भटके हुए लोगों से सामाजिकता का मना होना
इस बारे में क़ुरआन मजीद की आयतें हमारा मार्ग दर्शन करती हैं , अगर हम इस मार्ग दर्शन के अनुसार कार्य करें तो दुनिया और आख़ेरत दोनों का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।
وَإِذَآ أَنْعَمْنَا عَلَى الإِنسَانِ أَعْرَضَ وَنَأَى بِجَانِبِهِ
और जब हम इंसान पर कोई नेमत नाज़िल करते हैं तो वह पहलू बचा कर किनारे हो जाता है।
दुनिया में ऐसे लोग पाए जाते हैं जिनको माल और दौलत और ऐश एवं आराम ख़ुदा की याद और उसके क़ानून से ग़ाफ़िल कर देते हैं , और वह समझने लगते हैं कि हर चीज़ पर जीत और हर समस्या का समाधान माल और दौलत है। वह अपनी दौलत को हर चीज़ का आधार समझ लेते हैं और सोचते हैं कि वह हर चीज़ और हर व्यक्ति पर अधिकार रखते हैं , इसलिए अब उन सबको उसकी मर्ज़ी के अनुसार काम करना चाहिए और हर स्थान पर उनका सम्मान किया जाना चाहिए। घमंड के कारण अकड़ने लगते हैं और घमंडियों की नर्क वाली अवस्था उनके अंदर भड़कने लगती है और वह ऐसे कार्यों , व्यवहार और अख़्लाक़ में पड़ जाते हैं कि ख़ुदावंदे आलम से दूरी और उसके आदेशों की अवहेलना करने लगते हैं।
उलमा से दूरे बनाए रखते हैं , मस्जिद , मेहराब और नसीहत एवं वअज़ से दूर रहते हैं , दीन और दीनदारों के लिए उनके पास कोई जगह नही होती है , ख़ुदा और उसके क़ानून कि विरुद्ध रास्ता चुनते हैं , ऐसी ख़ुशियां मनाते हैं जिन ख़ुशियों का कोई आधार नही है , और जावनरों वाली नज़्ज़तों में पड़े रहते हैं , ख़ुदाई वास्तविक्ताओं को सुनने के लिए तैयार नही होते हैं , जो भी उनके पास आता है उसको अपनी ही तरह बाग़ी और विरोधी बना देते हैं।
यह लोग हर शहर और हर समाज में पहचाने जा चुके हैं , क़ुरआन करीम ने इनसे दूर रहने का आदेश दिया है और उनसे दोस्ती एवं सामाजिकता बनाने से मना किया है।
وَإِذَا رَأَيْتَ الَّذِينَ يَخُوضُونَ فِي آيَاتِنَا فَأَعْرِضْ عَنْهُمْ
और जब तुम यह देखो कि लोग हमारी निशानियों के बारे में बेकार की बहसें कर रहे हैं तो उनसे दूर हो जाओ।
وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِآيَاتِ رَبِّهِ ثُمَّ أَعْرَضَ عَنْهَا إِنَّا مِنَ الْمُجْرِمِينَ مُنتَقِمُونَ
औऱ उससे बड़ा ज़ालिम कौन है जिसे ख़ुदा की निशानियों की याद दिलाई जाती है और फिर उससे मुँह मोड़े तो हम निःसंदेह मुजरिमों से इन्तेक़ाम लेने वाले हैं।
ऐसे लोग भी पाए जाते हैं जिनको क़ुरआन करीम की आयतों के माध्यम से ध्यान दिलाया जाना आवश्यक है , उनको अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की आवश्यकता है , उन पर हुज्जत तमाम होनी चाहिए ताकि उनके लिए सौभाग्य के द्वार खुल जाएं , लेकिन उनके साथ जितनी मोहब्बत और मेहरबानी बरती जाती है वह उतना ही बिगड़ते हैं और ख़ुदा की आयतों से मुँह मोड़ लेते हैं , बद बख़्ती और दुर्भाग्य से हमराही हो जाते हैं , यह लोग ख़ुद से पाक अख़्लाक़ और नेक अक़ीदों को अपनाना नही चाहते हैं।
इनकी हालतों को देखकर बेहतर यही है कि इनसे दूरी इख़्तियार की जाए , इनकी दोस्ती और सामाजिकता से बचा जाए , कहीं ऐसा ना हो कि उनकी शैतानी आदतें और गुण दूसरों को गुमराही के कुँए में धकेल दें , और रहमत के द्वार उन पर बंद हो जाएं और दुनिया एवं आख़ेरत दोनों के सैभाग्य से महरूम हो जाएं।
فَأَعْرِضْ عَن مَّن تَوَلَّى عَن ذِكْرِنَا وَلَمْ يُرِدْ إِلَّا الْحَيَاةَ الدُّنْيَا ،ذَلِكَ مَبْلَغُهُم مِّنَ الْعِلْمِ
इसलिए जो व्यक्ति भी हमारे ज़िक्र से मुँह फेरे और दुनिया की ज़िन्दगी के अतिरिक्त कुछ ना चाहे आप भी उससे मुँह फिरा लें , यही उनके इल्म की हद है।
दुनिया में इस प्रकार के लोग पाए जाते हैं जो जानते बूझते ख़ुदा की याद , क़ुरआन की आयतों हालाल और हराम और वास्तविक्ताओं सो मुँह मोड़ते हैं , वासना , दौलत , सत्ता और हुकूमत और शारीरिक इच्छाओं के अतिरिक्त किसी और चीज़ के बारे में नही सोचते हैं।
यह लोग जीवन के हर काम में यहां तक कि इंसानों की कोशिश को भी वासना और दौलत की राह में प्रयोग करना चाहते हैं और जो भी उनके रास्ते में आता है उसको अपने से दूर कर देते हैं , उसके साथ दुश्मनी , हसद और कीने से काम लेते हैं।
