हरारत ली नफ़स - हा - ए - मसीह - ए - इब्न - ए - मरयम से
ज़रा सी फिर रुबूबियत से शान - ए - बे - नियाज़ी ली
मलक से आजिज़ी उफ़्तादगी तक़दीर शबनम से
फिर इन अज्ज़ा को घोला चश्मा - ए - हैवाँ के पानी में
मुरक्कब ने मोहब्बत नाम पाया अर्श - ए - आज़म से
मुहव्विस ने ये पानी हस्ती - ए - नौ - ख़ेज़ पर छिड़का
गिरह खोली हुनर ने उस के गोया कार - ए - आलम से
हुई जुम्बिश अयाँ ज़र्रों ने लुत्फ़ - ए - ख़्वाब को छोड़ा
गले मिलने लगे उठ उठ के अपने अपने हमदम से
ख़िराम - ए - नाज़ पाया आफ़्ताबों ने सितारों ने
चटक ग़ुंचों ने पाई दाग़ पाए लाला - ज़ारों ने
राम
लबरेज़ है शराब - ए - हक़ीक़त से जाम - ए - हिंद
सब फ़लसफ़ी हैं ख़ित्ता - ए - मग़रिब के राम - ए - हिंद
ये हिन्दियों की फ़िक्र - ए - फ़लक - रस का है असर
रिफ़अत में आसमाँ से भी ऊँचा है बाम - ए - हिंद
इस देस में हुए हैं हज़ारों मलक - सरिश्त
मशहूर जिन के दम से है दुनिया में नाम - ए - हिंद
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अहल - ए - नज़र समझते हैं इस को इमाम - ए - हिंद
एजाज़ इस चराग़ - ए - हिदायत का है यही
रौशन - तर - अज़ - सहर है ज़माने में शाम - ए - हिंद
तलवार का धनी था शुजाअ 'त में फ़र्द था
पाकीज़गी में जोश - ए - मोहब्बत में फ़र्द था
रूह-
ए-
अर्ज़ी आदम का इस्तिक़बाल करती है
खोल आँख ज़मीं देख फ़लक देख फ़ज़ा देख !
मशरिक़ से उभरते हुए सूरज को ज़रा देख !
इस जल्वा - ए - बे - पर्दा को पर्दा में छुपा देख !
अय्याम - ए - जुदाई के सितम देख जफ़ा देख !
बेताब न हो मार्का - ए - बीम - ओ - रजा देख !
हैं तेरे तसर्रुफ़ में ये बादल ये घटाएँ
ये गुम्बद - ए - अफ़्लाक ये ख़ामोश फ़ज़ाएँ
ये कोह ये सहरा ये समुंदर ये हवाएँ
थीं पेश - ए - नज़र कल तो फ़रिश्तों की अदाएँ
आईना - ए - अय्याम में आज अपनी अदा देख !
समझेगा ज़माना तिरी आँखों के इशारे !
देखेंगे तुझे दूर से गर्दूं के सितारे !
नापैद तिरे बहर - ए - तख़य्युल के किनारे
पहुँचेंगे फ़लक तक तिरी आहों के शरारे
तामीर - ए - ख़ुदी कर असर - ए - आह - ए - रसा देख
ख़ुर्शीद - ए - जहाँ - ताब की ज़ौ तेरे शरर में
आबाद है इक ताज़ा जहाँ तेरे हुनर में
जचते नहीं बख़्शे हुए फ़िरदौस नज़र में
जन्नत तिरी पिन्हाँ है तिरे ख़ून - ए - जिगर में
ऐ पैकर - ए - गुल कोशिश - ए - पैहम की जज़ा देख !
नालंदा तिरे ऊद का हर तार अज़ल से
तू जिंस - ए - मोहब्बत का ख़रीदार अज़ल से
तू पीर - ए - सनम - ख़ाना - ए - असरार अज़ल से
मेहनत - कश ओ ख़ूँ - रेज़ ओ कम - आज़ार अज़ल से
है राकिब - ए - तक़दीर - ए - जहाँ तेरी रज़ा देख !
