वाक़ेय ए ग़दीर
ग़दीर ख़ुम में हज़रत अली (अ) को मक़ामे विलायत के लिये मंसूब करना , तारिख़े इस्लाम के अहम वाक़ेयात में से है , शायद इस वाक़ेया से ज़्यादा अहम कोई और वाक़ेया हमें न मिल सके , हज़रत अली (अ) की शक्ल में पैग़म्बरे अकम (स) की रिसालत बाक़ी रहने को यह वाक़ेया बयान करता है।
ग़दीर , इत्तेहाद की निशानी और रिसालत व इमामत के इत्तेसाल का नाम है , उन दोनो की अस्ल एक ही है , मख़्फ़ी हक़ायक़ के ज़ाहिर होने , पोशिदा असरार के ज़ाहिर होने और लोगों की हिदायत इसी ग़दीर की राह में मुम्किन है।
गद़ीर , हक़ से बैअत करने और सरे तसलीम के ख़म करने का दिन है , गद़ीर , हिज़्बे रहमान से हिज़्बे शैतान की शिकस्त का दिन है।
गद़ीर , ख़ुर्शीदे आलम ताब की तारीक बादलों के बाद चमकने का दिन है।
गद़ीर की ज़ुग़राफ़ियाई हैसियत
गदीर के लुग़वी माना से गढ़हे के हैं जिस में बारिश या सैलाब का पानी एक मुद्दत के लिये जमा हो जाता है ।
लफ़्ज़े ''ख़ुम '' के बारे में याक़ूत हमवी , ज़मख़्शरी से नक़्ल करते हैं कि ''ख़ुम '' एक रंगरेज़ का नाम था और मक्का व मदीना के दरमियान ''जुहफा '' में जो ग़दीर है इसी शख़्स के नाम से मंसूब है।मोजमुल बल्दान जिल्द 2 पेज 389)
''ग़दीरे ख़ुम '' जैसा कि इशारा हुआ मक्का और मदीना के दरमियान एक मक़ाम का नाम है जो मदीना की निस्बत मक्का से ज़्यादा नज़दीक है और ''जोहफ़ा '' से दो मील है। (मरासिदुल इत्तेलाआत जिल्द 1 पेज 315-482)
''जोहफ़ा '' मक्के और मदीना के दरमियान , मक्के के शिमाल मग़रिबी में एक बस्ती थी जिस को क़दीम ज़माने में ''महीआ '' कहते थे , लेकिन बाद में उसका नाम बदल कर ''जोहफ़ा '' कर दिया गया , क्योंकि ''जोहफ़ा '' के माना कूच के हैं , उस ज़माने में जो सैलाब आते थे जिस की बिना पर उस इलाक़े के लोगों को कूच करना पड़ता था , लेकिन ये इलाक़ा अब वीरान है। (मोजम अल बलदान जिल्द 1 सफ़ा 111)
हदीसे ग़दीर के सहाबा रावी
सहाबा की कसीर तादाद ने हदीसे ग़दीर को नक़्ल किया है , अब हम यहाँ पर अल्फ़ा बेड के लिहाज़ से उन असहाब के असमा की फ़ेहरिस्त बयान करते हैं , लेकिन सबसे पहले तबर्रुकन असहाबे किसा के असमा को नक़्ल करते हैं :
1. हज़रत अमीर अल मोमीनीन अली इब्ने अबी तालिब अलैहिस्सलाम
2. सिद्दीक़ ए ताहिरा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा
3. हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम
4. हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम
अलिफ़
5. अबू बक्र बिन अबी क़ुहाफ़ ए तमीमी
6. अबू ज़वीब ख़ुवैलद
7. अबी राफ़ए क़ुतबी
8. अबू ज़ैनब बिन औफ़े अंसारी
9. अबू अम्रा बिन अम्र बिन महसने अंसारी
10. अबू फ़ज़ालए अंसारी , जो जंगे बद्र में भी शरीक थे और जंगे सिफ़्फ़ीन में भी हज़रत अली अलैहिस्सलाम की रकाब में शहीद हुये हैं।
11. अबू क़ुदामा अंसारी