यह लोग ख़ुदा की तरफ़ मार्ग दर्शन नही चाहते , आख़ेरत से इनको कोई लगाव नही है , यह नबियों के द्वारा उठाई गई कठिनाईयों का सम्मान नही करते , इसी कारण मेहरबान ख़ुदा इंसानों के महत्व को सुरक्षित रखने के लिए आदेश देता है कि इस प्रकार के लोगों से दूर रहो , उनके साथ दोस्ती और सामाजिकता से बचो।
रिवायतों में भी इनसे दूर रहने के लिए ज़रूरी अहकाम बयान हुए हैं , इस सिलसिले में नीचे दी जा रही रिवायतें बेहतरीन मार्ग दर्शक हैः
नादान लोगों की संगत व दोस्ती से बचना
रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) से रिवायत हुई हैः
أَحْكَمُ النَّاسِ مَنْ فَرَّ مِنْ جُهَّالِ النَّاس
बुद्धिमान इंसान वह है जो नादानों से दूर रहे।
इमाम सादिक़ (अलैहिस सलाम) से रिवायत हुई हैः
لَا يَنْبَغِي لِلْمُسْلِمِ أَنْ يُوَاخِيَ الْفَاجِرَ وَ لَا الْأَحْمَقَ وَ لَا الْكَذَّاب
मुसलमान के लिए मुनासिब नही है कि वह बुरा काम करने वाले , मुर्ख और झूठे इंसान के साथ सामाजिकता और दोस्ती करे।
इमाम सादिक़ (अलैहिस सलाम) ने फ़रमायाः जब अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) मिम्बर पर जाते थे तो कहते थेः मुसलमानों के लिए मुनासिब यह है कि वह तीन (प्रकार के) लोगों से दूर रहेः माजिन , अहमक़ (मुर्ख) , और झूठा।
माजिनः वह व्यक्ति है जो अपने कार्यों को तुम्हारे लिए सजाता और सवांरता है कि तुम भी उसी के जैसे हो जाओ , वह कभी भी तुम्हारे दीन और तुम्हारी आख़ेरत पर तुम्हारी सहायता नही करता , उसके साथ दोस्ती और सामाजिकता करना ज़ुल्म और संगदिली का कारण है , उसके साथ उठना बैठना तुम्हारे लिए अपमान है।
अहमक़ः वह व्यक्ति है जो नेकी और भलाई की तरफ़ तुम्हारा मार्ग दर्शन नही करता , तुम उससे मुसीबत , समस्याओं और बुराई के अतिरिक्त किसी और चीज़ की आशा ना रखो , अगरचे वह अपने पूरे वुजूद के साथ कोशिश करता है और तुमको लाभ पहुँचाना चाहता है लेकिन हानि ही पहुँचाता है , उसकी मौत उसके जीवन से बेहतर है , उसका चुप रहना बोलने से बेहतर है , उसका दूर रहना पास रहने से बेहतर है।
झूठाः वह व्यक्ति है जिसके साथ रहने से तुम्हारा जीवन अच्छा नही होगा , तुम्हारी ज़िन्दगी की बातों को दूसरों से बताएगा और दूसरों की बातें तुमसे बताएगा , जब भी कोई चीज़ कहेगा तो मुँह बंद करेगा और बात को काट देगा और दूसरी बात आरम्भ कर देगा और अगर सच बात कहेगा तो चूँकि उसका कोई ऐतेबार नही है इसलिए उसकी बात का भरोसा नही हो सकता , लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करता है , सीनों में कीने और दुश्मनी को उभारता है , ख़ुदावंदे आलम की तरफ़ देखो और अपने वुजूद की तरफ़ ग़ौर और फ़िक्र करो।
पैग़म्बरे इस्लाम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) ने फ़रमायाः
मुर्दो के साथ सामाजिकता (दोस्ती करने) से दिल बुरा हो जाता है , कहा गयाः हे अल्लाह के रसूलः मुर्दों के साथ सामाजिकता का क्या अर्थ है ?
आपने फ़रमायाः जो भी ईमान के रास्ते से भटका हुआ है और ख़ुदा के अहकाम से दूर हो गया है और उनका पालन करने से इन्कार करता है उनसे सामाजिकता और दोस्ती ना करना।
हज़रत अमीरुल मोमिनीन (अलैहिस सलाम) ने फ़रमायाः
قَطِيعَةُ الْجَاهِلِ تَعْدِلُ صِلَةَ الْعَاقِل
जाहिल से संबंध तोड़ना आलिम से संबंध बढ़ाने के बराबर है।
ग़लत लोगों की संगत
इमाम बाक़िर (अलैहिस सलाम) ने रसूल इस्लाम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) से रिवायत की है कि आपने (स) ने फ़रमायाः
إِنَ أَسْرَعَ الْخَيْرِ ثَوَاباً الْبِرُّ، وَ أَسْرَعَ الشَّرِّ عِقَاباً الْبَغْيُ، وَ كَفَى بِالْمَرْءِ عَيْباً أَنْ يُبْصِرَ مِنَ النَّاسِ مَا يَعْمَى عَنْهُ مِنْ نَفْسِهِ، وَ أَنْ يُعَيِّرَ النَّاسَ بِمَا لَا يَسْتَطِيعُ تَرْكَهُ، وَ أَنْ يُؤْذِيَ جَلِيسَهُ بِمَا لَا يَعْنِيه
सवाब के ऐतेबार से जल्दी मिलने वाली अच्छाई , लोगों के साथ नेकी करना है और अज़ाब के लिहाज़ से जल्दी मिलने वाली बुराई , लोगों के साथ बुरा बर्ताव करना है , और ऐब के ऐतेबार से इंसान के लिए यही काफ़ी है कि वह लोगों में वह चीज़ देखे (उस बुराई की तलाश में रहे) जो (स्वंय) उसके वुजूद में उससे छिपी हुई है और लोगों की उस चीज़ से निंदा करे जिसको ख़ुद छोड़ने की शक्ति ना रखता हो , और अपने साथी को ऐसे कार्यों के कारण परेशान करे जिनका कोई महत्व नही है।
