उलूमे क़ुरआन
क़ुरआने मजीद और माली इसलाहात
- में प्रकाशित
इक़्तेसादी दुनिया में मालीयात की तन्ज़ीम के दो मरहले होते हैं। एक मरहला पैदावार का होता है और दूसरा सरवत की तक़सीम का और आम तौर से इक़्तेसादी निज़ाम तक़सीम के बारे में बहस करता है और पैदावार के मरहसे को इल्मुल इक़्तेसाद के हवाले कर देता है।
उलूमे क़ुरआन का इतिहास
- में प्रकाशित
क़ुरआन और उलूमे क़ुरआन के परिचय के लिए इस्लाम के प्रथम चरण में ही असहाबे रसूल, (वह लोग जो रसूल के जीवन में मुस्लमान हुए तथा रसूल के साथ रहे) ताबेईन (वह लोग जो रसूल स.के स्वर्गवास के बाद मुस्लमान हुए या पैदा हुए और रसूल के असहाब के सम्मुख जीवन यापन किया) और...
उलूमे क़ुरआन का संकलन
- में प्रकाशित
उलूमे क़ुरआन को एकत्रित करने का कार्य दूसरी शताब्दी हिजरी मे ही आरम्भ हो गया था। सबसे पहले हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शिष्य अबुल असवद दौइली ने क़ुरआन पर ऐराब(मात्राऐं) लगाये। और फिर इनके एक शिष्य याहया बिन यअमर ने इल्मे तजवीद पर एक किताब लिखी।
क़ुरआन के मराकिज़
- में प्रकाशित
यहा पर आपको कुराने करीम के बारे मे काम करने वाली काफी साईट्स के लिन्क्स मिल जाऐंगें।
क़ुरआन नहजुल बलाग़ा के आईने में-1
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- लेखक:
- मुहम्मद फ़ोलादी
- स्रोत:
- अनुवाद : सैयद नजमुल हसन नक़वी
नहजुल बलाग़ा में बीस (20)से ज़ियादा ख़ुतबात हैं जिन में क़ुरआने मजीद का तआर्रुफ़ और उस की अहमियत व मौक़ेईयत बयान हुई है बाज़ औक़ात आधे से ज़्यादा खु़त्बे में क़ुरआने करीम की अहमियत, मुसलमानों की ज़िन्दगी में इस की मौक़ेईयत और उस के मुक़ाबिल मुसलमानों के फ़राइज़ बयान हुए हैं। यहां हम सिर्फ़ बाज़ जुमलों को तौज़ी व तशरीह पर इकतेफ़ा करेंगे
क़ुरआन और सदाचार
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- लेखक:
- सैय्यद वजीह अकबर ज़ैदी
- स्रोत:
- सय्यद कमरगाज़ी ज़ैदी
आवश्यक है कि सदाचार की तरफ़ गुज़रे हुए तमाम ज़मानों से अधिक तवज्जोह दी जाये।
उलूमे क़ुरआन की परिभाषा
- में प्रकाशित
वह सब उलूम जो क़ुरआन को समझने के लिए प्रस्तावना के रूप में प्रयोग किये जाते हैं उनको उलूमे क़ुरआन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में उलूमे क़ुरआन उलूम का एक ऐसा समूह है जिसका ज्ञान हर मुफ़स्सिर और मुहक़्क़िक़ के लिए अनिवार्य है। वैसे तो उलूमे क़ुरआन स्वयं एक ज्ञान है जिसके लिए शिया व सुन्नी सम्प्रदायों में बहुत सी किताबें मौजूद हैं।
सब से बड़ा मोजिज़ा
- में प्रकाशित
दुनिया में कोई भी इसका जवाब नही ला सकता यहाँ तक कि लोग इसके एक सूरेह के मिस्ल कोई सूरह नही ला सकते
क़ुरआने करीम की तफ़्सीर के ज़वाबित
- में प्रकाशित
यह हरगिज़ नही है कि अल्लाह के आँख, कान और हाथ पाये जाते है और वह एक जिस्म है।
तफ़्सीर बिर्राय के ख़तरात
- में प्रकाशित
जिस तरह क़ुरआने करीम के अलफ़ाज़ पर जमूद ,अक़्ली व नक़्ली मोतबर क़रीनों पर तवज्जोह न देना एक तरह का इनहेराफ़ है उसी तरह तफ़्सीर बिर्राय भी एक क़िस्म का इनहेराफ़ है
उलूमे क़ुरआन का परिचय
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- गुलज़ार अहमद जाफ़री
- स्रोत:
- सैय्यद क़मर ग़ाज़ी
क़ुरआने करीम ज्ञान पर आधारित एक आदर्श किताब है।परन्तु इसके भाव हर इंसान नही समझ सकता। जब कि क़ुरआन अपने आश्य को समझाने के लिए बार बार एलान कर रहा है कि बुद्धि से काम क्यों नही लेते ? चिंतन क्यों नही करते ? हम किस तरह समझें और किस तरह चिंतन करें क्यों कि क़ुरआन के आशय को समझना क़ुरआन के उलूम पर आधारित है। तो आइये पहले क़ुरान के उलूम से परिचित होते हैं।
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