क़यामते सुग़रा

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क़यामते सुग़रा कैटिगिरी: इमाम मेहदी (अ)

क़यामते सुग़रा

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

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क़यामते सुग़रा

क़यामते सुग़रा

हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

अक़ीदये क़यामत (प्रलय का विश्वास)

प्रलय इसलाम के अनुयायियों के मूल सिद्धाँत में सम्मिलित है तथा प्रलय को असत्य समझने वाला भगवान के आदेशानुसार नरक का अहार है जिस व्यक्ति ने प्रलय को नसत्य समझा उसके लिये हमने नरक तैयार कर रखा है। प्रलय का एक दिन निर्धारित है जिसका ज्ञान भगवान तथा उसके विशिष्ठ जनों के अतिरिक्त किसी अन्य को नहीं परन्तु प्रलय होने के पूर्व कुछ लक्षण पैग़म्बर ने बताये हैं जिनमें से एक प्रमुख तथा प्रसिद्ध हजूर का यह कथन है कि दस लक्षण प्रलय से पूर्व आवश्यक हैं , सुफ़यानी का उठ खड़ा होना , दज्जाल का उठना , आग तथा धुँआ , दाब्बा (भूकम्प) , इमाम मेहदी का उठ खड़ा होना पश्चिम से सूर्योदच होना , ईसा मसीह का आकाश से आना , अदन की गहराई से आग निकलना जो लोगों को प्रलय का एक दिन निर्धारित है जिसका ज्ञान भगवान तथा उसके विशिष्ठ जनों के अतिरिक्त किसी अन्य को नहीं परन्तु प्रलय होने के पूर्व कुछ लक्षण पैग़म्बर ने बताये हैं जिनमें से एक प्रमुख तथा प्रसिद्ध हजूर का यह कथन है कि दस लक्षण प्रलय से पूर्व आवश्यक है , सुफ़यानी का उठ खड़ा होना , दज्जाल का उठना , आग तथा धुँआ , दाब्बा (भूकम्प) , इमाम मेहदी का उठ खड़ा होना पश्चिम से सूर्योदय होना , ईसा मसीह का आकाश से आना , पूरब में पृथ्वी का धंस जाना , अदन की गहराई से आग निकलना जो लोगों को प्रलय की ओर ले जाने वाली होगी।

टिप्पणीः-

पैग़म्बर की हदीसों में चूँकि संकेत हैं तथा परिणाम बताऐ गचे हैं किंतु उनके कारण नहीं स्पष्ट किये गये हैं तथा आधुनिक युग की परिस्थितियों के सम्मुख हम कह सकते हैँ। हुजूर का सम्भवता यह तात्पर्य था एतैव इन लक्षणों में-

आग और धुँआ-

इस कथन से सम्भवता यह संकेत है कि बमों के प्रयोग पर उनके द्वारा धुँआ औल जाये तथी बहुधा क्षेत्रों में आग लग जाये जैसा कि वर्तमान युद्ध 1967 ई 0 इसराईल एवं अरबों की लडाई में इसराईल ने नैपाम बमों के प्रयोग किये जिनके धुँऐ से सैकड़ों स्थानों पर आग बग गयी और अधिकता से मनुष्य जल गये।

दाबतुल अर्जः

इसकी व्याख्या का आगे कथनों एंव लक्षणों में उल्लेख किया जायगा। सुफ़यानी व दज्जाल के सम्बन्ध में भी लक्षणों का उल्लेख अग्रसर होगा। अदन की गहराई से अग्नि उद्गर तथा उसके तीव्र होने तात्पर्य यह है कि अदन के पेटोल भणडारों में आग लगना कुछ दूर नहीं तथा सम्भव है कि इस क्षेत्र के निवासी के लिये यही अग्नि प्रलय की पृष्ठभूमि सिद्ध हो जाये।

इमाम मेहदी का उठनाः

इससे तात्पर्य इमाम मेहदी का प्रकट होना है। इनमें बहुधा लक्षण आपके प्रकट होने के पूर्व विदित होंगे अतः वास्तव में आपका प्रकट होना ही पृष्ठभूमि है क़यामते सुग़रा (लघु प्रलय) की। अब बची क़यामते कुबरा (दीर्घ प्रलय) तो यह न जाने प्रकट होने के कितने लम्बे समय के पश्यात होगी इसकी जानकारी मात्र ईश्वर को है हाँ आपके प्रकट होने के पूर्व जो लक्षण दिखाई देगे उन्ही का उल्लेख इस पुस्तक में किया जायेगा।

यह बात स्मरणीय है कि कुरान में जिस स्थान पर शब्द साअत (समय) प्रयुक्त हुआ है बहुधा व्याख्या कर्ताओं की दृष्टि से साअत से तात्पर्य हज़रत इमाम मेहदी के प्रकट होने के समय से है और उसी समय से सम्बन्धित लक्षणों का उल्लेख किया गया है इस संक्षिप्त लेख में यह तथ्य स्पष्ट हो चुका है कि क़यासते सुग़रा (लघु प्रलय) एंव समय साअत का सम्बन्ध आपके प्रकट होने से समबद्ध है इसीलिये हुजूर तथा अन्य इमामों व उल्लेमा है आप के प्रकट होने से सम्बन्धित लक्षणों का अधिक मात्रा में उल्लेख किया है और वास्तव में हमारी पुस्तक का यह शीर्षक है अतः इस परिपेक्ष में हमने अति संभेप से क्रमानुसार खुत्बे , हदीसें व कथन लिख दिये है। अन्यथा पुरानी पुस्तकों में बहुत कुछ सामग्री उपलब्ध है। इन लक्षणों के लिखने का मात्र ध्येय यह है कि पाठ्यकगण इसे याद रख सके तथा भविष्य में देखते रहें कि कितने लक्षण पूर्ण हो चुके हैं तथा कितने अभी शेष है। इन प्रमाणों से बहीत बड़ा लाभ यह हो सकती है कि यदि ह्रदय ने इन लक्षणों की सत्यता को स्वीकार कर लिया और विवश होकरकरना ही पड़ेगी तो एक समय अवश्य ऐसा आ सकता है कि मनुष्य घबरा कर अपने पापों की क्षमा माँगने लगे तथा स्वंय को भगवान की ओर जाने को तैयार कर ले। इस प्रकार यदि एक व्यक्ति का ह्रदय इन लक्षणों से प्रभावित हो जाये और एक मनुष्य में भी ईमान की बढोत्तरी हो तो मेरे इस संकलन का उद्देश्य सिद्धि प्राप्त है।

इसके अतरिक्त जो मुसलमान नहीं हैं उनके लिये भी यह लक्षण चिन्तन का आमंत्रण है। इस्लाम की सत्यता का स्पष्ट प्रमाण मैने अनेकों स्थान पर जहाँ आवश्यक समझा मूल अरबी लिगी में लिख दिया।

अन्यथा अधिकता अनुवाद पर निर्भर रहा तथा जिन पुस्तकों से मैनें यह सब कुछ एकत्र किया है उनके नाम भी लिख दिये मूल लेख उन पुस्तकों में देखे जा सकते हैं सम्भव है ज्ञान अभाव के कारण लेखों का अनुवाद विकसित न हो जिसके लिये खेद व्यक्त करता हूँ एंव सुधार आकाँक्षी हूँ।

प्रकटन का लक्षणः

लक्षणों से सम्बन्धित ऐसे तो उलेमा ने अनेकों भेद लिखे हैं कि संक्षेप को दृष्टिगत रखते हुऐ मैनें इन लक्षणों को इस पुस्तक में कुछ प्राकर से प्रस्तुत कर दिया है जो उद्देश्य की सिद्धि हैतु पर्याप्त वास्तव में प्रकट होने के लक्षण के दो भेद हैः ( 1) हतमिया या अनिवार्य (अटल) , (2) ग़ैर हतमिया या शर्तिया (टलने योग्य शर्तों पर आधारित)

हतमिया (अटल) लक्षणः

वह लक्षण जो इमाम मेहदी (अ 0) के प्रकट होने से पूर्व अवश्य विद्यमान होंगे अन्यथा आराधना कर्ताओं की प्रार्थना एंव सज्जनों की क्षमा याचना के भल स्वरुप निरस्त कर दिये जायेंगे।

टिप्पणीः

चूँकि समाज पूर्णतया दूषित हो चुका है अतः सम्भव है कि मात्र वह स्थान इन लक्षणों से बच सकें जहाँ ऐसे सज्जन एंव आराधना कर्ता हों अन्यथा पूर्ण संभावना है कि ऐसे लक्षण भी अवश्य पूर्ण होंगे। शीघ्रता या दैरी सम्भव है जैसा पिछली उम्मतों पर प्रकोपों को एक निश्चित समय के लिये स्थगित किया जाती रहा है।

सामान्य लक्षण (उमूमी अलामात)

वह लक्षण जो अन्तिमकाल के रुप को इंगित करने आचरण व्यवहार रहन-सहन एंव धर्म के बदलने के सम्बन्ध बताये गये हैं।

विशेष लक्षण (खुसूसी अलामात)

वह लक्षण जो प्रसिद्ध स्थानों और प्रसिद्ध समुदाय एंव विशेष क्षेत्रों के सम्बन्ध में वर्णित है।

बीते हऐ लक्षणः

वह लक्षण जो इस पुस्तक के संकल्न तक समाप्त हो चुके है तथा किसी ह किसी समय में पूर्ण हो चुके है।

भविष्य के लक्षणः

भविष्य में आने वाले लक्षण जो इस समय तक पूर्ण नहीं हुऐ तथा आने वाले युग में उनके पूर्ण होने की पूर्ण सम्भावना है।