इमाम सादिक़ (अलैहिस सलाम) ने अपने पिता से उन्होंने रसूले ख़ुदा (स) से रिवायत की है कि आपने (स) फ़रमायाः
أَلَا أُنَبِّئُكُمْ بِشَرِّ النَّاسِ؟ قَالُوا بَلَى يَا رَسُولَ اللَّهِ قَالَ : مَنْ أَبْغَضَ النَّاسَ وَ أَبْغَضَهُ النَّاسُ ثُمَّ قَالَ : أَ لَا أُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِنْ هَذَا؟ قَالُوا بَلَى يَا رَسُولَ اللَّهِ قَالَ : الَّذِي لَا يُقِيلُ عَثْرَةً وَ لَا يَقْبَلُ مَعْذِرَةً وَ لَا يَغْفِرُ ذَنْباً ثُمَّ قَالَ : أَ لَا أُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِنْ هَذَا؟ قَالُوا بَلَى يَا رَسُولَ اللَّهِ قَالَ مَنْ لَا يُؤْمَنُ شَرُّهُ وَ لَا يُرْجَى خَيْرُه
क्या मैं तुमको सबसे बुरे लोगों के बारे में ना बताऊँ ? सबने कहाः हे अल्लाह के रसूल! बताइये फ़रमायाः सबसे बुरा इंसान वह है जो लोगों से दुश्मनी और हसद (जलन) करता हो और लोग भी उसके अत्याचारों और बुराई के कराण उसके दुश्मन हों , उसके बाद फ़रमायाः क्या मैं तुम्हें इससे भी अधिक बुरे इंसान के बारे में ना बताऊँ ? सबने कहाः हे अल्लाह के रसूल! बताइये आपने फ़रमायाः जो लोगों की ग़ल्ती और ख़ता को माफ़ ना करे और क्षमा मांगने वाले की क्षमा को स्वीकार ना करे और अपने सामने वाले की ग़ल्तियों और गुनाहों को माफ़ ना करे
उसके बाद फ़रमायाः क्या मैं तुम्हे इससे भी बुरे इंसान की ख़बर ना दूँ ? सबने कहाः जी हां हे अल्लाह के रसूल! आपने फ़रमायाः जिसके अत्याचारों से कोई बचा ना हो और किसी को उससे भलाई की आशा ना हो।
इमाम सादिक़ (अलैहिस सलाम) ने फ़रमायाः
مَنْ خَافَ النَّاسُ لِسَانَهُ فَهُوَ فِي النَّار
जिसकी ज़बान से लोग डरते हों वह निःसंदेह नर्क में जाएगा।
रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) ने फ़रमायाः
شَرُّ النَّاسِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ الَّذِينَ يُكْرَمُونَ اتِّقَاءَ شَرِّهِم
क़यामत के दिन सबसे बुरा इंसान वह है जिसकी बुराई से बचने के लिए उसका सम्मान किया जाए।
अच्छा और पवित्र साथी
दोस्त चाहना और दोस्ती एवं सामाजिकता एक ऐसी वास्तविक्ता है जिसको ख़ुदावंदे आलम ने इंसान की फ़ितरत में रखा है , और इस चाहत का फल मसलेहत और हिकमत के आधार पर हर ज़माने में बनाया है और वह ऐसे सम्मानित और उच्च श्रेणी के इंसान है जिनमें ख़ुदाई गुण और इंसानी सिफ़तें पाई जाती है।
वह निशानियां , पहचान और सिफ़तें क़ुरआन मजीद की आयतों , रिवायतों और इस्लामी शिक्षा में बयान हुई हैं और उनका आवश्यक और पूर्ण नुस्ख़ा सबके सामने है।
सच्चे दोस्तो और वास्तविक साथियों को पहचानने के यह आधार हैः
ख़ुदा और क़यामत पर विश्वास , नेक अमल , दीन की जानकारी और उसकी मारेफ़त , ख़ुलूस और इख़्लास , मेहरबानी , वक़ार (क़द्र और सम्मान) ईसार (ख़ुद को दूसरों पर निछावर कर देना) शुभ चिंतक होना , अदब और संजीदगी , साफ़ दिल और चाहने वाला , सच्चाई , अमानत , क्षमा करना आदि।
इन सब चीज़ों के जोड़ को अहले बैत की ज़बान में नेक अख़्लाक़ कहा जाता है , ख़ुदावंदे आलम ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) को क़ुरआने में इसी सिफ़त से याद किया हैः
وَإِنَّكَ لَعَلى خُلُقٍ عَظِيمٍ
नेक अख़्लाक़ (ख़ुदाई गुणों और इंसानी सिफ़तों का मजमूआ है) जिसमें भी पाया जाता हो बेहतर यह है कि लोग उससे दोस्ती और समाजिकता बनाएं , कम से कम रोज़ एक घंटा उसके पास बैठें और उसकी ख़ुदाई सांसों की बरकत और इंसानी गुणों से लाभ प्राप्त करें।
सबसे बड़ी नेकी
इस प्रकार का इंसान अगर किसी व्यक्ति के इन्सानियत के क्षितिज से प्रकट हो और सूर्य की तरह उसके वुजूद की ज़मीन पर अपनी किरनें बिखेर कर उसके जीवन में प्रवेश कर जाए तो यह समझ लेना चाहिए कि ख़ुदावंदे आलम की तरफ़ से उसको सबसे बड़ी नेकी मिल गई है।
पैग़म्बरे इस्लाम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) ने फ़रमायाः
من اراد اللہ بہ خیرا رزقہ خلیلا صالحا ان نسی ذکرہ و ان ذکر اعانہ