12. अबी लैला अंसारी , बाज़ नक़्लों के मुताबिक़ ये जंगे सिफ़्फ़ीन में शहीद हुये।
13. अबू हुरैर ए दूसी
14. अबुल हैसम बिन तैहान , जो जंगे सिफ़्फ़ीन में शहादत के दर्जे पर फ़ाएज़ हुये।
15. ओबई बिन कअबे अंसारी ख़ज़रजी , बुज़ुर्ग क़ुर्रा
16. उसामा बिन ज़ैद बिन हारिसे कल्बी
17. असअद बिन ज़ोरार ए अंसारी
18. असमा बिन्ते उमैस ख़सअमिया
19. उम्मे सलमा , ज़ौज ए रसूले अकरम (स)
20. उम्मे हानी , बिन्ते अबूतालिब अलैहिस्सलाम
21. अनस बिन मालिके अंसारी ख़ज़रजी , ख़ादिमे पैग़म्बर (स)
बे
22. बराअ बिन आज़िबे अंसारी औसी
23. बरीदा बिन आज़िबे औसी अंसारी
से
24. साबित बिन वदीअ ए अंसारी , अबू सईद ख़ज़रजी मदनी
जीम
25. जाबिर बिन समुरा बिन जुनादा , अबू सुलैमाने सुवाई
26. जाबिर बिन अब्दुल्लाहे अंसारी
27. जबला बिन अम्रे अंसारी
28. जबीर बिन मुतअम बिन अदी क़रशी नौफ़ली
29. जरीर बिन अब्दुल्लाहे बिजिल्ली
30. जुन्दब बिन जुनाद ए ग़फ़्फ़ारी अबूज़र
31. जुन्दब बिन अम्र बिन माज़ने अंसारी , अबू जुनैदा
हे
32. हुब्बा बिन जवीन , अबू क़ुदाम ए उरफ़ी बजली
33. हुब्शी बिन जुनादा सलूली
34. हबीब बिन बुदैल बिन वरक़ा ए ख़ुज़ाई
35. हुज़ैफा बिन उसैद , अबू सरीयहे ग़फ़्फ़ारी , मौसूफ़ का शुमार असहाबे शजरा में होता है।
36. हुज़ैफ़ा बिन यमान यमनी
37. हस्सान बिन साबित
खे़
38. ख़ालिद बिन ज़ैद , अबू अय्यूब अंसारी , मौसूफ़ रूम के साथ होने वाली जंग में शहीद हुए।
39. ख़ालिद बिन वलीद बिन मुग़िर ए मख़्ज़ूमी , अबू सुलेमान
40. खज़ीमा बिन साबिते अंसारी ज़ुश शहादतैन , जो जंगे सिफ़्फ़ीन में शहीद हुए।
41. ख़ुवैलद बिन अम्रे ख़ुज़ाई , अबू शरीह
रे , ज़े
42. रुफ़ाआ बिन अब्दुल मुन्ज़िरे अंसारी
43. ज़ुबैर बिन अवाम क़रशी
44. ज़ैद बिन अरक़मे अंसारी खज़री
45. ज़ैद बिन साबित अबू सईद
46. ज़ैद या यज़ीद बिन शराहिले अंसारी
47. ज़ैद बिन अब्दुल्लाहे अंसारी
सीन
48. साद बिन अबी बक़ास , अबू इस्हाक़
49. साद बिन जुनाद ए औफ़ी , पिदरे अतिया औफ़ी
50. साद बिन उबाद ए अंसारी , ख़ज़रजी
51. साद बिन मालिके अंसारी , अबू सईदे खिदरी
52. सईद बिन जै़द क़रशी अदबी , यह अशर ए मुबश्शेरा में से हैं।
53. सईदे बिन साद बिन उबाद ए अंसारी
54. सलमाने फ़ारसी , अबू अब्दुल्लाह
55. सलमा बिन अम्र बिन अल अकू असलम , अबू मुस्लिम
56. समुरा बिन जुन्दब फ़ज़ाज़ी , अबू सुलेमान
57. सहल बिन हुनैफ़ अंसारी , ओसी
58. सहल बिन साद अंसारी , खज़रजी , सायेदी , अबुल अब्बास
साद ज़ाद
59. सुदैय बिन अजलाने बाहुली , अबू अमामा
60. ज़ुमैर ए असदी
तो
61. तलहा बिन अब्दुल्लाहे तैमी
ऐन
62. आमिर बिन उमैरे नमीरी
63. आमिर बिन लैला बिन हमज़ा
64. आमिर बिन लैला ग़फ़्फ़ारी
65. आमिर बिन वासेल ए लैसी
66. आयशा बिन्ते अबी बक्र
67. अब्बास बिन अब्दुल मलिक बिन हाशिम , पैगम़्बर (स) के चचा
68. अब्दुर्रहमान बिन अब्दुर रब अंसारी
