सृष्टि का मोती

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सृष्टि का मोती : मौलाना सैय्यद क़मर ग़ाज़ी जैदी
कैटिगिरी: इमाम मेहदी (अ)

सृष्टि का मोती

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

: मौलाना सैय्यद क़मर ग़ाज़ी जैदी
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सृष्टि का मोती

सृष्टि का मोती

हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

सृष्टि का मोती

अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इमामे ज़माना (अलैहिस्सलाम) के जीवन पर एक तहक़ीक

संकलनकर्ता :

मुहम्मद अमीन बाला दस्तियान

मुहम्मद महदी हाईरी पुर

महदी यूसुफ़ियान

अनुवादक : सैयद क़मर ग़ाज़ी

प्रकाशक : बुनियादे फरहन्गी महदी ए मऊद (अ.)

विषय सूची

सृष्टि का मोती 1

प्रस्तावना 11

इमामे ज़माना पर बहस की ज़रुरत 11

पहला अध्याय 15

इमामत 15

इमाम की ज़रुरत 18

इमाम की विशेषताएं 20

इमाम का इल्म 21

इमाम की इस्मत 22

इमाम , समाज को व्यवस्थित करने वाला होता है 25

इमाम का अख़लाक बहुत अच्छा होता है 26

इमाम ख़ुदा की तरफ़ से मंसूब (नियुक्त) होता है 27

सबसे अच्छी बात 28

दूसरा अध्याय 30

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) की शनाख़्त 31

पहला हिस्सा 31

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) की ज़िन्दगी पर एक नज़र 31

इमामे ज़माना का नाम कुन्नियत और अलक़ाब 33

जन्म की स्थिति 34

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) की विशेषताएं 39

दूसरा हिस्सा 42

जन्म के समय से हज़रत इमाम अस्करी (अ.स.) की शहादत तक 42

इमाम महदी (अ.स.) से शिओं का परिचय 42

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) के मोजज़ें और करामतें 45

सवालों के जवाब 47

तोहफ़ें क़बूल करना 50

अपने पिता की नमाज़े मैय्यत पढ़ाना 52

तीसरा हिस्सा 56

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) कुरआन व हदीस की रौशनी में 56