अगर ख़ुदा किसी के साथ नेकी करना चाहता है तो उसको बेहतरीन और नेक दोस्त अता करता है , अगर वह ख़ुदाई वास्तविक्ता , हलाल और हराम और ख़ुदा के आदेशों को भूल जाता है तो वह दोस्त उसको याद दिलाता है और अगर वह उसका ध्यान रखता है तो उनके अनुसार कार्य करने में वह दोस्त उसकी सहायता करता है।
अच्छे लोगों के साथ दोस्ती का महत्व
पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने क़ौम को ऐसे प्रतिष्ठित इंसानों जिनको ख़ुदा की तरफ़ से बड़ी नेकी प्राप्त हुई है के साथ दोस्ती करने का शौक़ दिलाया है और एक रिवायत में ऐसी दोस्ती के महत्व के बारे में इरशाद फ़रमाया हैः
من آخی اخا فی اللہ رفع اللہ لہ درجۃ فی الجنۃ لا ینالھا بشءی من عملہ
जो भी दोस्त को ख़ुदा के लिए चुने और ख़ुदा की ख़ुशी प्राप्त करने के लिए अपने मोमिन भाई से दोस्ती के लिए तैयार हो तो ख़ुदावंदे आलम जन्नत में उसको इतना ऊँचा स्थान देगा कि जो उसके किसी भी कार्य से प्राप्त ना हो सकेगा।
पैग़म्बरे अकरम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) ख़ुदा की राह में और ख़ुदा की ख़ुशी प्राप्त करने के लिए ऐसे लोगों से दोस्ती और सामाजिकता के बारे में जिनके अंदर दोस्ती की सारी शर्तें पाई जाती है फ़रमाते हैः
ینصب لطاءفہ من الناس کراسی حول العرش یوم القیامۃ، وجوھھم کالقمر لیلۃ البدر یفزع الناس ولا یفزعون و یخاف الناس و لا یخافون، ھم اولیاء اللہ لا خوف علیھم ولا ھم یحزنون، فقیل منھم یا رسول اللہ؟ قال : ھم المحتابون فی اللہ
क़यामत के दिन एक गुट के लिए आसमान के इर्द गिर्द बहुत से तख़्त बिछा दिए जाएंगे (वह उनपर बैठेंगे) उनके चेहरे चौदहवीं रात के चाँद की भाति चमकते होंगे , लोग डर रहे होंगे लेकिन उनको कोई डर और ख़ौफ़ ना होगा , यह ख़ुदा के दोस्त हैं जिनको कोई ग़म और ख़ौफ़ नही है , लोगों ने कहाः हे अल्लाह के रसूल! यह कौन लोग हैं ? आपने फ़रमायाः यह वह लोग हैं जो ख़ुदा के लिए , ख़ुदा की राह में एक दूसरे से दोस्ती करते हैं।
इस सिलसिले में एक बहुत ही महत्व पूर्ण हदीस में रसूले इस्लाम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) ने फ़रमायाः
ان اللہ تعالی یقولّ حقت محبتی للذین یتزاورون من اجلی، و حقت محبتی للذین یتناصرون من اجلی، و حقت محبتی للذین یتحابون من اجلی، و حقت محبتی للذین یتبادلون من اجلی
ख़ुदावंदे आलम फ़रमाता हैः मेरी मोहब्बत केवल उन लोगों के लिए है जो मेरे कारण एक दूरसे से मुलाक़ात करते हैं , और मेरी मोहब्बत उन लोगों का अधिकार है जो मेरे कारण एक दूसरे की सहायता करते हैं , और मेरी मोहब्बत के केवल वह हक़दार हैं जो मेरे कारण एक दूसरे से दोस्ती करते हैं , और मेरी मोहब्बत उन लोगों के लिए है जो मेरे कारण एक दूसरे पर ख़र्च करते हैं।
इस प्रकार की दोस्ती और साथ का इतना अधिक महत्व है कि फ़रिश्ते भी ख़ुदावंदे आलम से बंदों के बीच इस प्रकार की मोहब्बत पैदा होनी की दरख़ास्त करते हैं।
रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) ने फ़रमायाः
ان اللہ ملکا نصفہ من النار و نصفہ من الثلج یقول : اللھم کما الفت بین الثلج و النار الف بین عبادک الصالحین
ख़ुदावंदे आलम का एक फ़रिश्ता है जिसका आधा शरीर आग का है और आधा बर्फ़ का , वह हमेशा कहता हैः जिस प्रकार तूने आग और बर्फ़ के बीच मोहब्बत पैदा कर दी उसी प्रकार अपने नेक बंदों के बीच भी मोहब्बत और दोस्ती पैदा करे दे।
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अलैहिस सलाम) ने इस प्रकार के दोस्तो (जो इंसान के लिए दुनिया और आख़ेरत की नेकी का कारण बनते हैं) का चुनाव करने के संबंध में फ़रमाया हैः
علیکم بالاخوان فانھم فی الدنیا و الآخرۃ الا تسمع الی قول اھل النار فَمَا لَنَا مِن شَافِعِينَ، وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ
अच्छे दोस्तों और मोमिन भाईयों के चुनाव के लिए खड़े हो जाओ क्योंकि इस प्रकार के दोस्त दुनिया और आख़ेरत के लिए बेहतरीन तोशा ए सफ़र हैं , क्या तुम ने नर्क वालों की बातों को नही सुनाः जो कहेंगे कि अब हमारे लिख कोई शिफ़ाअत (सिफ़ारिश) करने वाला भी नही है और ना ही कोई दिल को अच्छा लगने वाला दोस्त।