69. अब्दुर्रहमान बिन औफ़ करशी , ज़ोहरी , अबू मुहम्मद
70. अब्दुर्रहमान बिन यामुर दैली
71. अब्दुल्लाह बिन अब्दुल असद मख़्ज़ूमी
72. अब्दुल्लाह बिन बुदैल बिन वरक़ा
73. अब्दुल्लाह बिन बशीर माज़नी
74. अब्दुल्लाह बिन साबिते अंसारी
75. अब्दुल्लाह बिन जाफ़र बिन अबी तालिब हाशिमी
76. अब्दुल्लाह बिन हंतब करशी , मख़्ज़ूमी
77. अब्दुल्लाह बिन रबीआ
78. अब्दुल्लाह बिन अब्बास
79. अब्दुल्लाह बिन अबी औफ़ा बिन अलक़मा असलमी
80. अब्दुल्लाह बिन उमर बिन ख़त्ताब अदबी , अबू अब्दुर्रहमान
81. अब्दुल्लाह बिन मसऊदे हुज़ली
82. अब्दुल्लाह बिन यामील
83. उस्मान बिन अफ़्फ़ान
84. उबैद बिन आज़िब अंसारी
85. अदी बिन हातिम अबू तरीफ़
86. अतिया बिन बसर माज़नी
87. उक़बा बिन आमिर जोहनी
88. अम्मार बिन यासिर अनसी , अबुल यक़ज़ान
89. अमारये ख़ज़री अंसारी
90. उमर बिन अबी सलमा बिन अब्दिल असद मख़्ज़ूमी
91. उमर बिन ख़त्ताब
मख़्फ़ी न रहे कि हज़रत उमर की हदीस को हाफ़िज़ बिन मग़ाज़ेली ने किताबुल मनाक़िब में दो तरीक़े से और मुहिब्बुद दीन तबरी ने अर रियाज़ुन नज़रा और ज़ख़ायरुल उक़बा में मुसनदे अहमद से नक़्ल किया है , नीज़ इब्ने कसीर दमिश्क़ी व शमसुद्दीन जज़री ने हज़रत उमर को हदीसे ग़दीर के रावियों में शुमार किया है।
(मनाक़िबे अली बिन अबी (अ) पेज 22 हदीस 31)
(अर रियाज़ुर नज़रा जिल्द 3 पेज 113)
(ज़ख़ायरुल उक़बा पेज 67)
(अल बिदायह वन निहायह जिल्द 7 पेज 386, असनल मतालिब पेज 48)
92. इमरान बिन हसीन ख़ज़ाई , अबू नहीद
93. अम्र बिन हुम्क़े खज़ाई , कूफ़ी
94. अम्र बिन शराजील
95. अम्र बिन आस
96. अम्र बिन मर्रा जोहनी , अबू तलहा
फ़े
97. फ़ातेमा बिन्ते हमज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब
क़ाफ़ व काफ़
98. क़ैस बिन साबित शम्मास अंसारी
99. क़ैस बिन साद बिन उबाद ए अंसारी
100. कअब बिन अजर ए अंसारी
मीम
101. मालिक बिन हवीरस लैसी , अबू सुलैमान
102. मिक़दाद बिन अम्र कंदी
नून
103. नाजिया बिन अम्र बिन ख़ुज़ाई
104. नुज़ला बिन उबैया असलमी , अबू बरज़ा
105. नोमान बिन अजलान अंसारी
हे व या
106. हाशिम बिन मिरक़ाल बिन अतबा बिन अबी वक़ास ज़ोहरी , मदनी
107. वहन्शी बिन हर्ब हबशी , हिमसी , अबू वसमा
108. वहब बिन हमज़ा
109. वहब बिन अब्दुल्लाह सवाई , अबू जुहैफ़ा
110. याली बिन मर्रा बिन वहब सक़फ़ी , अबू मुराज़िम
कारेईने केराम , यह थे एक सौ दस बुज़ुर्ग सहाबी ए रसूल , जिनके असमा ए गेरामी हम ने बयान किये हैं , यक़ीनी तौर पर उससे ज़्यादा अफ़राद ने इस हदीसे ग़दीर को नक़्ल किया है , क्यो कि तारिख़ के मुताबिक़ सर ज़मीने ख़ुम में एक लाख से भी ज़्यादा सहाबी और हाजी हाज़िर थे , लिहाज़ा हालात के पेशे नज़र इस हदीस के रावी इससे कहीं ज़्यादा हैं , लेकिन अहले सुन्नत की किताबों की छान बीन करने से यह तादाद मिलती है।