कुरआने क़रीम की रौशनी में 56

रिवायत की रौशनी में 59

चौथा हिस्सा 63

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) ग़ैरों की नज़र में 63

तीसरा अध्याय 67

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) का इन्तेज़ार 67

पहला हिस्सा 67

ग़ैबत 67

ग़ैबत का अर्थ 67

ग़ैबत का इतिहास 69

ग़ैबत की वजह 71

जनता को अदब सिखाना 72

लोगों से अनुबंध किये बग़ैर काम करना 73

लोगों का इम्तेहान 74

इमाम की हिफ़ाज़त 75

दूसरा हिस्सा 76

ग़ैबत की क़िस्में 77

ग़ैबते सुग़रा (अल्पकालीन ग़ैबत) 78

ग़ैबते कुबरा 83

तीसरा हिस्सा 86

ग़ायब इमाम के फ़ायदे 87

इमाम संसार का केन्द्र होता है 87

उम्मीद की किरण 92

विचार धारा की मज़बूती 93

तरबियत 97

इल्मी और फ़िक्री पनाह गाह 98

आन्तरिक हिदायत 102

मुसीबतों से सुरक्षा 103

रहमत की बारिश 105

चौथा हिस्सा 107

इमाम की ज़ियारत 107

पाँचवां हिस्सा 117

लंबी उम्र 117

छटा हिस्सा 122

इन्तेज़ार 123

इन्तेज़ार की हक़ीक़त और उसका महत्ता 124

इमामे ज़माना (अ.स.) के इन्तेज़ार की विशेषताएं 126

इन्तेज़ार के पहलू 128

इन्तेज़ार करने वालों की ज़िम्मेदारियाँ 132

इमाम की पहचान 133

इमाम (अ.) को नमून ए अमल व आदर्श बनाना 136

इमाम (अ.स.) को याद रखना 138

हार्दिक एकता 142

इन्तेज़ार के प्रभाव 146

इन्तेज़ार करने वालों का सवाब 148

चौथा अध्याय 154

ज़हूर का ज़माना 154

पहला हिस्सा 154

ज़हूर से पहले दुनिया की हालत 154

दूसरा हिस्सा 158

ज़हूर का रास्ता हमवार होना और ज़हूर की निशानियां 159

ज़हूर की शर्तें और रास्ते का हमवार होना 159

योजना व प्लान 162

रहबरी व नेतृत्व 164

मददगार 165

क- इमामत की शनाख़्त व आज्ञापालन 167

ख- इबादत और दृढ़ता 168

ग- शहादत की तमन्ना 169

घ- बहादुरी और दिलेरी 169

ङ- सब्र और बुर्दबारी 170

च- एकता 171

छ- ज़ोह्द व तक़वा 171

आम तैयारियाँ 173

ज़हूर की निशानियाँ 176

सुफ़यानी का ख़रुज (आक्रमण) 178

खस्फ़े बैदा 179

यमनी का क़ियाम (आन्दोलन) 180

आसमान से आवाज़ का आना 180

नफ़्से ज़किया का क़त्ल 181

तीसरा हिस्सा 183

ज़हूर 183

ज़हूर का ज़माना 183

ज़हूर के वक़्त को छुपाने का राज़ 185

उम्मीद का बाक़ी रखना 185

ज़हूर के रास्तों को हमवार करना 186

इन्केलाब का आरम्भ 187

क़ियाम की स्थिति 188

पाँचवां अध्याय 194

हज़रत इमाम महदी (अ.स.) की हुकूमत 194

पहला हिस्सा 195

उद्देश्य 195

आध्यात्मिक तरक़्क़ी 196

न्याय का विस्तार 198

दूसरा हिस्सा 201

हुकूमत की योजनाएं 201

अ- सांस्कृतिक योजना 203

किताब व सुन्नत को ज़िन्दा करना 203

अखलाक का विस्तार 205

इल्म व ज्ञान की तरक़्क़ी 207

बिदअतों से मुकाबला 208

आ- आर्थिक योजना 210

प्राकृतिक संपदा का दोहन 211

धन का न्यायपूर्वक वितरण 212

वीरानों को आबाद करना 214

इ- सामाजिक योजना 215

अम्र बिल मारुफ़ और नही अनिल मुनकर 215

बुराइयों से मुक़ाबला 216

अल्लाह की हदों को जारी करना 217

न्याय पर आधारित फ़ैसले 218

तीसरा हिस्सा 220

हुकूमत के नतीजे 220

न्याय का विस्तार 221

ईमान , अख़लाक़ और फिक्र का विकास 223

एकता और मुहब्बत 225

जिस्म और रूह की सलामती 226

बहुत ज़्यादा खैर व बरकत 228

ग़रीबी व फ़क़ीरी का अंत 229

इस्लाम की हुकूमत और कुफ्र का ख़ात्मा 232

शाँती व सुरक्षा 235

इल्म की तरक्की 237

चौथा हिस्सा 240

हुकूमत की विशेषताएं 240

हुकूमत की सीमाएं और उसका केन्द्र 240

हुकूमत की मुद्दत 244

इमाम (अ.स.) की प्रशासनिक की शैली 247

जिहाद की कार्य शैली 249

इमाम (अ.स.) के फ़ैसले 251

इमाम (अ.स.) का हुकूमत का अंदाज़ 252

इमाम (अ.स.) की आर्थिक शैली 253

इमाम (अ.स.) की ख़ुद की सीरत 256

आम मक़बूलियत 258

छठा अध्याय 261

महदवियत के लिए नुक्सानदेह चीज़ों की पहचान 261

ग़लत नतीजा निकालना 262

ज़हूर में जल्द बाज़ी 265

ज़हूर के लिए वक़्त निश्चित करना 267

ज़हूर की निशानियों की ग़लत व्याख्या 268

बेकार बहसें 269

झूठा दावा करने वाले 271

सहायक किताबों की सूची 274

प्रस्तावना

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ الحمد لله رب العالمین و بہ نستعین و صلی الله علٰی محمد و آلہ الطیبین الطاھرین۔

इमामे ज़माना पर बहस की ज़रुरत

शायद कुछ लोग यह सोचें कि बहुत सी कल्चरल और आधारभूत ज़रुरतों के होते हुए हज़रत इमाम महदी (अज्जल अल्लाहु तआला फ़रजहू शरीफ़) के बारे में बहस करने की क्या ज़रुरत है ? क्या इस बारे में काफ़ी हद तक बहस नही हो चुकी है ? क्या इस बारे में किताबें और लेख नहीं लिखे गए हैं ?

तो इसके जवाब में हम यह कहते हैं कि महदवियत एक ऐसा विषय है जो इंसान की ज़िन्दगी में एक महत्व पूर्ण स्थान रखता है और इसका इंसानी ज़िन्दगी के विभिन्न पहलुओं से सीधा सम्बन्ध है। अतः इस बारे में जो लिखा जा चुका है उसके बावजूद भी इस विषय पर लिखने व कहने के लिए बहुत कुछ बाक़ी है। इस लिए हमारे उलमा ए कराम व बुद्धिजीवी लोगों को चाहिए कि वह इस बारे में और ज़्यादा लिखें।

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के बारे में बहस करने की ज़रुरत को अत्यधिक स्पष्ट करने के लिए यहाँ कुछ चीज़ों की तरफ़ इशारा किया जा रहा है।

1. हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का विषय , इमामत के उस आधार भूत मसले की तरफ़ पलटता है जो शिओं के एतेक़ादी (आस्था संबंधी) उसूल में से है। इस पर बहुत अधिक ज़ोर दिया गया है और इसे कुरआने करीम और इस्लामी रिवायतों में बहुत अधिक महत्व प्राप्त है। शिया और सुन्नी दोनों सम्प्रदायों ने पैग़म्बरे इस्लाम (स.) से यह रिवायत नक्ल की है।

”مَنْ مَاتَ وَ لَمْ یَعْرِفْ اِمَامَ زَمَانِہِ مَاتَ مِیْتَةً جَاہِلِیَةً۔ “

जो इंसान इस हालत में मर जाये कि अपने ज़माने के इमाम को न पहचानता हो तो उसकी मौत जाहिलियत (कुफ़्र) की मौत होगी। (अर्थात उसने इस्लाम से कोई फायदा नहीं उठाया है।).