ला-
इलाहा-
इल्लल्लाह
ख़ुदी का सिर्र - ए - निहाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
ख़ुदी है तेग़ फ़साँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
ये दौर अपने बराहीम की तलाश में है
सनम - कदा है जहाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
किया है तू ने मता - ए - ग़ुरूर का सौदा
फ़रेब - ए - सूद - ओ - ज़ियाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
ये माल - ओ - दौलत - ए - दुनिया ये रिश्ता ओ पैवंद
बुतान - ए - वहम - ओ - गुमाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
ख़िरद हुई है ज़मान ओ मकाँ की ज़ुन्नारी
न है ज़माँ न मकाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
ये नग़्मा फ़स्ल - ए - गुल - ओ - लाला का नहीं पाबंद
बहार हो कि ख़िज़ाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
अगरचे बुत हैं जमाअत की आस्तीनों में
मुझे है हुक्म - ए - अज़ाँ ला - इलाहा - इल्लल्लाह
लेनिन
ख़ुदा के हुज़ूर में
ऐ अन्फ़ुस ओ आफ़ाक़ में पैदा तिरी आयात
हक़ ये है कि है ज़िंदा ओ पाइंदा तिरी ज़ात
मैं कैसे समझता कि तू है या कि नहीं है
हर दम मुतग़य्यर थे ख़िरद के नज़रियात
महरम नहीं फ़ितरत के सुरूद - ए - अज़ली से
बीना - ए - कवाकिब हो कि दाना - ए - नबातात
आज आँख ने देखा तो वो आलम हुआ साबित
मैं जिस को समझता था कलीसा के ख़ुराफ़ात
हम बंद - ए - शब - ओ - रोज़ में जकड़े हुए बंदे
तू ख़ालिक़ - ए - आसार - ओ - निगारंदा - ए - आनात
इक बात अगर मुझ को इजाज़त हो तो पूछूँ
हल कर न सके जिस को हकीमों के मक़ालात
जब तक मैं जिया ख़ेमा - ए - अफ़्लाक के नीचे
काँटे की तरह दिल में खटकती रही ये बात
गुफ़्तार के उस्लूब पे क़ाबू नहीं रहता
जब रूह के अंदर मुतलातुम हों ख़यालात
वो कौन सा आदम है कि तू जिस का है माबूद
वो आदम - ए - ख़ाकी कि जो है ज़ेर - ए - समावात
मशरिक़ के ख़ुदावंद सफ़ेदान - ए - फ़िरंगी
मग़रिब के ख़ुदावंद दरख़शिंदा फ़िलिज़्ज़ात
यूरोप में बहुत रौशनी - ए - इल्म - ओ - हुनर है
हक़ ये है कि बे - चश्मा - ए - हैवाँ है ये ज़ुल्मात
रानाई - ए - तामीर में रौनक़ में सफ़ा में
गिरजों से कहीं बढ़ के हैं बैंकों की इमारात
ज़ाहिर में तिजारत है हक़ीक़त में जुआ है
सूद एक का लाखों के लिए मर्ग - ए - मुफ़ाजात
ये इल्म ये हिकमत ये तदब्बुर ये हुकूमत
पीते हैं लहू देते हैं तालीम - ए - मुसावात
बेकारी ओ उर्यानी ओ मय - ख़्वारी ओ अफ़्लास
क्या कम हैं फ़रंगी मदनियत की फ़ुतूहात
वो क़ौम कि फ़ैज़ान - ए - समावी से हो महरूम
