शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

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शिओं के बुज़ुर्ग उलमा लेखक:
कैटिगिरी: शियो का इतिहास

शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

लेखक: मौलाना सैय्यद क़मर ग़ाज़ी जैदी
कैटिगिरी: विज़िट्स: 5269
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शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

अलहसनैन इस्लामी नैटवर्क

अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी अलैहिर्रहमा

शहीद मुतह्हरी का कथन

अबुल हसन पुत्र अली पुत्र हुसैन पुत्र मूसा पुत्र बाबवे एक प्रसिद्ध फ़कीह थे। वह अपने समय मे क़ुम के फ़कीहों व मुहद्दिसों के सरदार थे। समस्त शिया धार्मिक कार्यो मे उनसे सम्बन्ध स्थापित करते थे। उनका फ़तवा सबकी दृष्टी मे आदरनीय था।

उनकी श्रेष्ठता व पवित्रता का इस बात से अंदाज़ा लगाया जासकता है कि अगर किसी विषय मे अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के कथन न मिलते हो और उस सम्बन्ध मे इनका फ़तवा मौजूद हो तो क्योकि उनका जीवन काल इमामे मासूम के समय से बहुत समीप था अतः हमारे फ़कीह उनके फ़तवे को हदीस के बराबर मानते थे।और उनके फ़तवे को उस विषय मे हदीस होने का आधार मानते थे। जैसा कि शहीदे अव्वल ने अपनी किताब ज़िकरी मे इस प्रकार वर्णन किया है। “हमारे फ़कीह क्योंकि उन पर पूर्ण रूप से विशवास करते थे अतः जिस विषय मे वह दलील (तर्क) नही रखते थे उस विषय के बारे मे अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी के रिसाले से दली प्राप्त करते थे। ”

इब्ने नदीम का कथन

प्रसिद्ध इतिहासकार इब्ने नदीम अपनी किताब फ़हरिस्त मे लिखते हैं कि “इब्ने बाबवे अली पुत्र मूसा क़ुम्मी शियों के एक विशवसनीय फ़कीह थे। “

इमामे ज़माना की विशेष कृपा

अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी इमामे ज़माना की कृपा के विशेष पात्र हुए तथा इमामे ज़माना का एक पत्र भी आदरनीय हुसैन पुत्र नोबख्ती की मध्यस्था से उनको प्रप्त हुआ। इस पत्र के सार का नजाशी ने अपनी किताब रिजाले नजाशी मे इस प्रकार वर्णन किया है। “ अबुल हसन पुत्र अली पुत्र हुसैन पुत्र मूसा पुत्र बाबवे क़ुम्मी जो क़ुम के लोगों के फ़कीह व उनके विशवसनीय हैं वह इराक़ आये। तथा अबुल क़ासिम हुसैन पुत्र रूह से मुलाक़ात कर उनसे कुछसवाल किये।तथा बाद मे कुछ बातों को लिखित रूप मे दिया और लिखने का कार्य अली पुत्र जाफ़र पुत्र असवद ने किया। इन लेखो मे से एक लेख के बारे मे उन्होने कहा कि इसको इमामे ज़माना की खिदमत (सेवा) मे भेज दिया जाये । इस पत्र मे इमाम से संतान प्राप्ति के लिए दुआ की प्रार्थना की गई थी। इस का उत्तर इमाम से इस प्रकार प्राप्त हुआ कि हमने अल्लाह से दुआ करदी है कि वह आपको संतान प्रदान करे। अतः आपको शीघ्र ही दो नेक बेटे प्राप्त होगें। ”

इसके बाद अबु जाफ़र व अबु अब्दुल्लाह नामक दो बेटे उनको प्राप्त हुए। अबु अब्दुल्लाह हुसैन पुत्र अबीदुल्लाह ने उल्लेख किया है कि मैंने अबु जाफ़र से सुना है कि वह बार बार कहते थे कि ” मैं इमामे ज़माना की दुआ से इस संसार मे आया हूँ। ” वह हमेशा इस पर गर्व करते थे।

अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी की रचनाऐं

अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी की अनेक रचनाऐं हैं इनमे से मुख्य इस प्रकार हैं। किताबे शराए इस किताब को उन्होने विशेष रूप से अपने पुत्र सदूक़ (रहमतुल्लाह अलैह) के लिए लिखा। उनकी अन्य रचनाऐं इस प्रकार हैं--- रिसालःतुल इखवान ,कुर्बुल असनाद ,तफ़सीरे क़ुऑने करीम ,किताबुन निकाह ,अन्नवादिर ,किताबुत्तौहीद ,अस्सलात ,मनासिके हज इत्यादि---