हाफ़िज़ सजिसतानी (मुतवफ़्फ़ा 477) ने किताब अद दिराया फ़ी हदीसिल विलाया को 17 जिल्दों में तालिफ़ की है , जिसमें हदीसे ग़दीरे के तरीक़ों को ज़िक्र किया है , चुनाँचे मौसूफ़ ने इस हदीस को एक सौ बीस सहाबा से नक़्ल किया है।
(अल मनाक़िब इब्ने शहर आशूब जिल्द 3 पेज 34)
हदीसे ग़दीर को नक़्ल करने वाले ताबेईन
हदीसे ग़दीर को 84 ताबेईन ने नक़्ल किया है जैसे:
1.अबू राशिदे ख़ुबरानी शामी , दमिश्क़ में अपने ज़माने ते सबसे अफ़ज़ल शख़्स।
2. अबू सुलैमान मुवज़्ज़िन , जिनका शुमार अज़ीमुश शान ताबेईन में होता है।
3. अबू सालेह सम्मान ज़कवान मज़नी , अहमद बिन हंमल ने उनको सिक़ह सिक़ह के उनवान से याद किया है।अल ऐलल व मारेफ़तुर रेजाल जिल्द 3 पेज 161 रक़्म 4723)
4. असबग़ बिन नबाता तमीमी कूफ़ी
5. हबीब बिन अबी साबित असदी , कूफ़ी , फ़क़ीहे कूफ़ा
6. हकम बिन उतैयबा कूफ़ी , कंदी , मौसूफ़ के बारे में सिक़ह , सब्त , फ़क़ीह , जैसे अल्फ़ाज़ कहे गये है।जो उन की अज़मत पर दलालत करते हैं।)
7. हुमैद तवील बसरी , उनके बारे में हाफ़िज़ , मुहद्दिस , सिक़ह जैसे अल्फ़ाज़ को इस्तेमाल किया गया है।
8. ज़ादन बिन अम्र कंदी , बज़्ज़ाज़ , कूफ़ी , उनका शुमार अज़ीमुश शान ताबेईन में होता है।
9. ज़र्र बिन जुबैश असदी
10. सालिम बिन अब्दुल्लाह बिन उमर बिन ख़त्ताब करशी , मदनी
11. सईद बिन जुबैर असदी कूफ़ी , जो हुज्जाज (सितमगार) के हाथों शहीद हुए।
12. सईद बिन मुसय्यब करशी , मख़्ज़ूमी , अहमद बिन हंबल ने उनके बारे में कहा कि सईद की तमाम मुरासेलात सही हैं।
13. सुलैम बिन क़ैस हिलाली
14. सुलेमान बिन मेहरान अअमश
15. ज़हाक बिन मुज़ाहिम हिलाली
16. ताऊस बिन कीसान यमान जंदी
17. आयशा बिन्ते साद
18. अब्दुर्रहमान बिन अबी लैला
19. अदी बिन साबित अंसारी , कूफ़ा , ख़तमी
20. उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ , अमवी ख़लीफ़ा
21. अम्र बिन अब्दुल्लाह सबीई हमदानी
22. फ़ित्र बिन ख़लीफ़ ए मख़्ज़ूमी
23. मुस्लिम बिन सुबैह हमदानी , कूफ़ी , अत्तार
24. नज़ीर बिन सुलैम फ़ज़ारी , वास्ती
25. यज़ीद बिन अबी ज़ियाद कूफ़ी
26. यसार सक़फ़ी , अबू नजीह
उनके अलावा दूसरे ताबेईन ने भी हदीसे ग़दीर को बयान किया है।
दूसरी सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
दूसरी सदी हिजरी में 56 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
हाफ़िज़ मुहम्मद बिन इस्हाक़ मदनी ( 151)
हाफ़ि़ज़ सुफ़यान बिन सईद सौरी ( 161)
हाफ़िज़ वकीअ बिन जराज ( 196)
तीसरी सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
तीसरी सदी हिजरी में 92 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
मुहम्मद बिन इदरीसे शाफ़ेई ( 204)
(अन निहायह जिल्द 5 पेज 228)
अहमद बिन हंबल शैबानी ( 241)
(अल मुसनद)
हाफ़िज़ मुहम्मद बिन इस्माईले बुख़ारी ( 256)
(तारिख़ुल कबीर जिल्द 1 पेज 375)
