मुहम्मद इब्ने जुनैद इस्काफ़ी अलैहिर्रहमा
मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र जुनैद इस्काफ़ी इस्काफ़ नामक स्थान पर पैदा हुए। (यह स्थान बसरे व नहरवान के मध्य स्थित था वर्तमान मे यह स्थान इराक़ मे है।) आपका परिवार एक शिक्षित व धार्मिक विचारधारा वाला परिवार था। भाग्य से आपको कार्य करने के लिए वह समय प्राप्त हुआ जब इस्लामी क्षेत्र अब्बासी खलीफ़ाओं से ताज़ा ताज़ा स्वतन्त्र हुए थे।
आदरनीय पैगम्बर के स्वर्गवास के बाद से लग भग 300 वर्षों तक शियों के लिए संकटमय परिस्थितियां रहीं। क्योँकि शिया अल्प संख्यक थे और बनी उमैय्या व बनी अब्बास के समस्त शासको का यह प्रयास किया कि शियों को इनके इमामों से दूर रखा जाये ताकि इनके बीच सम्बन्ध स्थापित न हो सके। अफ्रीक़ा से लेकर स्पेन तक व मिस्र से लेकर चीन की सीमा तक फैले बनी उमैया व बनी अब्बास के शासन मे शिया सम्प्रदाय घुटन के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था। उन पर अपनी धर्म निष्ठा प्रकट करने पर भी प्रतिबँध था।चौथी शताब्दी हिजरी के मध्य मे शियो को थोड़ी स्वतन्त्रता प्राप्त हुई । क्योँकि एक ओर मिस्र मे फ़ातमियों का एक शक्ति शाली शासन स्थापित हो गया था तथा दूसरी ओर शाम नामक प्रान्त मे अपना शासन स्थापित करने वाला सैफ़ुद्दोला नामक शासक शियों के प्रति विन्रम था। इसी प्रकार पूर्वी दक्षिणी व उत्तरी ईरान मे शासन कर रहे गौरीयान
,सफ़ारियान
,ताहिरयान वँशके समस्त शासक शिया थेतथा उन्होने अब्बासी शासकों के विऱूद्ध विद्रोह करके अपने शासनक्षेत्र को अलग कर लिया था।सौभाग्य वंश इसी बीच आले बोया का शासन स्थापित हुआ व उन्होने अपने शासन को शाम व मिस्र तक विस्तृत किया। वह शिया विचार धारा से सम्बन्धित थे और उन्होने शियों के उत्थान के लिए बहुत प्रयास किये।
उपरोक्त लिखित समस्त कारको ने यह स्थिति उत्पन्न की कि शिया दूर दूर के क्षेत्रों से आकर एकत्रित होने लगे तथा स्वतन्त्रता पूर्वक जीवन यापन करने लगे। उन्होने दीर्घ समय के बाद मिली इस स्वतन्त्रता का पूर्ण लाभ उठाया तथा अपने शिक्षण केन्द्र स्थापित कर अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के विचारों को जनता तक पहुँचाने का कार्य आरम्भ किया । इसी समय इब्ने अबी अक़ील व इब्ने जुनैद ने सुन्नी सम्प्रदाय के विद्वानो से सम्बन्ध स्थापित किये।
इब्ने जुनैद के सम्बन्ध मे आयतुल्लाह मुतह्हरी का कथन
”
इब्ने जुनैद इस्काफ़ी शेख मुफ़ीद अलैहिर्रहमा के एक गुरू हैँ उनकी मृत्यु सन् 381 हिजरी क़मरी मे हुई। कहा जाता है कि उन्होने 50 से अधिक किताबें लिखी हैं। फ़कीह इब्ने जुनैद व इब्ने अबी अक़ील को क़दीमैन (दो आदीकालीन फ़कीह) कहते हैं। इब्ने जुनैद के मत फ़िक़्ह मे सदैव दृष्टिगोचर होते रहते हैं।
”
नजाशी का कथन
मुहम्मद इब्ने जुनैद के सम्बन्ध मे प्रसिद्ध विद्वान नजाशी लिखते हैं कि