हद उस के कमालात की है बर्क़ ओ बुख़ारात
है दिल के लिए मौत मशीनों की हुकूमत
एहसास - ए - मुरव्वत को कुचल देते हैं आलात
आसार तो कुछ कुछ नज़र आते हैं कि आख़िर
तदबीर को तक़दीर के शातिर ने किया मात
मय - ख़ाना ने की बुनियाद में आया है तज़लज़ुल
बैठे हैं इसी फ़िक्र में पीरान - ए - ख़राबात
चेहरों पे जो सुर्ख़ी नज़र आती है सर - ए - शाम
या ग़ाज़ा है या साग़र ओ मीना की करामात
तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में
हैं तल्ख़ बहुत बंदा - ए - मज़दूर के औक़ात
कब डूबेगा सरमाया - परस्ती का सफ़ीना
दुनिया है तिरी मुंतज़िर - ए - रोज़ - ए - मुकाफ़ात
वालिदा मरहूमा की याद में
ज़र्रा ज़र्रा दहर का ज़िंदानी - ए - तक़दीर है
पर्दा - ए - मजबूरी ओ बेचारगी तदबीर है
आसमाँ मजबूर है शम्स ओ क़मर मजबूर हैं
अंजुम - ए - सीमाब - पा रफ़्तार पर मजबूर हैं
है शिकस्त अंजाम ग़ुंचे का सुबू गुलज़ार में
सब्ज़ा ओ गुल भी हैं मजबूर - ए - नमू गुलज़ार में
नग़्मा - ए - बुलबुल हो या आवाज़ - ए - ख़ामोश - ए - ज़मीर
है इसी ज़ंजीर - ए - आलम - गीर में हर शय असीर
आँख पर होता है जब ये सिर्र - ए - मजबूरी अयाँ
ख़ुश्क हो जाता है दिल में अश्क का सैल - ए - रवाँ
क़ल्ब - ए - इंसानी में रक़्स - ए - ऐश - ओ - ग़म रहता नहीं
नग़्मा रह जाता है लुत्फ़ - ए - ज़ेर - ओ - बम रहता नहीं
इल्म ओ हिकमत रहज़न - ए - सामान - ए - अश्क - ओ - आह है
यानी इक अल्मास का टुकड़ा दिल - ए - आगाह है
गरचे मेरे बाग़ में शबनम की शादाबी नहीं
आँख मेरी माया - दार - ए - अश्क - ए - उननाबी नहीं
जानता हूँ आह में आलाम - ए - इंसानी का राज़
है नवा - ए - शिकवा से ख़ाली मिरी फ़ितरत का साज़
मेरे लब पर क़िस्सा - ए - नैरंगी - ए - दौराँ नहीं
दिल मिरा हैराँ नहीं ख़ंदा नहीं गिर्यां नहीं
पर तिरी तस्वीर क़ासिद गिर्या - ए - पैहम की है
आह ये तरदीद मेरी हिकमत - ए - मोहकम की है
गिर्या - ए - सरशार से बुनियाद - ए - जाँ पाइंदा है
दर्द के इरफ़ाँ से अक़्ल - ए - संग - दिल शर्मिंदा है
मौज - ए - दूद - ए - आह से आईना है रौशन मिरा
गंज - ए - आब - आवर्द से मामूर है दामन मिरा
हैरती हूँ मैं तिरी तस्वीर के एजाज़ का
रुख़ बदल डाला है जिस ने वक़्त की परवाज़ का
रफ़्ता ओ हाज़िर को गोया पा - ब - पा इस ने किया
अहद - ए - तिफ़्ली से मुझे फिर आश्ना इस ने किया
जब तिरे दामन में पलती थी वो जान - ए - ना - तवाँ
बात से अच्छी तरह महरम न थी जिस की ज़बाँ
और अब चर्चे हैं जिस की शोख़ी - ए - गुफ़्तार के