हाफ़िज़ मुहम्मद बिन ईसा तिरमिज़ी ( 279)
हाफ़िज़ अहमद बिन यहया बलाज़री ( 279) वग़ैरह
(अनसाबुल अशराफ़ जिल्द 2 पेज 108)
चौथी सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
चौथी सदी (हिजरी) में 43 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
अहमद बिन शुऐब निसाई ( 303) इस हदीस को सोनन और ख़सायस में मुतअद्दिद तरीक़ों से नक़्ल किया है जिनमें अकसर सहीहुस सनद है।
हाफ़िज़ अहमद बिन अली मूसली , अबू यअली ( 307)
(ख़सायसुन निसाई पेज 10, 16)
(मुसनद अबी यअली जिल्द 11 पेज 307)
हाफ़िज़ मुहम्मद बिन जरीरे तबरी ( 310)
अबुल क़ासिम तबरानी ( 370) मौसूफ़ ने भी हदीसे ग़दीर को बहुत से तरीक़ों से नक़्ल किया है जिनमें से अकसर सहीहुस सनद है।
इसके अलावा भी दीगर अफ़राद ने हदीसे ग़दीर को नक़्ल किया है।तफ़सीरे तबरी जिल्द 3 पेज 428)
(मोजमुल अवसत जिल्द 3 पेज 133)
पाँचवी सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
पाँचवी सदी हिजरी में 24 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
क़ाज़ी अबी बक्र बाक़लानी ( 403)
अबू इस्हाक़ सालबी ( 427)
अबू मंज़ूर सआली ( 429)
हाफ़िज़ अबू उमर क़ुरतबी ( 463)
अबू बक्र ख़तीब बग़दादी ( 436)
इब्ने मग़ाज़ेली शाफ़ेई ( 483)
हाफ़िज़ हसकानी हनफ़ी ( 490)
(अत तमहीद पेज 169)
(अल कश्फ़ वल बयान पेज 181)
(सेमारुल क़ुलूब पेज 636 रक़्म 1068)
(अल इसतीआब क़िस्मे सिवम 1099)
(तारीख़े बग़दाद जिल्द 8 पेज 290)
(अल मनाक़िब अली बिन अबी तालिब (अ) पेज 25 हदीस 27)
(शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 201 हदीस 211)
छठी सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
छठी सदी हिजरी में 20 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
हुज्जतुल इस्लाम ग़ज़ाली ( 505)
जारुल्लाह ज़मख़्शरी ( 538)
मुवफ़्फ़क़ बिन अहमद ख़ारज़मी ( 568)
इब्ने असाकर दमिश्क़ी ( 571) वग़ैरह
(रबीउल अबरार जिल्द 1 पेज 84)
सातवी सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
सातवी सदी हिजरी में 21 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
फ़ख़रुद्दीन राज़ी शाफ़ेई ( 606)
इब्ने असीर जज़री ( 630)
इब्ने अबिल हदीद मोतज़ली ( 655)
हाफ़िज़ गंजी शाफ़ेई ( 658)
हाफ़िज़ मुहिब्बुद्दीन तबरी शाफ़ेई ( 694) वग़ैरह
(अत तफ़सीरुल कबीर जिल्द 3 पेज 636)
(असदुल ग़ाबा जिल्द 1 पेज 364)
(शरहे नहजुल बलाग़ा जिल्द 1 पेज 13)
(किफ़ायतुल तालिब पेज 16)
आठवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
आठवीं सदी हिजरी में 18 उलामा ए अहले सुन्नत से इस हदीस से इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
शैख़ुल इस्लामी जवीनी ( 722)
जमालुद्दीन ज़रन्दी ( 750)
क़ाज़ी ऐजी शाफ़ेई ( 756)
इब्ने कसीरे शाफ़ेई ( 774)
सैयद अली हमदानी ( 786)