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मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र जुनैद अबु अली अलकातिब अल इस्काफ़ी का स्तित्व हमारे लिए गर्व हैं।वह उच्च कोटी के एक विशवसनीय विद्वान थे तथा उन्होने बहुतसी किताबें लिखी हैं। मैनें अपने बहुत से बुज़ुर्गों से सुना है कि उनके पास इमाम की एक तलवार व कुछ माल था उन्होने मृत्यु के समय इसके सम्बन्ध मे अपनी कनीज़ को वसीयत की थी । परन्तु वह सम्पत्ति उसके पास नष्ट हो गई।
”
सैयद सद्र का कथन
सैयद सद्र अपनी किताब तासी- सुश- शिया मे लिखते हैं कि
”
मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र जुनैद हमारे बुज़ुर्ग फ़कीहों मे से एक हैं और वह कातिबे इस्काफ़ी के उप नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्होने फ़िक़्ह के आधारिक नियमो व उप नियमों से सम्बन्धित बहुतसी किताबें लिखीं तथा फिक़्ह को व्यवस्थित किया। उन्होने फ़िक़्ह मे अनेक बाब (खण्ड) स्थापित किये तथा प्रत्येक बाब को अन्य बाबों से अलग रखा इस कार्य के लिए उन्होनें बहुत परिश्रम किया। अगर कोई मस्अला सरल व प्रत्यक्ष होता तो वह केवल फ़तवे का उल्लेख करते थे परन्तु अगर कोई मस्अला कठिन होता तो वह उसके आधारिक कारकों पर प्रकाश डालते व उसके तर्कों का भी वर्णन करते थे। और अगर किसी मस्अले मे विभिन्न विद्वानो के विभिन्न मत होते थे तो वह उनका भी वर्णन करते थे। उनकी मुख्य किताबें तहज़ीबुश शिया ले अहकामिश शरिया
,किताबुल अहमदी लिल फ़िक़हे मुहम्मदी
,अन्नुसरत लिल अहकामिल इतरत आदि हैं।नजाशी उनके सम्बन्ध मे लिखते है कि (उन्होने लग भग 200 मस्अलो का वर्णन किया है वह इब्ने बाबवे
, (शेख सदूक़ के पिता) हुसैन पुत्र रोह नौबख्ती
, (इमाम के तीसरे नायब) के समकालीन थे। उन्होने इब्नुल ज़ाफ़िर शलमग़ानी और अबु मुहम्मद हारून पुत्र मूसा आदि से रिवायत की है।)
”
मुहम्मद पुत्र जुनैद की रचनाऐं
मुहम्मद पुत्र जुनैद ने लग भग पचास किताबें फ़िक़्ह
,उसूल
,कलाम व अदब आदि विषयों पर लिखी हैं।इनमे से मुख्य किताबें इस प्रकार है----
1-अहकामुस्सलात
2-अहकामुत्तलाक़
3-अल मुखतसःरुल अहमदी लिल फ़िक़्हिल मुहम्मदी
4-अल इरतिया फ़ी तहरीमिल फ़ुक़ा
5-इज़ालःतुर्रान अन क़ुलूबिल इखवान
6-इस्तखराजुल मुराद अन मुखतलेफ़िल खिताब
7-अल इस्तनफ़ार इलल जिहाद
8-अल इस्तीफ़ा
9-अल इस्रा
10-अल इसफ़ार फ़ी रद्दे अलमुअय्यद
11-अल इशारात इला मा यनकरेहुल अवाम
12-इशकाल जुमलःतुल मवारीस
13-इज़हार मा सतरहु अहलुल इनाद मिन रिवायते अनिल आइम्मते फ़ी अम्रिल इजतिहाद
14-अल इफ़हाम ले उसूलिल अहकाम
15-अलफ़ा मसअलातुन
16-अलफ़िया दर कलाम
17-अमसालुल कुऑन
18-अल इनास बेआइम्मातिन नास
19-अल बिशारत वल क़िदार
20-तबसेरःतुल आरिफ़ व नक़दुज़ ज़ाइफ़
21-अत्तहरीर वत्तक़रीर
22-अत्तराफ़ी इला आलल मराक़ी
23-बनीतुस्साही बिल इलमिल इलाही
24-तहज़ीबुश शिया ले अहकामिश शरिया
25-हदाइक़ुल क़ुद्स
26-क़ुदसुत्तूर वा यनबूउन नूर फ़ी मानस्सलात अलन नबी
27-मुशकीलातुल मवारीस
28-अलमस्ह अलल खफ़ैन
29-किताबुल मस्ह अलल रिजलैन
30-अहकामुल अर्श
स्वर्गवास
मुहम्मद पुत्र जुनैद इस्काफ़ी सन् 381 हिजरी क़मरी मे स्वर्गवासी हुए।
वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।