अच्छे दोस्त और नेक साथी को चुनने का महत्व इतना अधिक है कि शादी से संबंधित रिवायत में बयान हुआ है कि जो भी अच्छी औरत और नेक जीवन संगिनी से शादी करे , उसका शुमान उन लोगों में होता है जिन्होंने ख़ुदा की राह में और ख़ुदा के लिए मोहब्बत और इश्क़ किया है , जैसा कि एक रिवायत में बयान हुआ हैः
من نکح امراۃ صالحۃ لیتحصن بھا عن وسواس الشیطان و یصون بھا دینہ او لیولد لہ ولد صالح یدعو لہ و احب زوجتہ لانھا آلتہ فی ھذہ المقاصد الدینیۃ فھو محب فی اللہ تعالی
जो भी नेक औरत से इसलिए शादी करे ताकि उसके माध्यम से अपने दामन की पवित्रता को शैतानी बहकावो से सुरक्षित करे , और अपने दीन को सुरक्षित करे , या उसके लिए नेक औलाद पैदा करे जो उसके लिए दुआ करे और अपने जीवन साथी से इसलिए मोहब्बत करे कि उसने इन सारे कामों में उसकी सहायता की है तो निःसंदेह उसका शुमार उन लोगों में होगा जिन्होंने ख़ुदा की राह में और ख़ुदा के लिए दोस्ती की है।
अच्छा साथी , माहिर बाग़बान
सही और अच्छा दोस्त और साथी हो हक़ की राह में क़दम उठाता है और नेक अमल और अच्छे व्यवहार से परिपूर्ण होता है वह कभी भी इंसान की आदतों और उसके तरीक़ों से लापरवाह नही हो सकता , वह ईमान , क़यामत और अपने दोस्ती की मोहब्बत को ध्यान में रखते हुए अपना दायित्व समझता है कि उसको ख़तरों , फ़ितनों , बुराईयों और सामाजिक तूफ़ानों सो सुरक्षित रखे और एक फौलादी ठाल की तरह उसकी हिफ़ाज़त करे और उसको ، وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا بِالْمَرْحَمَةِ وَتَوَاصَوْا بِالْحَقِّ وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ के वातावरण में रखे और एक माहिर बाग़बान की भाति नेकियों की ज़मीन में उसको बढ़ाए और तरक़्क़ी दे और उसको इंसानी बुलंदी तक पहुँचाए।
सच्चा और मेहरबान दोस्त , इंसान को ख़ुदा की तरफ़ बुलाता है और उसकी दुनिया और आख़ेरत की भलाई के लिए काम करता है , क्योंकि नेक दोस्त इंसान को ख़ुदा की अमानत के तौर पर देखता है और इसी कारण बहुत अच्छी अमानतदारी करता है।
बेहतर है कि इस वास्तविक्ता को ध्यान में रखा जाए कि हम इंसानों के पास ख़ुदा , नबी , इमाम और वास्तविक मोमिनों के अतिरिक्त कोई और सच्चा दोस्त नही है।
وَحَسُنَ أُولَئِكَ رَفِيقًا
और यही बेहतरीन दोस्त हैं।
यह लोग इंसान की भलाई , दुनिया और आख़ेरत के सौभाग्य , कमाल और तरबियत के अतिरिक्त कुछ नही चाहते हैं।
ख़ुदा की वही के यह प्रशिक्षित है जिनका स्रोत मेहरबान ख़ुदा का पवित्र वुजूद है , यह पैग़म्बरे अकरम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि वसल्लम) से प्रशिक्षण पाए हुए हैं जो सारी सृष्टि के लिए रहमत है और अहले बैत (अ) ने इन को प्रशिक्षण दिया है जो नजात की कश्ति , ज्ञान का स्रोत और रहमत की कान हैं।
यह इंसान के वुजूद की मिट्टी को अपने वुजूद की मिट्टी से प्रशिक्षित करते हैं और रूहानी इत्र से ख़ुदबूदार करते हैं और इंसान के जीवन को ऐसे बाग़ में बदल देते हैं जिसमें अच्छा व्यवहार , नेक अमल और सही अक़ीदे मौजूद है।
मलिकुल शोअरा बहार ने सअदी की चार प्रसिद्ध बैतों पर अपनी तज़मीन में इस नुक्ते को इस प्रकार बयान किया हैः
शबी दर महफ़िली बा आह व सूज़ी
शनीदस्तम कि मर्द पारेह दूज़ी
चुनीन मी गुफ़्त बा पीर अजूज़ी
गुली ख़ूश्बूई दर हम्माम रूज़ी
रसीद अज़ दस्ते महबूबू बे दस्तम
गिरफ़्तम आन गुल व करदम ख़मीरी
ख़मीरी नर्म व ताज़े चुन हरीरी
मोअत्तर बूद व ख़ूब दिल पज़ीरी
बे ऊ गुफ़्तम कि मुशकी या अबीरी
कि अज़ बूई दिल आवेज़े तू मस्तम
हमे गुलहाई आलम आज़मूदम
ना दीदम चुन तू व इबरत नमूदम
चू गुल बेशनवद इन गुफ़्त व शनूदम
बे गुफ़्ता मन गुली नाचीज़ बूदम
व लेकिन मुद्दती बा गुल नशिस्तम
गुल अनदर्ज़ रीज़ गुसतरदे पर गर्द
मरा बा हमनशीनी मुफ़्तख़िर करद
चू उमरम मुद्दती बा गुल ग़ुज़र करद
कमाले हमनशीनी दर मन असर करद
व गरने मन हमान ख़ाकम कि हस्तम
सही दोस्ती के साथ दुनिया और आख़ेरत का सौभाग्य
मेहरबान दोस्त और सच्चा साथी दुनिया और आख़ेरत की भलाई का कारण होता है इस सिलसिले में अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अलैहिस सलाम) की एक महत्व पूर्ण रिवायत बयान हुई हैः
جُمِعَ خَيْرُ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ فِي كِتْمَانِ السِّرِّ وَ مُصَادَقَةِ الْأَخْيَارِ وَ جُمِعَ الشَّرُّ فِي الْإِذَاعَةِ وَ مُؤَاخَاةِ الْأَشْرَار