सादुद्दीन तफ़ताज़ानी शाफ़ेई ( 791) वग़ैरह
(फ़राउदुस समतैन जिल्द 2 पेज 274)
(नज़्म दुररुस समतैन पेज 109)
(अल मवाकिफ़ पेज 405)
(अल बेदायह वन निहायह जिल्द 5 पेज 209)
(अल मवद्दतुल क़ुरबा मवद्दत पंजुम)
(शरहे मक़ासेदा जिल्द 5 पेज 273)
नवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
नवीं सदी हिजरी में 16 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
हाफ़िज़ अबिल हसन हैसमी शाफ़ेई ( 870)
हाफ़िज़ इब्ने ख़लदून मालिकी ( 808)
सैयद शरीफ़ जुरजानी हनफ़ी ( 816)
इब्ने हजरे असक़लानी शाफ़ेई ( 852)
इब्ने सब्बाग़ मालिकी ( 855)
अलाऊद्दीन क़ौशजी ( 889) वग़ैरह
(मजमउज़ ज़वायद जिल्द 9 पेज 165)
(मुक़द्दम ए इब्ने ख़लदून जिल्द 1 पेज 246)
(शरहे मवाक़िफ़ जिल्द 8 पेज 360)
(अल इसावह जिल्द 7 पेज 780)
(अल फ़ुसूलुल मुहिम्मा पेज 24)
(शरहे तजरीद पेज 477)
दसवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
दसवीं सदी हिजरी में 14 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
हाफ़िज़ जलालुद्दीन सुयुती ( 911)
नुरूद्दीन समहूदी शाफ़ेई ( 911)
हाफ़िज़ अबिल अब्बास क़सतानी शाफ़ेई ( 923)
इब्ने हजरे हैसमी शाफ़ेई ( 974)
मुत्तक़ी हिन्दी (वग़ैरह)
(तारिख़ुल ख़ुलाफ़ा पेज 114)
(अस सवायक़ुल मोहरिक़ा पेज 25)
(कंज़ुल उम्माल जिल्द 2 पेज 154)
गवारहवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
गयारहवीं सदी में 12 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस के नक़्ल किया है जैसे:
ज़ैनुद्दीन मनावी शाफ़ेई ( 1031)
नूरुद्दीन हलबी शाफ़ेई ( 1044) वग़ैरह
कंनूज़ुल हक़ायक़ जिल्द 2 पेज 118
अस सीरतुल हलबीया जिल्द 3 पेज 274
बारहवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
बारहवीं सदी हिजरी में 13 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
ज़याऊद्दीन मुक़बेली ( 1108)
इब्ने हमज़ा हर्रानी ( 1120)
अबी अब्दिल्लाह ज़रक़ावी मालिकी ( 1122) वग़ैरह
(अल बयान वत तारीफ़ जिल्द 3 पेज 74)
(शरहुल मवाहिब जिल्द 7 पेज 13)
तेरहवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
तेरहवीं सदी हिजरी में 12 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
अबुल इरफ़ान मुहम्मद बिन सब्बान शाफ़ेई ( 1206)
क़ाज़ी शौकानी ( 1250)
शहाबुद्दानी आलूसी ( 1270) वग़ैरह
(अल असआफ़ दर हाशिया नूरुल अबसार पेज 152)
(रुहुल मआनी जिल्द 6 पेज 194)
चौदहवीं सदी में हदीसे ग़दीर के रावी
चौदहवीं सदी हिजरी में 19 उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीस को नक़्ल किया है जैसे:
सैयद अहमद बिन ज़ैनी दहलान शाफेई ( 1304)
सैयद मोमिन शबलंजी
शेख़ मुहम्मद अबहदू मिस्री ( 1323)
(तफ़सीरे अल मनार जिल्द 6 पेज 464)
सैयद अब्दुल हमीद आलूसी ( 1324)
अब्दुल फ़त्ताह अब्दुल मक़सूद वग़ैरह
(नसरुल लयाली पेज 166)