आलमे बरज़ख

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आलमे बरज़ख लेखक:
कैटिगिरी: क़यामत

आलमे बरज़ख

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

लेखक: शहीदे महराब आयतुल्लाह दस्तग़ैब शीराज़ी
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आलमे बरज़ख

आलमे बरज़ख

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

आलमे बरज़ख़

(लेखकः शहीदे मेहराब आयतुल्लाह सैय्यद दस्तग़ैब शीराज़ी)

अनुवादकःमुहम्मद बाक़िरूल बाक़िरी जौरासी

अलहसनैन इस्लामी नैटवर्क


अर्ज़े मुजारज्जिम (उर्दू)

इस्लामी जम्हूरिये ईरान से जिन किताबों की इशाअत का सिलसिला जारी है उनमें में बेशतर अपनी इफ़ादियत के लिहाज़ से पूरा हक़ रखती हैं कि उनके तरजुमे हज़राते मोमिनीन और अफ़रादे मिल्लत के सामने पेश किये जाऐं लेकिन मेरे लिये बायसे हसरत है ये बात कि अपनी रोज़ ब रोज़ गिरती हुई सेहत ,बढ़ती हुई ज़ईफ़ी और घटती हुई बीनाई की वजह से अब किसी ज़ख़ीम किताब का तरजुमा हाथ में लेने की हिम्मत नहीं होती। फ़िलहाल शहीदे मेहराब आयतुल्लाह सैय्यद अब्दुलहुसैन दस्तग़ैब की एक निस्बतन मुख़्तसर किताब बरज़ख़ का तरजुमा हदियाऐ नाज़िरीन करता हूँ। मुझे पूरा यक़ीन है कि अगर तवज्जोह के साथ इसका मुतालिआ किया जाये तो हम जैसे गुनाहगारों की दुनिया और दीन दोनों की इस्लाह में इससे पूरी मदद मिलेगी और हम अपनी मुजरिमाना ग़फ़लतों से आलूदा ज़िन्दगी को भयानक बरज़ख़ी अन्जाम से बचा सकते हैं ,अगर ज़िन्दगी और सेहत ने कुछ दिनों का मौक़ा और दिया तो इन्शाल्लाह बाज़ दूसरी किताबों के तरजुमे भी पेश करने की सआदत हासिल करूँगा ,वरना दुआऐ मग़फ़िरत का उम्मीदवार हूँगा।

इन्शाल्लाह.

वस्सलाम

आसी मुहम्मद बाक़िरूल बाक़िरी जौरासी

अर्ज़े नाशिर

अल्लाह के फ़ज़्ल ,रसूल और आले रसूल के करम से हमारी जानिब से अब तक बेशुमार किताबें उर्दू और हिन्दी में शाया की जा चुकी हैं जिनसे हज़ारों मोमिनीन इस्लाह और इल्म हासिल कर रहे हैं। वक़्त की ज़रूरत ,मोमिनीन के इसरार और नौजवानों की दिलचस्पी को देखते हुए बाज़ उर्दू किताबों का हिन्दी में तर्जुमा किया गया जो बेहद पसन्द किया गया ये किताब बरज़ख़  जो निहायत अहम मौज़ू से ताल्लुक़ रखती है आयतुल्लाह दस्तग़ैब की किताब बरज़ख़ के उर्दू तरजुमे का हिन्दी तरजुमा है कोशिश की गई है कि आसान से आसान ज़बान में किताब के पैग़ाम को अवाम के ज़ेहनों तक पहुँचा दिया जाये। उम्मीद है कि मोमिनीन पिछली किताबों की तरह इसको भी पसन्द फ़रमाऐंगें और बारगाहे इलाही में दुआ करके हमारी मेहनत को क़ुबूल फ़रमाऐंगें।

 वस्सलाम

सैय्यद अली अब्बास तबातबाई