दुनिया और आख़ेरत की भलाई , राज़ों के छिपाने और नेक लोगों के साथ दोस्ती और समाजिकता में जमा हो गई है , और सारी बुराई राज़ों को खोलने और बुरे लोगों के साथ दोस्ती और समाजिकता करने में जमा हो गई हैं
इस बात को जो बार बार कहा जाता है कि अपनी आत्मा के अंदर नबियों और इमाम (अ) की दोस्ती पैदा करो और आत्मा को उनका दोस्त बनाओ और अपनी रोज़ाना के जीवन में नेक लोगों से दोस्ती करो इसका कारण यह है कि सारे गुण और नेकिया इन हस्तियों में जमा हो गई हैं , इनके साथ (ज़ाहिरी या बातिनी) समाजिकता से इनके गुण इंसान की क्षमता के अनुरूप उसके अंदर आ जाती है और उनका वुजूद इंसान के ज़ाहिर और बातिन पर प्रभाव डालता है।
महान फ़क़ीह , तफ़्सीर करने वाले और ज्ञानी शेख़ तूसी ने इमाम सादिक़ (अलैहिस सलाम) से रिवायत की है कि आपने फ़रमायाः
نَحْنُ أَصْلُ كُلِ خَيْرٍ وَ مِنْ فُرُوعِنَا كُلُّ بِرٍّ وَ مِنَ الْبِرِّ التَّوْحِيدُ وَ الصَّلَاةُ وَ الصِّيَامُ وَ كَظْمُ الْغَيْظِ وَ الْعَفْوُ عَنِ الْمُسِيءِ وَ رَحْمَةُ الْفَقِيرِ وَ تَعَاهُدُ الْجَارِ وَ الْإِقْرَارُ بِالْفَضْلِ لِأَهْلِهِ وَ عَدُوُّنَا أَصْلُ كُلِّ شَرٍّ وَ مِنْ فُرُوعِهِمْ كُلُّ قَبِيحٍ وَ فَاحِشَةٍ فَمِنْهُمُ الْكَذِبُ وَ النَّمِيمَةُ وَ الْبُخْلُ وَ الْقَطِيعَةُ وَ أَكْلُ الرِّبَا وَ أَكْلُ مَالِ الْيَتِيمِ بِغَيْرِ حَقِّهِ وَ تَعَدِّي الْحُدُودِ الَّتِي أَمَرَ اللَّهُ عَزَّ وَ جَلَّ وَ رُكُوبُ الْفَوَاحِشِ ما ظَهَرَ مِنْها وَ ما بَطَنَ مِنَ الزِّنَاءِ وَ السَّرِقَةِ وَ كُلُّ مَا وَافَقَ ذَلِكَ مِنَ الْقَبِيحِ وَ كَذَبَ مَنْ قَالَ إِنَّهُ مَعَنَا وَ هُوَ مُتَعَلِّقٌ بِفَرْعِ غَيْرِنَا
हर नेकी जड़ और आधार हम हैं हमारी शाख़ों और पत्तों से हर प्रकार की नेकी निकलती है औऱ नेकी से तौहीद , नमाज़ , रोज़ा , क्रोध की पी जाना , सताने वालों को क्षमा करना , फ़क़ीरों पर एहसान , पड़ोंसियों का ख़्याल और फ़ज़ीलत वालों की फ़ज़ीलत का इक़रार पैदा होता है , हर बुराई की जड़ और आधार हमारे दुश्मन हैं उनकी शाख़ों और पत्तों से हर प्रकार की बुराई निकलती है , इस बुराई से झूठ , कंजूसी , लगाई बुझाई करना , संबंधो का तोड़ना , सूद खाना , यतीम के माल को नाहक़ खाना , ख़ुदा की हदों से आगे बढ़ना , ज़ाहिरी और बातिनी गुनाहों में पड़ना , ज़िना , चोरी और हर प्रकार की दूसरी बुराईयां निकलती हैं , जो यह दावा करे कि वह हमारे साथ है लेकिन हमारे दुश्मनों की शाख़ और पत्तों में लिपटा हो वह झूठा है।
हज़रत अली (अ) की दृष्टि में पवित्र मित्र
अमीनुल मोमिनी हज़रत अली (अलैहिस सलाम) सच्चे दोस्त के बारे में फ़रमाते हैः
لَا يَكُونُ الصَّدِيقُ صَدِيقاً حَتَّى يَحْفَظَ أَخَاهُ فِي ثَلَاثٍ فِي نَكْبَتِهِ وَ غَيْبَتِهِ وَ وَفَاتِه
दोस्त उस समय तक दोस्त नही है जब तक अपने दीनी भाई और दोस्ती की तीन चीज़ों में ख़याल ना रखेः मुसीबत और परेशानी में उसका साथ दे , उसके पीछे लोगों के बीच उसके हितों की रक्षा करे और उसके मरने के बाद उसके कामो का दायित्व संभाले।
परेशानी और मुसीबत में माल , मान सम्मान और ज़बान से उसकी सहायता करने में जल्दी करे ताकि उसकी परेशानी दूर हो जाए , उसके ना होने की अवस्था में लोगों से उसके हितों की रक्षा करे और उसके विरुद्ध अपनी ज़बान को बंद रखे। उसके मरने के बाद उसके कामों की ज़िम्मेदारी संभाले और उसके बीवी बच्चों की सहायता करे।
अगर दोस्ती और समाजिकता अमीरुल मोमिनीन के कथन अनुसार हो जाए तो क़यामत के दिन सभी लोगों की ज़िन्दगी जन्नत वालों के लिए नमूना बन जाए।
संभव है कि कोई यह करे कि इस प्रकार की दोस्ती होना बहुत कठिन है बल्कि संभव ही नही है , उसके जवाब में कहना चाहिएः क़ुरआन और अहले बैत (अलैहिमुस सलाम) के घर से प्रशिक्षण पाए हुए दूसरों के साथ दोस्ती और समाजिकता में इसी प्रकार का कार्य किया करते थे , जिस प्रकार अमीरुल मोमिनीन (अ) ने फ़रमाया है और अपने कांधों पर किसी प्रकार का बोझ नही समझते थे , उन्होंने अपने व्यवहार से सिद्ध कर दिया कि मारेफ़त और दीन के बारे में किसी भी प्रकार का काम करना बहुत आसान और संभव है। आगे आने वाले भागों में उन लोगों के जीवन की तरफ़ इशारा किया जाएगा जिनका पूरा जीवन प्रकाश था और उन्होंने नबियों , इमामो और नेक बंदों को अपनी दोस्ती और साथ के लिए चुना।