टिप्पणीः

चूँकि लक्षणों के उल्लेखकर्ता समाज के पथ परदर्शकगण एक विशेष क्षेत्र (अरब) के निवासी थे और अपने समय के लोगों के शैक्षिक ज्ञान से पूर्णयता परिचित थे। वह जानते थे कि यदि पृथ्वी के अन्य क्षेत्रों के सम्बन्ध में उनसे यह बातें कहीं गची , तो चूकि अभी तक उनको उन क्षेत्रों की जानकारी नहीं है अतः वह क्या समझ सकेंगे चूंकि प्रश्नकर्ता भी उसी भूमि से सम्बन्धित थे। इसलिये उनकी योग्यता को दृष्टि-गत रखते हुऐ उत्तर भी सीमित दिये गये और अधिकता से लक्षण पूरब मध्य के विषय में कहे गये हैं। हाँ कुछ स्थान पर अर्थ (पृथ्वी) श्ब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ समस्त पृथ्वी है। इसके अतरिक्त यब बात भी स्मरण योग्य है कि कुछ देशों की सीमा रेखाऐं तथा कुछ के नाम रसैल और इमाम के समय में अन्य थे और इस समय कुय़ और हैं। बहुत ऐसे स्थान है जो नष्ट हो जुके हैं और आज उनका नाम भी नहीं है किन्तु इन सब का ज्ञान उस समय के भौगोलिक चित्रों में तथा उस युग ऐतिहासिक प्रमाणों से आज हो सकता है सन्दर्भ हैतु प्राचीन भौगोलिक पुस्तकों को देखा जा सकता है। चूँकि अरबों के किसी व्यक्ति या समाज के परिचय व जानकारी प्राप्त कराने का सिद्धान्त यह था कि व्यक्ति विशेष के साथ उसके पिता का नाम और समाज के साथ उसके पूर्वज का उल्ले होता था। जिसके वंश से सह समुदाय बना है या क़बीले बसे है। सम्पूर्ण इसलामी इतिहास इस से परिपूर्ण है। व्याख्या की आवश्यकता नहीं समझने के लिये बनी उमैय्या या बनी हाशिम पूरे वंश के लिये आज भी प्रयोग होता है। और इसी प्रकार सैकडों समाज व उपसमाज आज भी उपलब्ध है , उन सबको बीती हुई वंशावली और उसके इतिहास से जाना जा सकता है किन्तु मैने यथा सम्भव स्वंय परख कर हर स्थान की व्याख्या कर दी है और जो बात समझ में न आ सकी उसको ज्ञानियों और पारखियों के लिये छोड़ दिया।

लक्षणः

हम सर्वप्रथम सामान्य लक्षण लिखेंगे ताकि यह अनुमान हो सके कि पूर्वजों की दृष्टि अन्तिम काल की परिस्थितियाँ वह परिवर्तन को किस प्रकार इतने समय पूर्व देख रही थी और आज जब वह सब कुछ हो रहा है जो उन महानुभवों ने उल्लेख किया था। जबकि उस समय उनकी कल्पना भी न थी। इसलिये विश्वास है कि उसके पश्चात् जो कुछ कहा है वह भी अवश्य पूर्ण रहेगा। भले इस समय हम उसे न स्वीकार करें।

सामान्य लक्षण या अन्तिम काल के लक्षणः

बेहारुल- अनवार तथा अन्य पुस्तकों में हुजूर का निम्नलिखित खुत्बा उल्लेखित है किन्तु मैं बेहारुल अनवार के सन्दर्भ से लिख रहा हूँ। इस को पुस्तक जमिऊ-ल- अख़बार , जनाब सद्दूक़ अलैहिर रहमा ने भी लिखा है तथा दूसरी पुस्तकों में भी उपलब्ध है।

अन्तिम काल हैतु हुजुर का खुत्बा (वक्तव्य) अनुवाद

जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह अन्सारी का कथन है कि मैनें रसाल अल्लाह के साथ अन्तिम हज किया। अतः जब पैग़म्बर हज कार्य कर्म से निपट चुके तो आपने कहा कि ऐ लोगों विश्वास है कि आज मैं काबे को विदाई दै रहा हूँ , तदेपरान्त काबे के दर को घेरे मे लिया और उच्च स्वर में लोगों को पुकारा। समस्त मस्जिद वाले एकत्र हो गये तथा बाज़ार वाले भी आ गये। उस समय आपने कहा जो कुछ मैं तुमसे कहना चाहत हूँ उसको सुनो तथा जो लोग यहाँ उपलब्ध नहीं हैं उन तक पहुँचा दो। तदपश्चात् आपने रोना प्रारम्भ किया जिस पर समस्त उपस्थितगण भी रोने लगे फिर आपने कहा , ऐ लोगों , ईश्वर तुम पर दया करे तुम इस युग में उस वृक्ष के पत्ते के समान हो जिसके मध्य कोई काँटा न हो तथा चालीस वर्ष यही दशा रहेगी तदोपरान्त दो वर्ष तक पत्ते तथा काँटे मिले जुले होंगे फिर उसके बाद काँटे ही काँटे दिखाई देंगे जिसमें कोई पत्ता न होगा , वह ऐसे व्यक्ति होंगे जिनमें दिखाई पड़ेंगे , अतरिक्त अन्यायी राजा , कंजूस , धनवान , धन की और रुचि रखने वाले ज्ञानी , झूठे भिखारी। इसके पश्चात आपने फिर रोना आरम्भ किया , तब सलमान उठे और कुहा , ऐ अल्लाह के रसूल , यह सब किस समय होगा हज़रत ने उत्तर ऐ सलमान , यह उस समय होगा जब उलेमा कम हो जायेंगे , ज़कात देना बन्द हो जायेगा , नकारने वाले प्रकट होंगे। मस्जिद से चीख पुकार उठेगी। संसारिक हितो को वरीयता तथा ज्ञान को पैरो तले रखा जायेगा , आपसी बात चीत के मध्य झठलाया जायेगा , उन लोगों की बैठकों में मिथ्या का आधिक्य होगा , एक दूसरे की ग़ीबत (पीठ पीछे बुराई करना) कर्तव्य होगा। हराम को उचित माना जायेगा , बड़ा छोटों पर दया न करेगा और , छोटा बड़े के आदर को दृष्टिगत न रखेगा। अतः उस समय उनकी निन्दा की जायेगी , उनके मध्य शत्रु उत्पन्न हो जायेंगे। और दीने इसलाम से शाब्दिक इसलाम अतरिक्त कुछ न शेष रहेगा। उस समय उनकी निन्दा की जायेगी , उनके मध्य शत्रु उत्पन्न हो जायेंगे। और दीने इस्लाम से शाब्दिक इसलाम के अतरिक्त कुछ न शेष रहेगा। उस समय लाल हवाओं के चलने की प्रतीक्षा करना चाहिऐ , आकाश से पत्थर बरसना , मुखडों के कीर्तिहीन हो जाने और पृथ्वी के धंस जाने और इस बात की पुष्टि भगवान के उस वचन से होती है जो दैवीय पुस्तक में उपलब्ध है। उस समय जबकि कुछ असहाब ने पुनः कहा कि या रसूल अल्लाह यह सब कुछ कब होगा तब आपने कहा की उस समय जब नमाज़ों को छोड़ दिया जायेगा , काम वासनाओं का अनुसरण किया जायेगा। विभिन्न प्रकार के कहवे पिये जायेंगे , चाय , काफी , क़हवा आदि। माँ-बाप को गालियाँ दी जायेंगी , पुरुष अपनी स्त्री के आदेशों का पालन करेंगे , पडोसी अपने पड़ोसी पर अन्याय करेगा , बड़ों के ह्रदय से दया समाप्त हो जायेगी , बालकगण निर्लज्ज हो जायेंगे , मकानों की नींव मज़बूत रखी जायेगी , सेवकों तथा सेविकाऩों पर अत्याचार होगा , अपनी इच्छानुसार गवाही दी जायेगी , प्रशासन अन्याय व अत्याचार में लिप्त होगा , भाई भाई से जलन करेगा , साझेदार चोरी करेंगे , प्रेम का अभाव होगा , व्यभिचार खुब कर किया जायेगा , पुरुष स्त्रीयों के वस्तत्र से अपने को सुशोभित करेगा , स्त्रियां निर्लज हो जाचेंगी , लज्जा का आँचल स्त्रियों से अलग हो जायेगा , लोगों ह्रदय घमंड से परिपूर्ण होंगे , भलाई कम बलात्कार अधिक दृष्टिगोचर होगा , महान पाप सरल माने जायेंगे , मनुष्य मालदार होने के कारण प्रशंस्नीय होंगे , गाने बजाने में अधिक धन का प्रयोग होगा (सिनेमा आदि) , परलोक का कुछ भी ध्यान न होगा , मनुष्य दुनियादारी में लिप्त होगें , सदाचारी कम , प्रलोभन अधिक , उत्पात और समस्याये अधिक हो जायेंगी , मोमिन अपमानित तथा मुनाफ़िक को मित्र जाना जायेगा , मस्जिदें अज़ानों के स्वर से भरी परन्तु ह्रदय इमान रहित होंगे , कुरान को हल्का समझा जायेगा , मुखडा मनुष्य तुल्य तथा ह्रदच शैतान तुल्य होंगे , जैसा कि भगवान की वाणी है , मुझे धोखा देते हैं क्या तुम हमारी ओर पलटने वाले नहीं थे मुझे सौगन्ध है अपने तेज व प्रताप की यदि तुम्हारे मध्य आराधना करने वाले वह सज्जन पुरुष न होते तो निश्चित ही मैं तुम पर वर्षा की एक बूंद भी न बरसाता तथा भूमि पर घास का एक तिनका भी न उगता। आश्चर्य है उन व्यक्तियों पर जिनका धन उनका भगवान है , आशाँए लम्बी तथा आय कम है , वह अपने उद्देश्य प्राप्ती की लालसा करते हैं किन्तु पहुंच नहीं सकते। बिना कर्म और कार्य नहीं सम्पन्न होगा बिना बुद्धि , पुनः कहा , लोगों , वह समय आने वाला है जब कि उनके पेट उनके भगवान होंगे (पेट पूजा) अर्थात मात्र इसी चक्कर में रहेंगे तथा उनकी स्त्रिया उनका किब्ला व काबा होंगी एंव उनका माल व धन उनका धर्म होगा। उनमें शाब्दिक इसलाम के अतरिक्त कुछ न शेष होगा। कुरान का मात्र पाठ होगा , मस्जिदें भी होगी किन्तु दिल सद्भावना से ख़ाली होंगे अर्थात वह लोग सद्भावना रहित होंगे उनके युग के उलेमा लोगों मे सबसे अधिक पाखंडी होंगे। उस समय भगवान चार-चार वस्तुओं में लिप्त करेगा , (1) राजाओं का अन्याय ( 2) आकाल ( 3) अधिकारियों व सरदारों द्वारा शोषण ( 4) बुतों पूजा।