वास्तव में यह एक ऐसा विषय है जो इंसान के आध्यात्मिक जीवन से संबंधित है अतः इस मसले पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यक्ता है।

2. हज़रत इमाम महदी (अ.स.) , इमामत की उस पवित्र श्रंखला की बारहवीं कड़ी हैं , जो पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की दो निशानियों में से एक है। शिया और सुन्नी दोनों ही सम्प्रदायों ने पैग़म्बरे इस्लाम (स.) से यह रिवायत नक्ल की हैः

” اِنِّی تَارِکٌ فِیْکُمُ الثَّقَلَیْنِ کَتَابَ اللهِ وَ عِتْرَتِی؛ مَا اِنْ تَمَسَّکْتُمْ بِہِمَا لَنْ تَضِلُّوْا بَعْدِی اَبَداً

बेशक़ मैं तुम्हारे बीच दो महत्वपूर्ण चीज़ें छोड़े जा रहा हूँ , एक अल्लाह की किताब और दूसरे मेरी इतरत (वंश) , जब तक तुम इन दोनों के संपर्क में रहोगे मेरे बाद कदापि गुमराह नहीं हो सकते।

इस आधार पर कुरआने क़रीम के बाद जो कि अल्लाह का कलाम है , कौनसा रास्ता इमाम (अ.स.) के रास्ते से ज़्यादा रौशन और हिदायत करने वाला है। क्या बुनियादी तौर पर पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के सच्चे जानशीन के अलावा अन्य कोई कुरआने करीम की जो कि अल्लाह का कलाम है , तफ़सीर कर सकता है।

3. हज़रत इमाम महदी (अ.स.) ज़िन्दा व मौजूद हैं और उनके बारे में नौजवानों और जवानों के ज़हनों में बहुत से सवाल पैदा होते रहते हैं। यद्यपि पिछले ज़माने के आलिमों ने अपनी अपनी किताबों में बहुत से सवालों के जवाब दिये हैं , लेकिन फिर भी बहुत से शक व शुब्हे बाकी हैं और कुछ पुराने जवाब आज कल के ज़माने के अनुरूप नही हैं।

4. इमामत के महत्व और उसकी केन्द्रीय हैसियत की वजह से दुश्मनों ने हमेशा ही शिओं को फिक़्री और इल्मी लिहाज़ से निशाना बनाया है ताकि इमाम महदी (अ.स.) के बारे में विभिन्न प्रकार के शुब्हे व एतेराज़ उत्पन्न कर के उनके मानने वालों को शक में डाल दिया जाये। जैसे उनकी लम्बी उम्र को एक असंभव और बुद्धि में न आने वाली बात घोषित करना , या उनकी ग़ैबत को एक तर्क विहीन चीज़ बताना या इसी तरह के अन्य बहुत से एतेराज़। इसके अलावा अहलेबैत (अ.स.) की तालीमात को न जानने वाले कुछ लोग महदवियत के बारे में कुछ ग़लत और बेबुनियाद बातें बयान कर देते हैं और उनसे कुछ लोग गुमराह हो जाते हैं या उन को गुमराह कर दिया जाता है। मिसाल को तौर पर हज़रत इमाम महदी (अ.स.) का इन्तेज़ार , उनका ख़ूनी क़ियाम , उनकी ग़ैबत के ज़माने में उनसे मुलाक़ात की संभावना आदि के बारे में बहुत से गलत और रिवायतों के मुखालिफ़ मतलब बयान कर देते हैं। अतः महदवियत के बारे में इस तरह की ग़लत बातों की सही तहक़ीक़ की जाये और उन एतेराज़ों का बुद्धि पर आधारित तर्क पूर्ण जवाब दिया जाये।

इन्हीँ बातों को आधार बना कर यह कोशिश की गई है कि इस किताब में हज़रत इमाम महदी (अ.स.) की नूरानी ज़िन्दगी के विभिन्न पहलुओं को बयान किया जाये और उन के बारे में जवानों के ज़ेहनों में जो सवाल मौजूद उनका जवाब दिया जाये और इसी तरह इमाम के ज़माने से संबंधित सवालों का भी जवाब दिया जाये। इसके अलावा इस किताब में महदवियत के अक़ीदे के लिए नुक्सान देह चीज़ों और कुछ ग़लत फिक्रों के जवाब भी दिये गए हैं , ताकि तमाम इंसान अल्लाह की आख़िरी हुज्जत हज़रत इमाम महदी (अ.स.) की मारेफ़त के रास्ते में सही एक क़दम उठा सकें।