नबियों का साथ
अध्यात्म की बुनियाद पर चयन
निःसंदेह अगर कोई इंसान अपने लिए दोस्त और साथी को तलाश करने और दोस्ती को आगे बढ़ाने में जानकारी और अक़्ल से काम ले तो बेहतरीन लक्ष्य प्राप्त करेगा।
यह जानकारी और ज्ञान केवल , अच्छे पढ़ाई , सही सोच , ज्ञानियों से विचार विमर्श और ख़ुदाई आदेशों का पालन करने से प्राप्त होती है।
जानकारी और इल्म इतना महत्व पूर्ण है कि ख़ुदावंदे आलम ने अपने पैग़म्बर से फ़रमायाः अपना रास्ता , रसम व रिवाज , धर्म और क़ानून और रास्ते को लोगों के सामने बयान करो और उनसे कहो कि हम और हमारा अनुसरण करने वाले बसीरत और जानकारी के आधार पर इंसानों को ख़ुदा की तरफ़ बुलाते हैं जैसा कि इस आयत में बयान हुआ हैः
قُلْ هَذِهِ سَبِيلِي أَدْعُو إِلَى اللّهِ عَلَى بَصِيرَةٍ أَنَاْ وَمَنِ اتَّبَعَنِي
आप कह दीजिए कि यही मेरा रास्ता है कि मैं ज्ञान और जानकारी के साथ ख़ुदा की तरफ़ बुलाता हूँ और मेरे साथ मेरा अनुसरण करने वाला भी है।
जो लोग अक़्लमंदी , सोच , जानकारी और ज्ञान के आधार पर दोस्त का चुनाव करते हैं , विशेषकर रूहानी ऐतेबार से नबियों और मासूमीन (अ) की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं , उनके वुजूद से उनके अंदर रूहानी और आत्मिक संबंध बन जाता है जिसके माध्यम से उनके जीवन का पेड़ फलों से भरा हुआ , महत्व पूर्ण और लाभदायक हो जाता है , दूसरे शब्दों में यह कहा जाए कि इस प्रकार यह संबंध दोस्त के वुजूद में बदल जाता है ,
मन कीम लैली व लैली कीस्त मन
हर दो यिक रूहीम अंदर दो बदन
अनुवाद
मैं कौन हूं लैला और लैला कौन है मैं
हम दोनों एक ही रुह हैं दो बदन में
क़ुरआन करीन ऐसे व्यक्तियों को पहचनवाता है जिनके वुजूद में नबियों से मिलने से पहले अक़्ल और सही सोच के एतेबार से केवल एक कमज़ोर सी लौ टिमटिमा रही थी और इसी कमज़ोर सी लौ ने उनके वुजूद को बुराईयों और बरबादी से हमेशा के लिए उनको बचाया।
यह लोग जब सोच विचार और थोड़े से नूर के साथ नबियों के हमराज़ हो गए और उनकी शैली और ख़ुदाई धर्म को अपना लिया तो वह ऐसे बुलंद मरतबों पर पहुँच गए जो इंसान को आश्चर्य में डाल देते हैं।
इन्ही में से एक मोमिने आले फ़िरऔन , फ़िरऔन का चचाज़ाद भाई , या ख़ालाज़ाद भाई था जिसको क़ुरआन ने इन शब्दों में याद किया हैः
وَقَالَ رَجُلٌ مُّؤْمِنٌ مِّنْ آلِ فِرْعَوْنَ يَكْتُمُ إِيمَانَهُ
और फ़िरऔन वालों में से एक मोमिन मर्द ने जो अपने ईमान को छिपाए हुए था।
फ़िरऔन के ख़ानदान के मोमिन ने हज़रत मूसा (अलैहिस सलाम) के व्यवहार और आचरण को देखने के बाद उनके आचरण और ईमान को अपना लिया और रूहानी तौर पर हज़रत मूसा के साथ गए , उन्होंने अपने दिल और आत्मा को हज़रत मूसा (अ) से जोड़ दिया , रूहानी कमाल और तरक़्क़ी के रास्ते पर चल पड़े , लेकिन अपने अंदर के ईमान को फ़िरऔन और उसके दरबारियों से छिपाए रखा ताकि हज़रत मूसा (अ) के मूरीद और सहायकों के तौर पर ना पहचाने जाएं , और इस प्रकार (तक़य्ये के माध्याम से) हज़रत मूसा (अ) की सहायता करते रहें हज़रत मूसा (अ) और आपके भाई हज़रत हारून (अ) की जान को फ़िरऔनियों के ख़तरे से बचाते रहे।
आप बहुत होशियार , स्थिति को भांपने वाले , और , बहुत तेज़ दिमाग़ वाले एवं शक्तिशाली थे , बहुत ही नाज़ुक मौक़े पर आपने हज़रत मूसा (अ) की सहायता की और जैसा कि सूरा मोमिन की आयतों में बयान हुआ है आपको फ़िरऔनियों के ख़तरनाक जाल से बचाया है
उन्होंने अपनी रूह में केवल हज़रत मूसा (अ) और हज़रत हारून (अ) को दोस्त के तौर पर चुना , और मूसा (अ) और बनी इस्राईल के इतिहास में एक बेहतरीन रोल अदा किया।
फ़िरऔन की पत्नी आसिया
उन्होंने ने अक़्ल और सोच , बसीरत और जानकारी के साथ हज़रत मूसा (अलैहिस सलाम) के सच्चे होने को पहचाना और दिल एवं जान से हज़रत मूसा (अ) पर ईमान लाईं और अपने जीवन में आपको मेहरबान मार्ग दर्शक के तौर पर चुना और हक़ के रास्ते में धैर्य और दृण्ता और ज़ालिमों के हाथों विभिन्न प्रकार की सज़ाओं को बर्दाश्त करते हुए जन्नत को सिधार गईं