सहाबा ये सुनकर आश्चर्य विस्मित हो गचे और कहा या रसूल अल्लाह मुसलमान होकर बुतों की आराधना कैसे होगी आपने कहा उनके निकट धन दौलत एक बुत होगा।

टिप्पणीः

यदि एकाग्रचित और गहन ह्रदय से इस खुत्बे का अध्ययह किया जाये , तो क्या अचूक रुप से ह्रदय साक्षी न बनेगा कि लगभग चौदह सौ वर्ष पूर्व जो कुछ हुजूर ने कहा था वह आज शब्दतः पूर्ण हो रहा है हुजूर की पैग़म्बरी दृष्टि भली प्रकार इस समाज को देख रही थी।

संकलन कर्ताः

हज़रत अली ने अपने प्रसिद्ध ख़ुत्बे अलब्यान में सविस्तार लक्षणों का उल्लेख किया है एंव अद्भुत प्रकार से भविष्य के वृतान्त की विवेचना की है। मैंने इस कारण उक्त ख़ुत्बे को नहीं लिखा कि उसे अल्लामा मजलिसी ने अपने द्वारा संकलित ख़ुत्बों में सम्मिलिती किया है जिज्ञासा रखने वाले यना बिउल मोवद्दत तथा किताबे बशारतुल इसलाम जो सै 0 मुस्तफा आले सै 0 हैदर काजमी द्वारा संकलिती है तथा बग़दाद में मुद्रित हैं , में देख सकते है। मैं आपके दैसरे व्याख्यानों के अंश बाद में प्रस्तुत करुँगा। अन्तिम काल सम्बन्धी हजरत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ 0) का कथन प्रस्तुत हैः

दारुसलाम नामक ग्रन्थ में अल्लामा निराक़ी ने तथा बेहारुल अनवार व किताबे रौज़तुल काफ़ी में शेख़ कुलैनी ने अपनी सनद (प्रमाण) से हमरान के कथनानुसार , प्रलय के लक्षणों के परिपेश में , एक विस्तृत वार्तालाप के मध्य , इमामे जाफरे सादिक (अ 0) ने कहा कि ए हमरान , जिस समय हक़ (सत्य) शिथिल हो जायगा तथा इसके मित्र हममें से हठ जायेंगे उस समय तू देखेगा कि हगरों में अन्याय व अत्यचार का बोल बाला होगा कुरान पुराना हो जायेगा अर्थात कोई इसके आदोशों का पालन नहीं करेगा , कुछ वस्तु इसके सार में अपने मनोभावों के आधार पर बढ़ा ली जायेगी जिनका सम्बन्ध मूल कुरान से न होगा फलतः कुरान उलट पलट हो जायेगा। है व्यक्ति फिर तू देखेगा कि मिथयवानों (झूठों) ने सत्यवानों को पराजित कर के श्रेष्ठता प्राप्त कर ली तथा प्रत्येक दिशा में आतंक दिखाई देने बगा , दुरगुण और दुराचार ने समान रुप धार लिया। पुरुषों ने पुरुषों और स्त्रियों ने स्त्रियों से सम्बन्ध बना लिये , मोमिन तिरिस्कृत तथा झूठे और दुराचारी सम्मानित बन गये , छोटे बड़ों का आदर वर्जन किया , गर्भ गिराये जाने बगे। पपी व दुराचारी की उसके दुरायरण पर प्रशंसा होने लगी और कोई टोकने वाला भी नही , पुरुष वह कार्य करने लगे जो स्त्रियों से सम्बन्धित थे यानि मफ़ऊल (कर्म) से सम्बोधित सम्बोधक उस समय स्त्रयाँ स्त्रियों से विवाह करने लगेंगी। अप्रशंसनीय व्यक्तियों की प्रशंसा की जायेगी , लोगों का धन भगवान की अवज्ञा में अधिक ख़र्च होंगे और कोई उन्हे रोने वाला न होगा। अमोद-प्रमोद मदिरा व्याभिचार सामान्यता प्रचलित हो जायेगा। तू देखेगा कि मोमिन को भगवान की वन्दना से रोका जा रहा है और ईश्वर की आराधना पर उसे बुरा भला कहा जा रहा है , पड़ोसी अपने पड़ोसी को कष्ट पहुँचा रहा है , काफ़िर पृथ्वी पर विकार उत्पन्न करके प्रसन्न हो रहे हैं , जो सदाचार का मार्ग प्रशस्त कर रहा है अपमानित हो रहा है , दुराचारी शक्तिशाली हो रहा है , सदाचार अवरोधित तथा दुराचार का पत प्रशस्त हो जायेंगा , ईश्वर का घर (ख़ाना – ए काबा) हजकर्ताओं से रोका जायेगा। हज – साधारण जो कहेंगे उसे पूरा नहीं करेंगे। पुरुष – पुरुषों के साथ दुराचार करने हैतु पौष्टिक आहार लेंगे तथा स्त्रियों के साथ दुराचार हैतु पौष्टिक भोजन का प्रयाग करेंगे। बहुदा पुरुषों का गुज़ारा उनकी पूठ (गुदा) होगा और बहुधा स्त्रियों का जीविका अपार्जन उनके अगले भाग (योनि) द्वारा होगा। स्त्रियाँ अपने संघ तथा सभाएं स्थापित करेगी तथा पुरुषों में स्त्रियों की विशेषताऐं उत्पन्न हो जायेगी अर्थात स्वंय को स्त्रियों के समान इस प्रकार सुशिभत करेंगे जिस प्रकार स्त्रियाँ पतियों के लिये श्रँगार करती है। जन-साधारण में गुदा मैथून का प्रचलन हो जायेगा (इस विषय में एक व्यक्ति दूसरे को संदिग्ध दृष्टि से देखेगा।)

बनी अब्बास लोगों को इस लिये धन देंगे कि वे उनके साथ गुदा मैथून करे या स्वंय कराये। स्त्रियाँ व्याभिचार पर गर्व व वैभव प्रकट करेगी और अपने पुरुषों को घूस देंगी ताकि दूसरी स्त्रियों के साथ काम भोग में लिप्त हों या दूसरे पुरुषों से व्याभाचार करायें। वह घर सबसे अच्छा माना जायेगा जिसमें स्त्रियां पुरुषों के प्रत्येक दोष व अवज्ञा में सहयोग करें।

फिर कहते है कि धनवान ईमान वाले से अधिक प्रिय होगा खुले आम तैद खाने का रिवाज होगा। तथा कोई निन्दा करने वाला भी न होगा। झूठे साक्ष्य (शहादत) स्वीकार किये जायेंगे , ईश्वर की ओरहराम वस्तुओं को हलाल तथा हलाल को हराम माना जायेगा। धार्मिक आदेशों का इच्छानुसार निष्कर्षण किया जायेगा , अधिकारीग केवल काफ़िरों को नकटतम करेंगे तथा मोमिनों को दैर करें तथा आमतौर से घूसघ़ोर होंगे अधिकारी बनने के लिये अत्यधिक धन खर्ज किया जायेगा। पुरुष स्वंय अपनी स्त्रियों से गुदा मैथून करेंगे , झूठे आरोपों व दोषारोपण के कारण लोगों की हत्या की जायेगी , पुरुषों की स्त्रियों के साथ संभोग करने पर निन्दा की जायेगी तथा कहा जायेगा पुरुषों के साथ गुदा मैथून क्यों नहीं करते। पुरुष अपनी स्त्रियों की व्याफिचार की कामाई पर जीविका निर्वाह करेंगे तथा दोनों प्रसन्न रहेगें। पत्नियाँ उपने पति की इच्छा के विरुद्ध कार्य करेगी , किन्तु पति उनसे भयभीत रहेंगे इसलिये कि स्त्रियाँ स्वंय उनकी जीविका (रोज़ी रोटी) का साधन रहेंगी , मात्र जीविका उपार्जन हैतु भगवान की झूठी सौगन्ध ग्रहण की जायेगी , जनसाधारण में प्रचलित होगी मदिरा सेवन तथा मदिरा विक्रय पर प्रतिबन्ध नही होगा , मुसलमान नारियाँ काफ़रों के साथ होंगी तथा लेखने वाले मुसलमान आपत्ति न कर सकेंगे और न आपमानित करने की शक्ति रखते होंगे।