बे - बहा मोती हैं जिस की चश्म - ए - गौहर - बार के
इल्म की संजीदा - गुफ़्तारी बुढ़ापे का शुऊर
दुनयवी एज़ाज़ की शौकत जवानी का ग़ुरूर
ज़िंदगी की ओज - गाहों से उतर आते हैं हम
सोहबत - ए - मादर में तिफ़्ल - ए - सादा रह जाते हैं हम
बे - तकल्लुफ़ ख़ंदा - ज़न हैं फ़िक्र से आज़ाद हैं
फिर उसी खोए हुए फ़िरदौस में आबाद हैं
किस को अब होगा वतन में आह मेरा इंतिज़ार
कौन मेरा ख़त न आने से रहेगा बे - क़रार
ख़ाक - ए - मरक़द पर तिरी ले कर ये फ़रियाद आऊँगा
अब दुआ - ए - नीम - शब में किस को मैं याद आऊँगा
तर्बियत से तेरी में अंजुम का हम - क़िस्मत हुआ
घर मिरे अज्दाद का सरमाया - ए - इज़्ज़त हुआ
दफ़्तर - ए - हस्ती में थी ज़र्रीं वरक़ तेरी हयात
थी सरापा दीन ओ दुनिया का सबक़ तेरी हयात
उम्र भर तेरी मोहब्बत मेरी ख़िदमत - गर रही
मैं तिरी ख़िदमत के क़ाबिल जब हुआ तू चल बसी
वो जवाँ - क़ामत में है जो सूरत - ए - सर्व - ए - बुलंद
तेरी ख़िदमत से हुआ जो मुझ से बढ़ कर बहरा - मंद
कारोबार - ए - ज़िंदगानी में वो हम - पहलू मिरा
वो मोहब्बत में तिरी तस्वीर वो बाज़ू मिरा
तुझ को मिस्ल - ए - तिफ़्लक - ए - बे - दस्त - ओ - पा रोता है वो
सब्र से ना - आश्ना सुब्ह ओ मसा रोता है वो
तुख़्म जिस का तू हमारी किश्त - ए - जाँ में बो गई
शिरकत - ए - ग़म से वो उल्फ़त और मोहकम हो गई
आह ये दुनिया ये मातम - ख़ाना - ए - बरना - ओ - पीर
आदमी है किस तिलिस्म - ए - दोश - ओ - फ़र्दा में असीर
कितनी मुश्किल ज़िंदगी है किस क़दर आसाँ है मौत
गुलशन - ए - हस्ती में मानिंद - ए - नसीम अर्ज़ां है मौत
ज़लज़ले हैं बिजलियाँ हैं क़हत हैं आलाम हैं
कैसी कैसी दुख़्तरान - ए - मादर - ए - अय्याम हैं
कल्ब - ए - इफ़्लास में दौलत के काशाने में मौत
दश्त ओ दर में शहर में गुलशन में वीराने में मौत
मौत है हंगामा - आरा क़ुलज़ुम - ए - ख़ामोश में
डूब जाते हैं सफ़ीने मौज की आग़ोश में
ने मजाल - ए - शिकवा है ने ताक़त - ए - गुफ़्तार है
ज़िंदगानी क्या है इक तोक़ - ए - गुलू - अफ़्शार है
क़ाफ़िले में ग़ैर फ़रियाद - ए - दिरा कुछ भी नहीं
इक मता - ए - दीदा - ए - तर के सिवा कुछ भी नहीं
ख़त्म हो जाएगा लेकिन इम्तिहाँ का दौर भी
हैं पस - ए - नौह पर्दा - ए - गर्दूं अभी दौर और भी
सीना चाक इस गुलसिताँ में लाला - ओ - गुल हैं तो क्या
नाला ओ फ़रियाद पर मजबूर बुलबुल हैं तो क्या
झाड़ियाँ जिन के क़फ़स में क़ैद है आह - ए - ख़िज़ाँ
सब्ज़ कर देगी उन्हें बाद - ए - बहार - ए - जावेदाँ
ख़ुफ़्ता - ख़ाक - ए - पय सिपर में है शरार अपना तो क्या