आपने कुफ़्र और शिर्क , ज़ुल्म और अत्याचार के दरबार में सही अक़ीदे पर विश्वास , नेक कार्यों के करने और अच्छे आचरण को अपना कर इन्सानियत के इतिहास में औरतों के चेहरे को सदैव के लिए प्रकाशमयी कर दिया और दूसरी औरतों को भी इज़्ज़त और सम्मान दे दिया और क़यामत तक के लिए अपने आपको उन औरतों के लिए ख़ुदा की हुज्जत और सीधे रास्ते के तौर पर पहचनवाया , और बुरे एवं फ़ासिक़ों के लिए किसी भी प्रकार के बहाने के रास्ते को बंद कर दिया।
फ़िरऔन को जब यह पता चला कि वह हज़रत मूसा (अ) पर ईमान ले आईं हैं , तो पहले आपको बहुत अधिक माल और दौलत देने और पूरी साज एवं सज्जा के साथ एक क़ीमती घर देने का लालच दिया ताकि वह इस प्रकार हक़ के रास्ते से हट जाएं और मूसा (अ) का इन्कार करें ताकि मूसा (अ) पर ईमान लाने में दूसरे लोग भी इनको (फ़िरऔन की बीवी को) नमूना ना बनाएं।
आसिया ने फ़िरऔन के जवाब में कहाः मुझे तेरे माल और दौलत एवं घर की आवश्यकता नही है जो कुछ मेरे ख़ुदा और मेरे महबूब ने मुझसे वादे किए हैं और मुझे उनके वादों पर विश्वास है (मूसा और तौरैत जो स्वंय सच्चे हैं और सच्चे कहे गए हैं ने जन्नत का वादा किया है) वह सब उससे अच्छे हैं जो तू मुझे देना चाहता है।
इसके बाद फ़िरऔन ने उनको भयानक सज़ाएं देनी आरम्भ कर दीं और उनसे सारे पद छीन लिए , आपने फ़िरऔन के जवाब में कहाः मुझे इन चीज़ों से कोई डर नही है और मैं अपने धर्म की सुरक्षा के लिए इन सारी सज़ाओं और अत्याचारों को बर्दाश्त करूँगी और अपने ख़ुदा के दीन को नही छोड़ूँगी और कभी भी मूसा का इन्कार नही करूँगी , क्योंकि मूसा (अ) दुनिया और आख़ेरत में निजात दिलाने वाले और ख़ुदा के बेहतरीन बंदे हैं।
(घमंडी और अहंकार में चूर) फ़िरऔन ने आदेश दियाः इस ईश्वरीय नारी के हाथ और पैरों को ज़मीन पर कीलों से गाड़ दिया जाए भूख और प्यास के साथ इनको बहुत भयानक सज़ाएं दी जाएं और इनके ऊपर बहुत भारी पत्थर रख दिया जाए जिससे इनकी सारी हड्डिया टूट जाएं।
आसिया ने इन सारे अत्याचारों को बर्दाश्त करते हुए मूसा (अ) से कहाः हे ख़ुदा से बात करने वाले! अपने ईमानी दोस्त को इन मुसीबतों में देख रहे हो ? मूसा (अ) ने कहा आसमान के फ़रिश्ते तुम्हें देखने के लिए आए हैं इस समय तुम अपने परवरदिगार की बारगाह में दुआ करो।
आसिया ने हज़रत मूसा के आदेश पर ख़ुदा से दुआ की और कुछ ही क्षणों के बाद उनकी पवित्र आत्मा जन्नत की तरफ़ चली गई।
इस नारी (जिसने दुश्मनों को अपने जीवन से दूर किया और अपनी अक़्ल का प्रयोग करते हुए मूसा को अपना वली , मुनि , और सच्चे दोस्त के तौर पर चुना) के कार्यों के महत्व को जानने के लिए निम्न लिखित आयत के महत्व पूर्ण नुक्तों की तरफ़ ध्यान से देखते हैं
وَضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا لِّلَّذِينَ آمَنُوا اِمْرَأَةَ فِرْعَوْنَ إِذْ قَالَتْ رَبِّ ابْنِ لِي عِندَكَ بَيْتًا فِي الْجَنَّةِ وَنَجِّنِي مِن فِرْعَوْنَ وَعَمَلِهِ وَنَجِّنِي مِنَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ
और ख़ुदा ने ईमान वालों के लिए फ़िरऔन की पत्नी की मिसाल बयान की है कि उसने दुआ कि के परवरदिगार मेरे लिए जन्नत में एक घर बना दे और मुझे फ़िरऔन और उसके कुकर्मों से बचा ले , और इस पूरी अत्याचारी क़ौम से बचा ले।
शबे क़द्र में जिसमें इबादत और पूरी रात जगने का महत्व हज़ार महीनो से अधिक है , लाखों लोग रोते एवं गिड़गिड़ाते हुए और तौबा करने की अवस्था में क़ुरआन करीम को सर पर रखकर ख़ुदा को क़सम देते हैः
اللَّهُمَ بِحَقِ هَذَا الْقُرْآنِ وَ بِحَقِّ مَنْ أَرْسَلْتَهُ بِهِ وَ بِحَقِّ كُلِّ مُؤْمِنٍ مَدَحْتَهُ فِيه
हे अल्लाह! इस क़ुरआन शरीफ़ का वास्ता , उसका वास्ता जिसके साथ तूने इसको भेजा और हर मोमिन का वास्ता जिसकी तूने क़ुरआने करीम में प्रशंसा की है।
क़ुरआन शरीफ़ में जिन लोगों की प्रशंसा की गई है उनमें से एक फ़िरऔन की पत्नी आसिया हैं।
निःसंदेह इस नारी का मक़ाम और मरतबा इतना ऊँचा और पद इतना महान है कि लाखों लोग , ख़ुदावंदे आलम को इसके हक़ का वास्ता देते हैं कि वह शबे क़द्र में अपने करम और मेहरबानी के दरबार में उनको स्वीकार कर ले।