आधिकारीगण के समीप वह होगा जो हम अहलेबैत (अ 0) रसूल के परिवार जन) का शत्रु होगा तथा शत्रुता पर गर्व करता होगा। हमारे मित्रों की गवाही स्वीकार न की जायेगी मब्कि समस्त बोग झूठ एंव धोखाधड़ी की ओर आकर्षण व्यक्त करेंगे। कुरान का पठन एवं सुनना भारी पड़ेगा। झूठी कहानियों का सुनना सहज हो जायेगा। पड़ोसी अपने पड़ोसी के साथ ईश्वर के लिये कई दया न करेगा किन्तु पड़ोसी कटुवाणी के भय से कुछ भलाई करता रहेगा। भगवान द्वारा निर्धारित प्रतिबन्ध समाप्त हो जायेंगी और विषय वासना काम ईच्छा के अनुसार कार्य सम्पन्न होगा , दिषियों को नियमानुसार दण्डित नहीं किया जायेगा , परोक्ष निन्दा खुलेआम होगी तथा अन्याय प्रदर्शित होगा परोक्ष निन्दा लोगों को भली लगेगी , हज एंव धार्मिक युध (जिहाद) ईश्वरीय नियमों से हट कर किये जायेंगे , मस्जदें सोने से सजायी जायेंगी और सम्राट व अधिकारी आस्तकों को नास्तिकों की इच्छानुसार तिरस्कृत करेंगे और कुरीतियां अच्छाईयों पर विजयी होती दृष्टिगोजर होंगी , कम बेचना एंव कम तोलना लोगों का आचरण होगा। रक्त पात अत्यंत सरल माना जायेगा कटुभाषिता को ख्याति दी जायेगी ताकि लोग भयभीत हो।

फिर कहा कि है सम्बोधि , जब मूसलमान नमाजों के सरल व हल्का मानेंगे , अध् धन के उपरान्त ज़कात न देंगे। मृतक के कफ्न क़ब्र से निकाल कर बेच डालेंगे , हरज मरज अर्थात हत्या विनाश अत्यदिक होगा , पशु भी एकत्र होकर आपस में एक दैसरे के टुकडे-टुकड़े करने लगेगे नमाज़ , नमाज़ रहित वस्त्रों में पढ़ी जायेगी ह्रदय कठोर तथा आँखे शुष्क हो जायेगी लोग अवैध जीविका की ओर आकर्षत होंगे म्करी के साथ आराधना होगी , उलेमा व दार्शनिक संसार हैतु धार्मिक ज्ञान प्राप्त करेगे , पार्टी व समूह बना कर जीवन व्यतीत किये जायेंगे , अवैध चाहने वालों की प्रशंसा की जायेगी , मक्का तथा मदीना से कुकर्म अच्छाईयो का मार्गदर्शन तथा कूरीतियों का मार्ग अवरोध कर दिया जायेगा , दुराचरण व दुरव्यवहार करनें में ए , दैसरे पर दृष्टि रखी जायेगी मृतकों की इंसी उड़ाई जायेगी तथा मृत्यु के पश्चात् उन्हे बुरा भला कहा जाचेगा और हर आने वाले वर्ष में बीते वर्ष की तुलना में संसार में अधिक उत्पात प्रदर्शित होंगे धनवानों का अनुकरण एंव अनुसरण किया जायेगा , धनविहीनों एंव दुर्बनों की इंसी उड़कई जायेगी , आकाश पर प्रकोप के लक्षण विद्यमान होंगे (जैसे बिजली गिरना , भूचाल वृष्टि आदि) किंतु उनसे भयफीत हुआ जायेगा खुले रास्ते कुकर्म किये जायेंगे (चौपयों की सन्ताने माता-पिता को तुच्छ समझेंगे , स्त्रयों में काम वासना प्रबल हो जायेगी तथा पतियों आदेश का कोई मुत्व न रहेगा , सन्तान माता-पिता से घृणा करने लगेगी तथा उनकी मृत्यु पर प्रसन्न होंगे , यदि एक दिन भी पाप न करें तो लोग दुखी प्रतीत होंगे कि आज पाप क्यों नहीं किया , सफलता प्राप्त लोग अनाजों को एकत्र करेंगे एंव बढे हुए मूल्य पर बेचेगे , साधू झूठे एंव धोखाधडी करने वाले वयक्तियों के साथी बनेंगे , और उके साथ जूए- शराब में लिप्त होंगे , मदिरा से चिकित्सा की जाने लगेगी और रोगियों हैतु उसकी प्रशंसा की जायेगी तथा उसके द्वारा आरोग्य चाहा जायेगा , कपटाचारी लोकप्रिय होंगे तथा आस्तिक प्रास्त और शांत तथा उनक् कथन अस्वीकारनीय होगा , अजडान व नमाजड हैतु पारश्रमिक प्राप्त किया जायेगा , मस्जदें ऐसे व्यक्तियों से परिपूर्ण होगी जो ईश्वर का भय न रखते होंगे , विचेतन उन्मत्त व्यक्तिचों को पोश नमाज़ बनाया जायेगा , जब कोई उन्नमत दिखई पडेगा तो उसका आदर किया जायेगा तती उसे अयोग्य न समधा जाचेगा ओरउसकी प्रताड़ना न की जायेगी।

विशेष लक्षण (बवासीर व सफेद दाग)

हुजूर ने कहा है कि प्रलय के नकट तीन वस्तुओं की अधिकता हो जायेगी , बवासीर दुर्घटना से मृत्यु (मर्गेमफा-जात) तथा शरीर पर सफेद दाग़ व कोढ़ , वातज रोग।

अग्नि ही अग्निः

रसूल अल्लाह का कथन है कि प्रसय की शर्तों में से आग है जो पूरब से पश्चिमतक फैल जायेगी।

टिप्पणीः

यहाँ पूरब का शब्द पहले है अतः पूरब की ओर से अर्थात पूरबी देशों से प्रारम्भ होना और सम्भव है कि यह युद्ध की आग हो।

पचास स्त्रियाँ और एक पुरुष-

हुजुर ने कहा कि प्रलय के समीप मूल ज्ञान समाप्त हो जायेगा तथा मूढ़ता प्रकट होगी। मदिरा का अधक प्रयोग होगा तथा व्यक्ति तथा व्याभिचार सामान्य हो जायेगा। पुरुषों की संख्या कम हो जायेगी एंव स्त्रियां अधिक होंगी , यह सीमा इस स्तर तक जायेगी कि पचास स्त्रियों के मध्य एक पुरुष शेष बजेगा।

विभिन्न देशों की तबाही सुन्नियों के मतानुसारः मोहियूद्दीन इब्ने अरबमहाज़ैतुल अबरार मोहाज़रतु अबरार में लिखा है , कथह की कड़ी हैः हुज़ैफा यमानी सहाबी तक समाप्त होती है जिसमें पैग़म्बर का कथन है एक लम्बी हदीस में , कि मिस्त्र उस समय तक नष्ट होगा ईराक़ के कारण तथा मिस्त्र नष्ट होगी नील नदी के कारण तथा मक्का नष्ट होगा हब्शा के हाथों और मदीना नष्ट होगा बाढ़ या चेचक से तथा यमन नष्ट होगा ऐसा घेराव किया जायेगा यहां तक क्रमशः समस्त देशों के विषयों में व्याख्या की है एंव उनकी तबाही की सूचना दी है इसके अतरिक्त अन्य खुत्बों में भी कथन उपलब्ध है।

साठ झूठे नबीः

अब्दुल्लाह इब्ने उमर के सन्दर्भ से का कथह है कि प्रलय उस समय तक न आयेगी जब तक मेरी संतान में से मेहदी (अ 0) प्रकट न हो जाये तथा उनका प्रकट होना उस वक्त तक सम्भन न होगा जब तक साठ एसे झूठे न प्रकट हो जाये जो अपने आपको नबी कहते हों (यह हदीस सही है)

अंग्रेजों से युद्ध और तबाहीः

टिप्पणीः रजम , पत्थर से हत्या , मृत्यु तलवार द्वारा ताउन द्वारा मनी असगर , मुलुकुलरोम क़ायूस दोत बिन ऐसबुर बिन इसहाक़ यूरोपियन)।

अनुवादः

किताब अक़युल दर में औफ़ बिन मालिक से कथन है कि मै पैग़म्बर के पास उपस्थित हुआ उस समय आप मंटयाले रंग की छोलदारी में थे उस समय आपने धैर्यपुर्वक वजू किया तथा मुझे सम्बोधित करके कहा कि प्रलय के आने में छः की संख्या है , मैने पूछा या रसूल अल्ला , वह क्या है पहले तो पत्थर बरसने से मृत्यु है (आकाश से पत्थरों की वर्षा सम्भवतः बम्बारी का बोध) आपने कहा कि यह एक हुआ मैने भी स्वीकारा कि हाँ एक हुआ तब आपने कहा कि दूसरा बैतुल मुक़दत की विजय है , तीसरे दो मृत्यु इस प्रकार की हो कि व्यक्तियों का बध ऐसा हो जैसे भेड़ों बकरियों के समूह काटके समाप्त किये जायें। चौथे धन की वृद्धि वह भी इस प्रकार की कि लोग सौ दीनार रखते है किन्तु उससे उनकी आवश्यकता पूरी न हो पुनः एक उपद्रव उत्पन्न हो जिससे किसी अरब का कोई घर सुरक्षित न रहे और यह उपद्रव तुम्हारे औऱ बनु असग़र (अँग्रेजों) के मध्य होगा। वह मुझसे विश्वासघात करेंगे और अस्सी भागों में विभाजित होर आयेंगे जिनके प्रत्येक भाग में बारह हज़ार व्यक्ति होंगे (अर्थात 80 बटालियन प्रत्येक एक हज़ार की) तुम पर आक्रमण करेंगे। इस हदीस को बुख़ारी ने भी अपनी सही में लिखा है। वर्तमान परिस्थितियों में यह खुत्बा विचारणीय है।