स्वर्गवास

आदरनीय अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी का स्वर्गवास 329 हिजरी क़मरी मे हुआ। उनको क़ुम मे मासूमा के हरम के सहन के क़रीब (समीप) दफ़्न किया गया।

वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।

हुसैन पुत्र अबी अक़ील उमानी अलैहिर्रहमा

आयतुल्लाह मुतह्हरी का कथन

“ कहते हैं कि इब्ने अबी अक़ील उमानी यमनी थे क्योंकि उमान दरया ए यमन के किनारे की आबादीयो मे से एक है। वह जाफ़र पुत्र क़ुलवीय के उस्ताद थे और जाफ़र पुत्र क़ुलवीय शेख मुफ़ीद के उस्ताद थे। इब्ने अक़ील का फ़िक्ह मे स्थान स्थान पर उल्लेख मिलता है। हुसैन पुत्र अबी अक़ील जिनका लक़ब हिज़ा और कुन्नियत अबू अली है वह उमानी के नाम से प्रसिद्ध हैं।वह शेख मुफ़ीद के उस्ताद (गुरू) व शिया सम्प्रदाय के एक महान फ़कीह व मुतकल्लिम थे। यह शेख कुलैनी रहमतुल्लाह के समकालीन थे। ”

मरहूम मुदर्रिस का कथन

मुदर्रिस अपनी किताब रिहानःतुल अदब मे लिखते हैं कि “शेख मुफ़ीद अलैहिर्रहमा ने उनकी बहुत प्रशंसा की है। वह प्रथम व्यक्ति हैं जिन्होने इमामे ज़माना की ग़ैबते कुबरा के प्रथम चरण मे फ़िक़्ह को परिमार्जित किया व उसको असूल के क़वाइद (सिद्धान्तो)के अनुकूल बनाया। उन्होने इज्तेहाद के मार्ग को खोला और अहकामव उसूल के मध्य अनुकूलता स्थापित की। उनके बाद इब्ने जुनैद इस्काफ़ी उनके मार्ग पर चले इसी कारण फ़िक्ह मे इन दो महान फ़कीहों को क़दीमैन (अर्थात दो पुराने व्यक्ति)की उपाधि से याद किया जाता है।इब्ने अबी अक़ील उमानी अल्लामा हिल्ली व मुहक़्क़िक़ हिल्ली व बाद मे आने वाले विद्वानो की दृष्ठि के विशेष पात्र रहे हैं। वह नमाज़ मे अज़ान इक़ामत के वाजिब होने के पक्षधर थे तथा अज़ान व इक़ामत के बिना नमाज़ को बातिल(निष्फल) मानते थे। ”

मरहूम मिर्ज़ा अबदुल्लाह आफ़न्दी का कथन

मरहूम मिर्ज़ा अब्दुल्लाह आफ़न्दी अपनी किताब रियाज़ुल उलमा मे इनके बारे मे लिखते हैं कि “इब्ने अबी अक़ील एक महान फ़कीह व मुत-कल्लिम थे। उनके मत व कथन हमारी किताबों मे मिलते हैं। उमान मे अधिकतर खवारिज व नवासिब हैं परन्तु ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि वह तीसरी शताब्दी हिजरी क़मरी के बाद पश्चिम के किसी स्थान से आकर यहा बस गये होंगें। ”

नजाशी का कथन

नजाशी अपनी किताब रिजाल मे लिखते हैं कि “वह एक विशवसनीस फ़कीह व मुतकल्लिम थे। उनकी किताब (अल मुतःमस्सिक बे हबले आले रसूल) बहुत अधिक प्रसिद्ध है। शियों मे शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो खुरासान जाये व उनकी इस किताब को न खरीदे। मैंने अपने उस्ताद(गुरू) अबा अब्दिल्लाह से उनकी बहुत प्रशंसा सुनी है। ”

शेख तूसी का कथन

शेख तूसी अपनी किताब अल फ़हरिस्त मे लिखते हैं कि “इब्ने अबी अक़ील शियो के मुतःकल्लेमीन मे से एक थे।उनहोने फिक़्ह मे बहुत सी किताबें लिखी हैं। अल कर वल फ़र इमामत के विषय पर व अल मुतःमस्सिक बेहबेले आले रसूल फ़िक्ह विषय पर उनकी महत्वपूर्ण किताबे हैं। ”