आरज़ी महमिल है ये मुश्त - ए - ग़ुबार अपना तो क्या
ज़िंदगी की आग का अंजाम ख़ाकिस्तर नहीं
टूटना जिस का मुक़द्दर हो ये वो गौहर नहीं
ज़िंदगी महबूब ऐसी दीदा - ए - क़ुदरत में है
ज़ौक़ - ए - हिफ़्ज़ - ए - ज़िंदगी हर चीज़ की फ़ितरत में है
मौत के हाथों से मिट सकता अगर नक़्श - ए - हयात
आम यूँ उस को न कर देता निज़ाम - ए - काएनात
है अगर अर्ज़ां तो ये समझो अजल कुछ भी नहीं
जिस तरह सोने से जीने में ख़लल कुछ भी नहीं
आह ग़ाफ़िल मौत का राज़ - ए - निहाँ कुछ और है
नक़्श की ना - पाएदारी से अयाँ कुछ और है
जन्नत - ए - नज़ारा है नक़्श - ए - हवा बाला - ए - आब
मौज - ए - मुज़्तर तोड़ कर तामीर करती है हबाब
मौज के दामन में फिर उस को छुपा देती है ये
कितनी बेदर्दी से नक़्श अपना मिटा देती है ये
फिर न कर सकती हबाब अपना अगर पैदा हवा
तोड़ने में उस के यूँ होती न बे - परवा हवा
इस रविश का क्या असर है हैयत - ए - तामीर पर
ये तो हुज्जत है हवा की क़ुव्वत - ए - तामीर पर
फ़ितरत - ए - हस्ती शहीद - ए - आरज़ू रहती न हो
ख़ूब - तर पैकर की उस को जुस्तुजू रहती न हो
आह सीमाब - ए - परेशाँ अंजुम - ए - गर्दूं - फ़रोज़
शोख़ ये चिंगारियाँ ममनून - ए - शब है जिन का सोज़
अक़्ल जिस से सर - ब - ज़ानू है वो मुद्दत इन की है
सरगुज़िश्त - ए - नौ - ए - इंसाँ एक साअत उन की है
फिर ये इंसाँ आँ सू - ए - अफ़्लाक है जिस की नज़र
क़ुदसियों से भी मक़ासिद में है जो पाकीज़ा - तर
जो मिसाल - ए - शम्अ रौशन महफ़िल - ए - क़ुदरत में है
आसमाँ इक नुक़्ता जिस की वुसअत - ए - फ़ितरत में है
जिस की नादानी सदाक़त के लिए बेताब है
जिस का नाख़ुन साज़ - ए - हस्ती के लिए मिज़राब है
शोला ये कम - तर है गर्दूं के शरारों से भी क्या
कम - बहा है आफ़्ताब अपना सितारों से भी क्या
तुख़्म - ए - गुल की आँख ज़ेर - ए - ख़ाक भी बे - ख़्वाब है
किस क़दर नश्व - ओ - नुमा के वास्ते बेताब है
ज़िंदगी का शोला इस दाने में जो मस्तूर है
ख़ुद - नुमाई ख़ुद - फ़ज़ाई के लिए मजबूर है
सर्दी - ए - मरक़द से भी अफ़्सुर्दा हो सकता नहीं
ख़ाक में दब कर भी अपना सोज़ खो सकता नहीं
फूल बन कर अपनी तुर्बत से निकल आता है ये
मौत से गोया क़बा - ए - ज़िंदगी पाता है ये
है लहद इस क़ुव्वत - ए - आशुफ़्ता की शीराज़ा - बंद
डालती है गर्दन - ए - गर्दूं में जो अपनी कमंद
मौत तज्दीद - ए - मज़ाक़ - ए - ज़िंदगी का नाम है
ख़्वाब के पर्दे में बेदारी का इक पैग़ाम है
ख़ूगर - ए - परवाज़ को परवाज़ में डर कुछ नहीं
मौत इस गुलशन में जुज़ संजीदन - ए - पर कुछ नहीं