विशेष नगरों तबाही हजरत अली द्वारा वर्णितः

मनाक़िम इब्ने आशेप क़तादा से कथन है जिन्होनें सईद इब्ने मुस्सयब से कहा कि हज़रत अली (अ 0) से प्रशन किया गया आयत मन करपयतिन के सम्बन्ध में उसके उत्तर में आपने विस्तृत सूचना देते हुए अनक हगरों की बरबादी की सूचना दी और कहा अन्तिम समय में जाज , ख्वारज़म तथा असफ़हान व कूफ़ा नष्ट होगी तुर्कों के हाथ (तुर्कों से रुस वालों का बोध है) हमादान और रोम (ईरान) दैलम क़ज़वीन वालों द्वारा और तबरता मदीना व फारस की खाड़ी का क्षेत्र अकाल और भूखमरी से मक्का हब्शा के हाथों , बसरा और बल्ख़ डूबकर सिऩ्ध भारत से और शाम के कुछ क्षेत्र मेना के पैरो तले रौंदे जायेंगेहत्या व विनाश की अधिकता होगी तथा यमन शासकों द्वारा सेजिस्तान और शाम के कुछ क्षेत्र वायु द्वारा (अर्थात गैस इत्यादि) शूमान ताऊन के कारण और मररो टिड्डियों द्वारा और हरात में सर्पों द्वारा प्राणि समाप्त होंगे नेशापूर तबाह होगा दरया ए नील के कटाना से पूर्व में आजरमाईजान घोड़ों की टापों (सेनाओ के आने जाने एंव युद्ध) और विद्युत द्वारा (अर्थात एटम बम आदि) , बुख़ारा ग़र्क होगा तथा अकाल पड़ेगा और सलम व बग़दाद भी नष्टहोगा डूबहै से।

अवैध रक्त का बहना धरती का पवित्र होना सैय्यद हसनी का किरमान व मुल्तान आना मायुद्ध (हज़रत अली (अ 0) द्वारा वर्णित)

अनुवादः

अबी अब्दुल्लाह जाफ़र इब्ने मोहम्मद से इमाम हुसैन के हवाले से कहा गया है कि आपने हज़रत ऩली अलैहिसलाम से मालूम किया कि यह मताएं कि ईश्वर पृत्वी को अत्याचारियों से कब पवित्र करेगा तो अपने उततार में कहा कि पृथ्वी को अत्याचारियों से कब पवित्र करेगा तो अपने उत्तर में कहा कि पृथ्वी उस समय तक पवित्र न होगी जब तक अवैध तक पूरी तरह न बह जाये फिर आपने बनी उमैया बनी अब्बास के प्रशासक का उल्लेख किया एक विस्तृत व्याख्या में पुनः कहा कि क़ायम के प्रकट होने के समय ख़ुरासान में सैय्यद हसनी , (विस्तार बाद में दिया जायेगा) नामक व्यक्ति उठ खड़ा होगा जो किरमान एंव मुल्तान पर प्रभुत्व प्राप्त करेगा और फिर यहां से बनी करवान के द्वीप तक जायेगी (अर्थात हवालिये वसरा) तथा उस समय हम में से अएक क़ायम प्रकट होगा जीलान में जिसका अनुकरण किया जायेगा अस्तराबाद व क़ज़बीन वाले (सैय्यद सनी के) उस समय प्रकट होंगे तुर्कों के झन्ड़े (तात्पर्य रुस वाले विस्तार अग्रतर है) जो अनेकों स्थान एंव मार्गों मंद तथा पवित्र स्थानों पर और फिर उनके मध्य घोर युद्ध होगा यहाँ तक कि बसरा नष्ट हो जायेगा और अरमों के सर्वोच्च् अधिकारी मिस्त्र में स स्थापन होगा तत्पश्यात एक लम्बी कथा एक घटना का आपने उल्लेख किया और कीक कि जब भाले गतिशील हो जाये और पंक्तियाँ सुद्ध पर तैय्यार हो जाये और नीच सज्जनों की हत्या करने लगे (अधर्मी अर्थात रुसियों के हाथों मुसलमानों की हत्या होने लगे) इत्यादि।

लाल मृत्यु एंव श्वेत मृत्युः

हज़रत अली (अ 0) का कथन है कि हज़रत क़ायम के प्रकट होने से पूर्व दो प्रकार की मौतें होगी लाल मौत और सफ़ेद मौत। लाल से तात्पर्य रक्त तथा तलवार द्वारा मौत (युद्ध जिसमें लोगों का रक्तपात हो) और श्वेत मृत्यु ताऊन जो युद्ध के पशचात् फैल जायेगा।

टिप्पणीः

इन संक्षिप्त लक्षणों में स्पष्ट कर दिया गया कि पहले भूमण्डल पर विशेष रुप से पूरब मध्य में मुहायुद्ध होगा फिर यहां ताऊन जायेगा।

पीले झन्डों का शाम में प्रवेशः

हज़रत अली का कथन है कि जिस समय शाम में मतभेद हो जायेगा अर्थात चुद्ध प्रारम्भ हो जायेगा तो यह अल्लाह की निशानियों में से एक निशानी है पूछा कि फिर क्या होगा तो आपने कहा कि शाम पर पत्थर बरसेगें (सम्भव है बम गिराये जायेगे) जिसमें लगभग एक लाख व्यक्ति होंगे। ईश्वर दया दृष्टि करेगा अस्तिकों पर और प्रकोप (यातना) होगा नास्तिकों पर बस जब ऐसा घटित हो तो तुम ध्यान देना अशहबी अशवरोहियों और पीले झन्डों की और जो पश्चमी क्षेत्र में आयेंगे (शाम के पश्चिम में ईराक़ है) यहाँ तक कि वह शाम में पहुँच जायेंगे। बस जब ऐसा हो जाय तो तुम प्रतीक्षा करना शाम का एक ग्राम जिसका नाम हरसा ख़रशा है ज़मीन में धंस जायेगा और जब ऐसा होगा तुम प्रतीशक्षा करना सुफ़याही के उपद्रव की जो फिलिस्तीन की शुष्क घाटी से प्रकट होगा।

टिप्पणीः हरशा- ख़रशा पुराने भूगोल से पती चलता है कि इसकी स्थित दमिश्क़ के निकट है (इब्ने आफला अर्थात् सुफ़ायनी के विद्रोह का हाल विस्तार से अग्रतेर आयेगा)

कूफे का घेराव और मस्जिद के पीछे

नफ्से जकिया की हत्या

अनुवालः असबग़ इब्ने नबाता का कथह है कि मैने इन आयतों के सम्बन्ध में सुना तो था आपने कहा कि इसमें निशानियाँ है औऱ कुछ लक्षण है। जिसमें सर्वप्रथम कूफ़े का घेराव है शत्रु के भय से खाई के द्वारा तथा कूफे की गलियों में झन्डों का फाडा जाना जलाया जाना है , और कूफे की मस्जिद का चालीस रातों तक निलम्बित (मुअत्तल) हो जाना अर्थात कोई नमाज़ को न जा सकेगा और हैकल का निकलना (नसरानियों के कुछ चिन्हों का स्पष्ट होना) या नसारा का छा जाना है। इस क्षेत्र पर मस्जदे बुजुर्ग अर्थात कूफ़ा की मस्जिद के जारों ओर झन्डों का गतिशाली होना है वहां हत्यारे तथा हत्या किये गये दोनों नरकीय हैं , और बड़ी हत्या व लैट का संचार होना और एक पवित्र जीव मनुष्य का मस्जदे कुफ़ा के पीछे हत्या किया जाना अन्य 70 वयक्तियों के साथ तथा एक पवित्र मनुष्य का रुकन व मुकाम के मध्य।

टिप्पणीः

कुछ कथनानुसार कूफ़े की राहों और कोनों में आग लगाना लिखा है जिसका अर्थ यह कि युद्ध के मधय कुफ़े के प्रत्येक स्थान पर आग लगेगी।

यदि विस्तार पूर्वक लक्षणों के देखना चाहें तो हज़रत अली (अ 0) के अल मख़जून नामक व्यख्यान का अध्ययन अति उचित है जो पुस्तक बशरतुल इसलाम जो बग़दाद ते मुद्रित है। संक्षेप में उल्लेख है , इस खुत्बे में हज़रत अली (अ 0) ने आयतों की विवेचना की है और अद्भुत खुत्बा है।

हज़रत अली (अ 0) के खुत्बउल इफ्तेख़रिया के दस लक्षण है

अनुवादः आपने इमाम के उठने के लक्षणों के सम्बन्ध में बताया कि इसके दस लक्षण हैं , जिनमें सबसे पहले कूफ़े तथा उसकी गलियों में झन्डों का विनिमय एंव कूफ़े की मस्जदों का निलम्बन तथा हाजियों का रास्ता बन्द होना (ख़ुरासान) ईरान में ज़मीन धंसना और लोगों का व्याकुल होकर अन्या स्थानों पर अस्त व्यस्त हो जाना फिर एक पच्छल तारे का र्तपात का होना तत्पश्चात सार्वजनिक हत्या होना जिसके बाद भय व लक्षण तक आश्चर्य है। जब यह पूर्ण हो जाये तब इमाम मेहंदी हममे से हैं प्रकट होंगे।

विश्व की जनसंख्या मात्र एक तिहाई रह जायेगी

अनुवादः हज़रत अली (अ 0) का कथह है कि इमाम मेहदी उस समय तक प्रकट न होंगे जब तक एक तिहाई जनसंख्या की हत्या न हो जाये तथा एक तिहाई अपनी सामान्य मृत्यु मर जायें एंव एक तिहाई मात्र शेष रह जायें।