स्वर्गवास

उनके स्वर्गवास की तिथि को जानने के लिए अनेक प्रयास किये गये परन्तु सही तिथि के ज्ञान मे सफलता प्राप्त न हो सकी। परन्तु उनके शेख कुलैनी के समकालीन होने से यह अनुमान लगाया जाता है कि उनका स्वर्गवास भी चौथी शताब्दी हिजरी क़मरी के उतरार्द्ध मे 330 से 350 के मध्य हुआ होगा।

वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।

मुहम्मद इब्ने जुनैद इस्काफ़ी अलैहिर्रहमा

मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र जुनैद इस्काफ़ी इस्काफ़ नामक स्थान पर पैदा हुए। (यह स्थान बसरे व नहरवान के मध्य स्थित था वर्तमान मे यह स्थान इराक़ मे है।) आपका परिवार एक शिक्षित व धार्मिक विचारधारा वाला परिवार था। भाग्य से आपको कार्य करने के लिए वह समय प्राप्त हुआ जब इस्लामी क्षेत्र अब्बासी खलीफ़ाओं से ताज़ा ताज़ा स्वतन्त्र हुए थे।

आदरनीय पैगम्बर के स्वर्गवास के बाद से लग भग 300 वर्षों तक शियों के लिए संकटमय परिस्थितियां रहीं। क्योँकि शिया अल्प संख्यक थे और बनी उमैय्या व बनी अब्बास के समस्त शासको का यह प्रयास किया कि शियों को इनके इमामों से दूर रखा जाये ताकि इनके बीच सम्बन्ध स्थापित न हो सके। अफ्रीक़ा से लेकर स्पेन तक व मिस्र से लेकर चीन की सीमा तक फैले बनी उमैया व बनी अब्बास के शासन मे शिया सम्प्रदाय घुटन के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था। उन पर अपनी धर्म निष्ठा प्रकट करने पर भी प्रतिबँध था।चौथी शताब्दी हिजरी के मध्य मे शियो को थोड़ी स्वतन्त्रता प्राप्त हुई । क्योँकि एक ओर मिस्र मे फ़ातमियों का एक शक्ति शाली शासन स्थापित हो गया था तथा दूसरी ओर शाम नामक प्रान्त मे अपना शासन स्थापित करने वाला सैफ़ुद्दोला नामक शासक शियों के प्रति विन्रम था। इसी प्रकार पूर्वी दक्षिणी व उत्तरी ईरान मे शासन कर रहे गौरीयान ,सफ़ारियान ,ताहिरयान वँशके समस्त शासक शिया थेतथा उन्होने अब्बासी शासकों के विऱूद्ध विद्रोह करके अपने शासनक्षेत्र को अलग कर लिया था।सौभाग्य वंश इसी बीच आले बोया का शासन स्थापित हुआ व उन्होने अपने शासन को शाम व मिस्र तक विस्तृत किया। वह शिया विचार धारा से सम्बन्धित थे और उन्होने शियों के उत्थान के लिए बहुत प्रयास किये।

उपरोक्त लिखित समस्त कारको ने यह स्थिति उत्पन्न की कि शिया दूर दूर के क्षेत्रों से आकर एकत्रित होने लगे तथा स्वतन्त्रता पूर्वक जीवन यापन करने लगे। उन्होने दीर्घ समय के बाद मिली इस स्वतन्त्रता का पूर्ण लाभ उठाया तथा अपने शिक्षण केन्द्र स्थापित कर अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के विचारों को जनता तक पहुँचाने का कार्य आरम्भ किया । इसी समय इब्ने अबी अक़ील व इब्ने जुनैद ने सुन्नी सम्प्रदाय के विद्वानो से सम्बन्ध स्थापित किये।

इब्ने जुनैद के सम्बन्ध मे आयतुल्लाह मुतह्हरी का कथन

” इब्ने जुनैद इस्काफ़ी शेख मुफ़ीद अलैहिर्रहमा के एक गुरू हैँ उनकी मृत्यु सन् 381 हिजरी क़मरी मे हुई। कहा जाता है कि उन्होने 50 से अधिक किताबें लिखी हैं। फ़कीह इब्ने जुनैद व इब्ने अबी अक़ील को क़दीमैन (दो आदीकालीन फ़कीह) कहते हैं। इब्ने जुनैद के मत फ़िक़्ह मे सदैव दृष्टिगोचर होते रहते हैं। ”