कहते हैं अहल - ए - जहाँ दर्द - ए - अजल है ला - दवा
ज़ख़्म - ए - फ़ुर्क़त वक़्त के मरहम से पाता है शिफ़ा
दिल मगर ग़म मरने वालों का जहाँ आबाद है
हल्क़ा - ए - ज़ंजीर - ए - सुब्ह - ओ - शाम से आज़ाद है
वक़्त के अफ़्सूँ से थमता नाला - ए - मातम नहीं
वक़्त ज़ख़्म - ए - तेग़ - ए - फ़ुर्क़त का कोई मरहम नहीं
सर पे आ जाती है जब कोई मुसीबत ना - गहाँ
अश्क पैहम दीदा - ए - इंसाँ से होते हैं रवाँ
रब्त हो जाता है दिल को नाला ओ फ़रियाद से
ख़ून - ए - दिल बहता है आँखों की सरिश्क - आबाद से
आदमी ताब - ए - शकेबाई से गो महरूम है
उस की फ़ितरत में ये इक एहसास - ए - ना - मालूम है
जौहर - ए - इंसाँ अदम से आश्ना होता नहीं
आँख से ग़ाएब तो होता है फ़ना होता नहीं
रख़्त - ए - हस्ती ख़ाक - ए - ग़म की शोला - अफ़्शानी से है
सर्द ये आग इस लतीफ़ एहसास के पानी से है
आह ये ज़ब्त - ए - फ़ुग़ाँ ग़फ़लत की ख़ामोशी नहीं
आगही है ये दिलासाई फ़रामोशी नहीं
पर्दा - ए - मशरिक़ से जिस दम जल्वा - गर होती है सुब्ह
दाग़ शब का दामन - ए - आफ़ाक़ से धोती है सुब्ह
लाला - ए - अफ़्सुर्दा को आतिश - क़बा करती है ये
बे - ज़बाँ ताइर को सरमस्त - ए - नवा करती है ये
सीना - ए - बुलबुल के ज़िंदाँ से सरोद आज़ाद है
सैकड़ों नग़्मों से बाद - ए - सुब्ह - दम - आबाद है
ख़ुफ़्तगान - ए - लाला - ज़ार ओ कोहसार ओ रूद बार
होते हैं आख़िर उरूस - ए - ज़िंदगी से हम - कनार
ये अगर आईन - ए - हस्ती है कि हो हर शाम सुब्ह
मरक़द - ए - इंसाँ की शब का क्यूँ न हो अंजाम सुब्ह
दाम - ए - सिमीन - ए - तख़य्युल है मिरा आफ़ाक़ - गीर
कर लिया है जिस से तेरी याद को मैं ने असीर
याद से तेरी दिल - ए - दर्द आश्ना मामूर है
जैसे काबे में दुआओं से फ़ज़ा मामूर है
वो फ़राएज़ का तसलसुल नाम है जिस का हयात
जल्वा - गाहें उस की हैं लाखों जहान - ए - बे - सबात
मुख़्तलिफ़ हर मंज़िल - ए - हस्ती को रस्म - ओ - राह है
आख़िरत भी ज़िंदगी की एक जौलाँ - गाह है
है वहाँ बे - हासिली किश्त - ए - अजल के वास्ते
साज़गार आब - ओ - हवा तुख़्म - ए - अमल के वास्ते
नूर - ए - फ़ितरत ज़ुल्मत - ए - पैकर का ज़िंदानी नहीं
तंग ऐसा हल्क़ा - ए - अफ़कार - ए - इंसानी नहीं
ज़िंदगानी थी तिरी महताब से ताबिंदा - तर
ख़ूब - तर था सुब्ह के तारे से भी तेरा सफ़र
मिस्ल - ए - ऐवान - ए - सहर मरक़द फ़रोज़ाँ हो तिरा
नूर से मामूर ये ख़ाकी शबिस्ताँ हो तिरा
आसमाँ तेरी लहद पर शबनम - अफ़्शानी करे
सब्ज़ा - ए - नौ - रस्ता इस घर की निगहबानी करे