ईरान में नरसंहारः

हज़रत इमाम हुसैन (अ 0) का कथह है कि ईरान में किसी प्रमुख मुद्दे पर दो समुदायचों में परस्पर युद्ध होगा जिसमें अधिक रक्तपात होगा व सहस्त्रों की संखया में लोगो की हत्या होगी।

नियम विरुद्ध गहन लगनाः

हज़रत अली जाफर अर्थात इमामे मोहम्मद बाकिर (अ 0) का कथन है कि इमाम मेंहदी (अ 0) के प्रकट होने के दो प्रमुख संकेत हैं अर्थात प्रवृत्ति के विपरित चाँद ग्रहण पाँचवी तिथि को एंव सूर्य ग्रहण 15 वीं तिथि को। यद्यपि हज़रत आदम के पृथ्वी पर आने के बाद से अब तक ऐसा नहीं हुआ ऐसा हो जाए तो ज्योतिष विज्ञान की गणना का अभिपात हो जायेगा।

भूचालों की अधिकता तथा अत्यधिक भयः

इमाम मोहम्मद बाकिर (अ 0) का कथह है कि इमाम क़ायम उस समय तक न प्रकट होंगे जब तक कि संसार में अत्याधिक भय न व्याप्त हो जाये अधिकाअधिक भूकम्प न आये और प्राणी दुख न भोग ले तथा इससे पूर्व ताऊन न फैल जाये तथा अरबों के मध्य भयंकर युद्ध न हो ले। लोगों में अत्याधिक भैद भाव न उत्पन्न हो जाये और धर्म जर्जर और उसकी दशा विकृत न हो जाये यहाँ तक कि जीवित लोग प्रातः व सायँ अपनी मृत्यु की इच्छा न व्यक्त करने लगें।

बारह सैय्यदों का झूठा दावाः

इमामे जाफ़रे सादिक (अ 0) ने कहा कि इमाम मेहदी उस समय त् व उठेंगे जब तक बनी हाशिम में से बारह झूठे (सैय्यद) लोगों को अपनी तरफ आमंत्री न कर लें।

अरब दिवस पर कूफे में उपद्रवः

अनुवादः हज़रत इमाम जाफर सादिक़ (अ 0) का कथन है। आपने किसी व्यक्ति के लड़के को सम्बोधित कर के कहा कि तुम्हारी मस्जिद के निकट अर्थात कुफ़े में एक घटना उस समय घटित होगी जब अरब डे मनाया जा रहा होगा उस दिन चार हज़ार व्यक्ति जो असहाबे साबून में से होगे बाबेफ़ील के निकट उनकी हत्या होगी। बस जब वह लोग उस पथ से आयें तो तुम उनसे दूर रहना।

टिप्पणीः

अरब दिवस का शब्द विचारणीय है चूँकि दिवस मनाना मात्र इस युग में प्रचलित है।

हतमिया (अटल लक्षण)

अनिवार्य और निसन्देह वह लक्षण है जो इमाम के प्रकट होने के अवसर पर अवशयमेव विद्यमान होंगे उनमें कुछ क्रमशः निम्नलिखित हैं अग्रतर लक्षणों में भी उनका उल्लेख बहुधा आता रहेगा का अतिसूक्षम रुप में हम यहाँ उल्लेख कर रहे हैं अरबी के मूल लेख नहीं दिये जा रहे है वर्न वर्तमान लेख वास्तव में अरबी व फारसी लेखों का अनुवाल हैं। मूल लेख संदर्भित पुस्तकों में देखें जा सकते है।

1. सुफ़यानी का उठनाः

एक अशुभ व्यक्ति अवूः सुफ़ियान बिन हरब की संतान इसका नाम सुफियान पुत्र क़ैस होगा इस्क मूल नाम उसमान इसके पिता का अतबा या अशबा है यह बड़ा कुरुप मुखड़ा फफोलायुक्त नीली आँखों वाला देखने में फिगा रजब मास में जलन्तृण रहित वन कु शुष्क घाटी अर्थात फिलित्तीन के आस पास से उठेगा किन्तु उसका उठाना घोर आतंक के पश्चात् होगा (अर्थात उसके उठने से पूर्व पृथ्वी पर महायुद्ध हो चुका होगा) उसके साथ अत्यंत हिंसक एंव अत्याचारी व्यक्ति होंगे। जिनमें लगभग सत्तर हज़ार यहूदी सम्मिलित होंगे उनकी समस्त संख्या अवैध संतान होगी अर्थात यह सब व्याभिचारियों की संताने होगे आठ मास उसका शासन काल है वह उसी वर्ष सठेगा जिस वर्ष इमाम मेहदी (अ 0) प्रकट होंगे तत्पश्चात इमाम मेहदी के हाथों उसकी हत्या होगी किन्तु इससे पूर्व इतने अत्याचार उसके द्वारा किये जायेंगे कि वह कथन से परे है संक्षेप यह कि उसकी सेनायें मदीन-ए-मुनव्वरा को तहस नहस कर देगी शाम और ईराक़ तक उसके कारण लूटमार का बाज़ार गर्म होगा। किन्तु उसकी सेना जब काबे को नष्ट करने हैतु म्क की ओऱ प्रस्थान करेंगी तो वेदा के स्थान पर (मक्का तथा मदीने के मध्य एक मैदान) पृथ्वी में धंस जायेगा और तब उसके आतंक से छुटकारा होगा (इस सम्बन्ध में अग्रतर लक्षण संकेत आते रहेगे)

2 आकाशीय चीख

अर्थात एक चीख की ध्वनि आकाश से रमज़ान मास की तेइसवीं (शुक्रवार रात्रि) में ऐसी तीर्व उठेगी कि पूरब तथा पश्चिम के लोग उसे सुन सकें व इसके उठाने वाले जिबरईल होंगे जो भोर के निकट स्पष्ट स्वर में इमाम के प्रकट होने की सूचना देंगे और प्रत्येक व्यक्ति उसे अपनी भाषा में सुनेगा।

किन्तु उसी दिन अस्त्र के समय ठीक उसी प्रकार की एक शैतानी वाणी जो पहली वाणी के समान होगी उत्पन्न होगी अतः अधिकता से लोग सन्देह एंव तर्क वितर्क में पड़कर भ्रमित हो जायेंगे इस चीख को उठाने वाला शैतान होगा आवश्यक है कि इस लक्षण को मुख्य रुप से याद रखा जाये क्योंकि इसमें तिथि वह समय सविस्तार उपलब्ध है।

टिप्पणीः-

इस लक्षण से यह स्पष्ट हो रहा है कि सम्पूर्ण भूमण्डल में एक ही समय यह आवाज़ सुनाई देगी अब यह कोई आश्यर्य की बात नहीं क्योंकि भोतिक साधनों द्वारा आज हम एक ही क्षण में किसी विशेष घटना से पूरे संसार में अवगी हो सकते हैं तो फिर इसमे क्या आश्चर्य कि जब उसका प्रबन्ध भगवान की ओर से हो दूसरी आपत्ति की एक वाणी जो विशेष रुप से भाषा में है किन्तु सुनने वाले उसे अपनी अपनी भाषा में सुने भी व्यर्थ है इस युग में यह कठिन हही है उत्तर चयह है कि आज भौतिक साधनों की सहायता से जब यह सम्भव है कि एक व्यक्ति यदि किसी एक जगह पर वक्तव्य देता है तो वह उसी समय दैसरी भाषा में समझ लिया जाती है तो फिर ईश्वर के लिये चह बात कैसे असम्भव होगी हाँ इस लक्षण के वर्णन से इसका अवश्य ज्ञान होता है कि वर्णनकर्ता ईश्वर के प्रतिनिधि की दृष्टि में अन्तिम समय की उन्नति अवश्य है अन्यथा उस युग के अरबों के द्यान में यह बात आक ही नहीं सकती थी किन्तु आज आश्चर्य का अवसर नहीं (इस प्रकार यह लक्षण विशेष है)

3. सूर्य ग्रहणः

पृथ्वी पर इस प्रकार का लगातार सुर्यग्रहण पड़ना कि पहले पूरब देशों में पूरा ग्रहण हो फिर पश्चिमी देशों में तदापरान्त अरब द्वीप में (पिछले वर्ष इसी क्रम में दो स्थानों पर ग्रहण लग चुके हैं) कुछ कथनों में यह उल्लेख है कि कुछ क्षेत्रों का इस क्रम से धरीप में धंस जाने का बोध है भगवान ही ठीक जानीक है

टिप्पणीः-

यह दोनों बाते सम्भव है चूंकि गहन क् अनुभव हो जुका अरब क्षेत्रों का धरती में धंसना भूकम्पोंके कारण हो सकती है तथा आकाशीय आपात तथा गोलाबारी से सम्भव है यदि भूकम्प ही बोध है तो इस क्रम में भूचाल भी अरब द्वीप के अतरिक्त आ चुके है।

4. प्रकृति एंव नियमों के विरुद्ध एक दिन पश्चिम से सूर्योदय

कुछ लोगों ने इसे क़यामते कुबरा (दीर्घ प्रलय) का लक्षण माना है किन्तु अन्य़ लक्ष्णों के अध्ययन से ज्ञात हीक है कि सूर्य इमाम के प्रकट होने के काल में एक दिन ज़ोहर के समय धरती के निवासियों को स्थिर दिखाई देगा तथा अस्र के समय तक उसी दशा में रहेगा और फिर उसी दिन उसी दिशा में उदय हीक दिखेगा। देखने में यह बात बुद्धि में नहीं समाती कि ऐसा कैसे हो सकता है इस प्रकार तो सौर मण्डल में अंतर आ जायेगा तथा उसी अन्तर में संसार अस्त व्यस्त हो जायेगा किन्तु यह बात अज्ञानवंश है अन्यथा न जाने नित्य संसार में कितने परिवर्तन होते रहते हैं।