नजाशी का कथन

मुहम्मद इब्ने जुनैद के सम्बन्ध मे प्रसिद्ध विद्वान नजाशी लिखते हैं कि ” मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र जुनैद अबु अली अलकातिब अल इस्काफ़ी का स्तित्व हमारे लिए गर्व हैं।वह उच्च कोटी के एक विशवसनीय विद्वान थे तथा उन्होने बहुतसी किताबें लिखी हैं। मैनें अपने बहुत से बुज़ुर्गों से सुना है कि उनके पास इमाम की एक तलवार व कुछ माल था उन्होने मृत्यु के समय इसके सम्बन्ध मे अपनी कनीज़ को वसीयत की थी । परन्तु वह सम्पत्ति उसके पास नष्ट हो गई। ”

सैयद सद्र का कथन

सैयद सद्र अपनी किताब तासी- सुश- शिया मे लिखते हैं कि ” मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र जुनैद हमारे बुज़ुर्ग फ़कीहों मे से एक हैं और वह कातिबे इस्काफ़ी के उप नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्होने फ़िक़्ह के आधारिक नियमो व उप नियमों से सम्बन्धित बहुतसी किताबें लिखीं तथा फिक़्ह को व्यवस्थित किया। उन्होने फ़िक़्ह मे अनेक बाब (खण्ड) स्थापित किये तथा प्रत्येक बाब को अन्य बाबों से अलग रखा इस कार्य के लिए उन्होनें बहुत परिश्रम किया। अगर कोई मस्अला सरल व प्रत्यक्ष होता तो वह केवल फ़तवे का उल्लेख करते थे परन्तु अगर कोई मस्अला कठिन होता तो वह उसके आधारिक कारकों पर प्रकाश डालते व उसके तर्कों का भी वर्णन करते थे। और अगर किसी मस्अले मे विभिन्न विद्वानो के विभिन्न मत होते थे तो वह उनका भी वर्णन करते थे। उनकी मुख्य किताबें तहज़ीबुश शिया ले अहकामिश शरिया ,किताबुल अहमदी लिल फ़िक़हे मुहम्मदी ,अन्नुसरत लिल अहकामिल इतरत आदि हैं।नजाशी उनके सम्बन्ध मे लिखते है कि (उन्होने लग भग 200 मस्अलो का वर्णन किया है वह इब्ने बाबवे , (शेख सदूक़ के पिता) हुसैन पुत्र रोह नौबख्ती , (इमाम के तीसरे नायब) के समकालीन थे। उन्होने इब्नुल ज़ाफ़िर शलमग़ानी और अबु मुहम्मद हारून पुत्र मूसा आदि से रिवायत की है।) ”

मुहम्मद पुत्र जुनैद की रचनाऐं

मुहम्मद पुत्र जुनैद ने लग भग पचास किताबें फ़िक़्ह ,उसूल ,कलाम व अदब आदि विषयों पर लिखी हैं।इनमे से मुख्य किताबें इस प्रकार है----

1-अहकामुस्सलात

2-अहकामुत्तलाक़

3-अल मुखतसःरुल अहमदी लिल फ़िक़्हिल मुहम्मदी

4-अल इरतिया फ़ी तहरीमिल फ़ुक़ा

5-इज़ालःतुर्रान अन क़ुलूबिल इखवान

6-इस्तखराजुल मुराद अन मुखतलेफ़िल खिताब

7-अल इस्तनफ़ार इलल जिहाद

8-अल इस्तीफ़ा

9-अल इस्रा

10-अल इसफ़ार फ़ी रद्दे अलमुअय्यद

11-अल इशारात इला मा यनकरेहुल अवाम

12-इशकाल जुमलःतुल मवारीस

13-इज़हार मा सतरहु अहलुल इनाद मिन रिवायते अनिल आइम्मते फ़ी अम्रिल इजतिहाद

14-अल इफ़हाम ले उसूलिल अहकाम

15-अलफ़ा मसअलातुन

16-अलफ़िया दर कलाम

17-अमसालुल कुऑन

18-अल इनास बेआइम्मातिन नास

19-अल बिशारत वल क़िदार

20-तबसेरःतुल आरिफ़ व नक़दुज़ ज़ाइफ़

21-अत्तहरीर वत्तक़रीर

22-अत्तराफ़ी इला आलल मराक़ी

23-बनीतुस्साही बिल इलमिल इलाही

24-तहज़ीबुश शिया ले अहकामिश शरिया

25-हदाइक़ुल क़ुद्स

26-क़ुदसुत्तूर वा यनबूउन नूर फ़ी मानस्सलात अलन नबी

27-मुशकीलातुल मवारीस

28-अलमस्ह अलल खफ़ैन

29-किताबुल मस्ह अलल रिजलैन

30-अहकामुल अर्श

स्वर्गवास

मुहम्मद पुत्र जुनैद इस्काफ़ी सन् 381 हिजरी क़मरी मे स्वर्गवासी हुए।

वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।