जिनका हमें आभास तक नहीं होता बल्कि इसी प्रकार यह विचार भी है कि वर्तमान हथियारों के प्रयोग से सम्भव है धरती पर ऐसी घटनाऐं घटित हो कि उसकी चाल में अन्तर पड़ जाये और कुछ समय हैतु देखने में पृथ्वी स्थिर होकर पुनः किसी विशेष झटके के कारण चलने लगे जिससे उसकी गति व उदय एंव अस्त में अन्तर हो सकीक है कुछ लक्षण भी नक्षत्रों तथा पृथ्वी के गति परिवर्तन की ओर संकेत करते हैं चूँकि खगोल विज्ञान मेरा विषय नहीं है अतः इस सम्बन्ध में अधिक विस्तार से नहीं प्रस्तुत कर सकता किन्तु मेरा विश्वास है कि जब हुजूर ने तथा इमामों ने बताया है तो निसन्देह ऐसा होर रहेगा। भले आज समझ में आये या न आये।

परन्तु यह बात सिद्ध है कि पृथ्वी का पिरभ्रमण तथा आकाश की गति अथवा ग्रहों नक्षत्रों की गति में परिवर्तन होता रहता है और किसी समय नक्षत्रों के निकटतम एकत्र होने के कारण विशेष घटनाएँ भी सम्भव हैं। जैसा कि वर्तमान में एक अमरीकी नक्षत्र के ज्ञाता ने यह घोषणा की कि कई ग्रहों के परस्पर मिलने के कारण यह सम्भावना है कि नक्षत्रों का कोई भाग भूमि पर गिरेगा फलस्वरुप दक्षिणी अमेरिका नष्ट हो जायेगा (पाकिस्तान जंग नामी समाचार पत्र के अगस्त 1967 ई 0 में यह सूचना प्रकाशित हुई) अतः पृथ्वी की गति परिवर्तन भी आश्चर्य का विषय नहीं हो सकता किन्तु रसूल अल्लाह के कथनानुसार यह लक्षण अटल है जो परिवर्तनशील नहीं है अतः सम्भव है कि यह लक्षण बिल्कुल अन्तिम समय में पूर्व

5. सूर्य व चन्द्रग्रहणः

पूर्णतया नियमों के विपरित रमाज़न मास की पन्द्रवी में सूर्य ग्रहण पडने और रमज़ान के अंत में या कुछ कथनानुसार पाँचवी को चन्द्रग्रहण लगना भी उल्लेखित है तथा यह परिवर्तन भी गति पर आधारित है और मुझे इस विषय में विवेचना नहीं करनी है क्योंकि इससे पूर्व इस लक्षण के विषय में मैं कह जुका हूं मगर अधिक मात्रा में हदीसों व अख़बारों में इस हदीस का उल्लेख है अतः ऐसा अवश्य हगा तथा यह लक्षण इमाम के प्रकटन से पूर्व होगा। अथवा उन्हीं के काल में हो अन्त में इसके आगे संकेत किया जायेगा।

6. दज्जाल का उठनाः

यह लक्षण भी इमाम के प्रकट होने से सम्बन्ध है विभिन्न पुस्तकों में दज्जाल का हाल विस्तार से उपलब्ध है किंतु मैं संभेप में लिख रहा हूँ कथनों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि दज्जाल का अर्थ सत्य को असत्य में मिला देना है जिसका उद्देश्य धोखा छल कपट है। अतः लोग परिचय में प्रत्येक उस व्यक्ति को दज्जाल कहते जो धोखाधड़ी को अपनी कृत्य बना ले। अतत्र कुछ स्थानों पर बहु वचन (दज्जालो) का प्रयोग हुआ है और इससे तात्पर्य अधिकता से धोखा देने वाले व्यक्ति एंव शासन है। अनेको महानुभावो ने अपनी इच्छा अनुसार विवेचना की है किन्तु यह सत्य है कि जिस दज्जाल का उल्लेख प्रलय के लक्षणों में है वह एक व्यक्ति है जिसका नाम रसूल ने सायद पुत्र सैद बताया है तथा उसकी उपाधि दज्जाल है तथा वह बहुत बड़ा जादूगर है क्योंकि शब्द दज्जाल स्वंय अतिश्योक्ति की श्रेणी का है जिसका अर्थ है कि अत्यंत धोखाधड़ी वाला। यह व्यक्ति पहले नबी होने का फिर भगवान होने का दावा करेगा यह उस काल और समय में प्रकट होगा जिसमें पूर्व मध्य अत्याधिक आकाल की कठिनाईयों में पड़ा होगा और इसी कारण अपनी असमर्थता तथा कठिनाईयों के कारण उस का अनुकरण सर्वप्रथम बहुधा स्त्रियाँ , यहूदी एंव अरब बद्दू करेंगे। यह बड़े ही आतंक का उत्तरदायी होगा। जादूगर होने के फलस्वरूप इसकी सवारी के गधे के रोम रोम से गाने बजाने की ध्वनि उत्पन्न होगी जिसे देख कर बों आश्चर्य चकित रह जायेंगे यह यहूदी वंश में होगा जिसे वह लोग क़तामा कहते है तथा उसका उपनाम अबूयूसुफ़ है अतः यहूदी वंश के लोग इसे नबी स्वीकार कर लेंगे। उसके उठने के पूर्व संसार में तीन साल कठिन अकाल पड़ेगा और तीसरे वर्ष एक हरी पत्ती भी खेतों में नही रहेगी और आकाश से एक बूंद भी पानी न बरसेगा। उसके पाँव मक्का मदीना तक पहुँच जायेंगे।

उसका वाह्य स्वरुप इस प्रकार है लगभग 20 ज़रअ - क़दरे देखने में काना दाहिनी आँख इस प्रकार की कि देखने में लाल रंग के माँस के लोथडे के समान तथा बाँयी आँख माथे पर चमकती हुई अपने निर्धारित स्थान से हट कर होगी। उसका गदहा लाल बाल तथा लाल त्वचा वाला तथा उसके चारों हाथ पैर घुटनों तक काले घुटने से खुर तक श्वेत चूँकि उसको 70 हज़ार सशस्त्र यहूदियों कि सहायता प्राप्त होगी इसलिये उसके द्वारा तीव्र घटनाएं घटित होगी उस समय मात्र बैतुल मुकद्दस सुरक्षित स्थान माना जायेगा क्योकि हज़रत ईसा प्रकट होंगे इमाम मेहदी (अ 0) भी इस अवसर पर वहाँ पहुँच चुके होंगे। यही पर दज्जाल से युद्ध होगा हज़रत ईसा उसे समाप्त करेंगे तत्पश्चात यहूदियों का समापन हो जायेगा सलीब का चिन्ह व सूअर का माँस छूट जायेगा तद-उपरान्त संसार में केवल एक ही धर्म शेष रह जायेगा उसी धर्म का नाम है इस्लाम और केवल वास्तविक इसलाम इस संदर्भ में अलमलाहिम वल फ़ितन पुस्तक में सविस्तार वर्णन है। हुजूरे अकरम (स 0) ने जो कुछ दज्जाल के लिये और उसके भविष्य के लिये कहा है वह सविस्तार इस पुस्तक में उपलब्ध है कुछ प्रमुख एंव संभिप्त संकेत मैं भी मूल लेख के साथ किताम के अंत में दर्शाऊंगा।

7. हज़रत ईसा (अ 0) का आकाश से उतरनाः

प्रत्येक मुसलमान का विश्वास है कि हज़रत ईसा (अ 0) जीवित है न उनको सूली दी गची न उनकी हत्या की गई बल्कि उन्हे आसमान पर उठा लिया गया तथा निश्चित समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आप इमाम मेहदी (अ 0) के समय में दमिश्क़ में पाकतः काल उतरेंगे (इमाम से कहेंगे कि आप आगे आये ताकि इम नमाज़ पढ़ सके अतः इमाम मेहदी नमाज़ पढायेंगे हज़रत ईसा उनके पीछे नमाज़ पढ़ेगे और फिर आप इमाम के साथ दज्जाल से युद्ध करेंगे और उसका वध करेंगे उस समय शेष भटके हुएं ईसाई व यहूदीगण मुसलमान हो जायेंगे , कुरान में हज़रत ईसा के सम्बन्ध में विस्तार पूर्वक तथ्य उपलब्ध हैं और बहुधा हदीस में भी आपके उतरने का उल्लेख है। पूरे इस्लामी समाज में केवल मिर्ज़ा गुलाम अहमद क़ादयानी ऐसे एक अदभुत व्यक्ति हुऐं है जिन्होनें ईसा मसीह के जीवित होने को अस्वीकार किया है। बडे बड़े दावे किये है जो सबके सब असत्य और तथ्य से परे सिद्ध हुए उनके लेख ही उनके दावे की सत्यता से विपरीत है मेरा शीषर्क उनके विरूध्द प्रमाण प्रस्तुत करना नही बल्कि धर्म की सीधी राह पर चलने वाला मुसलमान उनके दावे की असत्यता से अवगत है अतः उनके फैलाये हुए पथभष्रटता से मात्र वही वर्ग प्रभावित हो सकता है जिसकी दृष्टि कुरान एंव हदीसो पर न हो इस विषय पर बहुधा पुस्तकों में सामग्री उपलब्ध है मेरी इस पुस्तक के शीर्षक से यह तर्क अलग है मात्र इतना याद रखना आवश्यक है कि मिर्ज़ा साहब ने स्वंय को मसीह कहा है किंतु हदीसो मे हर स्थान पर ईसा पुत्र मरयम का शब्द है और मिर्ज़ा साहब की माताश्री का नाम मरयम नहीं था और न वह स्वंय ईसा इब्ने मरिया कहलाने के भागी थे इसलिये उनका बोध नहीं हो सकता अन्य जो परिस्थितियाँ और दशांए ईसा पुत्र मरियम की बतायी गई थी जो झूठे मसीह अर्थात मिर्ज़ा साहब पर पूरी नहीं उतरती है बल्कि झूठे मसीह के सम्बन्ध में जो लक्षण मुसलमानों की पुस्तकों एंव अन्य पवित्र पुस्तकों में वर्णित है वह मिर्जा साहब पर पूरे उतरते है अतः कोई मुसलमान उनके दावे से धोखा नहीं खा सकता प्रत्येक दशा में यह एक अटल लक्षण है जो पूर्ण होकर रहेगा। और ईसा पुत्र मरियम जो भगवान के नबी है अवश्य उतरेंगे और उस समय भगवान चाहैगा तो धोखा युक्त विश्वास की वास्तविकता भी प्रकट हो जायेगी (भगवान का शुक्र है कि शासन ने इस वर्ग को नास्तिक घोषित कर दिया)

8. संसार में आग तथा धुऐं का फैल जानाः

बहुधा हदीसों मे इस लक्षण का उल्लेख है जिसका विस्तार उनके हदीसों के सम्बन्ध में अग्रतर दर्शाए जाते रहेंगे किन्तु यह लक्षण अटल है देखने में ज्ञात होता है कि संसार में धुँआ अध्क हो जायेगा फलस्वरुप अनेको स्थानों पर आग भी लगेगी सम्भवतः इससे यहाँ पर तात्पर्य नाना प्रकार की गैसों का प्रयोग हो जो इस काल में विभिन्न प्रकार के बमों में प्रयोग हो रही है परिणाम स्वरुप बहुधा स्थान पर आग लगा करती है अतः अंतिम काल में विभिन्न प्रकार की गैसों का अधिक्य एक विशेष लक्षण है कि आजकल जिसका प्रत्यक्ष दर्शन भी हो रहा है इसी क्रम में विशेष लक्षण प्रमुखता अदन की गहराईयों से आग का फैलना है। इस लक्षण से यह संकेत भी स्पष्ट हो जाता है कि अन्तिम काल में अदन के पेट्रोल के भण्डार में आग लगेगी या लगायी जायेगी। जो वास्तव में उस क्षेत्र विनाश की पृष्ठि भूमि सिद्ध होगी इस सन्देह और विचार की उपेक्षा नहीं कि जा सकती क्योंकि हदीस के शब्द स्पष्ट हों अदन की गहराईयों में आग उत्पन्न होगी जो लोगों को प्रलय हैतु चलने को आमंत्रित करेगी।

9. बगदाद शहर का विनाशः

बहुधा हदीसों में अनेक नगरों विनाश का उल्लेख है किन्तु बग़दाद के विषय में इस विश्वास के साथ उल्लेख है कि आलिमों ने इसे भी अटल माना है इस प्रकार हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ 0) ने एक सविस्तार खुत्बा इस सम्बन्ध में दिया है जो आसारे क़यामत नामक पुस्तक में उल्लेखित है साथ ही हज़रत अनी है भी अपने ख़ुत्बे में इस ओर स्पष्ट संकेत किये हैं संक्षेप में यह कि ऩनेको हदीसों से यह सूचना प्राप्त हुई है कि अन्तिम काल में एक नगर आबाद होगा जिसका नाम बग़दाद होगा (सम्भवतः इससे वर्तमान नये बग़दाद का बोध है) इस नगर में पाप का इतना अधिक्य होगा कि यह भगवान के प्रकोप का केन्द्र बन जायेगा तथा इस नगर पर ऐसे अद्भुत प्रकोप होंगे जो लोगों ने इससे पूर्व न लेखे होंगे , ताऊन आकाल लजला नदी पकी बाढ़ तूफ़ान वायू तथा वृष्टि आदि इस नगर के विनाश का आरम्भ उस समय से प्रारम्भ होगा जब वहाँ तीन प्रकार के झन्डे परस्पर मतभेद हैतु एकत्र होंगे एक पीले रंग का , दूसरा पश्चिमी दिशा का और तीसरा पास पड़ोस के झन्डे , सम्भवतः यह परस्पर युद्ध का घोतक है , भगवान को ही इसका ज्ञान है , प्रत्येक दशा में यह अटल लक्षण है।

10. सैय्यद हसनी का उठना

यह सुन्दर नौजवान हैं , इमाम हसन से सम्बन्ध वश इन्हे हसनी कहा जाता है दूसरे अनेको कथनानुसार आपका ही नाम हसन है या आप की उपाधि हसनी है। आग ईरान में दैलम व क़ज़वीन के आस-पास से उठेंगे आप न इमामत का दावा करेंगे , न ख़िलाफ़त न उत्तराधिकार का और न मुदियत का बल्कि वह बड़े आतंक का समय होगा अतः आप अच्छे कार्य करने एंव बुरे काम छोड़ देने हैतु लोगों को आमंत्रण देंगे गुहार करेंगे इस अवसर पर सर्वप्रथम तालेक़ान निवासी आप की याचना पर उपस्थित होकर आप के साथ एकत्र होंगे तथा आप उनके समूह के साथ वहाँ से चलेंगे और आस-पास में अपने संदेश का प्रचार करते हुए किरमान के मार्ग से मुल्तान में पधारेंगे और फिर मुल्तान से कावान द्वीप अर्थात बसरा तक पहुँच जायेंगे यह समस्त क्षेत्र आपके प्रभाव में आ जायेगा और यहाँ से कूफ़े की और प्रस्थान करेंगे यहाँ पर आप को सूचना प्राप्त होगी कि इमाम मेहदी प्रकट हो जुके हैं और मक्का और मदीना की ओर से ईराक़ गधार रहे हैं। कूफ़ा निवासियों पर यह समय बड़ा कठिन होगा कूफ़े ही के आस-पास आप इमाम मेहदी (अ 0) के दर्शन से लाभान्वित हों और आप से ईश्वरीय चमत्कार की माँग करेंगे जब चमत्कार का प्रदर्शन हो जायेगा तो आप इमाम से कहेंगे कि ऐ रसूल के पुत्र अपना हाथ बढ़ाईये ताकि बैअत (भक्ति प्रतिज्ञा) करु बस आप इमाम के हाथ को चूमेंगे तथा एक बड़ी संख्या सहित भक्ति प्रतीज्ञा (बैअत) करेंगे। इमाम जाफ़र सादिक़ (अ 0) का कथन है कि भगवान की सौगन्ध हसनी इमाम मेहदी से परिचित है किन्तु मात्र लोगों की संतुष्टि हैतु ईश्वरीय चमत्कार की माँग की थी इस अवसर पर ज़ैदिया समुदाय के चार हज़ार जवान जो यमन के निवासी होंगे और जैद- शहीद को अपना इमाम मानते होंगे वह ईमाम की भक्ति प्रतिज्ञा (बैअत) को अस्वीकार करेंगे। यह समस्त नौजवान पहले सै 0 हसनी की सेना के सिपाही थे अतः ईमाम , सैय्यदहसनी को उन्हे समझाने के लिये आदेश दें मगर उन पर किसी शिक्षा का प्रभाव न होगी इस प्रकार तीन दिन तक उन्हे समझाया जायेगा किन्तु जब उस का कोई प्रभाव न होगा तो इमाम उनके वध का आदेश देंगे और उन सबका वध कर दिया जायेगा।

टिप्पणी

सैय्यद हसनी के विषय में विस्तार उपलब्ध है हज़रत अली के खुत्बे में भी वर्णन है मैने संक्षेप में लिख दिया है

11. दाब्बतुल अर्ज़ उठना-

बहुधा विश्वस्नीय हदीसों मे दाब्बतुल अर्ज़ के उठने का उल्लेख है परन्तु इतनी विवेचना की गई है कि मैं स्वंय पूर्ण रुप से समझने में सक्षम नही रहा हैँ चूँकि यह लक्षण इमाम मेहदी के प्रकट होने के बाद का है और इसे क़यामते कुबरा (दीर्घ प्रलय) के लक्षणों मे माना गया है अतः इस स्थान पर इसकी व्याख्या निष्फल होगी ज्ञान की जिज्ञासा करने वाले किताम नरुला अनवार तथा अलमलाहिम वलफ़ितन में अध्ययन कर सकते हैं।

टलने योग्य या शर्त पर आधारित लक्षणः

इस विषय में अनेकों लक्षणों का उल्लेख किया जा सकता है किन्तु पहने मैं उल लक्षणों का जो इस समय तक पूरे नही हुए बल्कि भविष्य में पूरे होंगे का वर्णन करुँगा इन्हे इस शीर्षक में इसलिये इंगित कर दिया कि चूँकि इनका समय नियत नहीं बल्कि समय में परिवर्तन व विलम्ब भी सम्भव है यह भी हो सकता है कि अनेक लक्षण ईश्वर के सज्जन पुरुष की प्रार्थना व सदाचार वश देर तक प्रकट हो किन्तु यह सभी लक्षण प्रकट अवश्य होंगे और वास्तव में मेरी वर्तमाह पुस्तक के लेख का उद्देश्य यही लक्षण है समप्रति उर्दू अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ किन्तु पुस्तक के अन्तिम भाग में महुधा अरबी पंक्तियाँ। भी प्रस्तुत कर दिये जायेंगे जिन लेखों का अनुवाल किया जा रहा है उनकी मूल पँक्तियों का मैं उत्तरदायी हूँ। यदि मूल लेख से अभिरुजि है तो नूरुल – अनवार मुद्रित है ईसा देखने हैतु पर्याप्त है इसके अतरिक्त अलमलाहिम वलफ़ितन अध्कतर विवेचना उपलब्ध है।